In this Article
- अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो क्या आप मछली खा सकती हैं?
- स्तनपान के दौरान मछली खाने के फायदे
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मछली खाने के साइड इफेक्ट्स
- कैसे पता करें कि मछली ताजी है या नहीं?
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान खाने के लिए सुरक्षित मछलियां
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन मछलियों से बचें
- ओमेगा-3 पाने के लिए मछली के अतिरिक्त विकल्प
आपकी पूरी प्रेगनेंसी के दौरान, कुछ खास खान-पान को लेकर आप जरूर दुविधा में रहती होंगी और आपको कभी-कभी ऐसा एहसास होता होगा, कि जल्द से जल्द डिलीवरी हो जाए, ताकि आप अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी खा पाएँ। लेकिन, खाने-पीने की कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जो डिलीवरी के बाद भी ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं को नहीं खानी चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान मछली खाने को लेकर माँएं काफी कंफ्यूजन हो सकती हैं। इसी तरह ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी, मछली पकाने या मछली को अपने भोजन में शामिल करने से पहले, आपको काफी सोच विचार करना पड़ेगा। कुछ खास प्रकार की मछलियां खतरनाक होती हैं, वहीं कुछ मछलियां काफी पौष्टिक होती हैं। इसलिए समझदारी से इनका चुनाव करना जरूरी है। इस लेख में, हम नुकसानरहित मछलियों के बारे में जानेंगे और इन्हें अपने भोजन में शामिल करने से संबंधित दूसरे पहलुओं पर विचार करेंगे।
अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो क्या आप मछली खा सकती हैं?
बहुत सारी रिसर्च के बाद यह पता चला है, कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मछली का सेवन असल में बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। इसका मतलब यह है, कि आपको अपने भोजन में मछली की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। ताकि आपके बच्चे का एक स्वस्थ विकास हो सके। लेकिन, आपको यह भी याद रखना चाहिए, कि मछली में मरकरी जैसे भारी तत्व मौजूद नहीं होने चाहिए।
मछलियों में ईपीए, डीएचए और विटामिन ‘डी’ जैसे जरूरी विटामिन और पोषक तत्व मौजूद होते हैं। मछली में आयोडीन, मैग्नीशियम, आयरन और कॉपर जैसे पोषक तत्व भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं और ये सभी बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए निश्चित रूप से आपको अपनी डाइट में मछली को शामिल करना चाहिए।
प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान, मछली का सेवन नहीं करने वाली माँ के बच्चों की तुलना में, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मछली खाने वाली माँ के बच्चे अधिक स्वस्थ पाए गए हैं। इसलिए लेक्टेशन पीरियड में मछली जरूर खाना चाहिए।
स्तनपान के दौरान मछली खाने के फायदे
बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने के दौरान मछली खाने के कई फायदे हैं, इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
- मछली में कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो कि न केवल बच्चे के लिए बल्कि माँ के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
- मछलियां ओमेगा थ्री फैटी एसिड का मुख्य सोर्स हैं, जो कि सीफूड में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट होता है। यह आपके बच्चे के दिमागी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उसे स्वस्थ रखता है। ओमेगा थ्री में मौजूद डीएचए और ईपीए, आपके बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास में भी मदद करता है।
- मछली में लो सेचुरेटेड फैट और प्रोटीन की काफी मात्रा पाई जाती है, जो कि बच्चे के शारीरिक विकास में मदद करते हैं।
- जो माँएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मछली का सेवन करती हैं, उनमें इसका सेवन न करने वाली माँओं की तुलना में अर्ली चाइल्ड डेवलपमेंट अधिक देखा जाता है।
इसलिए बच्चे के स्वास्थ्य के लिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं का मछली खाना अच्छा होता है। हालांकि मछली खाने के लिए सुरक्षित होनी चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मछली खाने के साइड इफेक्ट्स
जहाँ बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मछली खाना जरूरी है, वहीं, मछली खाने के पहले यह देखना भी जरूरी है कि वह आपके खाने के लिए सुरक्षित हो। मछली खाने के कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:
