शिशु

जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु की देखभाल के 15 स्टेप्स

एक नवजात शिशु के जीवन के सबसे पहले 24 घंटे सबसे नाजुक होते हैं। आपके हार्मोन्स काफी अस्थिर होते हैं और कई तरह की भावनाएं आप पर हावी होती हैं। ऐसे में नाजुक और खूबसूरत दिखने वाले एक नन्हे से इंसान की देखभाल करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। 

जन्म के तुरंत बाद न्यूबॉर्न बच्चे की देखभाल

डिलीवरी के बाद न्यूबॉर्न बच्चे को तुरंत देखभाल की जरूरत होती है। जन्म के तुरंत बाद बच्चे की देखभाल में बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है, बच्चे की धड़कन, नींद, बच्चे की पहली सांस और भी बहुत कुछ। यहाँ पर कुछ ऐसी जरूरतों का उल्लेख किया गया है, जिनका आपके बच्चे के जन्म के तुरंत बाद आपको ध्यान रखना होता है। 

1. गर्भनाल की देखभाल

आपकी गर्भावस्था के 9 महीनों के दौरान गर्भनाल एक ऐसी कड़ी होती है, जो आपको आपके बच्चे से जोड़ती है और आपके प्यारे शिशु को ऑक्सीजन और सभी जरूरी पोषक तत्व पहुँचाती है। जब बच्चा दुनिया में आ जाता है, तब अंबिलिकल कॉर्ड की कोई जरूरत नहीं रह जाती है और इसलिए इसे काट दिया जाता है। अंबिलिकल कॉर्ड को काटना सुनने में और देखने में दर्दनाक लगता है, पर ऐसा होता नहीं है। आप देखेंगे, कि आपके बच्चे की नाभि में गर्भनाल का एक छोटा टुकड़ा लगा रहता है। यह टुकड़ा आमतौर पर एक सप्ताह से एक महीने के बीच कभी भी गिर जाता है। एक बार यह गिर जाए, तो बच्चे की नाभि सूजी हुई दिखती है। इसे पूरी तरह ठीक होने में कुछ और दिन लगते हैं। अगर आपको इसमें खून के धब्बे दिखें, तो घबराएं नहीं, यह बिल्कुल सामान्य है। इसके साथ ही आपको कुछ पीला तरल पदार्थ दिख सकता है, यह भी बिलकुल सामान्य है। जहाँ तक गर्भनाल की देखभाल की बात है, तो इस बात का ध्यान रखें, कि इस क्षेत्र को सूखा रखें और समय-समय पर साफ करते रहें। गर्भनाल के उस छोटे टुकड़े को खींचने या अलग करने की कोशिश ना करें, उसे अपने आप ही गिरने दें। 

2. ब्रेस्टफीडिंग

बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना बहुत जरूरी है, पर यह चुनौती भरा भी हो सकता है। इससे आपको कई बार झुंझलाहट, दर्द और यहाँ तक कि गुस्सा भी आ सकता है। आपका दूध सबसे बेहतरीन और सबसे पोषक भोजन होता है, जो आप अपने शिशु को दे सकती हैं और बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा होता है। जन्म के एक या दो घंटे के बाद, आप अपने शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू कर सकती हैं। सबसे पहले आप देखेंगी, कि आपका दूध गाढ़ा और पीला होता है। यह अत्यधिक हेल्दी और पौष्टिक दूध होता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं। एंटीऑक्सीडेंट और प्रोटीन से भरपूर कोलोस्ट्रम, आपके शिशु के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होता है। इस बात का ध्यान रखें, कि आपकी पीठ को अच्छा सपोर्ट मिले और आप की पोजीशन आरामदायक हो। अधिकतर माँएं ब्रेस्ट को बच्चे तक लाती हैं, ऐसा न करें, इसके बजाय बच्चे को ब्रेस्ट तक लाएं, ताकि उसे पता चल सके कि लैच कैसे करते हैं। कई महिलाएं निप्पल की दरारें और ब्रेस्ट की सख्ती से जूझती हैं, जिसके लिए मरहम उपलब्ध हैं, जो कि आराम दिला सकते हैं। 

