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आज कल त्वचा की देखभाल के लिए लोग केमिकल के प्रोडक्ट्स पर निर्भर हो गए हैं जो सिर्फ आपकी त्वचा के लिए ही नहीं बलि इस वातावरण के लिए भी हानिकारक हैं। इससे बहुत सारी समस्याएं होती हैं इसलिए लोग केमिकल से बने साबुन के बजाय नेचुरल साबुन का उपयोग करना पसंद करते हैं।
वैसे घर में साबुन बनाना असंभव लगता है पर यह सच है। फैट्स और ऑयल को लाइ नामक एल्कली पर मिलाया जाता है जिससे साबुन बनता है। साबुन को स्टेप बाइ स्टेप 4 प्रक्रिया से बनाया जाता है जिसमें पिघलाना और मिलाना, कोल्ड प्रोसेस, हॉट प्रोसेस और री-बैचिंग शामिल है।
सामग्रियों को पिघलाने के बाद मिलाकर साबुन बनाना बहुत आसान है क्योंकि इसमें सिर्फ पहले से बने हुए नेचुरल साबुन को दोबारा से पिघलाकर उसमें सुगंध मिलाई जाती है। कोल्ड प्रोसेस्ड एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें ऑयल और लाय का उपयोग करके साबुन बनाया जाता है। हॉट प्रोसेस में भी स्क्रैच का उपयोग किया जाता है जिसमें सभी सामग्रियां पॉट में पकाई जाती हैं। री-बैचिंग साबुन को ग्राइंड करने जितना ही सरल है और फिर इसे दूध या पानी में मिलाया जाता है।
यदि आप थोड़ा सा धैर्य रह सकते हैं और थोड़ा सा समय निकाल सकते हैं तो इससे आपकी हेल्थ को काफी फायदे होंगे।
होममेड साबुन में बेशक बहुत सारे गुण होते हैं तो एक कॉस्मेटिक्स साबुन में नहीं होते हैं। यदि फिर भी आप सोच रहे हैं कि आपको कॉस्मेटिक्स साबुन का उपयोग करना चाहिए यह घर में ही साबुन बनाना चाहिए तो यहाँ पर नेचुरल साबुनों के कुछ फायदे बताए गए हैं, आइए जानें;
नेचुरल साबुन को बनाने के लिए ऐसी सामग्री का उपयोग किया जाता है जो आपके शरीर व स्किन के लिए फायदेमंद होती है। इसमें उपयोग किए जाने वाले इंग्रेडिएंट्स पैराबिंस, पेट्रोकेमिकल्स आदि से बिलकुल अलग होते हैं। एन्वायरमेंटल वर्किंग ग्रुप के अनुसार ट्रिक्लोसन का उपयोग अनेक साबुनों में किया जाता है जिससे हॉर्मोन्स और रिप्रोडक्टिव सिस्टम में उल्टा प्रभाव पड़ता है।
कास्मेटिक साबुन में टॉक्सिक केमिकल होते हैं जो वातावरण को गंदा करते हैं और इसके टॉक्सिक केमिकल मिट्टी को भी दूषित करते हैं। वहीं दूसरी तरफ नेचुरल साबुन उन इंग्रेडिएंट्स से बनाया जाता है जिससे वातावरण को फायदे होते हैं और यह एक बेहतरीन ऑप्शन है।
कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री में केमिकल प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग भी की जाती है और यह अच्छे कारणों से की जाती है। नेचुरल साबुन से जानवरों पर टेस्टिंग करने की आवश्यकता नहीं होती है और इसमें किसी भी निर्दयी प्रक्रिया का उपयोग नहीं होता है।
नेचुरल साबुन एसेंशियल ऑयल से बनाए जाते हैं और इससे सिर्फ अच्छी सुगंध ही नहीं बल्कि एंटी-बैक्टीरियल व एंटीफंगल गुण भी मिलते हैं जो शरीर को फायदे पहुँचाते हैं।
हम सब जानते हैं कि साबुन अक्सर प्लास्टिक और अन्य पैकेजिंग मटेरियल में पैक किए जाते हैं जो बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं। सोच कर देखिए, पूरी दुनिया में कितने सारे साबुनों का इस्तेमाल होता है और जिनसे कचरा भी बढ़ता व इकट्ठा होता है। घर पर बने साबुनों को किसी प्लास्टिक में पैक करने की जरूरत नहीं है और इससे गंदगी भी कम होती है।
