गर्भावस्था

लेबर का समय कम करना

लेबर में जाना कभी भी आसान नहीं रहा है और इसके लिए देखभाल की योजना करना व इसकी प्रक्रिया के बारे में समझना बहुत जरूरी है। यह करने के लिए गर्भवती महिला को अपने बारे में सही फैक्ट्स पता होने चाहिए ताकि वह लेबर के लिए पूरी तरह से तैयार हो सके। 

लेबर से संबंधित कुछ सवालों के जवाब निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

लेबर आमतौर पर कब शुरू होता है?

कुछ लोग पहली बार संकुचन या थैली फटने को लेबर की शुरूआत का संकेत समझ लेते हैं। हालांकि वैज्ञानिक रूप से जब सर्विक्स 3 सेंटीमीटर से 4 सेंटीमीटर तक फैल जाता है तब लेबर शुरू होता है। इसे लेबर का एक्टिव चरण या शुरूआती चरण कहते हैं। 

यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस दौरान आपको एक दिन पहले या रात में संकुचन के साथ बहुत ज्यादा दर्द भी महसूस होगा जो पूरी तरह से नॉर्मल है और इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। 

सामान्य लेबर कितने समय तक चलता है?

लेबर का कोई निर्धारित समय नहीं है पर कुछ कारकों की वजह से यह आमतौर पर कम से कम 8 घंटे तक चलता है। पहली बार एक्टिव लेबर होने का ज्यादा से ज्यादा समय 18 घंटों तक भी चल सकता है। पहली बार बनी मांओं के लिए यह चरण सबसे ज्यादा कठिन होता है क्योंकि उनके शरीर के लिए यह प्रक्रिया पूरी तरह से नई है। वहीं दूसरी ओर अनुभवी महिलाओं को लेबर का दर्द 4 से 5 घंटे तक होता है और यह ज्यादा से ज्यादा 12 घंटे तक भी चल सकता है। 

लेबर के दर्द से यह नहीं बताया जा सकता है कि डिलीवरी कितनी ज्यादा आरामदायक होगी। कई बार लेबर का कम समय होने पर भी महिला के शरीर को तकलीफ हो सकती है जबकि कभी-कभी ज्यादा देर तक लेबर होने के बावजूद महिला को सिर्फ थकान होती है। 

धीमा लेबर क्या है?

नॉर्मल लेबर में सर्विक्स 4 घंटे से ज्यादा समय तक 0.5 सेंटीमीटर प्रति घंटे पर फैलता है। यदि यह इससे कम दर में फैलता है तो इसे धीमा लेबर कहा जाएगा। डॉक्टर अक्सर 4 घंटे के अंतराल में बताते हैं कि लेबर धीमा होगा या नहीं। इससे ज्यादा लेबर को प्रेरित करने या सी सेक्शन डिलीवरी की जरूरत पड़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह प्रोसेस पहले दो घंटों तक सभी के लिए धीमा है और आमतौर पर अगले दो घंटों में गति पकड़ता है। 

कुछ मामलों में 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर पर हो रहे फैलाव को स्वस्थ व सामान्य माना जाता है। हालांकि सभी महिलाओं का लेबर उनके शरीर के अनुसार अलग होता है और इसलिए इससे संबंधित निर्णय हमेशा एक गर्भवती महिला ही लेती है। 

धीमा लेबर होने के कारण क्या हैं?

धीमा लेबर किसी विशेष कारण से ही होना जरूरी नहीं है। कभी-कभी यह प्राकृतिक रूप से भी धीमा हो सकता है और कभी-कभी यह बिना किसी दर्द के जल्दी भी हो जाता है। यह पूरी तरह से माँ और उसके शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। 

वहीं दूसरी तरफ धीमा लेबर होने के कुछ वास्तविक कारण भी हो सकते हैं, आइए जानें;