3. बच्चे की पहली सांस

गर्भ के अंदर आपके शिशु को सांस लेने की जरूरत नहीं होती थी, लेकिन जन्म के बाद बच्चे के फेफड़े जो कि पहले तरल पदार्थ से भरे हुए थे, अब हवा से भर चुके होते हैं। अचानक आने वाला यह बदलाव, नवजात शिशु के लिए कठिन हो सकता है। इसलिए आपके शिशु की शुरुआती कुछ सांसे आमतौर पर कठिन होती हैं। उसमें अधिक मेहनत लगती है और ये अनियमित और छोटे होते हैं। अगर बच्चे की सांसे समय के साथ स्थिर हो जाती हैं और धीरे-धीरे सामान्य हो जाती हैं, तो यह चिंता का विषय नहीं है। 

एक नवजात शिशु की सांसें आमतौर पर अनियमित होती हैं। हालांकि, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन बच्चे पर नजर रखें। अगर आपको ऐसा लगे, कि उसकी सांसों की आवाज काफी तेज है, तो डॉक्टर से परामर्श लें। 

4. एपीजीएआर टेस्ट

एपीजीएआर टेस्ट पहली जांच होती है, जो डॉक्टर आपके बच्चे की करते हैं, ताकि वे बच्चे के सामान्य होने को सुनिश्चित कर सकें। एपीजीएआर का अर्थ है – अपीयरेंस, पल्स, ग्रिमेस, एक्टिविटी और रेस्पिरेशन, इन सभी की जांच की जाती है और नतीजों के अनुसार बच्चे को स्कोर दिया जाता है। एपीजीएआर स्कोर नामक यह स्कोर बताता है, कि बच्चा बिल्कुल सामान्य है या चिंता का कोई कारण उपस्थित है। 7 या उससे ऊपर का स्कोर सामान्य माना जाता है। 4 से 6 का स्कोर थोड़ा कम और वहीं 3 से नीचे का स्कोर काफी कम माना जाता है। 

डॉक्टर के अनुसार अगर 5 मिनट के मार्क तक स्कोर बहुत अधिक निम्न हो, तो बच्चे को तुरंत मेडिकल अटेंशन दी जाती है। 

5. बच्चे का वजन मापना

अधिकतर नवजात शिशु 2 किलो से 4 किलो के बीच के वजन के होते हैं। आपके बच्चे का वजन उसके स्वास्थ्य को दर्शाता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है, कि आप इस पर एक नजर रखें। जन्म के बाद पहले हफ्ते के दौरान नवजात शिशु का वजन घटता है, क्योंकि इस दौरान शरीर में मौजूद बहुत सारा तरल पदार्थ खत्म हो जाता है। वहीं, लगभग एक सप्ताह के बाद आप अपने बच्चे के वजन में होने वाली बढ़त को देख सकते हैं। 

बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पर्याप्त वजन का बढ़ना जरूरी होता है। अगर आपको लगता है, कि जरूरत के अनुसार बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो पेडिअट्रिशन से परामर्श लें और एक डाइट प्लान तैयार करें, जिससे बच्चे के वजन को बढ़ाने के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल सकें। 

6. बच्चे की पहली पॉटी

आपके बच्चे का पहला मल मैकोनियम कहलाता है। यह सामान्य मल से काफी अलग दिखता है, पर यह बिल्कुल सामान्य बात है। आपका बच्चा जब आपके गर्भ में होता है, तो वह बहुत सारा तरल पदार्थ ले लेता है, इसलिए शुरुआती कुछ पॉटी अलग दिख सकती है। एक या दो सप्ताह के बाद बच्चे का मल सामान्य हो जाता है। 

अगर 24 घंटों के अंदर बच्चा मैकोनियम ना निकाले, तो इसके पीछे का कारण अवरोधित आँतें हो सकती हैं और आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। 

