भारत में बच्चा प्लान करने में कितना खर्च होता है?

भारत में बच्चा प्लान करने में कितना खर्च होता है?

अगर आप बच्चे की प्लानिंग कर रही हैं, खासकर अपने पहले बच्चे की, तो हो सकता है कि गर्भावस्था और डिलीवरी को लेकर सभी बातें आप पर हावी हो रही होंगी। फैमिली प्लान करना कोई आसान काम नहीं है। आपको आगे आने वाली हर परिस्थिति के लिए भावनात्मक और आर्थिक रूप से तैयार रहने की जरूरत होती है। फैमिली की प्लानिंग करते समय आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है, क्योंकि अब यह केवल आपके और आपके पति के बारे में नहीं है और आपके खर्चे भी बढ़ने वाले हैं। 

लेकिन, इस जानकारी को अपने ऊपर हावी न होने दें। यह परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन, यदि आपको अपने पैसे बचाने के तरीके पता होते हैं, तो आपकी आर्थिक नींव मजबूत हो जाती है। अब सवाल यह है, कि भारत में बच्चा प्लान करने में लगभग कितना खर्चा होता है? इस लेख में आपको इसका जवाब मिल जाएगा। 

भारत में बच्चा प्लान करने में होने वाला खर्च – प्रेगनेंसी से बच्चे के जन्म तक

गर्भावस्था से डिलीवरी तक का सफर लंबा और महंगा होता है। जो जोड़े प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं, उनके लिए प्रेग्नेंट होना ही बहुत महंगा होता है – यही कारण है, कि यह फैसला करने से पहले आपका अपने फाइनेंस पर अच्छा नियंत्रण होना जरूरी है। 2011 में ईटी वेल्थ द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, एक बच्चे को बड़ा करने में (जन्म से 21 साल की उम्र तक) लगभग 55 लाख रुपए खर्च होते हैं। इन्फ्लेशन के कारण, तब से लेकर अब तक यह संख्या केवल बढ़ी ही है। इसलिए, यदि आप अच्छी तरह से प्लानिंग करते हैं और मदद के लिए सही फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करते हैं, तो अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम हो पाएंगे। 

सबसे पहले, आपके पैसे कहां-कहां खर्च होंगे, उसे 3 मुख्य चरणों में बांटते हैं। पहला चरण है, प्रीनेटल, यानी कि जब महिला गर्भवती होती है। दूसरा चरण है, डिलीवरी और बच्चे के जन्म की प्रक्रिया और तीसरा चरण है, डिलीवरी के बाद का चरण, जिसमें आपके बच्चे का जन्म हो चुका होता है और उसे तुरंत देखभाल की जरूरत होती है। 

प्रीनेटल खर्च (कंसीव करने से पहले के खर्च)

1. डॉक्टर की विजिट: यह सभी जानते हैं, कि गर्भावस्था के दौरान आप को नियमित रूप से अपने ओबी/गाइनकॉलजिस्ट को विजिट करना होगा। यह खर्च बहुत अधिक नहीं लगता है, क्योंकि आपको एक बार में अधिक पेमेंट नहीं करनी होती है। लेकिन, प्रेगनेंसी के दौरान हॉस्पिटल विजिट करने से आपके काफी पैसे खर्च हो जाएंगे। चेकअप, अल्ट्रासाउंड और टेस्ट ऐसी कुछ चीजें हैं, जिनमें आपको पैसे खर्च करने पड़ेंगे। प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लीनिक हर अपॉइंटमेंट पर ₹500 से ₹2,000 के बीच कुछ भी चार्ज कर सकते हैं और अल्ट्रासाउंड और टेस्ट के लिए आपको एक्स्ट्रा खर्च करने होंगे। अल्ट्रासाउंड के लिए इसकी शुरुआत ₹1,000 से होती है और टेस्ट के लिए ₹1,500 से ₹2,000 से शुरू होती है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है, कि डॉक्टर आपको किस टेस्ट की सलाह देते हैं।

