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ऐसी कई बीमारियां हैं, जो कि बच्चों में जानलेवा हो सकती हैं और ऐसी ही एक बीमारी है, मेनिंगोकोकल नामक बीमारी। एक अध्ययन के अनुसार, हर साल लगभग 1000 लोग मेनिंगोकोकल से प्रभावित होते हैं और उनमें से लगभग 150 लोग एंटीबायोटिक दवा लेने के बावजूद अपनी जान गंवा देते हैं। यह बीमारी बहुत ही कम समय में दिमाग, अंगों और हाथ पैरों पर हमला करके, जिंदगी के लिए खतरा पैदा करती है। इन सब के बीच एक अच्छी खबर यह है, कि आप मेनिंगोकोकल वैक्सीन के साथ इस जानलेवा बीमारी से अपने बच्चे को बचा सकते हैं और इस खतरनाक संक्रमण से बच सकते हैं। मेनिंगोकोकल वैक्सीन या एमसीजी4 के बारे में पूरी जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
मेनिंगोकोकल बीमारी बैक्टीरिया से होती है, जिसे नेसेरिया मेनिनजाइटाइड्स के नाम से जानते हैं। इस बीमारी के कारण मेनिनजाइटिस हो सकता है, जो कि एक जानलेवा स्थिति है, जिसमें दिमाग को ढकने वाली मेंब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में सूजन आ जाती है या इससे एक गंभीर ब्लड इंफेक्शन हो सकता है। यह बीमारी मेंटल रेटरडेशन, बेहोशी, सुनने में परेशानी, अंग-विच्छेदन, नर्वस सिस्टम की परेशानियां और स्टोक का कारण बन सकती है।
बच्चों के टीनएज की आयु या टीनएज के पहले के वर्ष मेनिंगोकोकल वैक्सीन लगाने के लिए उपयुक्त होते हैं। लेकिन कभी-कभी आपके डॉक्टर आपके छोटे बच्चे या आपके 8 हफ्ते के शिशु को भी यह वैक्सीन लगाने की सलाह दे सकते हैं। यह नीचे दिए गए कारणों पर निर्भर करता है:
ये ऐसी कुछ स्थितियां हैं, जिनमें आपका डॉक्टर आपके बच्चों के लिए मेनिंगोकोकल वैक्सीन प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। इसकी खुराक हर स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकती है। अगर डॉक्टर को यह महसूस होता है, कि बच्चे को इसका खतरा अधिक है, तो वे नियमित अंतराल पर बूस्टर खुराक की सलाह दे सकते हैं। इस वैक्सीन की खुराकों के बीच कम से कम आठ हफ्तों का अंतर हो सकता है। आप अपने छोटे बच्चे के लिए मेनिंगोकोकल वैक्सीन लगाने के बारे में डॉक्टर से विस्तार में बात कर सकते हैं।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन दो प्रकार के होते हैं और नीचे इसके बारे में विस्तार से बताया गया है:
आपके इंफेक्शन के प्रकार के अनुसार आपका डॉक्टर ऊपर दिए गए वैक्सीन के दोनों प्रकारों में से किसी एक को प्रिसक्राइब कर सकता है।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन 11 से 18 वर्ष की उम्र में दी जा सकती है। अगर पहली खुराक 11 या 12 वर्ष की उम्र में दी गई है, तो बूस्टर डोज 16 वर्ष की उम्र में दी जा सकती है। लेकिन अगर बच्चे को पहली खुराक उसकी 13 या 15 वर्ष की उम्र तक नहीं मिली है, तो वैक्सीन की दूसरी खुराक 16 से 18 वर्ष की उम्र के बीच कभी भी दी जा सकती है। हालांकि, अगर वैक्सीनेशन 16 वर्ष की उम्र तक भी नहीं हुआ है, तो वैक्सीन की केवल एक खुराक की जरूरत होती है। इस संक्रमण से बचने के लिए यह वैक्सीन वयस्कों को भी दो खुराकों में दी जा सकती है। कुछ मामलों में 2 महीने के छोटे शिशु को भी मेनिंगोकोकल वैक्सीन दी जा सकती है।
एमसीवी4 मेनिंगोकोकल वैक्सीन या मेनिंगोकोकल बीमारी के लिए वैक्सीन, आमतौर पर 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को देने की सलाह दी जाती है। वैसे तो बच्चे को यह वैक्सीन लगाना सही होता है, पर कुछ मामलों में यह वैक्सीन एक जरूरत बन जाती है और ऐसा नीचे दिए गए कुछ मामलों में होता है:
हालांकि, मेनिंगोकोकल वैक्सीन हायली-रिकमेंड होती है, लेकिन नीचे दी गई परिस्थितियों में आपको इस वैक्सीन से बचना चाहिए:
शॉट लेने के कुछ घंटों के अंदर एलर्जिक रिएक्शन आम होते हैं, लेकिन इस वैक्सीन से गंभीर एलर्जी पैदा होना असामान्य बात है।
इंजेक्शन वाली जगह पर हल्का दर्द या लालीपन देखी जा सकती है, लेकिन यह एक या 2 दिन में अपने आप ही चली जाती है। कुछ लोगों को वैक्सीन के बाद हल्के बुखार का अनुभव भी होता है।
कुछ रिपोर्ट यह बताते हैं, कि वैक्सीन लगाने के बाद कुछ लोगों में जीबीएस या गुईलेन-बैर-सिंड्रोम देखा गया है। हालांकि यह बहुत ही दुर्लभ स्थिति है और कुछ वैज्ञानिकों ने इसे केवल एक संयोग बताया है।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन या मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस वैक्सीन, कुछ बच्चों में रिएक्शन पैदा कर सकता है। हल्के रिएक्शन में दर्द, लालीपन या बुखार देखा जाता है, जो कि एक या दो दिन में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। मध्यम रिएक्शन में इस वैक्सीन से बुखार, मतली, कंपकंपी, मांसपेशियों में दर्द, लालीपन, सूजन और दर्द हो सकता है। ये लक्षण 3 से 7 दिनों तक रहते हैं और फिर ठीक हो जाते हैं। गंभीर रिएक्शन वैक्सीन लगाने के कुछ मिनटों के बाद देखे जाते हैं। ऊपर दिए गए सभी मामलों में, तुरंत मेडिकल मदद लेने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी भी संभव जटिलता के खतरे को कम किया जा सके।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन, मेनिंगोकोकल बीमारी के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन है। वैक्सीन लेने के बाद हल्के रिएक्शन देख सकते हैं, इसके लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करके मार्गदर्शन ले सकते हैं। अपने बच्चे को वैक्सीन लगाने के समय और तरीके के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हेल्थ केयर प्रोफेशनल से परामर्श भी ले सकते हैं। यह वैक्सीन मेनिंगोकोकल बीमारी के कारण पैदा होने वाली जानलेवा स्थितियों से बचने में आपकी मदद कर सकता है।
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