In this Article
गर्भधारण व बच्चे का जन्म, भारत के हर घर में एक उत्सव के तरह मनाया जाता है और यह हमारे इतिहास का एक हिस्सा है। यह रस्म प्राचीन समय से ही मनाई जाती आ रही है लेकिन उन दिनों में इसे मनाने का तरीका अलग था। प्राचीन समय में गर्भवती महिलाओं को फल और अन्य खाद्य पदार्थों को उपहार के रूप में दिए जाते थे जो गर्भस्थ शिशु के विकास में सहायक होते थे। अब समय के साथ यह प्रथा बदल गई है और वर्तमान में इसे ‘गोद भराई’ के नाम से जाना जाता है।
‘गोद भराई’ का अर्थ है ‘एक गर्भवती महिला की गोद भरने की रस्म’। यह एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसे पश्चिमी देशों में ‘बेबी शावर’ के नाम से जाना जाता है। यह मातृत्व के आगमन का उत्सव है और यह उन महिलाओं के लिए एक सहायक के रूप में कार्य करता है जो अपनी गर्भावस्था के अंतिम चरण में होती हैं।
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इस पवित्र अनुष्ठान को विभिन्न रस्मों के साथ मनाया जाता है, जिनमें शामिल है;
‘शाद’ के रूप में जाना जाने वाला यह उत्सव, गर्भावस्था के आखिरी महीने में मनाया जाता है। शुरूआत में, यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए आयोजित किया जाता था, जिनकी गर्भावस्था कठिन होती थी और डिलीवरी से पहले उनकी सभी इच्छाओं को पूरा किया जाता था। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के फलस्वरूप अब यह एक उत्सव बन गया है, जिसमें गर्भवती महिला को उसकी माँ या सास द्वारा नए कपड़े, गहने, उपहार व उसके मनपसंद का भोजन बनाया जाता है।
‘सीमांधम’ या ‘सीमांथम’ के नाम से प्रसिद्ध केरल में मनाया जाने वाला यह उत्सव जिसमें गर्भवती महिला को पवित्र स्नान करना होता है। इसमें गर्भ में पल रहे बच्चे की बुद्धि को सर्वोपरि महत्व दिया जाता है और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए 90 मिनट की लंबी प्रारथना व जाप किए जाते हैं।
तमिलनाडु में इस उत्सव को ‘वलई कप्पू’ के नाम से जाना है जिसमें एक गर्भवती महिला को काले रंग की साड़ी और लाल व हरी रंग की चूड़ियां पहनाकर तैयार किया जाता है ताकि उससे अपवित्र चीजें दूर रहें। इसमें मंदिर की एक केंद्रीय भूमिका होती है और कम से कम चार मंदिरों में जाना यहाँ की रस्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
पंजाब में गोद भराई की रस्म गर्भावस्था के सातवें महीने में मनाई जाती है । यहाँ के रिवाज में गर्भवती महिला की सास की एक केंद्रीय भूमिका होती है जिसमें वह प्रार्थना के बाद अपनी बहू की गोद में फल और नारियल से भरा दुपट्टा रखती हैं।
गुजरात में इसे ‘गोद भरना’ के नाम से जाना जाता है, यहाँ की प्रथा भी पंजाब के समान ही होती है जिसमें गर्भवती महिला की सास का बहुत महत्व होता है। इस रिवाज में गर्भवती महिला को एक बाजोथ नामक आसन पर पालथी मारकर बैठने के लिए कहा जाता है। फिर सास उसकी गोद में आभूषण व अन्य उपहार रखती हैं।
महाराष्ट्र में गोद भराई को ‘डोहाले जेवण’ के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है “भोजन की प्रबल इच्छा को पूरा करना”। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यहाँ के रिवाज में भोजन को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जिसमें चावल और मीठी चपाती जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ भोजन की सूची में पाए जाते हैं। इस समारोह का एक रोमांचक पहलू प्रत्येक भोजन के साथ लिंग का संबंध है जिसे अक्सर शिशु लिंग का अनुमान लगाने वाले खेल में बदल दिया जाता है।
भारत एक विशाल देश है और यहाँ हर क्षेत्र व राज्यों में मातृत्व के उत्सव को मनाने का अलग-अलग तरीका है। उदाहरण के लिए, केरल का ‘नायर समुदाय’ गर्भावस्था के अंतिम महीने के दौरान इसे मनाता है। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में इस उत्सव को कभी-कभी गर्भावस्था के 5वें माह में भी मनाया जाता है, हालांकि इसे सातवें या नौवें महीने तक भी मनाया जाता है।
