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एक कपल के लिए बच्चे की प्लानिंग करना सबसे कठिन कामों में से एक है, लेकिन यह उतना ही आपके जीवन को पूरा होने का अहसास भी देता है। महिलाओं के लिए गर्भधारण करना उतना भी आसान नहीं है, जितना लगता है। आपको गर्भधारण करने का प्रयास सही समय पर करना चाहिए यानी जब आप पूरी तरह से फर्टाइल होती हैं। ध्यान रहे कि आपका यह प्रयास पीरियड्स के दौरान शरीर से अंडा रिलीज होने से पहले ही होना चाहिए।
एक महिला के शरीर में कई अंडे होते हैं जिनमें से हर महीने पीरियड्स के समय पर एक अंडा फैलोपियन ट्यूब में रिलीज होता है। यदि यह फर्टिलाइज नहीं होता है तो गर्भाशय की अतिरिक्त लाइनिंग, जो फर्टिलाइजेशन की संभावना के साथ बनी होती है, उसके साथ पीरियड्स के दौरान यह अंडा शरीर से बाहर निकल जाता है।
फॉलिक्युलर स्टडी क्या होती है और यह आपके गर्भधारण करने के प्रयास में कैसे मदद करती है, आइए जानें;
महिलाओं की ओवरीज में सेल्स (टिश्यू जैसे) इकट्ठे होते हैं या सेल्स की थैली होती है जिन्हें फॉलिकल कहा जाता है। हर एक महिला लगभग 4 लाख फॉलिकल के साथ जन्म लेती है और हर फॉलिकल एक बार में एक अंडे को रिलीज करता है। फॉलिक्युलर स्टडी और गर्भावस्था एक दूसरे से संबंधित है जिसमें फॉलिक्युलर स्टडी यह बताती है कि महिला में ओवुलेशन हो रहा है या नहीं। फॉलिकल ट्रैकिंग में फॉलिकल के विकास के साथ-साथ यह जानकारी प्राप्त की जाती है कि एक महिला में कितना ओवुलेशन हुआ है। इसकी स्टडी के लिए कुछ सिंपल स्कैन किए जाते हैं जिसमें महिला के मासिक धर्म चक्र की वर्तमान स्थिति को जानने में मदद मिलती है।
फॉलिक्युलर स्टडी की मदद से फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है। क्योंकि यह जांचना भी जरूरी है कि महिला में ट्रीटमेंट का असर हो रहा है या नहीं। यदि कोई महिला फर्टिलाइजेशन के लिए IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) का उपयोग करती है तो भी फॉलिक्युलर स्कैन करना बहुत जरूरी है। स्कैन की मदद से यह पता किया जाता है कि महिला में ओवुलेशन के लिए एक बार में कितने अंडे होते हैं और वे स्वस्थ हैं या नहीं। यदि हॉर्मोन का स्तर ठीक नहीं है तो गर्भधारण करने की संभावना को बढ़ाने के लिए डॉक्टर दवा देते हैं।
फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग भी अल्ट्रासाउंड स्कैन से ही की जाती है। यह जांच एक सर्टिफाइड सोनोग्राफर करता है और इसमें ओवरियन फॉलिकल्स की जांच करने और आंतरिक अंगों की पिक्चर लेने के लिए आपकी वजाइना में एक प्रोब डाला जाता है। यह प्रोब पूरी तरह से हाइजीनिक और साफ होता है। इस स्कैन को करवाने के लिए सोनोग्राफर आपको पीठ के बल और दोनों पैर ऊपर करके लेटने के लिए कह सकता है। इस पोजीशन में लेटने के लिए आपके पैरों को सहारा दिया जा सकता है। फिर आपको कमर से लेकर नीचे तक एक चादर उढ़ा दी जाती है और वजायना में प्रोब डाला जाता है। इस प्रोब से अल्ट्रासाउंड फ्रीक्वेंसी में साउंड वेव्स निकलती हैं जिसकी मदद से इंटरनल ऑर्गन्स की पिक्चर कैप्चर की जाती है। इसकी मदद से सोनोग्राफर गर्भाशय की दीवार की थिकनेस की जांच करके यह सही-सही बता सकता है कि अंडा कब रिलीज होगा। इसकी मदद से आप गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने का प्रयास कर सकती हैं। इसलिए यदि आप बच्चे का सोच रही हैं तो फॉलिक्युलर स्टडी की प्रक्रिया आपके लिए उपयुक्त है।
