गर्भधारण

प्रजननक्षमता में समस्या: गर्भधारण न करने के 45 संभावित कारण

लगभग सभी शादीशुदा जोड़े अपना परिवार बनाने की चाह रखते हैं । वे एक बच्चे को जन्म देने और उसे अपनी ओर से सबसे अच्छा पालन-पोषण प्रदान करने का सपना देखते हैं। हालांकि कई बार, स्वास्थ्य कारणों से या जीवनशैली के कारण इस प्रक्रिया में बाधा आ सकती है और गर्भधारण करने में मुश्किलें आ सकती हैं। इस लेख में गर्भधारण न होने के कारणों पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

गर्भवती न होने के प्रमुख कारण

यदि आप दोनों पिछले कुछ समय से गर्भधारण का असफल प्रयास कर रहे हैं और ‘मैं गर्भवती क्यों नहीं हो रही हूँ’ का विचार स्त्री को विचलित कर रहा है, तो जानिए कि इस समस्या के पीछे के कुछ संभावित कारण क्या हैं:

1. स्वस्थ सेक्स जीवन का अभाव

आश्चर्यजनक रूप से यह गर्भधारण न होने पाने का एक मुख्य कारण है। संभोग का समय ओव्यूलेशन की प्रजननक्षम अवधि से 1 से 2 दिन पहले होना चाहिए। केवल इस अवधि के दौरान शारीरिक सुख का आनंद लेना पर्याप्त नहीं है, बल्कि हर रोज इसका आनंद लें। बहुत ज्यादा या बहुत कम सेक्स, दोनों ही उचित नहीं है। जबकि बहुत अधिक सेक्स से अत्यधिक थकावट हो सकती है और प्रजननक्षम अवधि के दौरान संभोग में रुचि कम हो सकती है, वहीं बहुत कम सेक्स से भी प्रजननक्षम अवधि चूक सकती है क्योंकि यह आवश्यक नहीं है कि आप हमेशा ओव्यूलेशन के समय का सही आकलन करें ।

2. संभोग के दौरान घबराना

यदि आप यौन क्रिया का आनंद नहीं ले रहे हैं, तो आपका शरीर तनावग्रस्त हो जाता है और प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से नहीं हो पाती है। इससे गड़बड़ होने की संभावना बढ़ सकती है, और आपके शरीर को सेक्स के प्रति अरुचि हो सकती है और वह इसे अस्वीकार करने लग सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप इसका आनंद लें और स्वाभाविक रूप से सब होने दें।

3. तनावग्रस्त या थका होना

जब एक शरीर थकान से भरा होता है, तो उसे आराम करने की आवश्यकता महसूस होती है। संभोग, एक शारीरिक प्रक्रिया है और थका हुआ शरीर इसके लिए उपयुक्त नहीं है । शारीरिक संबंध बनाने की प्रक्रिया आपको अधिक थका सकती है और इससे आपको चिड़चिड़ाहट हो सकती है। ऐसे में शरीर गर्भाशय में शिशु का स्वीकार करने और उसकी वृद्धि में सहायता करने की स्थिति में नहीं होता है।

4. सेक्स के तुरंत बाद शौचालय का उपयोग करना

सेक्स के बाद नहाने की या पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना स्वाभाविक है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि स्त्री इसमें जल्दबाजी न करे, बल्कि कम से कम 20 मिनट तक बिस्तर में रहे। ऐसा करना शुक्राणुओं को उसके गर्भाशय में रहने के लिए अधिक समय देता है ताकि वे डिंब तक पहुँच सके। इससे कई शुक्राणुओं की फैलोपियन ट्यूब तक पहुँचने की, जहाँ डिंब होता है, और इस डिंब के साथ जुड़ने की संभावना बढ़ जाती है। यदि महिला सेक्स के तुरंत बाद टॉयलेट जाती है, तो शुक्राणुओं को डिंब तक पहुँचने का समय नहीं मिलता, बल्कि शरीर की सफाई या नहाने के दौरान और गुरुत्वाकर्षण के कारण ये शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं।

5. धूम्रपान करना या शराब पीना

धूम्रपान या शराब पीने से महिलाओं में डिंब और पुरुषों में शुक्राणु पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है। धूम्रपान या शराब पीने से शरीर की स्वस्थ जर्म कोशिकाओं का निर्माण करने की क्षमता प्रभावित होती है।