- कोल फायर पावर प्लांट, नदियों और समुद्रों में मरकरी यानी पारा डिपॉजिट कर देते हैं। पानी में मौजूद बैक्टीरिया इसे मिथाइल मरकरी में कन्वर्ट कर देता है, जो कि पानी और भोजन के द्वारा मछलियों के पेट में चला जाता है। यह पदार्थ मछली को पकाने के बाद भी, उसके अंदर रह जाता है और इसलिए यह बहुत खतरनाक होता है।
- स्वोर्ड फिश, शार्क और द मैकेरेल जैसी मछलियों के कुछ प्रकारों में भारी मात्रा में मरकरी पाया गया है और इन मछलियों का सेवन बच्चे के कॉग्निटिव डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकता है।
- मिथाइलमर्करी अगर बच्चे के शरीर के अंदर पहुँच जाए, तो यह दिमागी विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। वहीं, अगर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माँ मरकरी का सेवन कर लेती है, तो यह थोड़ी मात्रा में ब्रेस्टमिल्क में चला जाता है और बच्चे पर बुरा प्रभाव डालने और उसे नुकसान पहुँचाने के लिए काफी होता है।
- मरकरी बच्चे के विकास पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाल सकता है। अगर यह शरीर के अंदर चला जाता है, तो यह बच्चे के पढ़ने, सोचने, सीखने, याद रखने और यहाँ तक कि मोटर स्किल्स पर भी साइड इफेक्ट्स डाल सकता है। साथ ही प्राकृतिक रूप से मानव शरीर केमिकल को बहुत ही जल्दी सोख लेता है। इसलिए जिन मछलियों में भारी मात्रा में मरकरी पाया जाता है, उनसे बचना चाहिए।
- इसमें कोई शक नहीं है, कि आज सभी नदियों और समुद्रों में प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और यह मछलियों को भी प्रभावित कर सकता है। इसका मतलब है, कि अगर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप मछली का सेवन करते हैं, तो खतरनाक केमिकल और प्रदूषक आपके बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- बड़ी प्रेडेटर मछलियों में मरकरी भारी मात्रा में पाया जाता है, क्योंकि वह अपने आसपास की छोटी मछलियों को खा जाती हैं।
- सुपर मार्केट में उपलब्ध डिब्बाबंद सफेद ट्यूना मछली में मरकरी काफी अधिक मात्रा में होता है, जो कि खाने के लिए सुरक्षित नहीं होती है।
कैसे पता करें कि मछली ताजी है या नहीं?
आप मछली के बाहरी शरीर को देखकर आसानी से पता लगा सकते हैं, कि वह ताजी है या नहीं। अगर इसके स्केल कड़क और चमकदार हैं, तो इसका मतलब है कि मछली ताजी है। मछली अगर ताजी न हो, तो आकर्षक नहीं लगती है, ऐसे में उसे नहीं खरीदना चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान खाने के लिए सुरक्षित मछलियां
ऐसी कई सुरक्षित मछलियां हैं, जिन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँएं खा सकती हैं और जो आपके बच्चे की सेहत को बेहतर बनाने में काम आ सकती हैं। इनमें निम्नलिखित मछलियां शामिल हैं:
- चार
- कैपेलीन
- एटलांटिक मैकेरेल
- हेरिंग
- झींगा
- मलेट
- क्लैम
- सैल्मन
- लेक व्हाइटफिश
- रेनबो ट्राउट
- हेक
- सीप
- एंकोवी
- ब्लू क्रैब
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन मछलियों से बचें
इसी प्रकार ऐसी कुछ मछलियां होती हैं, जिन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माँओं को नहीं खाना चाहिए। इनमें मरकरी जैसे खतरनाक केमिकल होते हैं, जो कि बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार है:
- शार्क
- मार्लिन
- स्वोर्डफिश
- सैल्मन, फ्रेश ट्यूना, ट्राउट, मैकेरेल और हेरिंग – आपको इन्हें एक सप्ताह में दो से अधिक बार नहीं खाना चाहिए।
- नॉन-ऑयली मछलियां, जैसे रॉक सैल्मन, सी बास और हैलिबट।
ओमेगा-3 पाने के लिए मछली के अतिरिक्त विकल्प
अंडे, दूध, दही जैसे कुछ खाद्य पदार्थों में ओमेगा-3 पाया जाता है। पर इनमें केवल एएलए ही होता है- जहाँ इससे कुछ फायदे मिलते हैं, वहीं आपको इससे ईपीए या डीएचए नहीं मिलेगा। अलसी के बीज में भी एएलए पाया जाता है। इसलिए इस पोषक तत्व को पाने के लिए आपको ओमेगा-3 के सप्लीमेंट का चुनाव करना पड़ेगा।
मछली खाने से आपके बच्चे के स्वास्थ्य को फायदा होता है और इसमें काफी पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, लेकिन अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो इन्हें खाने से पहले आपको इस बात पर विचार करना पड़ेगा, कि वह खाने के लिए सुरक्षित है या नहीं। गलत मछली चुनने से फायदे से ज्यादा नुकसान होते हैं, इसलिए इसके सेवन से पहले इसकी जांच जरूर करें या फिर ईपीए और डीएचए युक्त सप्लीमेंट का चुनाव करें।
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