यह स्कैन उन महिलाओं को करवाने की सलाह दी जाती है जो पिछले काफी समय से गर्भधारण करने का प्रयास कर रही है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित लोगों के लिए भी फायदेमंद है, आइए जानते हैं;
यद्यपि यह स्कैन आधे घंटे से कम समय में ही पूरा हो जाता है पर इसकी तैयारी कुछ समय पहले से ही की जाती है। यदि आप स्कैन की पूरी प्रक्रिया में शांत व आरामदायक स्थिति में रहती हैं तो इसे खत्म होने में 10 मिनट भी नहीं लगेंगे।
ओवुलेशनत कब होगा इस बारे में सही जानकारी के लिए एक चक्र में लगभग 4 से 6 स्कैन किए जाते हैं। इसके सबसे पहले स्कैन को बेस-लाइन स्कैन कहा जाता है और यह डॉक्टर को फॉलिकल की शुरूआती स्थिति को समझने में मदद करता है। उसके बाद से डॉक्टर फॉलिकल्स के डेवलपमेंट को जांचने के लिए स्कैन करने का सही समय निर्धारित करते हैं। हर स्कैन में डॉक्टर यूट्रस के अंदर की परत और फॉलिकल के विकार की जांच करते हैं और इसके परिणामस्वरूप डॉक्टर बता सकते हैं कि आपका ओवुलेशन कब होगा। चक्र के दौरान 11वें दिन डॉक्टर आपको यह स्कैन करवाने की सलाह दे सकते हैं।
यद्यपि जो कपल बच्चा चाहते हैं उनके लिए यह बहुत अच्छा है पर यदि कोई महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है तो यह स्कैन इसके कारणों को भी समझने में मदद करता है।
यह जांच ऊपर दी हुई सभी समस्याओं का पता लगाने में डॉक्टर की मदद करती है और साथ यदि आपको कोई सभी समस्या है तो डॉक्टर सही इलाज करने की सलाह दे सकते हैं।
वैसे तो इसका कोई भी शारीरिक साइडइफेक्ट नहीं है पर कई कपल्स के लिए यह बहुत तनावपूर्ण अनुभव हो सकता है। ज्यादातर वही महिलाएं यह स्कैन करवाती हैं जो पिछले कई महीनों से गर्भधारण करने का प्रयास कर रही हैं। जिस वजह कपल्स में सेक्शुअल कॉम्पैटिबिलिटी खत्म होने लगती है – यह विवाहित जीवन को प्रभावित करता है। डॉक्टर इस स्कैन की रिपोर्ट को स्टडी करके गर्भावस्था की संभावनाओं के अनुसार ओवुलेशन का सही समय बता सकते हैं। इसकी वजह से महिलाओं को सिर्फ ओवुलेशन के दौरान ही सेक्स करने की इच्छा होती है और इससे पति-पत्नी के संबंध खराब होने लगते हैं। क्योंकि पुरुषों के अनुसार ओवुलेशन के दौरान एक बार करने के बजाय लगातार सेक्स करना ज्यादा ठीक है। इसलिए यदि आप फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग करवाती हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि आप यह सिर्फ अपने बच्चे के लिए कर रही हैं। आप इसकी प्रक्रिया, ओवुलेशन के समय और इत्यादि में इतना न खो जाएं कि पति के साथ आपके संबंध खराब होने लगें।
फॉलिक्युलर ट्रैकिंग गर्भधारण करने की प्रक्रिया को समझने और महिलाओं के ओवुलेशन पीरियड को जानने का एक बेहतरीन तरीका है। यह उन महिलाओं के लिए आवश्यक है जो पिछले कई महीनों से गर्भधारण करने का प्रयास कर रही हैं या उन महिलाओं के लिए भी जरूरी है जो अन्य तरीकों का उपयोग करती हैं, जैसे आईवीएफ। इस स्कैन की मदद से आप सही समय पर गर्भधारण करने का प्रयास कर सकती हैं और गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं।
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