6. बहुत कठिन कसरत करना

जब स्त्री अत्यधिक व्यायाम करती है, तो गर्भाशय पर दबाव आता है, और यह प्राकृतिक चक्र को बाधित करता है तथा गर्भावस्था की संभावना को कम करता है। आप अपने दैनिक व्यायाम जारी रख सकती हैं लेकिन अधिक कठिन कसरत न करें । जॉग करें या कार्डियो कसरत करें लेकिन कम गति पर और कम समय तक।

7. पर्याप्त पानी न पीना

जल शरीर के सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, आपको तरोताजा रखता है, और चयापचय को पूरी तरह से नियंत्रित करता है। पर्याप्त पानी नहीं पीने से गर्भधारण करने की स्त्री की क्षमता में बाधा आ सकती है।

8. स्वास्थ्य समस्याएं

गर्भधारण करने के पीछे का एक कारण स्वास्थ्य समस्याएं या बीमारियां भी हो सकती हैं । पुरुष या स्त्री में से किसी भी एक को ऐसी बीमारी हो सकती है जिससे महिला को गर्भवती होने में परेशानी हो । इनमें से कुछ कारण नीचे तालिका में दिए गए हैं और आगे उन पर विस्तार से चर्चा की गई है।

पुरुषों में शुक्राणु आकारिकी, वीर्य रोग, हार्मोनल असंतुलन, रोग, पूर्व में हुई सर्जरी, आनुवांशिक कारक आदि।
महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, डिंब की कम संख्या, हार्मोनल असंतुलन, शारीरिक असामान्यताएं, पूर्व में हुई सर्जरी, आनुवांशिक कारक आदि।

बांझपन के कारण

जोड़े को प्राथमिक बांझपन की समस्या है, ऐसा केवल तब माना जाता है जब वे एक वर्ष के लिए प्रयास करने के बाद भी स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने में असमर्थ हों । जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, अनेक कारणों से बांझपन हो सकता है। इन बीमारियों का निदान व उपचार पुरुषों के लिए एक एंड्रोलॉजिस्ट एवं महिलाओं के लिए एक स्त्री रोग विशेषज्ञ (गाइनेकोलॉजिस्ट) द्वारा किया जा सकता है।

पुरुषों में

पुरुष बांझपन तब होता है जब:

  • वे शुक्राणुओं का उत्पादन करते हैं जो असामान्य आकार के होते हों
  • वे अच्छी गुणवत्ता वाले शुक्राणुओं का उत्पादन कम संख्या में करते हों या गैर-गतिशील शुक्राणुओं का उत्पादन करते हों
  • बांझपन का कारण आनुवंशिक असामान्यता हो
  • यौन संचारित रोग (एस.टी.डी.) के कारण असामान्यता हो
  • जीवनशैली की समस्याएं हों

यह समझने के लिए कि समस्या कहाँ है, आपका डॉक्टर आपको एक शारीरिक परीक्षण के लिए कहेगा, और आपसे आपके सेक्स जीवन, खाने की आदतों और अन्य कई तरह के व्यक्तिगत सवाल पूछेगा। यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो वे आपको वीर्य और शुक्राणु विश्लेषण परीक्षण के लिए कहेंगे। परिणामों के आधार पर, आगे के विशिष्ट परीक्षण किए जाएंगे।

1. शारीरिक जांच

डॉक्टर यौन अंगों में किसी भी असामान्यता के लिए जांच करते हैं । उदाहरण के लिए – गुप्तवृषणता (एक ऐसी अवस्था जहाँ वृषण जन्म के बाद वृषण की थैली में प्रवेश करने में विफल रहे हैं। यह शुक्राणु उत्पादन में बाधा उत्पन्न कर सकता है), ट्यूमर और असामान्य वृद्धि जो अंग के उचित कार्य में बाधा उत्पन्न करती है।

2. हार्मोन परीक्षण

टेस्टोस्टेरोन मुख्य पुरुष सेक्स हार्मोन है। यह शुक्राणुओं की वृद्धि और उत्पादन को नियंत्रित करता है। यदि शरीर में इस हार्मोन का स्तर असामान्य है, तो शुक्राणु उत्पादन सामान्य चक्र का पालन नहीं करता है।

3. शुक्राणु और वीर्य विश्लेषण

यह परीक्षण शुक्राणुओं की संख्या, गतिशील शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणुओं की आकारिकी, एक स्खलन में मौजूद वीर्य की मात्रा और वीर्य के गाढ़ेपन की जांच करता है। अगर ये सामान्य मानकों से भिन्न होते हैं, तो समस्या का एकदम सटीक कारण ढूंढने के लिए कई अन्य परीक्षण किए जाते हैं।

