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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस दुनिया भर में लैंगिक समानता जिसे अंग्रेजी में जेंडर इक्वलिटी कहते हैं के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 2012 में पहली बार शुरू किया गया। जिससे दुनिया भर लड़कियों को बराबर का सम्मान मिले, उन्हें ज्यादा से ज्यादा सशक्त बनाया जा सके और उनके मानवाधिकारों से वंचित न रखा जाए। हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है और लोगों को बेटियों के अधिकारों को लेकर, उनके सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मानाने का उद्देश्य सिर्फ जेंडर इक्वलिटी लाना नहीं है बल्कि उन्हें हर प्रकार से मजबूत बनाना है और स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण आदि मुद्दों पर जागरूकता फैलाने है। उनके जेंडर के प्रति होने वाला भेद भाव को दूर करना या उनके लिए सेफ एंवायरमेंट बनाना है। यह तभी मुमकिन है जब हम और आप इस विषय को लेकर खुद जागरूक होंगे और दूसरों को भी जागरूक करें।
भारत समेत कई देश हैं जहां अभी भी लड़कियों को अपने मानवाधिकारों के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लड़की के पैदा होने से लेकर, उसकी पढ़ाई का अधिकार, अपना करियर चुनाव करने तक के लिए उन्हें न जाने कितनी लड़ाई लड़नी पड़ती है, कभी खुद के ही घर में, कभी ससुराल में तो कभी समाज से लड़कियों के मार्ग में आने मुश्किलों को जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकती है और उनके विकास को प्रभावित करती है, उन्हीं चुनौतियों को दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है।
हालांकि हम 21वीं सदी में जी रहे जहां टेक्नोलॉजी और अन्य चीजें तेजी से विकास कर रही है, लोग आधुनिक हो रहे हैं अपने पहनावे से, खान-पान और लाइफस्टाइल से लेकिन इसके बावजूद भी पूरी तरह से लड़के और लड़की के बीच के भेद को खत्म नहीं किया जा सका है। लोग अभी भी चाहते हैं कि उनके घर बेटे का जन्म हो क्योंकि वो उनकी घर का वारिस है जो उनकी परंपराओं को जीवित रखेगा, जबकि बेटियों को बोझ समझा जाता है। पहले के मुकाबले लोगों में इस प्रकार के बर्ताव में कुछ हद तक सुधार देखने को मिला है लेकिन अभी इस भेद भाव को पूरी तरह से खत्म करने का प्रयास करना है और यह तभी संभव जब लड़कियां कामयाब होंगी और आगे बढ़ेंगी और आत्म निर्भर बनेंगी।
यदि आज कोई लिंग वरीयता का विषय उठाता है, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है? आप शायद कहेंगे, ‘लिंग प्राथमिकता? क्या यह अतीत की बात नहीं है?’ आपकी प्रतिक्रिया इस प्रकार है, इसमें कोई संदेह नहीं है, क्योंकि आप अपने आसपास शैक्षणिक संस्थानों में शीर्ष क्रम के छात्रों में अधिक लड़कियों को जानते हैं या देखते हैं, अधिक महिलाएं नौकरी करती हैं और अपने सपनों की नौकरी पर काम करती हैं, और लड़कियों को शिक्षा और संसाधनों तक पहुंच प्राप्त है। आज, कई महिलाएं उच्च पदों पर आसीन हैं और सभी क्षेत्रों में बड़ी प्रगति कर रही हैं। लेकिन उन महिलाओं और लड़कियों का क्या जिन्हें अभी भी ये अवसर नहीं मिलते? उनका क्या जिन्हें जीने का मौका ही नहीं मिला?