  • यदि संकुचन नॉर्मल हो रहा है और यह हर बार बहुत तेज नहीं होता है।
  • यदि आप बहुत ज्यादा थक जाती हैं या हाइड्रेटेड नहीं रहती हैं (पानी पीना बहुत जरूरी है)।
  • यदि बच्चा बैक टू बैक पोजीशन पर है। ऐसा क्यों होता है? यदि पेल्विस लंबी व सामान्य से ज्यादा पतली हो तो ऐसा होता है और इससे प्रोसेस ज्यादा कठिन हो जाता है।
  • यदि बच्चा सैक में घूम गया है तो इसके कारण भी पोजीशन बदल जाती है। गलत पोजीशन होने से भी लेबर में देरी हो सकती है।
  • किसी भी प्रकार की एंग्जायटी या डर से मांसपेशियां टाइट हो जाती हैं और इस वजह से भी लेबर की प्रक्रिया में देरी होती है।
  • मूवमेंट में बाधा या एपिड्यूरल से भी लेबर धीमा हो जाता है।

लेबर तेज कैसे करें?

लेबर की प्रक्रिया को तेज करने में कोई हानि नहीं है या यह कोई बेकार का विकल्प भी नहीं है और इससे डिलीवरी में भी आसानी हो सकती है। लेबर को तेज व ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए ये बहुत आसानी तरीके हैं। 

लेबर तेज करने के लिए क्या करें

1. वॉटर ब्रेक करना

लेबर शुरू होने पर कभी-कभी आपको भी यह पता नहीं चलता है कि लेबर नॉर्मल होगा या धीमा। पानी की थैली ब्रेक करने की सलाह नहीं दी जाती है और इसे जल्दबाजी में एक बेकार का निर्णय भी माना जाता है। एक बार जब लेबर का एक्टिव स्टेज सेटल हो जाता है और आपको पता चल जाता है कि यह धीमा होगा तो ऐसे समय पर वॉटर ब्रेक करना एक सही विकल्प है। इससे एक्टिव लेबर होने में मदद मिलेगी। 

यह प्रोसेस डॉक्टर या नर्स के द्वारा किया जाता है और इसे बिना सुपरविजन के नहीं करना चाहिए। यद्यपि इसमें असुविधाएं होती हैं पर प्रोसेस के दौरान दर्द नहीं होता है और इससे डिलीवरी भी आसान हो जाती है। डॉक्टर चेक करते हैं कि इस प्रोसेस से बच्चे को कोई भी असुविधा नहीं होनी चाहिए और इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि वॉटर ब्रेक करने के बाद संकुचन में दर्द होना चाहिए। इस दौरान आपको आराम के लिए दवा दी जा सकती है।

2. हॉर्मोन ड्रिप

कभी-कभी वॉटर ब्रेक करने या एक्टिव मूवमेंट से भी धीमा लेबर तेज नहीं हो पाता है। ऐसे समय पर डॉक्टर महिला को सिंटोसिनन से भरा हुआ हॉर्मोन ड्रिप लगाने की सलाह देते हैं। यह सिर्फ ऑक्सीटोसिन का एक प्रभावी व आर्टिफिशियल रूप है। 

हॉर्मोन ड्रिप से आपके शरीर में प्रभावी तरीके से हॉर्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है। इससे संकुचन का दर्द बढ़ता है जिसे मॉनिटर करने व ज्यादा से ज्यादा आराम देने की जरूरत होती है। सिर्फ यह ही नहीं बल्कि इस दौरान बच्चे के दिल की धड़कन और हेल्थ को भी मॉनिटर करने की जरूरत होती है ताकि कोई भी कॉम्प्लिकेशन न हो। इसलिए डॉक्टर हॉर्मोन ड्रिप लगाने से पहले अक्सर एपिड्यूरल देने की सलाह देते हैं। 

एपिड्यूरल क्या है?

