गर्भावस्था

हाइपोप्लास्टिक (ट्यूबूलर) ब्रेस्ट के साथ बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना

11 से 13 साल की लड़कियों में जब प्यूबर्टी होती है तब उसके ब्रेस्ट टिश्यू भी विकसित होना शुरू हो जाते हैं। हालांकि कुछ समस्याओं की वजह से महिलाओं के ब्रेस्ट पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं और जब तक आप गर्भवती न हो जाएं या बच्चे का जन्म न हो जाए तब तक इसका पता नहीं लगता है। यह आर्टिकल ब्रेस्ट हाइपोप्लेसिया नामक समस्या को समझने में आपकी पूरी मदद करेगा। साथ ही हाइपोप्लास्टिक ब्रेस्ट से आप बच्चे को दूध कैसे पिला सकती हैं? इस बारे में भी यहाँ बताया गया है, आइए जानें। 

ट्यूबरस ब्रेस्ट क्या है?

यदि एक महिला के ब्रेस्ट पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं तो इसे हाइपोप्लास्टिक या ट्यूबरस ब्रेस्ट कहते हैं। इस मामले में महिलाओं के ब्रेस्ट में दूध को उत्पन्न करने वाले टिश्यू कम होते हैं। ट्यूबरस ब्रेस्ट होने की वजह से ब्रेस्ट में दूध बहुत कम आता है और इससे बच्चे के लिए दूध की कमी होती है। 

ब्रेस्ट हाइपोप्लेसिया होने के कारण क्या हैं?

हाइपोप्लास्टिक ब्रेस्ट सिंड्रोम होने के बहुत सारे कारण हैं, आइए जानें;

  • शरीर में प्रोजेस्ट्रोन का स्तर कम होने के परिणामस्वरूप ब्रेस्ट में दूध उत्पन्न करने वाले टिश्यू अविकसित रह जाते हैं।
  • ब्रेस्ट हाइपोप्लेसिया डायट में पेस्टीसाइड्स बढ़ने की वजह से भी होता है। जो महिलाएं फार्मिंग से जुड़ी होती हैं उनमें अक्सर यह समस्या पाई गई है।
  • थायराइड हॉर्मोन्स का उत्पादन कम होने से हाइपोथाइरोडिज्म होता है और इससे ट्यूबरस ब्रेस्ट व दूध का उत्पादन कम होता है।
  • पीसीओएस (पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) जैसी समस्याओं से भी ब्रेस्ट टिश्यू के सही विकास में प्रभाव पड़ता है।
  • पीसीओएस की वजह से महिला को हाइपोप्लेसिया हो सकता है। यदि आपको पीसीओएस की समस्या है तो इसका इलाज सिर्फ एंडोक्रिनोलोजिस्ट ही कर सकते हैं क्योंकि सामान्य डॉक्टर या गायनोलॉजिस्ट इसमें आपकी कोई भी मदद नहीं कर पाएंगे।

हाइपोप्लास्टिक ट्यूबूलर ब्रेस्ट के लक्षण

यहाँ पर हाइपोप्लेसिया ब्रेस्ट होने के कुछ लक्षण दिए हुए हैं, आइए जानें;

  • ट्यूबरस ब्रेस्ट आमतौर पर छोटे और आगे तरफ बढ़े हुए होते हैं या ट्यूबूलर जैसे दिखते हैं। इसमें आपके दोनों स्तन एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर होते हैं।
  • इन ब्रेस्ट के एरोला और निप्पल का साइज बड़ा होता है और यह आगे से उभरा हुआ होता है।
  • हाइपोप्लास्टिक ब्रेस्ट अक्सर अलग-अलग साइज के होते हैं और यह इसे असमान बनाते हैं।
  • प्यूबर्टी, गर्भावस्था और यहाँ तक कि बच्चे के जन्म के दौरान भी ब्रेस्ट का साइज नहीं बदलता है।

क्या आप हाइपोप्लास्टिक ब्रेस्ट के साथ बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं?

हाइपोप्लास्टिक या ट्यूबूलर ब्रेस्ट से बच्चे को दूध पिला पाना निश्चित रूप से संभव है। यह आपके ब्रेस्ट में मौजूद दूध उत्पादन के टिश्यू पर निर्भर करता है क्योंकि कभी-कभी पर्याप्त दूध का उत्पादन करने के लिए यह उचित मात्रा में होता है। कभी-कभी यह एक ब्रेस्ट पर भी प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि हो सकता है कि आपके दूसरे ब्रेस्ट में ही ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन करने वाला टिश्यू पूरी तरह से विकसित हुआ हो। कई मामलों में ट्यूबूलर ब्रेस्ट से ब्रेस्फीडिंग कराने पर आपको सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत पड़ सकती है। 