4. एंटी-स्पर्म एंटीबॉडी

कभी-कभी शरीर असामान्य एंटीबॉडी बनाता है जो स्खलन होने पर शुक्राणुओं पर हमला करते हैं। ये एंटीबॉडी शुक्राणुओं को मारते हैं और उन्हें डिंब में घुसने और निषेचित करने की अनुमति नहीं देते हैं।

5. वैरीकोसेल

यह एक आम बीमारी है जो ज्यादातर उन लोगों के पैरों में होती है जो दिन भर खड़े रहते हैं। नसों में सूजन आती है और रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है जिससे उस क्षेत्र की मांसपेशियों को क्षति पहुँचती है। यह वृषण में मौजूद नसों में भी होता है। वृषण में वैरीकोसेल शुक्राणु की गुणवत्ता को खराब करता है। इस समस्या का उपचार है ।

6. ट्यूमर

प्रजनन मार्ग में ट्यूमर की वृद्धि इसकी कार्य प्रणाली में बाधा डाल सकती है। ये घातक ट्यूमर उन ग्रंथियों को प्रभावित कर सकते हैं जिनमें से सेक्स हार्मोन निकलते हैं, ये कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करते हैं, या मार्ग को बाधित करते हैं। कभी-कभी, कीमोथेरेपी के माध्यम से इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है। हालांकि, कीमोथेरेपी से अंगों को अधिक नुकसान हो सकता है, और जर्म स्टेम सेल आनुवंशिक दोष ग्रहण कर सकते हैं।

7. असामान्य शुक्राणु

विभिन्न कारक हैं जो शुक्राणुओं को प्रभावित करते हैं, उन्हें असामान्य बनाते हैं और एक अंडे को निषेचित करने की उनकी क्षमता खो देते हैं।

  • ओलिगोस्पर्मिया

इसमें शुक्राणु उत्पादन कम हो जाता है। व्यापक रूप से, यह बीमारी हार्मोनल विसंगति, खराब स्वास्थ्य, या शारीरिक असामान्यताओं के कारण होती है।

  • अस्थेनोज़ूस्पर्मिया

ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें शुक्राणु की गतिशीलता में बाधा आती है। अंडे की कोशिका तक पहुँचने और इसे निषेचित करने के लिए विशाल दूरी से तैरने के लिए शुक्राणुओं को बेहद सक्रिय और गतिशील होने की आवश्यकता होती है। यदि ये शुक्राणु ‘आलसी’ हैं या पर्याप्त सक्रिय नहीं हैं, तो वे ऐसा करने में असमर्थ रहेंगे और गर्भधारण में सहायता करने में विफल रहेंगे।

  • टेराटोज़ोस्पर्मिया

यह शब्द आकारिकी रूप से बाधित शुक्राणुओं को संदर्भित करता है। यदि शुक्राणु कोशिका की संरचना को कोई नुकसान होता है, तो यह स्वाभाविक रूप से समाप्त हो जाता है या इसकी जीवनशक्ति बहुत कम हो जाती है।

  • अशुक्राणुता (एज़ूस्पर्मिया)

यह वह समस्या है जब वीर्य में शुक्राणु नहीं होते हैं। इसके अनेक रूप हैं, जिनमें से अधिकांश को उपचार से ठीक किया जा सकता है।

  • प्रीटेस्टीक्युलर

इस मामले में, हार्मोनल असंतुलन के कारण, वृषण शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन करने के लिए टेस्टोस्टेरोन की एक स्वस्थ खुराक प्राप्त नहीं करते हैं।

  • टेस्टीक्युलर

यहाँ अंग स्वयं ही असामान्य, क्षतिग्रस्त होता है या शुक्राणु उत्पादन पूरी तरह से अनुपस्थित होता है अथवा वांछित स्तर तक नहीं होता है।

  • पोस्ट-टेस्टीक्युलर

इस मामले में, शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन होता है लेकिन वीर्य में स्खलन नहीं होता है। इसमें अंतर्निहित मुख्य कारण एक नलिका में अवरोध या नलिका की अनुपस्थिति है। यह बहुत दुर्लभ बीमारी होती है और ऑपरेशन द्वारा ठीक की जा सकती है।