यह एक ऐसा तरीका है जिसमें एक ट्यूब के माध्यम से दर्दनिवारक दवा शरीर में डाली जाती है और यह रीढ़ से जुड़ा होता है। यह शरीर व पेट के निचले हिस्से को कॉन्ट्रैक्शन के दर्द के लिए तैयार करता है। 

लेबर तेज करने के 8 तरीके

यदि आप लेबर तेज करने के प्राकृतिक तरीके खोज रही हैं तो यहाँ कुछ तरीके बताए गए हैं, आइए जानें;

  1. आप बिस्तर पर लेटे रहने या एक स्थिति में रहने के बजाय एक्टिव रहें और इधर व उधर टहलें। यह डायलेशन और मसल को लुब्रिकेट करने का एक बेस्ट तरीका है। लेबर को तेज करने के लिए कुछ एक्सरसाइज भी हैं, जैसे लंजेस और सीढ़ियां चढ़ना।
  2. ब्रेस्ट या निप्पल्स को सहलाने से भी हॉर्मोन्स बढ़ते हैं जिसकी वजह से कॉन्ट्रैक्शन तेज होता है।
  3. गुनगुने पानी से स्नान करने से आराम मिलता है और इससे संकुचन का दर्द कम होता है। इस मामले में आपको एपिड्यूरल की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  4. नियमित रूप से ब्लैडर खाली करें व पेशाब को न रोकें। यहाँ तक कि यदि आप लगातार बाथरूम का उपयोग करती है तो भी कोई बात नहीं क्योंकि भरे हुए ब्लैडर से लेबर की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
  5. यदि स्कैन में बच्चे की पोजीशन सही नहीं दिखाई देती है तो आप उसे पीछे की ओर सही पोजीशन में लाने के लिए एक साइड पर लेट जाएं।
  6. आप शरीर में ऑक्सीटोसिन रिलीज करने के लिए पति के साथ शारीरिक संबंध भी बना सकती हैं ताकि लेबर की प्रक्रिया तेज हो सके।
  7. स्क्वैटिंग से भी लेबर तेज होता है पर यह आपकी खुद की मदद के बिना नहीं होगा। यह लेबर को तेज करने का एक प्रभावी तरीका है।
  8. एक्यूप्रेशर के 3 मुख्य प्रेशर पॉइंट को दबाने से भी कॉन्ट्रैक्शन तेज होता है और प्रोसेस जल्दी शुरू हो जाता है। यह लेबर को तेज करने के मुख्य तरीकों की लिस्ट में जरूर होगा।

लेबर के लंबे समय से कैसे उबरें

लेबर का लंबा समय थका देने वाला होता है। इसे बेहतर बनाने के कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • आप किसी विश्वसनीय से अपनी पीठ, पैर और गर्दन में मालिश करने के लिए कहें ताकि नर्वस स्ट्रेस कम होने में मदद मिल सके।
  • आप समय-समय पर जूस और आइसोटोनिक ड्रिंक लेती रहें ताकि खुद को हाइड्रेटेड रख सकें।
  • आप अपनी पोजीशन बदलकर आरामदायक स्थिति में रहना न भूलें ताकि शरीर पर ज्यादा दबाव न पड़ सके।
  • अपना ध्यान दर्द से हटाएं और खुश व सकारात्मक रहें। किसी भी प्रकार की एंग्जायटी से मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं इसलिए दिमाग को शांत रखें।
  • खुद को शांत रखने के लिए रिलैक्सेशन व ब्रीदिंग के अलग-अलग तरीके भी होते हैं जिन्हें आप कर सकती हैं।
  • खुद को शांत रखने के लिए आप अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनें क्योंकि इससे दर्द को नजरअंदाज करने में मदद मिलेगी।
  • अपने हिप्स को पीछे व शरीर को आगे की ओर मूव करें क्योंकि इससे बच्चे को सर्विक्स की तरफ पुश करने व डायलेशन बढ़ाने में मदद मिलती है।

किसी भी स्थिति में आप खुद से पूरी जानकारी लें और इसके बारे में पूरी रिसर्च करें। इसके अलावा आप डॉक्टर से भी सलाह लेती रहें व बच्चे का वेलकम करते समय पूरी सावधानी बरतें। 

यह भी पढ़ें:

लेबर और डिलीवरी की तैयारी के स्मार्ट तरीके
प्रेसिपिटेट लेबर – कारण, लक्षण और कैसे मैनेज करें
फॉल्स लेबर और असली लेबर के बीच फर्क को कैसे पहचानें

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

20 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

20 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

20 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago