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भूख लगने पर बच्चे रोते हैं और सभी पेरेंट्स के लिए यह एक आम अनुभव है। लेकिन, अगर दूध पीने के बाद बच्चे रोते हैं, विशेषकर अगर वे काफी तकलीफ में दिखते हैं, लगातार रोते हैं और शांत नहीं होते हैं, तो यह खतरनाक हो सकता है। चूंकि यह स्थिति माँ और बच्चे दोनों के लिए ही परेशानी भरी हो सकती है, ऐसे में, दूध पीने के बाद उसके चिड़चिड़ेपन के कारण को समझना बहुत जरूरी है, ताकि इसके समाधान के बारे में पता लगाया जा सके।
दूध पिलाने के बाद, बच्चे के रोने के कारणों को समझना बहुत जरूरी है, ताकि इसके लिए कोई समाधान ढूंढा जा सके। यहाँ पर दूध पीने के बाद शिशु के रोने के 5 आम कारण दिए गए हैं:
अगर फीडिंग के बाद बच्चे को गैस हो जाती है और वह कई घंटों तक रोता रहता है, तो यह कोलिक हो सकता है। आमतौर पर, जब 3 महीने तक के बच्चे हर दिन लगभग 2 से 3 घंटे रोते हैं और सप्ताह में 3 या 3 से अधिक दिनों तक ऐसा करते हैं, तो इस स्थिति को कोलिक कहा जाता है। हालांकि बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने या बोतल से दूध पिलाने के बाद, इतने लंबे समय तक रोते हुए देखना, आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है, लेकिन यह एक आम स्थिति है। हर पाँच में से एक बच्चे को कोलिक होता है और इसके होने का कोई भी कारण पता नहीं है। ऐसा माना जाता है, कि बच्चों के विकसित हो रहे डाइजेस्टिव सिस्टम के कारण, वे दूध को पूरी तरह से डाइजेस्ट करने में सक्षम नहीं होते हैं या फिर उन्हें गैस हो सकती है।
अगर बच्चे बिना किसी कारण के बहुत अधिक रोते हैं और इस दौरान उनकी मुट्ठियाँ कसी हुई होती हैं और गाल लाल हो जाते हैं, तो उन्हें कोलिक हो सकता है। वे अपनी पीठ को भी गोल घुमा सकते हैं और घुटनों को मोड़कर पेट के पास भी ला सकते हैं। जब वे रो नहीं रहे होते हैं, तो वे बिलकुल सामान्य होते हैं और खुश रहते हैं।
जब बच्चों के फूड पाइप के सिरों पर स्थित विकसित हो रही स्फिंक्टर मांसपेशियां पेट के कंटेंट को होल्ड करने में अक्षम होती हैं, तब इस स्थिति को एसिड रिफ्लक्स कहा जाता है। इसमें खाने के साथ-साथ डाइजेस्टिव रस भी पेट से निकलकर फूड पाइप में चले जाते हैं। फूड पाइप में जाने वाले रस को बच्चे उगल सकते हैं या नहीं भी उगल सकते हैं। इसलिए खाने को उगल देना, हमेशा एसिड रिफ्लक्स के कारण नहीं होता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) कहा जाता है। बड़े बच्चों और वयस्कों में जीईआरडी से पेट में जलन और सीने में जलन जैसे लक्षण दिखते हैं। एसिड रिफ्लक्स जीईआरडी के आम लक्षणों में से एक है। इसके लक्षण कोलिक से मिलते-जुलते भी हो सकते हैं।
बच्चे के लक्षणों के आधार पर, रिफ्लक्स की पहचान की जाती है और अगर गंभीर स्थिति हो, तो समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर विभिन्न टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
बच्चे नए खाने के प्रति अक्सर सेंसिटिव होते हैं और अगर उनका इम्यून सिस्टम इसे एक खतरे के तौर पर देखता है, तो उन्हें तुरंत एलर्जी हो सकती है। चूंकि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँएं अलग-अलग तरह का खाना खाती हैं, तो बच्चों को इसकी आदत नहीं होने के कारण, स्तनपान करने वाले बच्चों में यह स्थिति अधिक देखी जाती है। जो खाद्य पदार्थ बच्चों को ज्यादातर खिलाए जाते हैं, उनमें से दूध, अंडे और सोया से बच्चों में सबसे अधिक एलर्जी देखी जाती है। अगर दूध पीने के बाद, शिशु में बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन, रेडनेस, हाइव्स या मल में खून आना जैसे लक्षण दिखते हैं, तो आपको एलर्जी के लिए डॉक्टर से जांच करवाने की सलाह दी जाती है।
खाने के तुरंत बाद, शिशुओं में तकलीफ का एक आम कारण गैस भी होता है। अगर बच्चे को हर बार दूध पिलाने के बाद, वह बहुत अधिक रोता है और उसमें ब्लोटिंग के लक्षण दिखते हैं, तो हो सकता है, कि फीडिंग के दौरान उसने बहुत सारी हवा भी निगल ली हो। जब बोतल से फार्मूला देने के बाद आप अपने बच्चे को रोता हुआ देखें तो हो सकता है, कि उसने दूध पीने के दौरान बहुत सारी हवा निगली हो, और हवा पेट में अटक जाने के कारण उसे तकलीफ हो रही हो। जहाँ बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में यह स्थिति बहुत आम है, वहीं ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों में भी यह समस्या देखी जाती है और उन्हें दूध पीने के दौरान बार-बार डकार दिलाने की जरूरत होती है।
