बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर पेरेंट्स की चिंताएं बढ़ जाती हैं। ज्यादातर पेरेंट्स की यही आम चिंता होती है कि क्या उनका बच्चा ठीक से सांस ले पा रहा है? मांएं अक्सर बच्चे की सांस चेक करने के लिए रात को बार-बार जागती हैं। पहली बार बने पेरेंट्स के लिए यह आम है। हालांकि इससे आपकी नींद का रूटीन खराब होता है और बच्चा भी डिस्टर्ब हो जाता है। वैसे वास्तव में अचानक से बच्चे की मृत्यु होना जिसे एसआईडीएस (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम) कहते हैं और कॉट डेथ के डर की वजह से ऐसा होता है क्योंकि यह समस्याएं बहुत आम हैं। कुछ आसान सावधानियां बरतने से आप रात को आराम से सो सकती हैं, जैसे रात में बच्चे को पीठ के बल सुलाना आदि।
सबसे पहले आइए इसे समझते हैं – नॉर्मल तरीके से सांस लेना क्या है। सोते समय बच्चे के सांस लेने के प्रोसेस का एक चक्र होता है। सांस तेज और गहरी होते-होते धीमी होने के बाद नॉर्मल हो जाती है। बच्चा सांस लेने के बीच में थोड़ा सा रुक सकता है और फिर से गहरी सांस लेना शुरू कर सकता है। इसमें पांच सेकंड का विराम नॉर्मल है।
बच्चे सांस लेते समय कई प्रकार की आवाजें निकालते हैं। मुंह में पीछे की ओर सलाइवा होने की वजह से बच्चा सोते समय घरघराने की आवाज निकालता है, खर्राटे मारता है और उसे हिचकी भी आ सकती है। सीटी की थोड़ी-बहुत आवाज आना नॉर्मल है और यह बच्चे के नाक की नली पतली होने की वजह से होता है। बच्चे की छाती ऊपर-नीचे होने के प्रोसेस से, सांस में सीटी की आवाज सुनकर और उसके पास अपने गाल रखते हुए महसूस करके आप उसकी सांस चेक कर सकती हैं।
आप क्या कर सकती हैं
अपने बच्चे के साथ समय बिताएं। उसे दिन के दौरान ऑब्जर्व करें। इससे आपको उसके सांस लेने के नॉर्मल पैटर्न का पता चलेगा। बच्चे की आवाजों को सुनें। बच्चा एक मिनट में कितनी बार सांस ले पाता है यह आप जान सकती हैं। इससे आपको रात में किसी परेशानी को समझने में मदद मिलेगी।
छोटे बच्चे की सांस चेक करने का मॉनिटर
मॉनिटर उपलब्ध है पर नॉर्मल बच्चों के लिए इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। फाल्स अलार्म से इसकी असल जरूरत फीकी पड़ जाती है। हालांकि यदि बच्चा प्रीमैच्योर है तो आप इसका उपयोग कर सकती हैं।
आपको कब चिंता करनी चाहिए
हल्की-फुल्की जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि यदि बच्चा सोते समय कुछ आवाजें निकालता है तो इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। यद्यपि यह लगातार होता है तो आप मदद ले सकती हैं, जैसे;
- यदि बच्चे की सांसें बहुत तेज चल रही हैं – एक सेकंड में 60 सांसों से अधिक।
- यदि हर बार सांस लेने के बाद घुरघुराने की आवाज आती है।
- यदि ऐसा लग रहा है कि बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। वह नाक से ज्यादा सांस लेने की कोशिश कर सकता है।
- यदि बच्चा रैस्पिंग ध्वनि या अजीब सी कुकुर खांसी की आवाज निकालता है।
- यदि बच्चा घरघराहट या सीटी की आवाज निकालता है।
- यदि बच्चे की छाती बहुत ज्यादा ऊपर-नीचे होती है और ऐसा लगता है कि वह सांस लेने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास कर रहा है। इसे रिट्रैक्शन कहते हैं।
- यदि बच्चा 10 सेकंड के लिए सांस लेना बंद कर देता है। यदि बच्चे की सांस दोबारा से नॉर्मल हो जाती है तो भी डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करना ठीक होगा।
- यदि बच्चे के लंग्स में ऑक्सीजन की कमी होती है तो उसके माथे, नाक या होंठों पर नीले रंग का ट्राइएंगल दिखाई देगा।
रात में बच्चे को पीठ के बल सुलाएं और उसके पास ही रहें। ऑब्जर्व करने और सतर्क रहने का अभ्यास करने से आप यह जानेंगी कि बच्चा नॉर्मल तरीके से सांस ले रहा है और इससे आपका स्ट्रेस कम होगा।
यह भी पढ़ें:
छोटे बच्चों में सांस की समस्या
बच्चों में अस्थमा (दमा) – कारण, लक्षण और उपचार
बच्चे की सांस में घरघराहट की आवाज – क्या यह सामान्य है?