ट्यूबूलर ब्रेस्ट में दूध का उत्पादन बढ़ाने के टिप्स

हाइपोप्लेसिया ब्रेस्ट होने के बाद भी इसका कोई कारण नहीं है कि आप अपने बच्चे को दूध क्यों नहीं पिला सकती हैं। ट्यूबूलर ब्रेस्ट से ब्रेस्टफीडिंग में सुधार करने के कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • आप अपने ब्रेस्ट में मालिश करके दूध के उत्पादन को बढ़ा सकती हैं।
  • यह जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान आप लैक्टेशन एक्सपर्ट से भी सलाह लें ताकि जन्म के बाद बच्चे को दूध पिलाने में आसानी हो।
  • बच्चे के जन्म के एक या दो दिन बाद से ही ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने से आपको मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दूध पंप करने से ब्रेस्ट के टिश्यू उत्तेजित होते हैं और इससे दूध का उत्पादन भी बढ़ता है। जब आपके ब्रेस्ट में दूध का उत्पादन कम हो तब आप पंप किया हुआ दूध बच्चे को पिला सकती हैं।
  • ब्रेस्ट हाइपोप्लेसिया के ट्रीटमेंट में मेटाबॉलिक समस्याओं का उपचार भी शामिल है, जैसे हाइपोथाइरोडिज्म और पीसीओएस।
  • आप फीडिंग के सप्लीमेंटल तरीकों का उपयोग भी कर सकती हैं, जैसे डोनर्स से दूध लेकर या प्रेसक्राइब्ड फॉर्म्युला का उपयोग करके। आप अन्य लैक्टेशन के तरीके भी अपना सकती हैं, जैसे फीडिंग ट्यूब और नर्सिंग।
  • लैक्टेशन या नर्सिंग से संबंधित समस्याओं का सबसे सामान्य कारण है कि बच्चा गलत तरीके से ब्रेस्ट को पकड़ता है और दूध पीते समय बच्चे की पोजीशन सही नहीं होती है। इन्हें ठीक करने से बच्चा ब्रेस्ट को ठीक से पकड़ सकेगा और इससे दूध का उत्पादन भी होगा।
  • आप इसे ठीक करने के लिए हार्मोनल ट्रीटमेंट के प्राकृतिक तरीकों का उपयोग भी कर सकती हैं, जैसे प्रोजेस्टेरोन जिससे गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट में ग्लैंडुलर टिश्यू का विकास होता है।
  • अन्य तरीके भी हैं जिससे आप बहुत आसानी से अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड करा सकती हैं, जैसे आप बच्चे को नियमित एक समय में दूध पिलाने के बजाय कभी भी पिला सकती हैं। आप नर्सिंग के दौरान बीच-बीच में पंप का उपयोग भी कर सकती हैं ताकि ब्रेस्ट में दूध आता रहे।
  • आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप न्युट्रिशियस और संतुलित डायट का सेवन करें जिसमें सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ होने चाहिए और साथ ही आप हाइड्रेटेड रहें व पूरा आराम करें। इससे ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन होने में बहुत मदद मिलेगी।

हाइपोप्लास्टिक ट्यूबूलर ब्रेस्ट को सर्जरी की मदद से दोबारा बनाया जा सकता है। यद्यपि यह इस समस्या को लक्षणों को ठीक कर सकता है पर ब्रेस्ट में टिश्यू का विकास होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं। इसका यह मतलब है कि सर्जरी के साथ मिल्क ग्लैंड के परिणामस्वरूप स्तनों में दूध का उत्पादन बढ़ता है। 

यह भी पढ़ें:

ब्रेस्टमिल्क (माँ के दूध) का रंग

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

120+ गणेश चतुर्थी 2025 की शुभकामनाएं देने के लिए कोट्स, विशेस, मैसेज और स्टेटस

भगवान गणेश हिन्दू धर्म के सर्वश्रेष्ठ देवता माने जाते हैं और इनकी पूजा सबसे पहले…

24 hours ago

अन्विका नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Anvika Name Meaning in Hindi

कई माता-पिता बच्चों का नाम रखने में बहुत ज्यादा सोचते नहीं हैं और ट्रेंडिंग या…

2 days ago

अगम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल | Agam Name Meaning in Hindi

आपने अपने आसपास ऐसी कई चीजें देखी होंगी जो पहले पुराने जमाने में चलती थीं,…

2 days ago

जितेंद्र नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Jitendra Name Meaning in Hindi

जब भी घर में एक नन्हा मेहमान आता है, तो पूरे परिवार में खुशी की…

2 days ago

20+ Super Fun Swimming Pool Games for Kids l बच्चों के लिए मजेदार स्विमिंग पूल गेम्स

गर्मियों में किसी वाटर पार्क जाने या अपनी सोसायटी के पूल में दोस्तों के परिवारों…

2 days ago

अनाम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Anam Name Meaning in Hindi

बच्चे का नाम रखना हर माँ-बाप के लिए बहुत खास पल होता है। जब बेटा…

2 days ago