जो जोड़े आईवीएफ का चुनाव कर रहे हैं, उनके लिए खर्च बहुत अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि जोड़े को गर्भधारण के लिए मेडिकल दखलंदाजी की जरूरत होती है। एक जाने-माने प्राइवेट हॉस्पिटल में आईवीएफ की प्रक्रिया का औसत खर्च डेढ़ लाख रुपए प्रति सायकल से शुरू होता है। इसमें डायग्नोस्टिक प्रक्रियाएं और टेस्ट शामिल होते हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया कारगर हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती है और जोड़े को दूसरी सायकल की भी जरूरत हो सकती है। इसमें कितना खर्च आएगा, यह इस बात पर निर्भर करता है। प्रक्रिया के सफल हो जाने पर चेकअप, टेस्ट और अल्ट्रासाउंड के नियमित खर्च भी शुरू हो जाते हैं। 

2. दवाएं और सप्लीमेंट: गर्भवती महिला के रूप में आपको आपकी प्रेगनेंसी के लिए सप्लीमेंट और दूसरी दवाओं की जरूरत होगी, क्योंकि आपको अपने मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की संख्या को बढ़ाना होगा। डॉक्टर, होने वाली मां को स्वस्थ रखने के लिए, अन्य कई चीजों के साथ-साथ प्रीनेटल विटामिन, फोलेट और विटामिन ‘डी’ प्रिस्क्राइब करेंगे और आपको इन सब का खर्च डिलीवरी होने तक उठाना पड़ेगा। मल्टीविटामिन और सप्लीमेंट औसत रूप से महंगे होते हैं, तो यह मानकर चलते हैं, कि महीने में आपका लगभग ₹3000 का खर्च बढ़ जाएगा। 

प्रीनेटल खर्च (कंसीव करने से पहले के खर्च)

3. मेटरनिटी कपड़े और एक्टिविटीज: चूंकि, प्रेगनेंसी के दौरान हर हफ्ते आपका आकार बढ़ता है, इसलिए आपके रेगुलर कपड़े कुछ समय के बाद आपको फिट नहीं आएंगे। ऐसे में, आपको मेटरनिटी वेयर की जरूरत होगी – आरामदायक ड्रेसेस, जींस, एथेनिक वेयर और फुटवियर में आपको पैसे खर्च करने होंगे। गर्भवती महिलाओं के लिए प्रोडक्ट बनाने वाले नामी ब्रांड से खरीदने पर आपको ₹1,500 से अधिक का खर्च होगा, जो कि इस बात पर निर्भर करता है, कि आपने कैसे और कितने कपड़े या जूते खरीदे हैं। 

प्रेगनेंसी के दौरान एक्टिव रहना अच्छा होता है – अगर आप अपनी हेल्थ के लिए प्रीनेटल क्लास लेने के बारे में सोच रही हैं या मान लीजिए कि आप प्रीनेटल योगा क्लास में जाना चाहती हैं, तो इससे आपको रेगुलर क्लास के लिए एक महीने में ₹2,000 से ₹3000 खर्च करने होंगे, जो कि विशेष रूप से प्रेगनेंसी से संबंधित एक्सरसाइज नहीं करवाते हैं और विशेष कोर्स का खर्च ₹5000 से शुरू होता है। 

कुल मिलाकर, फैमिली प्लानिंग का प्रीनेटल चरण काफी महंगा हो सकता है और ऊपर बताई गई ज्यादातर चीजें इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस प्रकार प्रीनेटल चरण के दौरान, प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने वाले जोड़े का कुल खर्च लगभग एक लाख रुपए और आईवीएफ के द्वारा गर्भधारण करने वाले जोड़े का खर्च लगभग ढाई लाख रुपए होता है। 

अगर आप जल्द ही गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं, तो बेहतर है, कि आप अभी से ही बचत करना शुरू कर दें – एक सेविंग प्लान, जो आपको अच्छा रिटर्न दे, इसका एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। इसके लिए बैंक और प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) प्लान, रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) प्लान, सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) जैसे कई तरीके हैं। जिन कपल्स ने एडवांस में ही अच्छी तरह से प्लानिंग करनी शुरू कर दी हो, उनके लिए बचत करना आसान होता है। 

डिलीवरी और बच्चे के जन्म के समय खर्च 

1. डिलीवरी का खर्च: इस दौरान सबसे अधिक खर्च होता है, बच्चे की डिलीवरी पर। इस समय तक आपके ओबी/ गाइनकोलॉजिस्ट ने किसी संभावित कॉम्प्लिकेशंस की जांच कर ली होगी, जो कि आपके बच्चे के जन्म में रुकावट डाल सकती हो। जिसके अनुसार उन्होंने वेजाइनल डिलीवरी या सी-सेक्शन डिलीवरी रेकमेंड की होगी। आप का खर्च बड़े पैमाने पर इस पर निर्भर करता है। एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एपिड्यूरल और अन्य उपकरणों के साथ वेजाइनल डिलीवरी में 20,000 रुपए से अधिक का खर्च हो सकता है। वहीं, सी-सेक्शन में आपको लगभग दो लाख रुपए तक खर्च आ सकता है। 

इनके अलावा कमरा और प्री-डिलीवरी टेस्ट के खर्चे भी इसमें शामिल हैं। अक्सर डॉक्टर मां को 48 घंटे के लिए आराम करने की सलाह देते हैं और अगर मां की सी-सेक्शन डिलीवरी हुई हो और ठीक होने में उसे अधिक समय की जरूरत हो, तो कमरे का खर्च भी बढ़ जाता है। टेस्ट कराने में आपको ₹5000 या उससे अधिक का खर्च हो सकता है। 

2. अनपेक्षित खर्च: कभी-कभी अप्रत्याशित ढंग से माँ या बच्चे के लिए मेडिकल कॉम्प्लिकेशंस अचानक खड़े हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, आपका खर्च और भी बढ़ जाता है। डिलीवरी में समस्याएं होने के कारण, माँ या बच्चे को ऑब्जर्वेशन में रखने से भी खर्च और बढ़ जाता है। 

एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बच्चे की डिलीवरी में आपको 25,000 रुपए से लेकर दो लाख रुपए के बीच कुछ भी खर्च आ सकता है। 

डिलीवरी और बच्चे के जन्म के समय खर्च 

पोस्ट नेटल खर्च (डिलीवरी के बाद के खर्च)

1. बेबी एसेंशियल और घरेलू उपकरण: बच्चे के आने के बाद आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ता है, कि आपके पास नवजात शिशु की जरूरत का हर सामान उपलब्ध हो। एक क्रिब, बेडिंग, बर्पिंग कपड़े, बच्चे का थर्मामीटर, नेलकटर, डायपर, डायपर रैश क्रीम, वेट वाइप्स, स्वेडल-क्लॉथ, नहाने की सामग्री और पैसिफायर जैसी चीजों की जरूरत आपको तुरंत पड़ेगी। एक अच्छी क्वालिटी का क्रिब आम तौर पर ₹5,000 से अधिक का होता है और एक रेगुलर आकार का 76 डायपर का पैक लगभग ₹700 का आता है। जहां क्रिब पर एक बार खर्च करने पर यह लंबे समय तक चलता है, वहीं दूसरी चीजें आपको बार-बार खरीदनी होती हैं। क्रीम के अलावा बाकी जरूरी चीजों के बारे में सोचें, तो आपको महीने में लगभग ₹3,000 का खर्च बढ़ जाता है। क्रिब खरीदने में 5,000 से 20,000 के बीच कुछ भी खर्च हो सकता है, जिसमें हर प्राइस रेंज में अलग-अलग तरह के फीचर्स वाले क्रिब होते हैं, जो आप बढ़ते बच्चे की जरूरतों के अनुसार चुन सकते हैं। अच्छी क्वालिटी के एक बेडिंग सेट की कीमत लगभग ₹1000 से शुरू होती है। 

2. नर्सिंग गियर: ब्रेस्टफीडिंग एक ऐसा अनुभव है, जिसकी आदत होने में थोड़ा समय लगता है। ऐसी कई चीजें हैं, जो इस प्रक्रिया को आपके लिए आसान बना सकती हैं। आपको इसके लिए जिन चीजों की जरूरत पड़ेगी वे हैं – नर्सिंग पैड, एक नर्सिंग पिलो, एक नर्सिंग ब्रा (सफर के दौरान), ब्रेस्ट पंप, मिल्क स्टोरेज बैग और निप्पल क्रीम आदि। अगर किन्ही कारणों से, आप तुरंत ब्रेस्टफीड नहीं करा सकती हैं, तो ऐसे में आपको एक बेबी बोतल और बोतल साफ करने के उपकरणों की भी जरूरत होगी। एक अच्छी क्वालिटी के मैनुअल ब्रेस्ट पंप की कीमत ₹1,500 से शुरू होती है और इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप की कीमत ₹2,500 से शुरू होती है। इनमें से ज्यादातर चीजें एक बार ही खरीदनी होती हैं। 