  • ल्यूकोसाइटोस्पर्मिया

जब वीर्य में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या बहुत अधिक होती है तो उसे ल्यूकोसाइटोस्पर्मिया कहते हैं । कुछ लक्षणरहित स्थितियों के मामले होते हैं जिसमें वीर्य में श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ता हैं। शोध के अनुसार, यह एक अस्वास्थ्यकर जीवनशैली या वास्तविक बैक्टीरियल संक्रमण के कारण हो सकता है।एंटीबायोटिक उपचार से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।

  • एस्पर्मिया

इस बीमारी में, पुरुष एक ‘शुष्क स्खलन’ का अनुभव करते हैं जहाँ लिंग से शुक्राणु के साथ वीर्य निकलता है लेकिन मूत्राशय में वापस लौट जाता है। ये प्रतिगामी स्खलन या किसी रुकावट के कारण होता है। इन दोनों को ऑपरेशन करके ठीक किया जा सकता है।

  • नेक्रोज़ोस्पर्मिया

यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शुक्राणु गैर-गतिशील होते हैं। इसमें स्खलन में मृत शुक्राणु होते हैं।

8. प्रतिगामी स्खलन

इस मामले में, स्खलन लिंग के माध्यम से बाहर निकलने के बजाय मूत्राशय में वापस चला जाता है। यह या तो पहले हो चुके श्रोणी के ऑपरेशन के कारण होता है या जब शुक्रवाहिका (लिंग को वृषण को जोड़ने वाली ट्यूब) एक आनुवंशिक बीमारी के कारण मौजूद नहीं होती है।

9. रूकावट

वृषण से गुप्तांग तक कहीं भी रुकावट हो सकती है, और यह शुक्राणुओं को बाहर निकलने के लिए एक मुक्त मार्ग नहीं देता है।

10. संभोग में समस्याएं

ये विभिन्न कारणों से होता है जैसे:

  • स्तंभन दोष – लिंग पर्याप्त समय तक खड़ा नहीं रहता है
  • शीघ्रपतन – जहाँ कामोन्माद प्राप्त करने से पहले वीर्य और शुक्राणु कोशिकाएं मिश्रित हो जाते हैं
  • शारीरिक असामान्यताएं – जहाँ शरीर के अंग वैसे नहीं होते हैं जैसे कि होने चाहिए
  • शारीरिक या रिश्ते की समस्याएं जो सेक्स में हस्तक्षेप करती हैं

11. सीलिएक बीमारी

यह मूल रूप से ग्लूटेन (लस) के प्रति संवेदनशीलता के कारण होने वाला एक पाचन विकार है। इसके लक्षणों में से एक बांझपन है। ग्लूटेन मुक्त आहार अपनाने से यह बीमारी ठीक हो सकती है।

12. कुछ दवाएं

कुछ दवाएं शुक्राणु के बनने में बाधक बन सकती हैं और बांझपन का कारण बन सकती हैं। इनमें से कुछ हैं –

  • टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
  • लंबे समय तक अनाबोलिक स्टेरॉयड का उपयोग
  • कैंसर की दवा
  • कुछ ऐंटिफंगल दवाएं
  • छालों की कुछ दवाएं

13. पूर्व ऑपरेशन

पहले हुए किसी ऑपरेशन का दुष्प्रभाव बांझपन हो सकता है। ये सुधारात्मक ऑपरेशन के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। कुछ ऑपरेशन जिसके दुष्प्रभाव से ऐसा हो सकता है –

  • वंक्षण हर्निया की सर्जरी
  • अंडकोषीय या वृषण ऑपरेशन
  • प्रोस्ट्रेट ऑपरेशन
  • वृषण या मलाशय का कैंसर का ऑपरेशन
  • पुरुष नसबंदी

14. अज्ञात बांझपन

सामान्य शब्दों में, यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें कोई कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है।

15. आनुवंशिक विसंगति

कुछ आनुवंशिक कारकों के कारण, पुरुषों को बांझपन की समस्या होती है। गुणसूत्र निष्क्रिय हो जाता है या यह गायब हो जाता है या कुछ मामलों में वाई गुणसूत्र में किसी बेहद सूक्ष्म अनुपस्थिति के कारण वृषण असामान्य शुक्राणु पैदा करता है। यह एक जन्मजात दोष होने के कारण, इसका कोई इलाज या उपचार नहीं है।

कुछ पर्यावरणीय कारक भी पुरुषों में बांझपन ला सकते हैं। ये कारक आनुवंशिक गुणों के समान बल लगाकर लक्षणों को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ हैं –

  • औद्योगिक रसायनों के संपर्क में आने से शुक्राणु की संख्या कम हो सकती है। उदाहरण: बेंजीन, टोल्यूनि आदि।
  • विकिरण या एक्स-रे के कारण डीएनए को क्षति पहुँच सकती है जिससे असामान्य कोशिकाएं पैदा होती हैं जो शरीर के अंदर मारी जाती हैं।
  • तापमान की अधिकता से वृषण में शुक्राणु मारे जाते हैं।
  • उर्वरकों, शाकनाशी और नाइट्रिक ऑक्साइड जैसे कीटनाशकों के संपर्क में आने से शुक्राणु की गतिशीलता और जीवन क्षमता कम हो जाती है और शुक्राणु की अंडक में प्रवेश करने की क्षमता बाधित हो जाती है। डाइक्लोरो-डाइफिनाइल-डाइक्लोरोएथेन (आम तौर पर डीडीटी के नाम से जाना जाता है) से शुक्राणु की संख्या पर प्रभाव पड़ता है।
  • खाद्य पदार्थ स्टोर करने के लिए निम्न श्रेणी के प्लास्टिक का उपयोग करने से यह शरीर में प्रवेश कर सकता है, रक्तप्रवाह में मिल सकता है, पुरुष प्रजनन प्रणाली तक पहुँच सकता है और शुक्राणुओं की संख्या, उनकी गतिशीलता और जीवन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

महिलाओं में

एक महिला के शरीर को गर्भ धारण करने के लिए स्वस्थ होने की आवश्यकता होती है क्योंकि उसे बढ़ते, स्वस्थ बच्चे को पोषण देने के लिए शारीरिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। इस प्रकार, गर्भधारण करने में समस्या होने पर आपके स्वास्थ्य की जाँच की जानी चाहिए। महिलाओं की कुछ समस्याएँ निम्नलिखित कारणों के कारण हो सकती हैं:

  • हार्मोनल असंतुलन, ट्यूमर या छाले, खाने के विकार,थायरॉइड ग्रंथि की समस्याएं, अतिरिक्त वजन, तनाव या अत्यंत संक्षिप्त मासिक धर्म के कारण ओव्यूलेशन समस्याएं
  • श्रोणि के सूजन संबंधी रोग, गर्भकला-अस्थानता (एंडोमेट्रियोसिस) या फाइब्रॉएड, स्कार टिश्यू या आसंजन
  • पूर्व की अस्थानिक गर्भावस्था, पूर्व के जन्म दोष, आदि

ये सभी कारक एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए एक महिला के शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। महिलाओं में बांझपन के कारणों में योगदान करने वाले मुख्य कारक हैं –

1. विघटनकारी मासिक धर्म चक्र

इस मामले में, मासिक चक्र या तो बहुत लंबे (35 दिन या उससे अधिक), बहुत कम (21 दिन से कम), अनियमित होते हैं या होते ही नहीं हैं। ऐसी स्थितियों में, गर्भधारण करने के लिए एक परिपक्व डिंब उपलब्ध नहीं होता।

2. ओव्यूलेशन विकार

यह उपरोक्त विकार से संबंधित है। नीचे बताए गए कारकों के कारण यह स्थिति बनी रहती है –

  • पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम)

हार्मोनल असंतुलन के कारण डिंब नहीं निकलता है, बल्कि द्रव से भरे सिस्ट के रूप में अंडाशय के अंदर बना रहता है।

  • हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन

फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) और लेप्टानाइजिंग हार्मोन (एलएच), जो हाइपोथैलेमस में उत्पन्न होते हैं, हर महीने एक अंडे के विकास, परिपक्वता और रिलीज को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। यदि इन हार्मोन में कोई व्यवधान है, तो प्रोलिफेरेटिव चरण बाधित हो जाता है।

  • प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर

यह एक ऐसा विकार है जिसमें ऑटोइम्यून विकार, आनुवांशिक कारकों या हार्मोनल कारणों के कारण अपरिपक्व डिंब अंडाशय में परिपक्व होने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं।

  • उच्च मात्रा में प्रोलैक्टिन

शरीर में प्रोलैक्टिन की उच्च मात्रा से एस्ट्रोजन का निर्माण कम हो जाता है, जो कि डिंब की परिपक्वता और वृद्धि के लिए जिम्मेदार होता है। यह किसी दवा या पीयूष ग्रंथि में विसंगति के कारण हो सकता है।

