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यह कहानी कौवों का जोड़ा और एक दुष्ट सांप की है। इसमें सांप ने कौवों के जोड़े को बहुत परेशान कर दिया था। वह उनके अंडों को उनकी नामौजूदगी में खा जाता था। लेकिन इसके बावजूद कौवों ने हार नहीं मानी और इस समस्या से बचने के लिए समझदारी से काम किया और समस्या को जड़ से खत्म कर दिया। ये कहानियां बच्चों को काफी भाती हैं। उन्हें ऐसी कहानियां पढ़ने में भी मजा आता है और साथ में काफी कुछ सीखने को भी मिलता है।
एक समय की बात है, जंगल में एक कौवे का जोड़ा पेड़ पर रहता था। दोनों एक साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेकिन उनकी खुशी पर एक सांप की बुरी नजर पड़ गई। जिस पेड़ पर कौवे का जोड़ा अपना घोंसला बनाकर रहता था, उसी के नीचे सांप ने अपना बिल बना लिया था। जब कौवों का जोड़ा खाना ढूंढने बाहर जाता था, तब सांप उनके घोंसले में रखे अंडों को खा जाता था। जब वो लोग वापस लौटते थे, तो उन्हें घोंसला खाली मिलता था और वह जान भी नहीं पाते थे कि आखिर अंडे कौन ले जा रहा है।
ऐसे करते-करते कई दिन बीत गए। एक दिन कौवों का जोड़ा दाना चुगने के बाद जल्दी लौटकर आ गए। उन्होंने देखा कि अंडों को उनके पेड़ के नीचे बिल में रहने वाला सांप खा रहा है। ये जानने के बाद उन्होंने पेड़ पर किसी ऊंची जगह पर छुपाकर अपना घोंसला बना लिया। सांप को पता चला की कौवों के जोड़े ने अपने घोंसले की पुरानी जगह को छोड़ दिया है, लेकिन शाम में दोनों वापस इसी पेड़ पर आते हैं।
काफी समय निकल जाने के बाद अंडों में से बच्चे भी निकल आए और वो बड़े भी होने लगे। लेकिन सांप को एक दिन उनके छुपे घोंसले का पता चल गया और वो कौवों के जाने का इंतजार करने लगा। जब कौवे दाना चुगने बाहर निकले, सांप उनके घोंसले की तरफ बढ़ने लगा लेकिन तब तक कौवे किसी वजह से फिर से वापस लौट कर आ गए थे। उन्होंने सांप को घोंसले की तरफ बढ़ते हुए देखा और जल्दी से वहां से अपने बच्चों को पेड़ की ओट में छुपा दिया।
जब सांप घोंसले के पास पहुंचा तो उसने देखा कि घोंसला खाली है और उसे कौवों की चतुराई समझ में आ गई थी। वह वापस अपने बिल में चला गया और सही मौके का इंतजार करने लगा। इन सब की वजह कौवे ने सांप से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए उपाय निकाला। एक दिन कौवा जंगल के बाहर उड़कर एक राज्य में पहुंचा। उस राज्य में एक सुंदर महल भी था। महल की राजकुमारी अपनी सखियों के साथ खेल रही थी कि तभी कौवे ने उसकी गले की मोतियों की माला लेली और उड़ गया। ऐसे में सभी शोर मचाने लगे, तो वहां मौजूद पहरेदार हार लेने के लिए कौवे के पीछे जाने लगे।
कौवा जैसे ही जंगल में पहुंचा उसने हार को सांप के बिल में डाल दिया, जिसे महल के सैनिकों ने देख लिया था। जैसे ही वह हार निकालने के लिए बिल में अपना हाथ डालते हैं, तभी सांप फुंकारते हुए बाहर आ जाता है। सांप को देखने के बाद सैनिकों ने उस पर तलवारों के साथ हमला कर दिया और सांप घायल हो गया और वहां से अपनी जान बचाकर भाग गया। सांप के जाने के बाद एक बार फिर से कौवों का जोड़ा अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी रहने लगा।
कौवा और दुष्ट सांप की इस कहानी से हमें ये सीखने को मिलता है कि कभी भी किसी कमजोर का फायदा नहीं उठाना चाहिए और साथ ही जब भी मुसीबत में फंसे तो हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए।
यह कहानी नैतिक कहानियों में आती है, जिसमें यह बताया गया है कि हमें किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए।
कौवा और सांप की नैतिक कहानी ये है कि हमें कभी भी किसी मजबूर का फायदा नहीं उठाया नहीं चाहिए। ऐसा करने से आपको इसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है। जैसे सांप को कौवें के अंडों को खाने का बुरा परिणाम मिला।
हमें मुसीबत में कभी हड़बड़ाहट में काम नहीं करना चाहिए, बल्कि शान्ति से समझदारी के साथ मुसीबत का हल ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। इससे आपकी समस्या भी हल होगी और जल्दबाजी में आप कोई गलत फैसला नहीं लेंगे।
इस कहानी का तात्पर्य ये है कि यदि कोई कमजोर है तो उसे कमजोर समझ कर परेशान नहीं करना चाहिए। बेवजह किसी को परेशान करने से हमारे कर्मों का फल हमें भी चखना पड़ता है। तो इसलिए हमेशा कोशिश करें की आपकी वजह से दूसरों को कोई तकलीफ नहीं हो। इस प्रकार की प्रेरणादायक कहानियां बच्चों को जरूर सुनाएं ताकि भविष्य में वे ऐसा बर्ताव किसी के साथ न करें और न ही दूसरों को किसी के साथ करने दें।
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