अगर आप किसी खास ब्रांड या मैन्युफैक्चरर के फार्मूला को खाने के बाद बच्चे को रोता हुआ देखती हैं, तो हो सकता है, कि वह उसमें मौजूद इनग्रेडिएंट्स के प्रति सेंसिटिव हो। चूंकि हर फार्मूला के कंपोजीशन में थोड़ा सा फर्क होता है, ऐसे में बच्चे का पेट किसी फार्मूला को आसानी से स्वीकार कर लेता है और किसी से उसे तकलीफ भी हो सकती है। ऐसे मामलों में सेंसिटिव बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाए गए फार्मूला को आजमाने की सलाह दी जाती है। अलग-अलग ब्रांड के फार्मूला के साथ एक्सपेरिमेंट करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
बच्चे के रोने के कारण का पता लगाना केवल आधा समाधान ही है। अब आपको इस स्थिति को रोकने के तरीकों के बारे में जानने की जरूरत है।
बच्चे के कोलिक से निपटने के लिए, जितना संभव हो सके, उतने अधिक कारकों को ठीक करने की कोशिश करें। जब बच्चे लगातार रोते रहते हैं, तो वह और अधिक हवा निग ल लेते हैं, जिससे उनकी तकलीफ बढ़ती जाती है। अगर आपको कुछ अन्य लक्षण भी दिखते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें। आमतौर पर लगभग 6 सप्ताह में कोलिक काफी कम हो जाता है और 4 महीने तक यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अभी के लिए कोलिक के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। इसके लिए केवल हर संभव ट्रिगर से बचाव ही किया जा सकता है।
खाने को इसोफेगस में वापस जाने से रोकने के लिए, फीडिंग के दौरान बच्चे को सीधा बिठाकर रखें। फीडिंग के दौरान या फीडिंग के बाद उन्हें लिटा कर रखने से इसोफेगल स्फिंक्टर पर दबाव पड़ता है, जिससे यह खुल सकता है। फीडिंग के बाद कम से कम 30 मिनट के लिए, बच्चे को अपने कंधे पर सीधा रखें। इस तरह से खाना उसके पेट में ही रहता है और डकार के माध्यम से गैस बाहर निकल जाती है।
गैस से निपटने के लिए फीडिंग के बाद कम से कम 30 मिनट के लिए अपने कंधे पर बच्चे को सीधा थाम कर रखें। फीडिंग के दौरान और फीडिंग के बाद उसे अक्सर डकार दिलाती रहें, ताकि खाने के साथ मिलकर फंसी हुई गैस बाहर निकल सके। शिशु को सीधा रखें और उसकी पीठ पर हल्के हाथों से थपथपाएं, इससे गैस बाहर आ जाएगी। अगर पीठ पर थपथपाने से कोई लाभ न हो, तो उसके पीठ के निचले हिस्से और पीठ को सर्कुलर मोशन में हल्के हाथों से घिसें, इससे फंसी हुई गैस ढीली होती है। अगर दूध पिलाने के बाद बच्चा रोता है, तो हो सकता है, कि उसने बहुत सारी हवा पी ली हो और डकार करने के बाद उसे भूख लग रही हो।
अगर आपका बच्चा ओटमील सीरियल या एलर्जी पैदा करने वाले किसी खाद्य पदार्थ को खाने के बाद रो रहा हो, तो ऐसे खानपान से बचें और ऐसे विकल्पों का चुनाव करें, जिसे वह आसानी से पचा सके। अगर वह किसी खास ब्रांड को लेकर संवेदनशील है और उसे खाने के बाद उसे कोलिक हो जाता है, तो उस ब्रांड को बदलने के बारे में विचार करें। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ऐसे खानपान से बचें, जिसके कारण उसे असुविधा होती है।
अगर फीडिंग के बाद बच्चे बहुत अधिक रोते हैं, तो इसके लिए कोलिक या कुछ अन्य स्थितियां जिम्मेदार हो सकती हैं। हालांकि अगर आपने सभी नुस्खों को आजमा लिया है, जैसे कि फार्मूला बदलना (अगर आप फार्मूला दूध दे रही हों तो) या अपने भोजन में से सभी एलर्जेन से दूरी बनाना (अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो), और फिर भी आपका बच्चा रोता रहता है या उल्टियां करता रहता है और उसका वजन भी कम हो रहा है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
फीडिंग के बाद अपने बच्चे को रोता हुआ देखना निराशाजनक हो सकता है और आप उसके रोने के कारणों को समझने की कोशिश में लगी रहती हैं। अपने बच्चे को तकलीफ देने वाले खाने के प्रकार और खानपान की आदतों की जांच करके, एक सिस्टमैटिक तरीके से आपको समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है और आप इन परेशानियों से छुटकारा पा सकती हैं।
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