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पेरेंट्स का काम सबसे ज्यादा कठिन होता है और जुड़वां बच्चों के पेरेंट्स होना वास्तव में एक चैलेंज है। यदि आपके जुड़वां बच्चे हैं तो उन्हें दूध पिलाने से लेकर देखभाल करने और उन्हें सुलाने तक आपको दो बार सोचने की जरूरत है। कई पेरेंट्स सोचते हैं कि क्या जुड़वां बच्चे एक साथ क्रिब में सो सकते हैं या उन्हें अलग-अलग बेड में सुलाना चाहिए या उनका पालन पोषण अलग-अलग कमरों में करना चाहिए। बड़े होने के बाद अलग-अलग कमरे में रहने का निर्णय आप बाद में भी ले सकती हैं पर बच्चों को साथ में सुलाने से हानि भी हो सकती है और इसके फायदे भी हैं।
इस सवाल के कई जवाब है और यह बहुत सारी चीजों पर निर्भर करता है। आमतौर पर हाल ही में जन्मे जुड़वां बच्चों को अलग करने में दिक्कत नहीं है। बच्चों का मूवमेंट हर प्रकार से बाधित होता है और इस बात की बहुत कम संभावनाएं होती हैं कि वे एक दूसरे को डिस्टर्ब करें। यह तब भी होता है जब एक बच्चा रो रहा हो और एक सो रहा हो क्योंकि बच्चे गहरी नींद व आसानी से सो जाते हैं। हालांकि बढ़ते जुड़वां बच्चे एक दूसरे को डिस्टर्ब करना शुरू कर देते हैं और तब आप दोनों को अलग-अलग सुलाने का निर्णय ले सकती हैं।
बच्चों को एक ही क्रिब में सुलाने या एक कमरे में रखने के कई फायदे हैं, आइए जानें;
बच्चों का साथ में सुलाना अच्छा है। हालांकि इससे जुड़वां बच्चों को समस्याएं शुरू हो सकती हैं विशेषकर तब जब वे बड़े होने लगते हैं। वे कौन सी हानियां हैं, आइए जानें;
एक बेड पर साथ में सोने से शुरूआती दिनों में जुड़वां बच्चों को फायदे मिलते हैं। नई दुनिया में जन्म लेने के बाद बच्चे को शुरूआत में सुरक्षा और सुविधा का एहसास होना बहुत जरूरी है। जुड़वां बच्चे होने से दोनों बच्चों को बाद में भी गर्भ में रहने जैसा ही महसूस होगा और दोनों बच्चे शांत रहेंगे। इससे बच्चों को बढ़ने में मदद मिलेगी और बाद में आप उन्हें अलग-अलग बिस्तर में सुलाना शुरू कर सकती हैं।
बच्चों के लिए बदलाव करना सिर्फ आपका निर्णय है या उनका विकास होने के बाद आप यह निर्णय ले सकती हैं। क्योंकि इससे बच्चे लगातार रो सकते हैं या एक बच्चा गलती से दूसरे बच्चे को मार सकता है या दोनों को एक जैसी असुविधाएं हो सकती हैं।
जुड़वां बच्चों को साथ में सुलाने से एसआईडीएस होने का खतरा हो सकता है। सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम होने की वजह से पेरेंट्स बच्चों को अलग-अलग क्रिब या बेड में सुलाते हैं और दोनों को एक बेड में नहीं सुलाते हैं। हालांकि यही जुड़वां बच्चों के साथ भी होता है क्योंकि बच्चे अजीब तरीके से सोते हैं जिसकी वजह से बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और घुटन की वजह से मृत्यु भी हो सकती है।
यदि आपके जुड़वां बच्चे हैं तो बड़े क्रिब से आपको काफी फायदा मिलेगा। चूंकि क्रिब में जगह ज्यादा है इसलिए दोनों बच्चे साथ में रह सकते हैं। हालांकि यदि आप देखती हैं कि रेफ्लेक्सिव किकिंग की वजह से दोनों बच्चे एक दूसरे को मारते हैं या हाथ चलाते हैं या आपको जगह कम लगती है तो दोनों बच्चों को अलग-अलग सुलाने का यही सही समय है। आप बच्चों को अलग-अलग क्रिब में सुलाएं पर इस बात का ध्यान रखें कि दोनों को पूरे दिन साथ में ही रखें।
जुड़वां बच्चों को सुलाना कुछ पेरेंट्स के लिए बहुत ज्यादा और चैलेंजिंग हो जाता है। इससे संबंधित कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
जुड़वां बच्चों को सुलाने के तरीकों का पता लगा पाना कठिन है। जब तक बच्चे को आराम से सोने के लिए जगह मिल रही है तब तक दोनों को एक साथ सुलाया जा सकता है। दोनों का विकास साथ में होना दुर्लभ है और जुड़वां बच्चों का बॉन्ड पूरे जीवन के लिए बेहतर और स्ट्रॉन्ग रहेगा।
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