शिशु

घर पर प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल करने के 10 टिप्स

यदि आपका बच्चा 37 सप्ताह से पहले पैदा होता है, तो वह एक प्रीटर्म या प्रीमैच्योर बच्चा कहलाता है। आपका बच्चा नीयोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में कुछ दिन बिताने के बाद जल्द ही आपके पास घर आ जाता है। प्रीमैच्योर बच्चे थोड़े छोटे और ज्यादा नाजुक होते हैं, तो आपको लग सकता है कि आप इतने छोटे बच्चे को कैसे संभाल पाएंगे। चिंता न करें, इस लेख में हम कुछ टिप्स के बारे में बात करेंगे जिनसे आपको अपने प्री मैच्योर बच्चे की देखभाल करने में मदद मिलेगी।

प्रीमैच्योर बच्चे कैसे होते हैं

प्रीटर्म बेबी को विशेष देखभाल और निगरानी की आवश्यकता होती है जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे का जन्म समय से कितने पहले हुआ है। इसके अलावा, आपके बच्चे में फुल टर्म वाले बच्चे से कुछ अलग विशेषताएं होंगे, हालांकि समय बीतने के साथ-साथ इन विशेषताओं पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता है।

  • आपके बच्चे के शरीर में कम वसा पाई जा सकती है। नवजात शिशुओं के शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए वसा बहुत जरूरी है। त्वचा के नीचे यह वसा, जिसे ब्राउन फैट कहा जाता है, पीठ, कंधे, गर्दन, बगल और गुर्दे के पास पाया जाता है।
  • बच्चे का तंत्रिका तंत्र यानि नर्वस सिस्टम ठीक से विकसित नहीं हुआ होगा।
  • हो सकता है आपके बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होंगे। इसलिए, उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
  • आपके प्री मैच्योर बच्चे में लानुगो की कमी होती है, जो कि बहुत ही महीन बाल होते हैं जो आपके बच्चे के शरीर को ढंकते हैं। हालांकि, यदि आपका बच्चा समय से पहले पैदा हुआ है, पर उसका जन्म प्रसव की तारीख के करीब है, तो उसके हल्के बाल हो सकते हैं।
  • यदि आपका बच्चा 26वें सप्ताह से पहले पैदा हुआ है, उसकी आँखें बंद हो सकती है।
  • हो सकता है कि आपका शिशु ज्यादा ना हिले क्योंकि शरीर में वसा कम है। जो बच्चा 29वें से 32वें सप्ताह के बीच पैदा हुआ है वो बार-बार झटकेदार गतिविधियां कर सकता है। हालांकि, 29वें सप्ताह से पहले पैदा होने वाले शिशुओं में कोई पर्याप्त हलचल नहीं हो सकती है।
  • प्रीटर्म शिशुओं में प्रतिरक्षा बहुत कम होती है, जो उन्हें संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
  • आपके प्री मैच्योर बच्चे को दूध पिलाने में समस्या हो सकती है और इसलिए, वह ठीक से दूध नहीं पी पता होगा।

प्रीमैच्योर बच्चों को खास देखभाल की आवश्यकता क्यों है?

प्रीमैच्योर बच्चे पूर्ण अवधि के शिशुओं की तरह नहीं होते हैं, और इसलिए उन्हें खास देखभाल और निगरानी की आवश्यकता होती है। इंटेंसिव केयर के बिना उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो सकता है। मेडिकल टेक्नोलॉजी ने जबरदस्त तरक्की की है, और ऐसे शिशुओं को अपनी माँ की कोख के बाहर या कई दिनों या महीनों के लिए अतिरिक्त देखभाल दी जा सकती है, जब तक उनका शरीर बाहरी सहारे के बिना खुद को संभालने के लिए पूरी तरह मजबूत नहीं होता है।

घर पर प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल के लिए टिप्स

यहाँ उन माता-पिता के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं जो उन्हें घर पर अपने बच्चे की देखभाल करने में उनकी मदद कर सकते हैं:

1. स्तनपान जरुरी है

नवजात बच्चों को स्तनपान कराना सबसे जरुरी है लेकिन कभी-कभी आपके बच्चे को निप्पल से दूध पीने में समस्या हो सकती है या हो सकता है कि वे बिल्कुल भी दूध ना पी पाएं। आप दूध को पंप से निकालकर रख सकती हैं और बच्चे को बोतल से दूध पिला सकती हैं। कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर आपको अपने बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाने की सलाह दे सकता है; प्रीटर्म शिशुओं के लिए कई बार अलग फॉर्मूला दूध हो सकता है।

2. बच्चे को दूध पिलाने का एक समय-सारणी बनाएं

एक प्रीमैच्योर बच्चे को एक दिन में 8-10 बार स्तनपान की आवश्यकता होती है। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आप नियमित अंतराल पर अपने बच्चे को दूध पिलाएं। दिन में कभी भी खाने में 4 घंटे से ज्यादा का अंतर न होने दें क्योंकि इससे निर्जलीकरण की संभावना बढ़ सकती है, जो आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है।

3. बच्चे के विकास का रिकॉर्ड रखें

प्रीटर्म बच्चे पूर्ण अवधि के शिशुओं की तुलना में अलग तरह से बढ़ते हैं। हालांकि, बाद में वो अन्य बच्चों जैसे हो जाते हैं। आपका डॉक्टर आपके बच्चे के विकास का रिकॉर्ड रखने के लिए आपको एक अलग विकास चार्ट दे सकता है।

4. अपने डॉक्टर के साथ संपर्क में रहें

अस्पताल छोड़ने के बाद भी, आपको नियमित रूप से अपने बच्चे के डॉक्टर के साथ संपर्क में रहना चाहिए और अपने बच्चे की देखभाल करने के तरीके के बारे में सुझाव लेते रहना चाहिए। यदि आवश्यकता होती है, तो आप अपने डॉक्टर से मिल भी सकते हैं।

5. बच्चे की नींद का खयाल रखें

आपके प्रीटर्म बच्चे को भरपूर नींद की जरूरत होती है, और वह अपना ज्यादातर समय केवल सोने में बिता सकता है। सुनिश्चित करें कि उसे एक मजबूत गद्दे पर, बिना तकिए के साथ लिटाएं। इसके अलावा, अपने बच्चे को कभी भी उसके पेट के बल ना लिटाएं; उसे हमेशा उसकी पीठ पर सुलाएं।

6. ठोस आहार

आपको बच्चे को ठोस आहार देने के लिए थोड़ा ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है क्योंकि प्रीटर्म बच्चों को भोजन निगलने में मुश्किल हो सकती है। आपका डॉक्टर आपको शिशु की असली डिलीवरी तारीख के 4 से 6 महीने बाद ठोस आहार शामिल करने की सलाह दे सकता है, न कि उसकी वास्तविक जन्मतिथि के हिसाब से।

7. बच्चे को घर से बाहर कम ही ले जाएं

डॉक्टर के पास जाने के अलावा, आपको अपने बच्चे को कई हफ्तों तक बाहर निकालने से बचाना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है, जो उसके लिए हानिकारक हो सकता है।

8. घर पर कंगारू केयर का अभ्यास करें

आपको अस्पताल में कंगारू केयर के बारे में बताया गया होगा, और घर पर भी कुछ हफ्तों तक इसका अभ्यास करना अच्छा रहेगा। त्वचा से त्वचा का संपर्क आपके बच्चे के लिए अच्छा है।

9. बच्चे को सभी आवश्यक टीके लगवाएं

अपने बच्चे के टीकाकरण कार्यक्रम का ध्यान रखें और अनुसूची के अनुसार अपने बच्चे का टीकाकरण करवाएं।

10. मेहमानों का आना जाना कम रखें

आपके बच्चे की प्रतिरक्षा बहुत कम है। इसलिए घर पर मेहमानों का आना जाना कम ही रखें, खासकर उनका जिनकी तबियत खराब है या जो धुम्रपान करते हैं। सुनिश्चित करें कि जो भी आपके बच्चे से मिलता है या उसे छूता है, उसे ऐसा करने से पहले अपने हाथों को धोएं।

प्रीमैच्योर माता-पिता के लिए तनाव से राहत के तरीके

  • आप अपने बच्चे को स्पर्श कर सकते हैं, सहला सकते हैं और अपनी गोद में ले सकते हैं, जैसे ही डॉक्टर ऐसा करने की सलाह देता है।
  • आप समय समय पर अपने बाल रोग विशेषज्ञ को अपने बच्चे के स्वास्थ्य और विकास के बारे में बताती रहें व सलाह लें।
  • यदि आप अपने बच्चे को पकड़ते हैं, तो डॉक्टर से पूछ कर आप अपने बच्चे के साथ नियोनेटल युनिट में अधिक समय भी बिता सकते हैं।
  • यदि आपका डॉक्टर सुझाव देता है, तो आप अपने बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर सकती हैं।
  • जब आप बच्चे को हॉस्पिटल से घर ले जाते हैं तो डॉक्टर के कहे अनुसार पालन करें और बच्चे का भरपूर खयाल रखें।

कुछ सवाल जो आपको अपने डॉक्टर से पूछने चाहिए

प्रीमैच्योर बच्चों की देखभाल से जुड़े कुछ सवाल जो आपको अपने डॉक्टर से पूछने चाहिए:

1. अगर मेरा पहला बच्चा प्रीमैच्योर है, तो क्या दूसरा बच्चा भी प्री मैच्योर होने का कोई खतरा है?

यदि आपके बच्चे का जन्म 37 से 42 सप्ताह के बीच हुआ है, तो आपको अगली बार फुल टर्म बच्चे की डिलीवरी की संभावना है। हालांकि, यदि आपने 20 से 31 सप्ताह के बीच अपने बच्चे को जन्म दिया है, तो इस बात की अधिक संभावना है कि आपकी फिर से समय से पहले डिलीवरी होगी।

2. मुझे क्या करना चाहिए, कि मेरे प्रीमैच्योर बच्चे का विकास अन्य फुल टर्म बच्चों जैसे अच्छे से हो?

ज्यादातर, प्रीमैच्योर बच्चे फुल टर्म बच्चों की तरह ही विकसित हो सकते हैं अगर वे बहुत जल्दी पैदा नहीं होते हैं, या कुछ चिकित्सीय जटिलता ना हो। अच्छी देखभाल करना, पर्याप्त नींद और कंगारू केअर सुनिश्चित करेंगे आपके बच्चे को बेहतर तरीके से विकसित करने में मदद होगी।

3. परिवार के बाकि सदस्यों से प्रीमैच्योर बच्चे को कब मिलवाना चाहिए?

आपके प्रीमैच्योर बच्चे को संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है और इस प्रकार परिवार के किसी भी सदस्य को कोई भी संक्रमण जैसे सर्दी या फ्लू हो, तो बच्चे से दूर रहना चाहिए। जब भी किसी को बच्चे को छूने की इच्छा हो, तो उन्हें अपने हाथों को अच्छी तरह से धोने के लिए कहें।

4. क्या प्रीमैच्योर बच्चों को लंबी स्वास्थ्य समस्या होने का खतरा है?

आपके प्री मैच्योर बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि उसके पास विकसित होने के लिए पूरा समय नहीं रहा था। यह देखा गया है कि बच्चा जितना ज्यादा जल्दी पैदा होता है, उतनी ही स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि सांस लेने में कठिनाई, कमजोर मांसपेशियां, सुनने में कमी, हृदय की समस्याएं आदि की संभावना अधिक होती है।

हालांकि, प्रीमैच्योर बच्चों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, लेकिन समय के साथ उनका विकास भी फुल टर्म बच्चों की तरह ही हो जाता है। समय-समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लेते रहें जिससे आपके बच्चे को बेहतर तरह से बढ़ने में मदद मिले।

यह भी पढ़ें:

नवजात शिशु को सही तरीके से कैसे गोद में लें
शिशुओं का वजन न बढ़ना – कारण, लक्षण और उपचार

जया कुमारी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

23 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

23 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

23 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago