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ये कहानी परियों की नगरी में रहने वाली एक शरारती लाल परी की है। लाल परी की शरारत की वजह से रानी परी ने उसे परीलोक से बाहर निकाल दिया था। जब लाल परी धरती पर पहुंची, वहां उसकी मुलाकात सोनी नाम की एक लड़की से हुई जिसने परी को उसकी गलती का एहसास दिलाया और अपने सच्चे मन से माफी माँगने के लिए प्रेरित भी किया। ऐसे में लाल परी ने क्या सोनी की बात मानी होगी? ये जानने के लिए कहानी को अधूरा न छोड़े और पूरा जरूर पढ़ें।
वर्षों पहले की बात है, परियों की नगरी में एक लाल परी रहा करती थी। कुछ समय बाद राजमहल में एक जश्न की तैयारियां चल रही थी। लेकिन एक दिन किसी बात को लेकर रानी परी ने लाल परी को महल से बाहर निकाल दिया। इसके बाद उदास लाल परी धरती पर एक बाग़ में आकर छिप गई। उस बाग में बहुत सारे बच्चे मौजूद थे, जो आपस में खेल रहे थे। उन बच्चों को खेलता देख लाल परी अपना गम भूल गई।
उस समय सोनी नाम की एक लड़की की नजर खूबसूरत सुनहरे लाल पंखों वाली लाल परी पर पड़ी। सोनी को लगने लगा शायद वो कोई फल है और उसको लेने वह उसके पास चली गई। सोनी ने जैसे ही लाल परी को देखा, वो खुश होकर जोर से चिल्लाने लगी।
सोनी की आवाज सुनते ही वहां खेल रहे सभी बच्चे उसके पास पहुंच गए। लाल परी ने बहुत सुंदर लाल रंग का वस्त्र पहन रखा था, उसके पंख भी लाल थे और उसने सिर पर लाल रंग का मुकुट पहना हुआ था। लाल परी ने सभी बच्चों को अपने बारे में बताया। उसकी बात सुनने के बाद सभी बच्चे खुशी से झूमने लगे।
बच्चों ने अपनी दादी और नानी की कहानियों में सुना था कि लाल परियां आपकी सारी इच्छाएं पूरी करती है। इसी कारण बच्चे उसे देखकर बहुत खुश हुए और अपनी मनोकामनाएं बताने लगें। चिंटू नाम के लड़के की इच्छा को पूरा करने के लिए लाल परी ने अपनी जादुई छड़ी उठाई और वह आसमान की सैर कर के जमीन पर आ गया। लाल परी से सोनी की रसीले आम की इच्छा को भी पूरा किया। इसके बाद लाल परी ने अपनी जादुई छड़ी से बाग के सभी फूलों में रौशनी डाल दी और वह जगमगाने लगे। बच्चे लाल परी के जादुई करतब से बहुत खुश थे और लाल परी भी अपने महल के उत्सव और बाहर निकाले जाने वाले दुख को भूल गई थी।
कुछ समय बाद फूलों का चमकना बंद हो गया और आसमान में तारे चमकने लगे। रात हो गई और बच्चे भी अपने-अपने घर जाने लगे। बच्चों के जाने के बाद लाल परी एक बार फिर से उदास महसूस करने लगी। लेकिन सोनी ने लाल परी से उसकी उदासी का कारण पूछा।
लाल परी ने भी सोनी को रानी परी की सभी बातें बता दी। ये सुनकर सोनी बोली, “आपने जरूर कोई शैतानी की होगी, इसलिए रानी परी ने ऐसा दंड दिया। मैं भी जब कोई शैतानी करती हूं, तो मेरी माँ भी मुझे सजा देती है।” लाल परी अपनी सफाई में बोली, “नहीं, मैंने कोई ऐसी शरारत नहीं की थी।” लाल परी की बातों को सुनकर सोनी मुस्कुराने लगी और कहने लगी, “कोई तो गलत हरकत की होगी!”
