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निर्णय करने की क्षमता होना, पेरेंट्स बनने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। नए माता-पिता को अनगिनत मुश्किल निर्णय लेने पड़ते हैं। इनमें से एक होता है, कि बच्चे को अपने साथ सुलाएं या न सुलाएं। हो सकता है, कि आपने अपने बच्चे को सुलाने की जगह पहले से ही तय कर रखी हो। लेकिन कई बार बच्चे आपके साथ सोने के लिए जिद कर सकते हैं।
नवजात शिशु को अपने सीने पर सोने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, क्योंकि, इससे एसआईडीएस जैसी दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, अपने बच्चे को अपने सीने पर न सोने देने का नियम लागू करना सबसे अच्छा है। बच्चे को अपनी छाती या सीने पर सुलाना या एक साथ सोना, बच्चे के साथ अपने संबंधों में मजबूती लाने का एक अच्छा तरीका लग सकता है, लेकिन यह खतरनाक हो सकता है। आप बेबी को सुलाने के लिए झुलाती होंगे, पर जैसे ही आप उसे नीचे रखती हों, वह उठ जाता है। यही कारण है, कि कई लोग बच्चे को सुलाने के लिए अपने सीने पर रखते हैं या उनके साथ सोते हैं। पर यह बच्चे के लिए वाकई बहुत खतरनाक हो सकता है। सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) का खतरा बढ़ने के अलावा, इससे एक्सीडेंट होने या दम घुटने का खतरा भी बढ़ जाता है।
अगर आपका बच्चा आपके सीने पर सोना चाहता है, तो ऐसी कुछ चीजें हैं जो आप कर सकते हैं:
अगर आपने अब तक इसे नहीं आजमाया है, तो आपको निश्चित रूप से बच्चे को स्पेशल महसूस कराने का यह तरीका अपनाना चाहिए। वह कई महीनों तक आपके गर्भ में रह रहा था और उसे उस आराम और गर्माहट के एहसास की आदत हो चुकी है। बेबी को कपड़े में लपेटने से या उसे स्वैडल करने से, उसे उसी अनूठी अनुभूति का एहसास होता है, जिससे उसे सोने में मदद मिलती है।
कुछ बच्चों को क्रिब काफी बड़ा लग सकता है और इसलिए वे ठीक से सो नहीं पाते हैं। इस कारण से भी वे अपने पेरेंट्स के सीने पर सोना चाहते हैं। कई परिवारों के लिए एक साथ सोना या बिस्तर शेयर करना एक विकल्प हो सकता है और आप एक डॉक-अ-टॉट के इस्तेमाल से सुरक्षित रूप से बच्चे को अपने पास सुला सकती हैं, जो कि एक इन-बेड को-स्लीपर होता है। इस तरह से आप सुरक्षित रूप से अपने ही बिस्तर पर अपने बच्चे को सुला सकते हैं।
अगर आपका बच्चा 4 महीने से अधिक का है और आप उसे स्वैडल नहीं कर सकती हैं, तो आप जिपाडी-जिप जैसे स्वैडल ट्रांजिशन प्रोडक्ट को आजमा सकती हैं। जब बेबी का मोरो रिफ्लेक्स बरकरार हो, तब यह बहुत उपयोगी होता है।
जब बच्चे काफी छोटे होते हैं, तब कई परिवार इस रॉक एंड प्ले तरीके को अपनाते हैं। अगर बच्चा 4 साल से छोटा है, तो यह तरीका आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। हालांकि ऐसा भी हो सकता है, कि बच्चे को इस तकनीक की आदत हो जाए और इससे बाद में सोने में तकलीफ हो। पर ध्यान रखें, कि यह तरीका समतल और मजबूत नहीं होता है, इसलिए इसे सबसे सुरक्षित सुलाने का तरीका नहीं माना जाता है। अगर आपको लगता है, कि बच्चे के सोने के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
बच्चा आपके सीने पर सोना चाहता है, इसका एक कारण आपके दिल की धड़कन भी हो सकती है। आपके बेबी ने कई महीनों तक आपके दिल की धड़कन सुनी है, इसके कारण हो सकता है, कि वह आपके सीने पर सोना चाहता हो। इसलिए आप दिल की धड़कन की आवाज वाली व्हाइट नॉइज मशीन का इस्तेमाल कर सकती हैं। यह सबसे बेहतरीन विकल्प नहीं भी हो सकता है, पर इससे आपको कुछ हद तक मदद मिल सकेगी।
अगर आपके बच्चे की उम्र 4 महीने से अधिक है, तो आपको उसे सोने की ट्रेनिंग देने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चा किसी दूसरी सतह पर सोने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि उसे कोई फर्क या परेशानी नहीं पता है। कई बच्चों को दूसरी जगहों पर स्वतंत्र रूप से सोना सीखने की जरूरत होती है।
अगर आप या आपके पति शराब पीते हैं या धूम्रपान करते हैं, तो ऐसे में बच्चे को अपने सीने पर सुलाने या अपने साथ सुलाने की सलाह नहीं दी जाती है। अगर आप बहुत अधिक थकी हुई हैं या बच्चा प्रीमैच्योर है, तब भी ऐसा नहीं करना चाहिए। बच्चे को बिना किसी कंबल या तकिए के क्रिब में सुलाना सबसे बेहतर होता है। इससे दम घुटने का खतरा कम हो जाता है। जो पेरेंट्स सोने के दौरान अपने बच्चे के साथ रहना चाहते हैं, उनके लिए एक ही कमरे में सोना सबसे बेहतर है। क्रिब को अपने नजदीक रखें, ताकि वह आपके पास रहे और इस तरह से आप एसआईडीएस के खतरे को भी कम कर सकती हैं।
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