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गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए नाजुक समय हो सकता है, यहाँ तक कि किसी हेल्दी महिला की गर्भावस्था में भी कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं। इस समय आपको बहुत ज्यादा दर्द, क्रैम्पिंग और थकान हो सकती है। विशेषकर यदि आप गर्भवती हैं और आपको पहले से ही एक बच्चा है तो आपके लिए इनमें से कोई भी चीजें सही नहीं हैं। 1-2 साल के बच्चे को गोद में उठाना पेरेंट्स के लिए एक आम बात है। हालांकि यदि आप गर्भवती हैं तो इससे आपको खतरा भी हो सकता है इसलिए इससे संबंधित रिस्क व गर्भावस्था के दौरान बच्चे को उठाते समय आपको क्या करना चाहिए, यह सब समझना भी जरूरी है।
यदि कोई खतरा नहीं होता है तो गर्भावस्था में भी आप बच्चे को गोद में ले सकती हैं पर इसके लिए आपको यह जानना जरूरी है कि क्या यह आपके लिए सुरक्षित है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान शरीर को किसी भी प्रकार का स्ट्रेस देना सही नहीं है और इस समय यह सलाह दी जाती है कि आप दोनों बच्चों की सुरक्षा के लिए अपने टॉडलर को गोद में न लें। पहली तिमाही में बिना स्ट्रेन के बच्चे को उठाना सुरक्षित है पर दूसरी तिमाही में आप अपने बच्चे को गोद में तभी लें जब वह 13 किलो से कम हो।
गर्भावस्था के दौरान बच्चे को गोद में उठाने से खतरा हो सकता है इसलिए आपको यह जानना जरूरी है कि डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान बच्चे को उठाने के लिए क्यों मना करते हैं या सेफ्टी टिप्स फॉलो करने को कहते हैं। सेफ्टी टिप्स फॉलो करने से आपके दोनों बच्चों को बड़ा जोखिम हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान जब आपको तनाव या थकान होती है तो यहाँ तक कि बच्चे का वजन उठाने से भी आपके शरीर पर बहुत ज्यादा स्ट्रेस आ सकता है जिससे आपका मिसकैरेज हो सकता है।
ऐसा भी हो सकता है कि आप थकान और तनाव के कारण बच्चे को कसकर न पकड़ पाएं जिसकी वजह से आप गिर भी सकती हैं और बच्चे को चोट भी लग सकती है।
गर्भावस्था के दौरान बच्चे को उठाते समय आपको अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, वर्टिगो और इसमें गिरने की भी संभावनाएं हैं।
बच्चे को सुरक्षित तरीके से उठाने के लिए यहाँ कुछ सेफ्टी टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें;
इस बारे में आप डॉक्टर से बात करें और नियमित रूप से शुगर और ब्लड प्रेशर का चेकअप कराएं। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की बिना सलाह लिए बच्चे को गोद में न उठाएं।
गर्भावस्था के दौरान न्यूबॉर्न बेबी को गोद में लेते समय आप उन बातों का भी ध्यान रखें जो ऊपर नहीं बताई गई हैं। इससे बच्चे को उठाते समय आपको और बच्चे को कोई भी हानि नहीं होगी।
विशेषकर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बच्चे को गोद में तब तक न उठाएं जब तक यह बहुत ज्यादा जरूरी न हो क्योंकि इस समय आपके शरीर में पहले से ही तनाव है। यदि आपने ध्यान नहीं दिया तो शरीर पर ज्यादा स्ट्रेस डालने से गर्भ में पल रहे बच्चे, टॉडलर या आपको हानि हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि आप सुविधाजनक पोजीशन में बैठकर ही बच्चे को गोद में लें। यदि आपने बैठकर बच्चे को गोद में लिया हुआ है और उसे कहानी पढ़ा रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप उसे थोड़ी देर के लिए रोजाना इसी समय पर बैठाएं क्योंकि इससे आपका एक रूटीन बनेगाऔर बच्चे को समझ में आएगा कि उसे हमेशा गोद में नहीं लिया जा सकता है। बैठकर बच्चे को गोद में लेने से आपकी एनर्जी बचती है और बच्चा भी सुरक्षित रहता है।
