शिशु

क्या शिशु के कमरे में पंखा होने से एसआईडीएस का खतरा कम होता है?

आज कल ज्यादातर घरों में एयर कंडीशनर लगे रहते हैं और पेरेंट्स अपने बच्चे को एसी वाले रूम में ही सुलाते हैं। पर क्या बेबी को एसी वाले कमरे में सुलाना सही है या पेरेंट्स को उसके लिए सीलिंग फैन चुनना चाहिए? ऐसा कोई कारण नहीं है जिससे यह कहा जाए कि एसी से सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम यानी एसआईडीएस की संभावना बढ़ जाती है और पंखे से ऐसा नहीं होता है। पर अक्सर लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि आप अपने बच्चे को एसी के बजाय पंखे वाले कमरे में ही सुलाएं? बच्चे के कमरे में सीलिंग फैन लगाने के क्या फायदे हैं यह जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें पर आइए पहले यह जानते हैं कि सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम या एसआईडीएस क्या है। 

एसआईडीएस क्या है?

छोटे बच्चों को अक्सर पालने में ही मृत्यु का घातक खतरा रहता है जिसे एसआईडीएस या सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम कहते हैं। बच्चों को यह समस्या अक्सर क्रिब या पालने में सोते समय ही होती है जिसे आमतौर पर क्रिब डेथ भी कहते हैं। यद्यपि एसआईडीएस का कारण अब तक स्पष्ट नहीं है पर फिजिकल व एन्वायरमेंटल कारणों से बच्चे की मृत्यु होने का खतरा बढ़ सकता है। 

जिन बच्चों में जन्म के साथ ही दिमाग से संबंधित समस्याएं होती हैं वे अपनी सांस और स्लीपिंग पैटर्न को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह से उनमें एसआईडीएस की संभावना ज्यादा रहती है। जिन प्रीमैच्योर बच्चों का वजन जन्म से ही कम रहता है उनका दिमाग भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है और वे भी अपने दिमाग व स्लीपिंग पैटर्न को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं जिससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ता है। यदि बच्चे को रेस्पिरेटरी से संबंधित समस्याएं हैं तो एसआईडीएस के कारण उसकी मृत्यु हो सकती है। फिजिकल समस्याओं के अलावा वातावरण से संबंधित भी कुछ समस्याएं हैं जिसकी वजह से बच्चे को एसआईडीएस हो सकता है, जैसे पेट के बल लेटने या पेरेंट्स के साथ बेड शेयर करने, या सॉफ्ट मैट्रेस पर सोने के दौरान इसके दब जाने से बच्चे की सांस की नली ब्लॉक हो सकती है और एसआईडीएस हो सकता है। बच्चे के कमरे में बहुत ज्यादा गर्मी होने से उसे सांस लेने में दिक्क्त हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम की संभावना बढ़ती है। 

छोटे बच्चे के कमरे में पंखा लगाने के फायदे

बच्चे के कमरे में पंखा लगाने से कई फायदे होते हैं। इसकी मदद से बच्चा सुरक्षित रहता है और साथ ही उसे अच्छी नींद भी आती है जो बहुत जरूरी है। इसके क्या फायदे हैं, आइए जानें;

  • बच्चे के कमरे में एसी लगाने के बजाय पंखा लगाने की सलाह दी जाती है। एयर कंडीशनर की तकनीक से कमरे के भीतर की हवा पर ही प्रभाव पड़ता है जो बच्चे के अनुकूल नहीं है। यह हवा में नए मॉलिक्यूल को उत्पन्न करता है और नमी को खत्म कर देता है जिसकी वजह से अस्थमा या रेस्पिरेटरी व त्वचा से संबंधित अन्य समस्याएं पहले से ज्यादा होती हैं। पंखे से हवा मूव करती है और नेचुरल ह्यूमिडिटी भी बनी रहती है।
  • गर्मियों में आपको लगेगा कि आप बच्चे के कमरे में एयर कंडीशनर या कूलर लगवा दें। वैसे आपका विचार अच्छा है पर इन तरीकों से तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है जिसकी वजह से बच्चा बाहर के वातावरण में एडजस्ट नहीं कर पाता है। पंखे से टेम्परेचर लेवल उतना ही रहता है जितने में बच्चा कंफर्टेबल हो सके और उसे कोई भी खतरा न हो।
  • पूरी तरह से बंद व सील्ड कमरे में बच्चा बेचैन हो सकता है। इसके अलावा एयर कंडीशनर की आवाज, कंप्रेसर में हो रही किक की आवाज से बच्चे की नींद भी खराब होती है। पंखे से एक समान वाइट नॉइज आता है जो बिलकुल वैसी आवाजें होती हैं जिन्हें बच्चा गर्भ में सुनता है। इससे बच्चे को सेफ्टी महसूस होती है और वह गहरी नींद में सो जाता है।
  • यद्यपि यदि आप एयर कंडीशनर का उपयोग कराती हैं तो साथ में एक पंखा भी चालू रखें जिससे कमरे का तापमान 25 से 27 डिग्री तक बना रहता।

