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खांसी और जुकाम, शिशुओं और छोटे बच्चों को होने वाली सबसे आम बीमारियां हैं। बच्चों का इनका शिकार होना सामान्य है, लेकिन क्या हर बार ऐसा होने पर उन्हें खांसी और जुकाम की दवा देनी चाहिए? बच्चों को बहुत सी दवाएं देना अच्छा नहीं होता है और छोटे बच्चों के मामले में खुद दवा देने से बचना चाहिए। तो ऐसे में, आपको क्या करना चाहिए? इस लेख को पढ़ें और शिशुओं और बच्चों को दवा देने से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से जानें।
शिशुओं और छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा देना अच्छा नहीं होता है, क्योंकि, खांसी और जुकाम के लिए दी जाने वाली दवाएं दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। साथ ही, यह भी साबित हो चुका है, कि खांसी और जुकाम की दवाएं बच्चों के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदायक होती हैं। इसके अलावा, बच्चों को ऐसी दवाएं केवल तभी देनी चाहिए, जब डॉक्टर ने इन्हें प्रिसक्राइब किया हो।
आपको अपने बेबी या टॉडलर को खांसी-जुकाम की निम्नलिखित दवाएं देने से बचना चाहिए :
खांसी-जुकाम की दवा से कभी-कभी दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गंभीर खतरा हो सकता है। कन्वल्जन्स या तेज हृदय गति, जैसे कुछ साइड इफेक्ट्स शिशुओं और बच्चों को हो सकते हैं। साथ ही, ओवरडोज या एक जैसे इनग्रेडिएंट्स वाली दो या दो से अधिक ओवर-द-काउंटर दवाएं देने पर खतरनाक साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। ऐसे कोई पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण भी उपलब्ध नहीं हैं, जो कि यह साबित कर सकें, कि जुकाम को ठीक करने में जुकाम की दवाएं उपयोगी होती हैं। इसलिए, इससे होने वाले संभावित खतरों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को खांसी और जुकाम की दवाएं नहीं देनी चाहिए।
अपने नन्हे शिशु को खांसी और जुकाम की कोई भी दवा देने से पहले नीचे दिए गए बिंदुओं पर विचार करें:
ज्यादातर मामलों में, शिशुओं और बच्चों में खांसी और जुकाम के लक्षण सौम्य होते हैं और कुछ दिनों में वे अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। इसलिए, उन्हें कोई दवा देने के बजाय आप दूसरे विकल्प भी आजमा सकती हैं। ऐसी कई घरेलू दवाएं होती हैं, जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को बेहतर महसूस करने में मदद कर सकती हैं।
यहाँ पर कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को खांसी और जुकाम के लक्षणों से आराम दिलाने में मदद कर सकती हैं:
खांसी और जुकाम के लिए नींबू और शहद बेहतरीन दवा है। दिन में तीन बार एक बड़ा चम्मच इसे पिलाया जा सकता है। गुनगुने पानी में शहद मिलाकर देना भी एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, बोटूलिज्म के खतरे से बचने के लिए एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए।
यह युगों पुरानी दवा कई जेनरेशन से चली आ रही है। आपको केवल एक गिलास दूध में एक चुटकी हल्दी का पाउडर डालना है और सोने से पहले बच्चे को देना है। आप मिठास के लिए इसमें थोड़ा गुड़ भी डाल सकती हैं।
जुकाम पैदा करने वाले कीटाणुओं को मारने में विटामिन ‘सी’ बेहतरीन रूप से काम करता है। बेहतरीन नतीजों के लिए, अपने बच्चे को नियमित रूप से ऑरेंज जूस के कुछ घूंट पीने को दें। लेकिन अगर आपके बच्चे का गला खराब है, तो इससे बचना ही बेहतर होगा।
सूप की गर्माहट से बंद नाक खोलने में मदद मिलेगी और बच्चा आसानी से सांस ले पाएगा। साथ ही, इसके एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण, खांसी से जूझ रहे बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
चाय के साथ थोड़ी अदरक उबालें और अपने बच्चे को इसके कुछ चम्मच पिलाएं। एक साल से कम उम्र के शिशु कुछ चम्मच चाय पी सकते हैं और बड़े बच्चों को एक छोटा कप अदरक वाली चाय दी जा सकती है।
ओवर-द-काउंटर दवाओं को डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के बिना दिया जा सकता है। लेकिन, अगर आप दवा देने के सही तरीके को नहीं जानते हैं, तो इसे अपने बच्चे को देने से बचें। कई डॉक्टर यह मानते हैं, कि 2 साल से कम उम्र के शिशु और बच्चे को खांसी और जुकाम की दवा तब तक नहीं देनी चाहिए, जब तक कि यह बेहद जरूरी न हो जाए। इसलिए, एक या दो साल तक के बच्चों को, डॉक्टर की सलाह के बिना खांसी और जुकाम की दवा देने के दौरान, आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि, खांसी और जुकाम की अधिकतर दवाओं के लेबल पर दी गई खुराक की जानकारी, वजन के अनुसार होती है, उम्र के अनुसार नहीं। जिसके कारण इसे समझना पेरेंट्स के लिए मुश्किल हो सकता है। साथ ही, बच्चे को ये दवाएं केवल इसलिए नहीं देनी चाहिए, कि ये आसानी से उपलब्ध होती हैं। क्योंकि सभी मामलों में इन्हें रेकमेंड किया जाए, ऐसा जरूरी नहीं है।
पेरेंट्स के लिए, यह समझना अक्सर मुश्किल हो सकता है, कि अपने बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर कब जाएं। इसके लिए, आप एक साधारण नियम का पालन कर सकती हैं, कि अगर आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं या आपको उसकी फिक्र हो रही है, उसकी स्थिति चिंताजनक लग रही है, तो ऐसे में उसे खुद दवा देने से पहले, आपको उसे डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए। शिशु और छोटे बच्चे अपने दर्द और तकलीफ को बता नहीं सकते हैं और कभी-कभी गंभीर संकेत और खतरे नजरअंदाज हो जाते हैं। अगर आपके बच्चे की नाक बंद है, तो इससे बच्चे की नींद खराब हो सकती है और इससे वह चिड़चिड़ा और परेशान हो सकता है। इसलिए उसकी इस तकलीफ को जल्द से जल्द आराम दिलाने के लिए, बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाएं। इसके अलावा डिहाइड्रेशन भी चिंता का एक कारण हो सकता है। बच्चे के सूखे हुए मुँह को देखकर, उसमें डिहाइड्रेशन का पता लगाया जा सकता है। रोने के दौरान उसके आंसू कम हो सकते हैं, वह थका हुआ दिख सकता है और उसमें कुछ अन्य संकेत भी दिख सकते हैं। अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिखते हैं, तो उसे पानी दें और उसे खांसी और जुकाम की कोई भी दवा देने के बजाय मेडिकल मदद लें।
अगर आप तुरंत सही कदम उठाती हैं और घरेलू दवाओं का चुनाव करती हैं, तो बच्चे में खांसी और जुकाम को ठीक करने के लिए आपको उसे कोई भी दवा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, अगर बच्चा बीमार दिख रहा है और घरेलू दवाएं देने के बाद भी उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो आपको अपने बच्चे के डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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