3. ट्यूबल इनफर्टिलिटी

इस बीमारी में अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ने वाली डिंबवाही नली यानि फैलोपियन ट्यूब में रूकावट या क्षति जाती है। इन ट्यूबों में निषेचन होता है जिसके बाद जाइगोट गर्भकला (एंडोमेट्रियम) में यात्रा करता है। इस समस्या के कुछ कारण हैं:

  • श्रोणि के सूजन संबंधी रोग: क्लैमाइडिया, गोनोरिया, या कोई अन्य एसटीडी (यौन रोग) इन ट्यूबलर कोशिकाओं में सूजन का कारण बन सकता है जिससे रुकावट पैदा हो सकती है।
  • पेट या श्रोणि में कोई पूर्व ऑपरेशन
  • पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस: यह एक बैक्टीरियल पेल्विक संक्रमण है। जब बैक्टीरिया फेफड़ों को संक्रमित करता है, तो यह रक्तप्रवाह तक पहुँच जाता है और फिर शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुँचता है। फैलोपियन ट्यूब इन बैक्टीरिया के निवास के लिए उचित क्षेत्र साबित होता है। यह सूजन पैदा करता है और विभिन्न प्रकार की शरीर प्रतिक्रियाओं और ऊतक के इस खंड के बीच रूकावट पैदा करता है।

4. गर्भकला-अस्थानता (एंडोमेट्रियोसिस)

यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें ऊतक की वृद्धि अपने निर्धारित स्थान के बजाय अन्य स्थान पर होती है। यह आसपास के क्षेत्र में फैलता है। ऑपरेशन के माध्यम से सुधार करने पर उपचार प्रक्रिया निशान (स्कार) छोड़ देती है। ये निशान, अगर फैलोपियन ट्यूब में हों, तो उन्हें बंद करते हैं। यदि गर्भाशय में हों, वे गर्भकला (एंडोमेट्रियम) में एक जाइगोट के आरोपण में बाधा डाल सकते हैं।

5. गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) कारण

कई कारक आरोपण की प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं या गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

  • गर्भाशय में फाइब्रॉएड या ट्यूमर जो फैलोपियन ट्यूब को बंद कर सकते हैं
  • गर्भकला-अस्थानता (एंडोमेट्रियोसिस) स्कारिंग
  • जन्म से मौजूद गर्भाशय संबंधी असामान्यताएं
  • सरवायकल स्टेनोसिस: जिसमें गर्भाशय छोटा होता है और गर्भावस्था संभालने योग्य नहीं होता है
  • श्लेम (म्यूकस) की इष्टतम मात्रा का उत्पादन करने में असमर्थता, जो कि शुक्राणुओं को फैलोपियन ट्यूब में पहुँचने तक सहायता करती है

6. स्वस्थ डिंब की कमी

एक महिला अपने अंडाशय में एक विशेष संख्या के अंडों के साथ पैदा होती है। उम्र के अनुसार, ये अंडे हर महीने परिपक्व होते हैं और संख्या में कम हो जाते हैं। यदि शरीर में पर्याप्त अपरिपक्व अंडे नहीं हैं, तो गर्भावस्था की संभावना काफी कम हो जाती है।

7. दीर्घकालिक बीमारियां

ये बीमारियां वे हैं जो लंबे समय तक शरीर में बनी रहती हैं और शरीर में अन्य अंग प्रणालियों के कामकाज में बाधा डालती हैं।

  • दीर्घकालिक लिवर और किडनी रोग, पीयूष ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्लैंड) के काम को प्रभावित करते हैं जो बांझपन का कारण बनते हैं।
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस अपेक्षाकृत गाढ़े गर्भाशय ग्रीवा श्लेम (सर्वाइकल म्यूकस) के उत्पादन का कारण बनता है जिससे शुक्राणुओं का गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय में प्रवेश करना कठिन हो जाता है।

8. थायरॉइड विकार

थायरॉइड की समस्याएं अनजाने में वजन घटाने का कारण बन सकती हैं, जिससे ओव्यूलेशन नहीं होता है।

9. कीमोथेरपी

शरीर में रसायनों के उथल-पुथल के कारण, अंडे प्रभावित होते हैं और इस अवधि में मारे जाते हैं। महिलाएं कीमोथेरपी से गुजरने से पहले अपने अंडे फ्रीज कर सकती हैं ताकि गर्भावस्था के बाद इन्हें प्रत्यारोपित किया जा सके।