छोटे बच्चों के कमरे में पंखा लगाने से एसआईडीएस का खतरा कैसे कम होता है

वैसे तो इस बात का कोई भी प्रमाण नहीं है कि बच्चे के कमरे में पंखा लगाने से उसे एसआईडीएस होने का खतरा कम रहता है पर निम्नलिखित कुछ चीजों के परिणामस्वरूप इसका खतरा कम हो सकता है, आइए जानें;

  • एसआईडीएस होने का सबसे मुख्य कारण कमरे में वेंटिलेशन न होना ही है। कमरे में एसी लगा होने का मतलब है कि यह पूरी तरह से बंद होना चाहिए और यह बच्चे के लिए क्लॉस्ट्रोफोबिक हो सकता है। कमरे में एक छोटी खिड़की खुली होने के साथ धीमी स्पीड में पंखा चलाने से कमरे में हवा का आदान प्रदान होता है और इससे वेंटिलेशन अच्छा रहता है।
  • कई आंकड़ों के अनुसार यह देखा गया है कि यदि पेरेंट्स बच्चे के कमरे की खिड़की खुली रखते हैं तो इससे एसआईडीएस के मामले लगभग 50% तक कम हुए हैं। वेंटिलेशन होने के साथ-साथ कमरे में कार्बन-डाई-ऑक्साइड का स्तर भी नियंत्रित होना जरूरी है। कमरे में वेंटिलेशन के साथ पंखा चलाने से बच्चे को सोते समय ऑक्सीजन मिलती है।

बचाव के लिए टिप्स

बच्चे के कमरे में सीलिंग फैन लगाने से पहले अक्सर पेरेंट्स सोचते हैं कि उसके लिए पंखा ज्यादा सही रहेगा या कूलर चुनना चाहिए। छोटे बच्चों के कमरे में एयर कंडीशनर के बजाय पंखा लगाना ज्यादा सही है। हालांकि बच्चे के लिए वातावरण को सुरक्षित और सेफ बनाने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे;

  • अक्सर पेरेंट्स बच्चे के कमरे में सीलिंग फैन के नीचे कुछ प्रकार के डेकोरेटिव आइटम्स या हैंगिंग ऑब्जेक्ट्स टांगना पसंद करते हैं। पर इससे खतरा हो सकता है क्योंकि पंखे में टंगी हुई कोई भी चीज बच्चे के ऊपर गिर सकती है।
  • इस बात का ध्यान रखें कि हर महीने सीलिंग फैन साफ होना चाहिए ताकि पंखे के ब्लेड व अन्य जगहों पर कोई भी गंदगी या धूल न जमी रहे।
  • यदि आप अपने बच्चे के कमरे में बेड रखना चाहती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि पंखा बेड से लगभग 5 फीट ऊंचा होना चाहिए। इससे बच्चा पंखे तक पहुँचने की कोशिश नहीं करेगा और उससे खेलेगा भी नहीं।
  • हो सकता है आप टेबल फैन लगाना चाहती हैं पर इसके बजाय सीलिंग फैन ही एक बेहतर ऑप्शन है क्योंकि बच्चे के लिए उस तक पहुँचने का कोई भी तरीका नहीं है। पर आप इस बात का ध्यान रखें कि पंखा किसी प्रोफेशनल द्वारा ही लगा होना चाहिए।
  • पंखे की स्पीड कम से मध्यम तक ही रखें ताकि इसकी आवाज कम से कम रहे और कमरे की हवा पूरी तरह से ठंडी हो।

सीलिंग फैन एयर कंडीशनर से ज्यादा बेहतर हैं तो आप अपने बच्चे को सीलिंग फैन वाले कमरे में ही सुलाएं क्योंकि इससे बच्चे को एसआईडीएस का खतरा कम रहता है। हवा को अधिक ठंडा करने के लिए आर्टिफिशियल तरीकों के बजाय नेचुरल तरीकों का उपयोग करें ताकि बच्चे को बेहतर सुरक्षा मिल सके। 

यह भी पढ़ें:

नवजात शिशु के लिए रूम टेम्परेचर – सुरक्षित तापमान क्या है?
क्या शिशु के कमरे में कूलर या एसी का इस्तेमाल करना चाहिए?

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

4 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

4 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

4 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

6 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

6 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

6 days ago