In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह (Mahabharat – Bhim Hidimba Marriage Story In Hindi )
- महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह कहानी से सीख (Moral of Mahabharat – Bhim Hidimba Marriage Hindi Story)
- महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह का कहानी प्रकार (Story Type of Mahabharat – Bhim Hidimba Marriage Hindi Story)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
यह कथा तब की है जब पांचों पांडवों में से किसी का भी विवाह नहीं हुआ था। सबसे पहला विवाह पांचों भाइयों में से दूसरे भाई भीम, जो अपनी शक्ति और सामर्थ्य के लिए जाने जाते हैं, उनका हुआ था। द्रौपदी से पहले भीम की पत्नी एक राक्षस कुल से थी जिसका नाम हिडिंबा था। भीम और हिडिंबा का विवाह क्यों और कैसे हुआ यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
महाभारत की इस कथा के मुख्य पात्र इस प्रकार हैं –
- पांडवों की माता कुंती
- भीम
- राक्षसी हिडिंबा
- राक्षस हिडिंब
महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह (Mahabharat – Bhim Hidimba Marriage Story In Hindi )
महाभारत की कथा के मूल में कौरवों का पांडवों के प्रति द्वेष और शत्रुता का भाव ही रहा है। पांडवों के पिता पांडु हस्तिनापुर के सम्राट थे लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु के बाद उनके नेत्रहीन भाई धृतराष्ट्र को गद्दी पर बिठाया गया। यह तय था कि उचित समय आने पर सबसे बड़े पांडव युधिष्ठिर को राजगद्दी मिलेगी। लेकिन धृतराष्ट्र के पुत्रों को यह स्वीकार नहीं था और सबसे बड़ा कौरव दुर्योधन अपने मामा शकुनि की सलाह पर पांडवों को मारने के लिए षड्यंत्र रचता रहता था।
ऐसे ही एक बार उसने छल से पांडव और उनकी माँ कुंती को वारणावर्त नामक नगर में किसी आयोजन के नाम पर भेजा जहाँ उसके आदेश से एक लाक्षागृह बनाया गया था। लाक्षागृह पूरी तरह से लाख से बना था, लाख ऐसी वस्तु होती है जो बेहद जल्दी आग पकड़ लेती है। दुर्योधन ने योजना बनाकर एक रात लाक्षागृह में आग लगवा दी ताकि पांडव और माता कुंती उसमें जलकर मर जाएं। लेकिन पांडवों-कौरवों के चाचा और महामंत्री विदुर को पहले से ही इस षड्यंत्र का अंदेशा था और उन्होंने लाक्षागृह में एक सुरंग तैयार करवा दी थी। जिससे वे सभी सकुशल बच कर बाहर आ गए। लाक्षागृह से निकलने के बाद पांडव अपनी माँ के साथ जंगल में छुप गए।
उस जंगल में एक राक्षस भी रहता था जिसका नाम हिडिंब था। वह एक भयानक राक्षस था और हर रात को किसी मनुष्य का शिकार करने के लिए बाहर निकलता था। हिडिंब की एक बहन थी जिसका नाम हिडिंबा था। उस रात हिडिंब ने अपनी बहन से कहा कि वह बाहर जाकर उसके लिए मनुष्य का शिकार करके लाए। हिडिंबा ने अपने भाई की बात मानी और विशालकाय व भयंकर राक्षसी का रूप लेकर जंगल में शिकार ढूंढने के लिए निकल पड़ी। घूमते घूमते वह उसी स्थान पर पहुंची जहां पांडव छुपे हुए थे। रात होने के कारण भीम को छोड़कर सभी पांडव और उनकी माँ सो रहे थे जबकि भीम उनकी रक्षा के लिए जागा हुआ था।