10. जीवन शैली

आपकी जीवनशैली के विभिन्न कारक आपकी प्रजनन क्षमता को बहुत प्रभावित करते हैं।

  • उम्र: 30 वर्ष की आयु के बाद, पुटक (फॉलिकल) की हानि बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अच्छी गुणवत्ता वाले अंडे कम होते हैं।
  • धूम्रपान: यह फैलोपियन ट्यूब्स और गर्भाशय को नुकसान पहुँचाता है। गर्भपात और अस्थानिक गर्भावस्था की संभावना का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • वजन: बीएमआई बढ़ने या घटने से आपके शरीर की गर्भावस्था को सहन करने की क्षमता प्रभावित होती है।
  • शराब: यह स्वस्थ अंडे के उत्पादन को कम करता है।

11. डायबिटीज

यह देखा गया है कि टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में विलंबित यौवन, मासिक धर्म की अनियमितता, हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस, जीवित बच्चों के जन्म होने की कम संख्या और जल्द रजोनिवृत्ति का खतरा बढ़ जाता है।

12. सीलीयक रोग

यह एक स्व-प्रतिरक्षित रोग है जो आहार में ग्लूटेन के कारण होता है। इस बीमारी के गैर-जठरांत्र संबंधी लक्षण देर से यौवन, मासिक धर्म की अनियमितता हैं और इसमें गर्भावस्था में समस्याएं होने का खतरा बहुत होता है।

13. दवाएं

रोगों का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में भी बांझपन पैदा करने की क्षमता होती है। उनमें से कुछ हैं:

  • नॉन स्टेरॉइडल एंटीइंफ्लेमेटरी दवाएं
  • न्यूरोलेप्टिक दवाएं (साइकोसिस का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती है)
  • स्पिरोनोलैक्टोन (द्रव प्रतिधारण यानि फ्लूड रिटेंशन को कम करने के लिए ली गई दवा)

14. तनाव

इससे ज्यादातर हार्मोनल असंतुलन होता है जिससे मासिक धर्म अनियमित होते हैं।

15. ज़ेनोहार्मोंस

ये पर्यावरण में मौजूद पदार्थ हैं जो शरीर में त्वचा के माध्यम से अवशोषित होते हैं। एक बार अवशोषित होने के बाद, वे प्रोजेस्टेरोन के स्तर को कम करते हैं जो प्रजनन क्षमता को घटाता है। ये पदार्थ ज्यादातर कार से निकालने वाले गैस, प्लास्टिक, कीटनाशक, साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों के पायसीकारक, सब में मौजूद होते हैं।

16. जन्म नियंत्रण गोलियों का लंबे समय तक उपयोग

जन्म नियंत्रण की गोली (पीसीओएस या एंडोमेट्रियोसिस जैसे प्रजनन समस्याओं के लिए भी दी जाती हैं) को कुछ महिलाओं में प्रजनन समस्याओं से जोड़ा गया है।

17. अस्पष्टीकृत बांझपन

अस्पष्टीकृत बांझपन ऐसी बीमारी है जिसमें कारण कभी नहीं पाया जाता है। यह कई छोटे कारकों या एक स्त्री-पुरुष के जोड़े में दोनों में मौजूद कारकों के कारण हो सकता है।

18. आनुवंशिक कारक

इसमें जीन असामान्य शारीरिक रचना, असामान्य हार्मोनल स्तर आदि पैदा करते हैं, जिससे बांझपन हो सकता है।

बांझपन के अन्य कारण

1. नशीली दवाओं का सेवन

शरीर के द्रव्यमान को बढ़ाने के लिए लिए जाने वाले एनाबॉलिक स्टेरॉयड से अंडकोष छोटा हो जाता है और शुक्राणुओं का उत्पादन कम हो जाता है।

2. शराब का सेवन

शराब टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन घटा देती है जो स्तंभन दोष और शुक्राणु उत्पादन का कारण होता है।

3. भावनात्मक तनाव

तनाव सामान्य हार्मोनल चक्र को बाधित करता है जिससे शुक्राणुओं का उत्पादन प्रभावित होता है।

4. चुस्त कपड़े पहनना

ये भी शुक्राणुओं का उत्पादन कम होने के कारण प्रजनन क्षमता की समस्याओं से जोड़ा गया है।