दुनिया भर में युवा महिलाओं को प्रभावित करने वाले मामलों जैसे असमानता, लिंग आधारित हिंसा और बाल विवाह को संबोधित करने के लिए 2012 में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की गई थी। हर साल 11 अक्टूबर को महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी आवाज को बुलंद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। यह पहल बच्चियों के लिए और अधिक रास्ते खोलने को प्रोत्साहित करके उनकी शक्ति और क्षमता को बढ़ावा देता है।
बीजिंग घोषणापत्र वर्ष 1995 में बीजिंग में महिलाओं पर विश्व सम्मेलन आयोजित किया गया। वहां महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और उनकी आवश्यकता को उजागर करने वाला पहला प्रस्ताव रखा गया। विश्व इतिहास में, यह पहला ड्राफ्ट था जिसने दुनिया भर में युवा लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता को मान्यता दी थी।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस को अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ प्लान अंतर्राष्ट्रीय अभियान “क्योंकि मैं एक लड़की हूं” के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था। यह अभियान विशेष रूप से विकासशील देशों में लड़कियों का समर्थन करने, उन्हें गरीबी से बाहर लाने और उनके अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए लाया गया था।
जिसके बाद कनाडा ने औपचारिक रूप से इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू एन जनरल एसेंबली ) में प्रस्ताव के रूप में पारित करने की अर्जी दी। इसके बाद, 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभाने 11 अक्टूबर, 2012 को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के परिचयात्मक दिन के रूप में मान्यता देने के प्रस्ताव को सफलतापूर्वक स्वीकार कर लिया।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य दुनिया भर की हर बेटी को सशक्त, मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने का है आइए नीचे जानते हैं कि यह अभियान किस प्रकार से लड़िकियों की स्तिथि को बेहतर करता है:
लड़कियों को लेकर लोगों की मानसिकता और पीढ़ियों से चले आ रहे लिंग आधारित उत्पीड़न और भेदभाव के मुद्दे ने हर घर में, विशेषकर विकासशील देशों में गहरा प्रभाव डाला है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस दुनिया भर में युवा लड़कियों की दुर्दशा को बेहतर करने का प्रयास करता है।
बालिका दिवस लड़कियों के अधिकारों को उजागर करने का बेहतरीन कदम है। इस दिन हम उन लड़कियों की सराहना करते हैं जिन्होंने अपने अधिकारों के साथ अन्य लड़कियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई है।
युवावस्था हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह लड़कियों के जीवन की दिशा निर्धारित करता है। इसलिए युवावस्था में लड़कियों का पालन-पोषण करना और शिक्षा देना उन्हें कम उम्र में सशक्त बनाएगा, जो भविष्य में उन्हें स्वतंत्र और प्रबुद्ध महिला के रूप में निखारेगा। जो सिर्फ उस लड़की की नहीं बल्कि पूरे समाज की जीत होगी।
यहां लड़कियों के बारे में कुछ ऐसे तथ्य दिए गए हैं जिनसे आपको अवगत होना चाहिए:
यहां आपको अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर लड़कियों के लिए खास हिंदी कोट्स दिए गए हैं।
बालिका दिवस दुनिया भर में लड़कियों की क्षमता, उनके सपनों और अधिकारों का जश्न मनाता है। आइए हम उनके साथ खड़े हों और अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर अपनी बच्चियों के लिए यह प्यार भरा मैसेज भेजें।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस या इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है।
बीजिंग ने सबसे पहले इस प्रस्ताव की घोषणा की, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाया गया, यह लड़कियों के अधिकारों के लिए एक अभियान शुरू करने वाला पहला था।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। 2021 में, यह “डिजिटल पीढ़ी: हमारी पीढ़ी” थी और 2022 में, “उज्ज्वल कल के लिए लड़कियों को सशक्त बनाना है’’ और 2023 में ‘’लड़कियों के अधिकारों में निवेश-हमारा नेतृत्व, हमारा कल्याण’’ की थीम रखी गई है।
हमें हमारे पितृसत्तात्मक समाज की पुरातन मानसिकता को बदलने की सख्त जरूरत है, जो लड़कियों को बोझ मानती है। ऐसी हर मानसिकता को यह स्वीकार करना होगा कि लड़कियां किसी भी तरह से लड़कों से कम नहीं हैं। यदि उन्हें अपने कौशल और प्रतिभा को निखारने का सही अवसर दिया जाए, तो लड़कियों विभिन्न क्षेत्रों में क्षमता और सफलता को बेहतर रूप से प्रदर्शित कर सकती हैं। सही मायने में हमे महिला सशक्तिकरण लाने के लिए, लड़कियों और छोटी बच्चियों से इसकी शुरुआत करनी होगी।
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