भारतीय गोद भराई एक सांस्कृतिक उत्सव है और इसे इसके ऐतिहासिक संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए। चिकित्सा की आधुनिक तकनीक और विशेष देखभाल के प्रबंधों की वजह से अब गर्भावस्था व प्रसव काफी सुरक्षित हो चुका है। सदियों पहले गर्भवती महिलाओं की अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मृत्यु हो जाया करती थी और उस समय मृत्यु दर अधिक हुआ करता था तब यह उत्सव के रूप में नहीं मनाया जाता था बल्कि एक अंतिम प्रार्थना के रूप में मनाया जाता था। उस समय ऐसा भी होता था कि एक महिला के लिए गोद भराई उसके जीवन का अंतिम उत्सव भी हो सकता था और यही वजह है कि प्रार्थना इस समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह उत्सव गर्भवती महिलाओं के लिए थोड़ा व्यस्त करने वाला हो सकता है इसलिए यह सुनिश्चित कर लें कि उत्सव से पहले और उसके बाद आप पर्याप्त आराम कर लें। गोद भराई के आयोजन वाले वेन्यू में अपने लिए एक बैठने का स्थान सुरक्षित करवा लें ताकि आपको जल्दबाजी में परेशानी न हो।
आपके समारोह को मौसम अनपेक्षित तरीके से भी बिगाड़ सकता है। गर्मियों में, रेशम की कढ़ाई वाली साड़ी या भारी साड़ी पहनने से बचें क्योंकि ऐसे कपड़ों में आपको पसीना आ सकता है। सर्दियों में यदि आपको अधिक ठंड लगती है तो आप अपने पति का कोट लेने में भी न हिचकिचाएं।
आपके चारों ओर विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन होंगे और उत्सव में यह भाग आपको अधिक लुभावना लग सकता है। लेकिन याद रखें कि आपका नियमित आहार महत्वपूर्ण है और आपके द्वारा अधिक भोजन करने से सीने में जलन और रक्त शर्करा में उतार-चढ़ाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अपने मेहमानों को संतुष्ट रखना एक अच्छे समारोह की कुंजी मानी जाती है। अच्छे भोजन के अलावा, आप अपने उत्सव में एक मेहंदी लगाने वाली को भी बुला सकती हैं जो अन्य महिलाओं के हाथों में मेहंदी लगा सके।
यदि आपका बड़ा बजट है या आप सभी मेहमानों को आने के लिए धन्यवाद देना चाहती हैं, तो आप उन्हें एक उपहार भेज सकती हैं। यह उपहार स्टोर से खरीदा जा सकता है, उदाहरण के तौर पर महिलाओं के लिए पारंपरिक आइटम, जैसे दुपट्टे या फिर हाथ से बने धन्यवाद के कार्ड।
भारत में गोद भराई का उत्सव एक पारंपरिक समारोह होता है, लेकिन कुछ बदलाव करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। निम्नलिखित ऐसे कुछ सुझाव हैं जिनका उपयोग आप अपने उत्सव में कर सकती हैं:
गोद भराई समारोह में एक उपयुक्त थीम जरूर रखा जा सकता है । इस अवसर को विशेष बनाने के लिए सबसे लोकप्रिय थीम में से एक यह है कि कागज की प्लेट से लेकर नैपकिन तक, सब पर एक बच्चा बना हुआ हो।
कैटरिंग या खानपान की व्यवस्था में अत्यधिक खर्चा हो सकता है और आमतौर पर खाना व्यर्थ भी जाता है। आप और आपकी सहेलियां मिलकर भोजन का मेन्यू तैयार कर सकती हैं और साथ ही प्रत्येक महिला अपने साथ एक व्यंजन बनाकर भी ला सकती है।
गोद भराई के अवसर का सार हर किसी को यह बताना होता है कि ध्यान का केंद्र आप हैं। इसका यह तात्पर्य समारोह का महत्व आप से कम है और बजट का निर्धारण आपको खास महसूस करवाने पर होना चाहिए। इसमें स्पा या सैलून के कूपन शामिल हो सकते हैं।
यदि गोद भराई आपके लिए है, तो ऐसा क्यों है कि आप अधिकतर भोजन को छू भी नहीं सकती हैं? यहाँ आप कुछ चीजों को बदल सकती हैं। खानपान की व्यवस्था ऐसी रख सकती हैं जिस में केवल स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता और गर्भवती के अनुकूल ही खाद्य पदार्थों को लगाया जाए।
बेबी शावर हमेशा बढ़े चढ़े स्थानों और स्टेज के कार्यक्रमों पर केंद्रित हो, यह जरुरी नहीं है। डीआईवाई बेबी शॉवर वह है जिसमें आप अपनी रचनात्मकता का उपयोग करके एक बेहतरीन उत्सव का आयोजन कर सकती हैं। इसमें आप हाथ से बने रिबन मेहमानों को दे सकती हैं, चार्ट पेपर की मदद से सजावट कर सकती हैं और यहाँ तक कि सभी उपहारों को भी घर पर ही तैयार किए जाने चाहिए।
क्या आप एक प्रकृति प्रेमी हैं? यदि मौसम अच्छा है तो समारोह को बाहर ही आयोजित किया जा सकता है। इसमें उपयुक्त स्थान को प्लास्टिक-मुक्त क्षेत्र में परिवर्तित किया जा सकता है और साथ ही कम से कम सजावट के साथ प्लास्टिक की जगह पेपर प्लेट और पेपर कप का इस्तेमाल किया जाएगा। प्लास्टिक के चम्मच से भोजन करने के बजाय हाथ से खाने को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
गोद भराई का आयोजन तब किया जाता है जब आपकी गर्भावस्था का सफर तय हो चुका होता है और आपको आस-पास के सभी लोगों के समर्थन की जरूरत होती है। चिंता, अनिद्रा और पाचन जैसी समस्याओं के होते हुए, अपने परिवार और दोस्तों के आसपास होने का उत्सव मनाना आपके लिए एक बेहतरीन विराम है।
यह भी पढ़ें:
गर्भावस्था के दौरान व प्रसव पूर्व भ्रूण की निगरानी
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…