प्रजनन क्षमता परीक्षण

प्रजनन क्षमता परीक्षण उन समस्याओं की पहचान करने में मदद करता है जिससे गर्भधारण करने में समस्या आ रही है। यदि गर्भधारण में समय लग रहा है तो यह परीक्षण, पुरुष और महिला, दोनों को  करना चाहिए। यहाँ उन परीक्षणों की एक सूची दी गई है जो आपके करने चाहिए यदि कोई भी ऐसे संकेत पाएँ जाते हैं जिससे आप गर्भवती नहीं हो सकती है।

1. पुरुषों के लिए

इन परीक्षणों का उपयोग पुरुषों की शरीर रचना में मौजूद विसंगति का पता लगाने के लिए किया जाता है।

वीर्य विश्लेषण शुक्राणु असामान्यताएं, शुक्राणु संख्या, शुक्राणु गतिशीलता के लिए परीक्षण
हार्मोन परीक्षण टेस्टोस्टेरोन, एफएसएच, एलएच, और प्रोलैक्टिन के लिए परीक्षण
मूत्र-विश्लेषण संक्रमण का संकेत देने वाली श्वेत रक्त कणिकाओं की उपस्थिति के लिए परीक्षण
वैसोग्राफी ट्यूबों की रुकावट या रिसाव का निर्धारण करने के लिए एक्स-रे परीक्षण
अल्ट्रासोनोग्राफी प्रजनन पथ, प्रोस्ट्रेट डक्ट, शुक्राशय, स्खलनीय वाहिनी में रुकावटों का पता लगाने के लिए यह परीक्षण किया जाता है
आनुवंशिक परीक्षण बांझपन पैदा करने वाले जीन को निर्धारित करने के लिए एक डीएनए विश्लेषण

2. महिलाओं के लिए

इन परीक्षणों का उपयोग स्त्री शरीर रचना में मौजूद विसंगति का पता लगाने के लिए किया जाता है।

ओव्यूलेशन परीक्षण मासिक धर्म चक्र का विश्लेषण करने के लिए ओव्यूलेशन प्रेरित करने वाले हॉर्मोन की वृद्धि का पता लगाता है
हिस्ट्रोसैल्पिन्जोग्राफी गर्भाशय-गुहा की असामान्यताओं का पता लगाता है। एक्स-रे कंट्रास्ट टीके के द्वारा डाला जाता है और एक्स-रे द्वारा देखा जाता है
गर्भाशय रिजर्व परीक्षण अंडाशय में मौजूद अच्छी गुणवत्ता वाले अंडों की संख्या का पता लगाता है
हार्मोन परीक्षण ओव्यूलेशन, पीयूष ग्रंथि और थायरॉइड से संबंधित हार्मोन की जांच की जाती है
लैप्रोस्कोपी चीरफाड़ (इनवेसिव) तकनीक जिसमें एक छोटे चीरे के माध्यम से एक ऑप्टिकल ट्यूब को गर्भाशय, गर्भकला (एंडोमेट्रियम) और फैलोपियन ट्यूब को स्पष्ट रूप से देखने के लिए डाला जाता है
अल्ट्रासाउंड गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की असामान्यताओं का पता लगाया जाता है यह परीक्षण तब किया जा सकता है जब एक महिला में ओव्यूलेशन हो रहा है लेकिन वह गर्भधारण नहीं कर पा रही है
आनुवंशिक परीक्षण बांझपन पैदा करने वाले जीन को निर्धारित करने के लिए एक डीएनए विश्लेषण

डॉक्टर से परामर्श के पहले मैं कितने समय तक तक गर्भधारण की कोशिश कर सकती हूँ?

एक डॉक्टर से सलाह लेने से पहले गर्भधारण करने का प्रयास करते रहने की अवधि आपकी उम्र पर निर्भर करती है। यदि माँ की उम्र 35 वर्ष से कम है, तो जोड़े को 1 साल की कोशिश के बाद डॉक्टर से बात करनी चाहिए, लेकिन अगर उनकी उम्र अधिक है, तो 6 महीने की कोशिश के बाद डॉक्टर से मिलना उचित होगा।

उपरोक्त समस्याओं को हल करने के लिए विज्ञान और चिकित्सा में प्रगति ने उपचार की तकनीकों को भी बढ़ाया है। यदि आपको गर्भधारण करने में तकलीफ आ रही है, तो इस कठिन समय में सहायता पाने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

यह भी पढ़ें:

महिलाओं की उम्र, उनकी प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करती है
10 सबसे अच्छे खाद्य पदार्थ जो आपकी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं

श्रेयसी चाफेकर

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago