शिशु

एचआईवी में ब्रेस्टफीडिंग के लिए गाइड

बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए ब्रेस्टफीडिंग को बहुत जरूरी माना जाता है। क्योंकि, जीवन के शुरुआती दौर में बच्चों को पोषण के प्राथमिक स्रोत के रूप में मां के दूध की जरूरत होती है। वहीं अगर आप बीमार हों, तो बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना आपके लिए जटिल हो सकता है। चूंकि मां का दूध एक प्रकार का शारीरिक तरल पदार्थ होता है, तो ऐसे में यदि मां एचआईवी/एड्स जैसी किसी सेहत की किसी पुरानी समस्या से जूझ रही हो, तो बीमारियां फैल सकती हैं। इस रुकावट को पार करने के लिए, हमें सबसे पहले एचआईवी होने के साथ शिशु को स्तनपान कराने की पेचीदगियों को समझना जरूरी है। 

एचआईवी एक ऐसा वायरस है, जो शरीर में इम्यून सिस्टम पर हमला करता है और उसे बीमारियों से लड़ने में अक्षम बनाता है। यह वायरस, केवल कुछ शारीरिक तरल पदार्थों से ही फैलता है, जैसे खून, सीमेन, रेक्टल फ्लूइड, वेजाइनल फ्लुइड और ब्रेस्ट मिल्क। इंटरकोर्स करने और इंजेक्शन नीडल को शेयर करने से इसका फैलना सबसे अधिक आम है। 

एचआईवी पॉजिटिव मां में, गर्भावस्था के दौरान (सिक्रेशन और खून के द्वारा) प्लेसेंटा के द्वारा, और ब्रेस्टमिल्क के द्वारा, यह वायरस बच्चे तक पहुंच सकता है। कुछ विशेष स्थितियों में, अगर निप्पल की त्वचा कटी फटी हो और उसमें से खून निकल रहा हो, तो यह खून के माध्यम से भी फैल सकता है। बिना हस्तक्षेप के एक एचआईवी पॉजिटिव माँ के शरीर से बच्चे तक वायरस के पहुंचने की संभावना 35% से 45% होती है। लेकिन, पूरी गर्भावस्था और डिलीवरी के दौरान, सही एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) ड्रग ट्रीटमेंट के द्वारा और सी सेक्शन डिलीवरी का चुनाव करके यह 1% तक कम हो सकती है। 

तो क्या ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से एचआईवी फैल सकता है? आइए देखते हैं, कि आपके बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए आप क्या कर सकती हैं और कैसे कर सकती हैं। 

क्या एचआईवी/एड्स की स्थिति में आप ब्रेस्टफीड करा सकती हैं?

आम धारणा के अनुसार, जिन मांओं को एचआईवी होता है, वे अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराने से बचती हैं। क्योंकि, मां के दूध के माध्यम से वायरस के फैलने की संभावना 10% से 20% होती है। जिन स्थानों पर साफ और उबले हुए पानी की सुविधा हो, वहां जब तक बच्चा ठोस आहार के योग्य नहीं हो जाता, तब तक 6 महीने के लिए बच्चे को फॉर्मूला फीड कराना ही उचित माना जाता है। 

हालांकि, डब्ल्यूएचओ की सलाह के अनुसार, जीवन के शुरुआती 6 महीनों के लिए, मां के दूध के फायदे के लिए एचआईवी पॉजिटिव मांओं और बच्चों को एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग (बच्चे को केवल मां का दूध देना) और एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स का कॉम्बिनेशन दिया जाना चाहिए। एचआईवी के खतरे से बचने के लिए, 6 महीने की उम्र से पहले शिशु को ब्रेस्ट मिल्क के साथ-साथ ठोस आहार न देने को सबसे बेहतर माना जाता है। इस विकल्प की सलाह केवल वैसी जगहों पर दी जाती है, जहां हर समय साफ उबला हुआ पानी उपलब्ध नहीं होता है। 

एड्स/एचआईवी ब्रेस्ट मिल्क को कैसे प्रभावित करता है?