भीम के व्यक्तित्व को देखकर हिडिंबा उस पर मोहित हो गई। उसने इतना बलशाली मनुष्य कभी नहीं देखा था। हिडिंबा भीम से इतनी आकर्षित हुई की उसने तय कर लिया की वह उसी से विवाह करेगी। भीम को देखकर वह अपने सौम्य रूप में आ गई। जब काफी समय तक हिडिंबा वापस नहीं आई तो हिडिंब उसे ढूंढते हुए उसी स्थान पर पहुंचा। एक साथ इतने मनुष्यों को देखकर वह बहुत आनंदित हुआ। तभी हिडिंबा ने उसे कहा कि वह भीम से विवाह करना चाहती है। उनका संवाद भीम के कानों पर पड़ा और वह आश्चर्य से दोनों को देखने लगा। हिडिंबा की बात सुनकर हिडिंब क्रोध से भर उठा और जोर-जोर से राक्षसी आवाज निकालने लगा। उसकी भयानक आवाज सुनकर कुंती और बाकी के पांडव जाग गए। हिडिंब ने भीम को मारने के लिए उस पर वार किया लेकिन हिडिंबा ने बीच में आकर भीम की रक्षा की। इसके बाद राक्षस और भीम के बीच भयंकर युद्ध होने लगा। हिडिंबा हर बार अपने भाई के विरुद्ध भीम की रक्षा के उपाय करती रही। अंततः भीम ने हिडिंब को मार दिया।
इसके बाद हिडिंबा ने कुंती से कहा कि या तो उसे भीम के साथ विवाह करने दें या वह अपने प्राण त्याग देगी। हिडिंबा की जाति और कुल अलग होने के कारण भीम और कुंती को समझ नहीं आ रहा था कि वे हिडिंबा के प्रस्ताव का क्या करें। तब माता कुंती ने अपने ज्येष्ठ पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर से इसका निर्णय करने को कहा। युधिष्ठिर ने कहा कि चूंकि राक्षस के साथ युद्ध में हिडिंबा ने भीम का साथ दिया है इसलिए उसके जीवन पर उसका भी अधिकार है और यह विवाह हो सकता है लेकिन अलग कुल से होने के कारण वे दोनों सदैव साथ नहीं रह सकते। तब हिडिंबा ने कुंती को वचन दिया कि विवाह के बाद वे दोनों तब तक साथ रहेंगे जब तक उसे भीम से पुत्र की प्राप्ति नहीं होती, इसके बाद भीम वापस अपने परिवार में शामिल हो जाएं। कुंती ने इसे स्वीकार कर लिया और इस प्रकार भीम और हिडिंबा का गंधर्व विवाह संपन्न हुआ। बाद में उनके पुत्र घटोत्कच का जन्म हुआ जो महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।
महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह कहानी से सीख (Moral of Mahabharat – Bhim Hidimba Marriage Hindi Story)
महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा के विवाह से यह सीख मिलती है कि हमें सदैव योग्य और उचित का साथ देना चाहिए जैसे यहाँ हिडिंबा ने अपने भाई हिडिंब के जगह भीम का साथ दिया।
महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह का कहानी प्रकार (Story Type of Mahabharat – Bhim Hidimba Marriage Hindi Story)
महाभारत की कहानी: भीम और हिडिंबा का विवाह कहानी महाभारत की एक महत्वपूर्ण कहानी है। यह महाभारत की कहानियों में आती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. हिडिंबा कौन थी?
हिडिंबा एक राक्षस कुल की स्त्री थी।
2. भीम और हिडिंबा का पुत्र कौन था?
भीम और हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच था।
3. भीम-हिडिंबा विवाह की कथा किसमें दी गई है?
महाभारत के आदिपर्व के 9वें उपपर्व (हिडिंब-वध पर्व) में हिडिंबा और भीम की कथा दी गई है।
निष्कर्ष (Conclusion)
महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है, जिसकी हर कथा कोई न कोई शिक्षा देती है। महाभारत का प्रत्येक प्रसंग मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का चित्रण है। माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को शुरू से ही रामायण और महाभारत की कहानियों से परिचित कराएं। ये उनके चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
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