7. त्वचा से त्वचा का संपर्क

आपके बच्चे के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क बहुत जरूरी होता है। पूरी गर्भावस्था के दौरान आपका बच्चा गर्भ के आरामदायक माहौल में रहता है, पर अचानक जन्म के दौरान यह स्थिति काफी बदल जाती है और इसलिए त्वचा से त्वचा का संपर्क होना बहुत जरूरी होता है। आपके बच्चे के नग्न शरीर को आपकी नग्न त्वचा के साथ रखा जाता है और आपके और आपके बच्चे दोनों को एक कंबल से लपेट दिया जाता है। आप देखेंगे, कि आपका बच्चा लगभग तुरंत ही निश्चिंत हो जाता है। इससे बच्चा आपको पहचानने भी लगता है। 

8. विटामिन ‘के’

किसी तरह की ब्लीडिंग से बचने के लिए नवजात शिशु को विटामिन ‘के’ दिया जाता है। विटामिन ‘के’ खून के थक्के बनने में मदद करता है। तो किसी तरह की ब्लीडिंग की स्थिति में, विटामिन ‘के’ उसके थक्के बनने में मदद करता है और ब्लीडिंग से बचाता है। 

9. आँखों की देखभाल

आपके बच्चे की आँखें काफी नाजुक और संवेदनशील होती हैं। जन्म के बाद लगभग एक घंटे के अंदर बच्चे की आँखों को किसी तरह के इन्फेक्शन से बचाने के लिए, डॉक्टर उसकी आँखों में कुछ आई ड्रॉप्स डालते हैं। समय-समय पर बच्चे की आँखों को साफ करते रहना चाहिए। इसके लिए एक गीले कपड़े और थोड़े साफ पानी के इस्तेमाल से बच्चे की आँखों को पोंछा जा सकता है। 

10. बीसीजी और हेपेटाइटिस बी वैक्सीनेशन

आपके बच्चे के लिए हर वैक्सीनेशन जरूरी होता है। इसलिए तारीखों को याद रखें और बच्चे को सारे टीके लगवाएं। बीसीजी का टीका ट्यूबरक्लोसिस से बचाता है। चूंकि हेपेटाइटिस बी एक जानलेवा बीमारी होती है, इसलिए इसका टीका लगाना भी बहुत जरूरी है। 

11. नींद

अपने नवजात शिशु के जन्म के बाद नींद को गुड बाय कर दें। आप देखेंगे, कि नवजात शिशु को आप जब भी सुलाना चाहेंगे, वह नहीं सोएगा और जब आप उन्हें नहीं सुलाना चाहेंगे, वह तब जरूर सोएगा। अधिकतर समय में उनके सोने की पद्धति आपको परेशान कर सकती है। पर यह मातृत्व का एक हिस्सा है। धैर्य रखें, आपके बच्चे को जब कभी भी नींद आएगी, वह सो जाएगा। अगर आपका बच्चा पर्याप्त नींद नहीं ले रहा है, तो हो सकता है कि वह तनाव में हो। उसके डायपर्स पर नजर रखें, अगर भूख लगी हो तो उसे दूध पिलाएं। बच्चे को बाहों में भरना और घर का शांतिपूर्ण वातावरण, आपके नवजात शिशु को सोने में मदद करेगा। 

12. नहाना

पहले सप्ताह और उसके बाद के आधे सप्ताह के दौरान बच्चे को स्पंज बाथ देने की सलाह दी जाती है। इसके लिए एक मुलायम कपड़े और थोड़े गुनगुने पानी की मदद से बच्चे को पोंछ कर साफ करें। हालांकि, आप बच्चे के चेहरे, हाथों और जेनिटल एरिया को गुनगुने पानी से साफ कर सकती हैं, खासकर डायपर बदलने के बाद। 

ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि बच्चे की गर्भनाल को सूखने में लगभग इतना ही समय लग जाता है। एक बार यह नाल सूख जाए, तो यह अपने आप ही गिर जाती है। यह एक इशारा होता है, कि अब आप अपने न्यूबॉर्न को गुनगुने पानी में नहलाने की शुरुआत कर सकती हैं। 

