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तीज 2025 – तारीख, महत्व, परंपरा और रेसिपी आइडियाज

तीज एक हिंदू त्योहार है जो भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस दिन देश में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और राजस्थान की विवाहित महिलाएं व्रत और पूजा करके अपने पति की लंबी आयु और परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना करती हैं। सुहागिन महिलाओं का मानना ​​​​है कि इस दिन उपवास और शिव-पार्वती की पूजा करने से समृद्धि और सुखी वैवाहिक जीवन का फल मिलता है। क्या आप इस त्योहार के महत्व के बारे में और इसे मनाने के तरीकों के बारे में अधिक जानना चाहती हैं तो आगे पढ़िए!

तीज त्योहार के प्रकार

तीज साल में तीन बार अलग अलग जगहों में मनाई जाती है और इसके तीन अलग नाम भी हैं, आइए जानें;

1. हरतालिका तीज

भाद्रपद या भादो मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शिवजी की पूजा करती हैं। निर्जला व्रत वह होता है जिसमें न तो कुछ खाना होता है और न ही पानी पीना होता है। विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां अपनी इच्छा का वर पाने के लिए हरतालिका तीज का कठिन व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि मां पार्वती ने भगवान महादेव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए कई दिनों तक घोर वन में तप किया था और बालू से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पत्नी बनाने के लिए स्वीकार किया। उसके बाद माता पार्वती ने पूजा की सभी सामग्री नदी में प्रवाहित कर दी और अपना उपवास तोड़ा। हरतालिका तीज पर पूजा और व्रत के बाद अगले दिन ही कुछ खाया जाता है। नहा-धोकर और भोग लगाकर यह उपवास खोला जाता है। इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को पड़ रही है। 

2. हरियाली तीज

हरियाली तीज, जिसे सावन की तीज या छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है, सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं हरे रंग और लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां पहनती हैं और श्रृंगार करती हैं। वे व्रत और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करके अपने पति और संतान की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाओं को अपने पति, ससुराल वालों और परिवार के अन्य सदस्यों से उपहार मिलते हैं। इस तीज पर झूले झूलने का रिवाज है। हरियाली तीज पर कुछ विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं जो इसे और भी इस खास बना देते हैं। 

3. कजरी तीज

हरियाली तीज के दो सप्ताह बाद यानी सावन के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। इस दिन, महिलाएं सज-संवरकर पति की दीर्घायु के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं और कजरी व्रत रखती हैं। वे गाने गाकर, नाचकर और कई तरह से इस दिन का आनंद लेती हैं। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। 

तीज त्योहार की परंपरा और मनाने के तरीके

ये तीनों ही तीज सावन और भादो के महीनों में यानी जुलाई से सितंबर के बीच मनाई जाती है। कैलेंडर में इसकी तारीख देखने के लिए पूर्णिमा और अमावस्या के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है। तीज मनाने की परंपरा को प्रकृति के उत्सव से जोड़ा जा सकता है क्योंकि इस दौरान लगभग पूरे देश में मानसून होता है और सब तरफ हरियाली और समृद्धि दिखाई देती है। 

तीज के दिन सभी स्त्रियां आमतौर पर पारंपरिक लाल और हरे रंग की साड़ी पहनती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं और रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनती हैं।

इस त्योहार के मुख्य आकर्षण में से एक, तीज मनाने के पीछे की पौराणिक कथा है जो पूजा के बाद महिलाएं पंडित जी के द्वारा सुनती हैं या आपस में सुनाती हैं। शाम को तेल के दिए जलाए जाते हैं, कई जगहों पर औरतें लाल मिट्टी में पवित्र स्नान करती हैं और आकाश में चंद्रमा दिखाई देने पर अपना उपवास तोड़ती हैं। हालांकि हरतालिका तीज का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद तोड़ा जाता है। 

तीज के लिए विशेष पकवान

तीज कोई भी हो, मीठे और खास पकवान के बिना अधूरी है। वैसे तो व्रत करने वाली महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं पर बाकि घर के लोग पकवान का आनंद उठाते हैं और फिर व्रती महिलाएं अगले दिन उपवास खोलने के बाद इन पकवानों को ग्रहण करती हैं। 

यहां हम आपके लिए तीज पर बनने वाले कुछ विशेष पकवानों के बारे में जानकारी लाए हैं। 

1. स्नैक्स

तीज के दिन कई जगहों पर खस्ता-कचौरी बनाने का रिवाज है। इसमें आलू, प्याज, दाल, सूखे मेवे या मटर की स्टफिंग की जाती है। इसके अलावा मशरूम समोसा, मिर्ची वड़ा और राजमा कबाब जैसे स्नैक्स भी तीज के लिए पॉपुलर हैं। इन्हें चटनी के साथ खाया जाता है। चटनी के कुछ टेस्टी प्रकारों में नारियल और पुदीने की चटनी, धनिया की चटनी और टमाटर साल्सा डिप्स शामिल हैं।

2. मिठाइयां

भारत में कोई भी त्योहार या शुभ दिन हो, खीर इसका अभिन्न अंग है। चावल और सेवई के साथ ही आप साबुदाना की खीर और फलों की खीर भी बना सकती हैं। इसके साथ ही राजस्थानी मिठाई घेवर इस दिन खाई जाने वाली मिठाइयों में सबसे खास होती है। घेवर विशेष रूप से सावन के महीने में बनाया जाता है। कुछ अन्य पारंपरिक मिठाइयों में गुजिया, नारियल के लड्डू, अंजीर रबड़ी, मालपुआ, केसरिया भात (चावल), काजू कतली, रवे के लड्डू, मलाई खाजा और गुलकंद की बर्फी शामिल हैं। 

3. मेन कोर्स

बेहद लोकप्रिय राजस्थानी रेसिपी दाल बाटी तीज के त्योहार के दौरान बनाई जाती है। आटे से बनी और देसी घी में डूबी बाटियों को गरमा गरम हल्की खट्टी दाल के साथ खाया जाता है। आप बाटी में पनीर और मिर्ची की स्टफिंग भी डाल सकती हैं और दाल के साथ पुलाव भी परोस सकती हैं। इसके अलावा बेसन-कढ़ी एक और पारंपरिक रेसिपी है जो तीज का उपवास तोड़ने के लिए बनाई जाती है। बेसन और दही से बनी तीखे और खट्टे स्वाद वाली कढ़ी को चावल या चपाती के साथ खाया जाता है।  

4. ऐपेटाइजर और नमकीन

हमारे कुछ पसंदीदा ऐपेटाइजर हैं गट्टे की सब्जी, प्याज की कचौरी और मसाला चना। आप रसीले आलू के साथ राजगिरा की टिक्की या पूरी बनाकर भी अपने मेनू में चार चांद लगा सकती हैं।

5. सलाद

अगर आप इस साल पर कुछ अलग करना चाहती हैं, तो त्योहार के खाने में सलाद को भी शामिल करें। फलों और पत्तेदार साग के साथ पारंपरिक भारतीय सब्जियों का मिश्रण बेहतरीन लगेगा। आप जूस और स्मूदी के बारे में भी सोच सकती हैं।

तीज उत्तर और पश्चिम भारत की महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। अब जब आप जानती हैं कि इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है और किन खास रेसिपीज से इसका आनंद उठाया जाता है, हम उम्मीद करते हैं कि इस साल आपकी तीज बहुत धूमधाम से मनेगी और यादगार रहेगी!

श्रेयसी चाफेकर

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