अगर आप साबुन में नेचुरल ऑयल का उपयोग करते हैं तो इससे नेचुरल सुगंध आएगी जो आपको पसंद आएगी और यह केमिकल के ऑयल की सुगंध से बिलकुल विपरीत है।
नेचुरल साबुन का पी.एच. स्तर लगभग 9 या 10 होता है जो एल्कलाइन श्रेणी के हिसाब से सही है और यह त्वचा के लिए सुरक्षित है।
नेचुरल साबुन बनाने के प्रोसेस में ग्लिसरीन का भी उपयोग किया जाता है और यह एक बेहतरीन मॉइश्चराइजर है। यह त्वचा में नेचुरल ऑयल को बनाए रखता है और इसे कोमलता प्रदान करने में मदद करता है।
मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर साबुन का ग्लिसरीन इसे बनाने के प्रोसेस में ही खत्म हो जाता है जिससे आपकी त्वचा ड्राई और इरिटेटेड हो जाती है। जाहिर अपनी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के लिए आपको अन्य मॉइस्चराइजर और लोशन का उपयोग करना पड़ता है। नेचुरल साबुन में ग्लिसरीन होता है जो साबुन बनाने के तरीके का ही एक भाग है और इससे त्वचा हाइड्रेटेड रहता है और आपको कोई अन्य प्रोडक्ट कर उपयोग करने की जरूरत नहीं है।
नेचुरल बनाने के लिए कई तरीके हैं और आप इसके लिए किसी एक का उपयोग कर सकते हैं। आपके द्वारा बनाया हुआ साबुन अद्भुत होगा और इसमें आप अपने हिसाब से इंग्रेडिएंट्स मिला सकते हैं। इसे अलग टेम्प्रेचर में बनाया जाता है और ऐसा साबुन आपको कहीं भी नहीं मिलेगा।
होममेड साबुन में कई फायदे हैं और आप इन्हें बनाने की विधि बहुत आसानी से सीख सकते हैं। साबुन कैसे बनाया जाता है यह जानने के साथ-साथ आप इसमें अपनी पसंद के अनुसार इंग्रेडिएंट्स और सुगंध डाल सकते हैं।
यदि आप लाय का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो इसके बिना भी साबुन बनाने के कई तरीके हैं। आप साबुन को पिघलाने के बाद इसमें नए इंग्रेडिएंट्स मिला सकते हैं। इस प्रोसेस में साबुन के बेस का उपयोग किया जाता है जिसे पहले से ही सेप्नोफिकेट किया गया है और इसमें लाय का उपयोग नहीं करना पड़ता है।
इस साबुन की सुगंध मिट्टी सी होती है और शुरुआत में यह साबुन ठंडी प्रक्रिया की मदद से बनाया जा सकता है।
सामग्री
विधि
यह एलोवेरा साबुन एक सौम्य मिश्रण है आपके खूबसूरत चेहरे व संवेदनशील त्वचा के लिए।
सामग्री
विधि
यह आसान सी पिघलाने व मिलाने वाली विधि शुरुआत में प्रयास करने के लिए बेहतरीन है।
सामग्री
विधि
लैवेंडर का यह अनोखा मिश्रण उतना ही खुशबूदार होता है जितना आप चाहते हैं।
सामग्री
विधि
इस साबुन में बेहतरीन सुगंध के साथ एक्सफोलिएट करने के गुण भी हैं।
सामग्री
विधि
इस साधारण साबुन में दूध और शहद के प्राकृतिक गुण शामिल हैं और यह हनीकोंब जैसा दिखता है।
सामग्री
विधि
घर पर हर्बल साबुन बनाना एक चतुराई का काम है पर यह जरूरी है कि आप इसे बनाते समय समान रूप से सचेत रहें। घर में साबुन बनाना शुरू करने से पहले आप निम्नलिखित बातों पर ध्यान जरूर दें, आइए जानते हैं;
होममेड साबुन बनाने से वातावरण में कार्बन कम फैलता है और इसमें मौजूद इंग्रेडिएंट्स त्वचा को कई फायदे देते हैं। एक बार जब आप साबुन बनाने के प्रोसेस को जान लेंगे तो आप मार्केट से साबुन खरीदना बिलकुल भी नहीं चाहेंगे।
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