कई लोग अपने बच्चे को हर दिन नहलाते हैं। जो कि वैसे तो ठीक है, लेकिन बच्चे को हफ्ते में 3 दिन नहलाना भी काफी होता है। इस बात का ध्यान रखें, कि आपके बच्चे की त्वचा काफी सेंसिटिव होती है और बार-बार नहलाने से बच्चे की त्वचा रूखी हो सकती है। 

इस बात का ध्यान रखें, कि पानी गुनगुना होना चाहिए। पानी इतना गर्म हो कि बच्चे को उससे आराम मिले और साथ ही इतना ठंडा हो, कि त्वचा जले नहीं। आप एक सौम्य साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि किसी तरह की एलर्जी या नकारात्मक रिएक्शन का डर ना हो। इसके बारे में आप अपने डॉक्टर से सलाह मशवरा भी कर सकते हैं। 

इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे पर हर समय नजर बनाए रखें, क्योंकि, बच्चा बाथ टब में फिसल सकता है। बाथ टब में बच्चे का डूबना बहुत ही आसान होता है, इसमें केवल 60 सेकेंड से भी कम का समय लगता है। 

आपको बच्चे के बालों की सफाई हर दिन करने की जरूरत नहीं होती है। इन्हें सप्ताह में दो या तीन बार धोना ही काफी होता है। इसके लिए एक सौम्य शैंपू का इस्तेमाल करें। 

13. शारीरिक जांच

एपीजीएआर की तरह ही जन्म के बाद एक शारीरिक जांच जरूरी होती है। बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर बच्चे की जांच करते हैं। 

14. बच्चे को गर्माहट देना

बच्चे को बाहों में भरकर गर्माहट देना आपकी सोच से ज्यादा जरूरी होता है। बच्चे को गर्माहट देने से शरीर के तापमान को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। एक नवजात शिशु के शरीर में एक वयस्क या एक बड़े बच्चे की तरह पर्याप्त फैट नहीं होता है। अगर बच्चा प्रीमैच्योर हो या फिर उसका वजन सामान्य से कम हो, तब यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। अपने बच्चे को गर्म कपड़ों में लपेटना न भूलें, खासकर अगर आपके रहने की जगह और वातावरण ठंडा है तो। नहलाने के बाद बच्चे को तुरंत पोंछकर सुखाएं और इसके बाद भी बच्चे को गर्माहट देना याद रखें। 

15. जन्म के समय सर्कुलेटरी और फिजियोलॉजिकल रेस्पिरेटरी बदलाव

जब बच्चा अपनी माँ के गर्भ में होता है, तो रेस्पिरेटरी और सर्कुलेटरी सिस्टम एक ऐसे रूप में काम करते हैं, जो कि जन्म के बाद के फंक्शन से काफी अलग होता है। बच्चा ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए गर्भनाल पर निर्भर होता है। लेबर और जन्म की प्रक्रिया के दौरान, सर्कुलेटरी और रेस्पिरेटरी गैस में काफी तेजी से बदलाव आते हैं, ताकि बच्चा गर्भ के बाहर सांस ले सके और उसका हृदय सामान्य रूप से काम कर सके। 

डॉक्टर जन्म के समय, बच्चे के शरीर के निचले हिस्से पर थप्पड़ लगाते हैं, ताकि हवा की नलियां साफ हो सकें और सांस लेने में मदद मिले। जन्म के बाद 6 से 10 घंटे के लिए बच्चे पर नजर रखना जरूरी होता है, क्योंकि इस दौरान मुख्य अंगों के सिस्टम में कई तरह के बदलाव होते हैं। 

मातृत्व एक खूबसूरत एहसास है, पर इसमें कोई दो राय नहीं है, कि यह थकान और परेशानी भरा और कभी-कभी डरावना होता है। अपने बच्चे को पूरा प्यार दें और पूरी देखभाल करें। और साथ ही अपनी भी अच्छी देखभाल करें। और आपकी यह यात्रा निश्चित रूप से यादगार बन जाएगी। 

यह भी पढ़ें: 

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पूजा ठाकुर

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