सोनी की बात सुनने के बाद लाल पारी ने शर्म से अपनी नजरे नीची कर ली और नजरे चुराते हुए बोली, “हां, मैंने एक शरारत जरूर की थी! महल में नोटू बौना सीढ़ी लगाकर महल की सबसे बड़ी और ऊंची घड़ी की सफाई कर रहा था, तभी मैंने उसकी सीढ़ी हिला दी जिसके बाद नोटू घड़ी की बड़ी सुई से लटक गया और वह टूट गई।”
“उस घड़ी के रुकने के कारण परीलोक में सब कुछ थम गया। इसके बाद रानी परी ने अपनी जादुई ताकत से सब पहले जैसा किया। लेकिन गुस्से में आकर उन्होंने मुझे महल के बाहर जाने का आदेश दिया। जबकि, मैंने तो कोई गलती की भी नहीं, नोटू बौने ने सुई तोड़ी थी।”
लाल परी की बातों को सुनने के बाद सोनी ने कहा, “मेरी माँ कहती है यदि हम अंजाने में कोई गलती करते हैं, तो उसके लिए माफ किया जा सकता है लेकिन यदि गलती जानबूझकर की गई है, तो उसके लिए दंड जरूर मिलता है। तो आप ये सच बताओ कि आपने वो सीढ़ी जानबूझकर हिलाई या गलती से हिल गई थी?”
लाला परी अफसोस जताती हुई आवाज में कहा- “जानबूझकर, यदि मैं रानी परी से अपनी इस गलती के लिए माफी माँग लू, तो क्या वो मुझे माफ करेंगी?” सोनी बोली -“हां जरूर, मेरी माँ ने कहा है यदि आप सच्चे दिल से कोई काम करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।” इसके बाद लाल परी ने सोनी से कहा कि वह उसकी तरफ से अपनी माँ को धन्यवाद कहे और अपनी जादुई छड़ी की मदद से सोनी को उसके घर भेज दिया।
सोनी की माँ के विचारों को सुनने और समझने के बाद लाल परी ने कोई शरारत नहीं करने और परीलोक की सबसे अच्छी परी बनकर रहने रहना का फैसला किया। इसके बाद लाल परी आसमान में उड़कर अपने परीलोक पहुंची रानी परी से अपनी गलती की माफी मांगी। लाल परी ने सच्चे मन से माफी मांगी और रानी परी ने उसको तुरंत माफ कर दिया।
लाल परी की कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि कभी भी किसी को बिना वजह या जानबूझकर परेशान नहीं करना चाहिए। यदि आपको अपनी गलती का अहसास है, तो सच्चे मन से माफी मांगे, क्योंकि सच्चे मन से किया गया काम हमेशा बेहतर ही होता है।
लाल परी की कहानी परी की कहानियों के अंतर्गत आती है। ऐसी कहानियां बच्चों को बहुत पसंद आती है।
लाल परी कहानी की नैतिकता ये है कि हमें जानबूझकर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और यदि आपसे कोई गलती हो गई है तो साफ मन से उसकी माफी जरूर माँगनी चाहिए।
जो भी काम सच्चे मन से किया जाता है, वो भले थोड़ा समय ले लेकिन सफल जरूर होता है। इसलिए किसी भी कार्य को करते समय अपना मन और दिल दोनों साफ जरूर रखें।
इस कहानी का ये निष्कर्ष निकलता है कि जानबूझकर किसी को परेशान नहीं करना चाहिए और यदि आपसे गलती हो गई है, तो उसके लिए सच्चे दिल से माफी माँगे। क्योंकि सच्चे मन से किया गया कोई कार्य गलत नहीं होता है। ऐसा करने से सामने वाला आप पर एक बार फिर से भरोसा कर पाएगा और आपको माफ भी कर देगा। जैसे रानी परी ने लाल परी को सच्चे मन से माफी माँगने पर माफ कर दिया।
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