एचआईवी मां के दूध को कैसे प्रभावित करता है, इसे लेकर बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है। जानकारी के अनुसार ब्रेस्ट मिल्क में तीन एचआईवी रिजर्वायर्स होते हैं – आरएनए, प्रोवायरल डीएनए और इंट्रासेल्युलर आरएनए। हालांकि मां के दूध के द्वारा एचआईवी के ट्रांसमिशन में उनकी भूमिका पर अधिक रिसर्च नहीं की गई है। 

आपके बेबी को एचआईवी से बचाने वाली बातें

अपने बच्चे को एचआईवी से बचाने के लिए आपको नीचे दी गई बातों पर विचार करना चाहिए: 

1. अपना इलाज कराएं

नियमित रूप से अपना इलाज जारी रखना जरूरी है। अपना एआरटी आपको मिस नहीं करना चाहिए। इलाज जारी रहने से ब्रेस्ट मिल्क के द्वारा बीमारी के फैलने का खतरा कम हो सकता है। इस प्रकार जारी इलाज के कारण, बच्चे तक बीमारी फैलने का खतरा बहुत हद तक घट जाता है। 

2. बेबी का इलाज कराएं

डॉक्टर की सलाह के अनुसार एचआईवी के लिए अपने बच्चे के इलाज के लिए एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स जरूर दें। इस इलाज से आपके बच्चे को एचआईवी के प्रभाव से बचाया जा सकता है। अगर आप एचआईवी पॉजिटिव हैं, तो बच्चे का इलाज कराना भी बहुत जरूरी है। यह आपके बच्चे और आम जनता, दोनों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। 

3. केवल जरूरी होने पर ही स्तनपान कराएं

शुरुआती छह महीनों के लिए बच्चे को फॉर्मूला फीड कराने की सलाह दी जाती है। केवल फार्मूला और उबला हुआ साफ पानी उपलब्ध न होने की स्थिति में ही ब्रेस्टफीड कराएं। नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलें और ब्रेस्टफीडिंग की पूरी अवधि के दौरान एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स नियमित रूप से लेती रहें। 

4. नियमित रूप से बेबी की जांच कराएं

अगर आप ब्रेस्टफीड करा रही हैं, तो नियमित रूप से बच्चे की जांच करवाती रहें और देखें, कि वह एचआईवी पॉजिटिव है या नहीं। इससे उसे कुछ हद तक सामान्य जीवन जीने के लिए जरूरी इलाज की जल्द शुरुआत करने में मदद मिल सकती है। 

5. साफ-सफाई

एचआईवी पॉजिटिव होना मां के लिए कठिन हो सकता है। हमेशा चौकन्नी रहें और नियमित रूप से अपनी साफ-सफाई करती रहें। विशेषकर अगर आप दुर्घटनावश खुद को चोट पहुंचा लें तो। कोई भी चोट या घाव दिखने पर जितनी जल्दी हो सके उसे ढकें और उसका इलाज करें। अपने बच्चे के खुले घावों को नजरअंदाज न करें। 

अगर आप एचआईवी पॉजिटिव हैं, तो बच्चे को दूध कैसे पिलाएं?

आपके शरीर में मौजूद एड्स या एचआईवी की गंभीरता को कम करने के लिए, दवाओं का इस्तेमाल करने के बावजूद यह ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से आपके बच्चे तक जा सकता है। बच्चे को फीड कराने का सबसे सुरक्षित तरीका है, बच्चे को बोतल से फीड कराना या बेबी फार्मूला तैयार करना। 

चूंकि फार्मूला मिल्क, पाउडर और पानी से बना होता है, इसलिए बच्चे को फार्मूला देना सबसे सुरक्षित माना जाता है। जिसका मतलब है, कि यह मानव निर्मित है और बीमारी से इसका कोई संपर्क नहीं हुआ है। फार्मूला तैयार करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें: 