बच्चे को गोद में लेना उसके विकास का ही एक भाग है और यह प्रमाणित भी है कि शुरू से ही जब दोनों पेरेंट्स से बच्चे को बहुत ज्यादा शारीरिक स्पर्श महसूस होता है तो वह मानसिक रूप से ठीक रहता है। हालांकि यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को अन्य एक्टिविटीज में व्यस्त रखें ताकि उसे गोद में कम लेना पड़े, इसमें कुछ एक्टिविटीज हैं जैसे बच्चे को रोजाना अपने साथ म्यूजिक सुनाएं, उससे बातें करें और उसे अपना क्वालिटी टाइम दें। यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे से जुड़े रहने के लिए कोई न कोई तरीका खोजती रहें। यह भी प्रमाणित है कि यदि बच्चा किसी एक्टिविटी में व्यस्त रहता है तो वह कम रोता और कम चिड़चिड़ाता है। गर्भावस्था के दौरान बच्चे को बिना गोद में लिए किन एक्टिविटीज में व्यस्त रखा जा सकता है, इस बारे में डॉक्टर से बात करें।
बच्चे को गोद में लेना उसके व आपके बीच प्यार का ही एक संकेत है और यह बहुत जरूरी भी है। पर प्यार दिखाने का सिर्फ यही एक तरीका नहीं है, आप कई तरीकों से अपने बच्चे को प्यार दिखा सकती हैं और उसके साथ जुड़ाव रख सकती हैं। बच्चे के साथ प्यार और जुड़ाव बनाए रखने के लिए आप उसके माथे या गालों पर किस करें, बैठे हुए उसे गले से लगाएं, उसे खाना खिलाएं, उसके साथ खेलें, उसके साथ म्यूजिक सुनें या उसके साथ कहानियां पढ़ें। बच्चे को शुरू में प्यार दिखाना बहुत जरूरी है ताकि उसका विकास मानसिक रूप से ठीक होता रहे। यदि आप अपने बच्चे को अलग-अलग तरीकों से प्यार दिखाती हैं तो वह अन्य लोगों का प्यार भी समझ पाएगा और उनके साथ एक हेल्दी व भावनात्मक संबंध बना पाएगा। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को प्यार दिखाने के कई तरीके हैं। यदि आपको लगता है कि जब तक आप उसे गोद में न लें तब तक बच्चा ध्यान नहीं दे रहा है तो यह उसकी जरूरत से ज्यादा इनसिक्योरिटी यानी असुरक्षा की भावना हो सकती है। बच्चे को प्यार दिखाने के अलग-अलग तरीके जानने के लिए चाइल्ड केयर स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।
आपको यह समझना चाहिए कि बच्चे के शुरुआती विकास के दौरान आप कुछ समय के लिए उसे गोद में ले सकती हैं पर ज्यादातर आपको यह मानना होगा कि आप उसे बाकी सभी सुविधाएं दे रही हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप बच्चे को गोद में नहीं ले पाती हैं तो भी कोई बात नहीं और इसके लिए आप कोई भी अफसोस न करें विशेषकर तब जब आप गर्भवती हैं।
यह बात याद रखें कि जब आप गर्भवती हैं और आपको पहले से एक बच्चा भी है तो आपको तीन जीवन की देखभाल करनी है। इसलिए आप उसकी और अपनी अच्छी हेल्थ के लिए सभी सावधानियां बरतें। आप अपने पार्टनर या केयर गिवर से जितनी चाहे उतनी मदद मांग सकती हैं। डॉक्टर से सलाह लें, सभी आवश्यक टेस्ट करवाएं और बच्चे को बार-बार उठाकर खुद को बहुत ज्यादा स्ट्रेस या थकान न आने दें।
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