पोस्ट नेटल खर्च (डिलीवरी के बाद के खर्च)

3. कपड़े और खिलौने: आपको अपने नवजात शिशु के लिए कपड़े और खिलौने भी चाहिए होंगे। अच्छी क्वालिटी के कपड़े, जूते, पजामा, स्वेटर, टोपी आदि सभी जरूरी हैं। इस समय आप बेबी सूदर और मोबाइल खरीद सकते हैं, ताकि वह अच्छी तरह से सो सके और रंग-बिरंगे खिलौने और रैटलर उसके ध्यान को आकर्षित करने में मदद करेंगे। पहले महीने के दौरान, बच्चे के कपड़े खरीदने में आपको लगभग ₹3,000 से ₹4,000 का खर्च आएगा और खिलौनों की शुरुआत ₹500 से होती है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है, कि आप क्या खरीद रहे हैं। 

4. वैक्सीनेशन: जैसे ही, आपके बच्चे का जन्म होता है, डॉक्टर वैक्सीन लगाना शुरू कर देते हैं। 12 महीने के होने तक आपके बच्चे को कई वैक्सीन दी जाएंगी (और कुछ इसके बाद भी दी जाएंगी), लेकिन चूंकि यह एक बार का पेमेंट नहीं होता है, तो इसके लिए आपको हर बार थोड़े-थोड़े पैसे खर्च करने पड़ेंगे। समय के साथ बच्चे के वैक्सीन में होने वाला खर्च कम होता जाएगा, पर शुरुआत में आपको हर विजिट में लगभग ₹2,500 खर्च करने होंगे (जो कि इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा दिए गए टाइम टेबल पर निर्भर करता है)। लेटेस्ट शेड्यूल और कीमत के लिए आपके पीडियाट्रिशियन आप को सबसे बेहतरीन निर्देश दे सकते हैं।

कुल मिलाकर अपने नवजात शिशु के साथ स्टेबल होने में आपको लगभग 30,000 से 40000 रुपए का खर्च आएगा। बच्चे के लिए नर्सरी या उसका कमरा तैयार करने जैसी चीजों के अलावा, इनमें से कुछ खर्चे आपको केवल एक बार ही करने होते हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर चीजों का खर्च आपकी जरूरत के अनुसार बदल सकता है। 

अब चूंकि आपका बेबी आपके साथ है, तो जैसे-जैसे वह बढ़ता जाएगा, उसका खर्च भी बढ़ता जाएगा – खिलौने, कपड़े, स्कूल, ट्यूटर, कॉलेज – यह संख्या बदलती रहेगी। डरावना लगता है, है न! लेकिन सही सेविंग प्लान के साथ इन सभी खर्चों को आसानी से उठाया जा सकता है। 

आपके खर्चे तुरंत होने वाले हैं या लंबे समय के लिए, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है। एक फिक्स्ड डिपॉजिट प्लान आपको अधिक बचत करने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है, कि यह इस अवधि के दौरान अनदेखे खर्चों को मैनेज किया जा सके। आप जितनी जल्दी बचत करना शुरू कर देते हैं, आपको उतने ही अच्छे रिटर्न मिलते हैं। 

फैमिली प्लानिंग करना एक आसान निर्णय नहीं होता है, लेकिन अपनी सेविंग्स के साथ एक बेहतरीन चुनाव करने से, इस दुनिया में आपको एक बच्चे को लाने का कॉन्फिडेंस मिलता है। 

यह भी पढ़ें: 

दूसरे बच्चे की योजना कैसे बनाएं
फैमिली प्लानिंग 101: इन 7 चीजों में इन्वेस्ट जरूर करें
गर्भावस्था की योजना – गर्भधारण करने से पहले क्या करें