  • उबलते हुए पानी से स्टोरेज कंटेनर को स्टेरलाइज करें।
  • फार्मूला के पाउडर में गुनगुना पानी मिलाकर फॉर्मूला तैयार करें।
  • कंटेनर को फ्रिज में रखें और एक या दो दिनों के अंदर इस्तेमाल करें।

अगर आपके डॉक्टर आपको ब्रेस्टफीड करने की सलाह देते हैं, तो आपको नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करने का सुझाव दिया जाता है: 

  • 6 महीनों के लिए अपने बच्चे को केवल ब्रेस्टफीड कराएं और सप्ताह में कम से कम एक बार एआरटी से इलाज कराएं।
  • एड्स/एचआईवी को फैलने से रोकने के लिए एक्सप्रेस किए गए ब्रेस्ट मिल्क को गर्म करके इस्तेमाल करें।
  • ब्रेस्टफीडिंग की पूरी अवधि के दौरान बच्चे का इलाज जरूर कराएं।
  • नियमित रूप से उसकी जांच करें।

एक एमएफएम (मैटर्नल फीटल मेडिसिन) विशेषज्ञ से परामर्श लेकर अपने बच्चे को सुरक्षित रूप से दूध पिलाएं। ये ऐसे डॉक्टर होते हैं, जो कि एड्स जैसी बीमारियों से ग्रस्त महिलाओं की मदद करने में विशेषज्ञ होते हैं और ये ऐसा बेबी फार्मूला तैयार करते हैं, जो कि बच्चे के लिए सुरक्षित और पौष्टिक हो। अगर आपका बच्चा एचआईवी पॉजिटिव है, तो जरूरी सावधानी बरतें और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। अगर बच्चे को यह है, तो स्कूल को इसकी जानकारी दें और इलाज करवाएं। एचआईवी/एड्स के कारण शर्मिंदा न हों। इस स्थिति को मैनेज करने के लिए और बचने में मदद के लिए, सपोर्ट ग्रुप के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। यह बीमारी कोई टैबू नहीं है और यह आपको या आपके बच्चे को खतरनाक नहीं बनाता है। 

यह भी पढ़ें: 

डायबिटीज के साथ ब्रेस्टफीडिंग
ब्रेस्टफीडिंग और जॉन्डिस – कारण, इलाज और बचाव
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान चिकन पॉक्स – इलाज और सावधानी के टिप्स

पूजा ठाकुर

Recent Posts

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध (Rabindranath Tagore Essay In Hindi)

भारत के इतिहास में कई प्रसिद्ध और महान कवि और लेखक रहे हैं, जिनमें रबीन्द्रनाथ…

1 day ago

मदर्स डे पर 30 फनी व मजेदार लाइन्स जो ला दे आपकी माँ के चेहरे पर मुस्कान

माँ एक परिवार के दिल की धड़कन होती है। यह वो प्राकृतिक ताकत है जो…

1 day ago

अक्षय तृतीया पर क्या करने से मिलेगा ज्यादा से ज्यादा लाभ

अक्षय तृतीया एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है, जो आमतौर पर वैशाख के महीने में शुक्ल…

2 days ago

मातृ दिवस पर निबंध (Essay on Mother’s Day in Hindi)

माँ अपने में ही एक संपूर्ण शब्द है। इस संसार में माँ से ज्यादा बच्चे…

2 days ago

इस साल मदर्स डे सेलिब्रेट कैसे करें?

मदर्स डे पर हर बार वही ग्रीटिंग कार्ड और फूल गिफ्ट करना बहुत कॉमन हो…

2 days ago

30 सबसे अलग माँ के लिए गिफ्ट आइडियाज

माएं हमेशा अपने बच्चों की इच्छाओं और जरूरतों को समझ जाती हैं, और इसलिए यह…

2 days ago