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मेनोपॉज को हिंदी में रजोनिवृत्ति के नाम से जाना जाता है। यह एक महिला के जीवन का ट्रांजिशनल चरण होता है जो कि बहुत ही अहम चरण माना जाता है। मेनोपॉज का मतलब है कि अब महिला को कभी पीरियड नहीं होंगे और न ही वह कभी माँ बन पाएगी। महिलाओं में प्राकृतिक कारणों से मेनोपॉज आमतौर पर 3 स्टेज में होता है। पहला स्टेज पेरिमेनोपॉज, इसके बाद दूसरा स्टेज – मेनोपॉज और आखिरी पोस्ट मेनोपॉज होता है।
मेनोपॉज के दौरान क्या हार्मोनल बदलाव होते हैं?
प्रभावित होने वाले तीन मुख्य हार्मोन में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन शामिल हैं।
- एस्ट्रोजन: मेनोपॉज के दौरान इस हार्मोन का लेवल अनिश्चित हो जाता है और काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसके बाद यह निचले स्तर तक गिर जाता है।
- प्रोजेस्टेरोन: ओवुलेशन नहीं होने पर यह पूरी तरह से रुक जाता है।
- टेस्टोस्टेरोन: इसके उत्पादन का लेवल काफी कम हो जाता है।
प्री मेनोपॉज
मेनोपॉज में होने वाले शरीरिक बदलाव या लक्षण महिलाओं में आखिरी पीरियड के कुछ साल पहले से दिखने लगते हैं। प्री मेनोपॉज एक महिला के रिप्रोडक्टिव लाइफ से लेकर फर्टाइल पीरियड तक रहता है या फिर ये कह लें पहले पीरियड से आखिरी तक शुरू होता है।
1. प्री मेनोपॉज क्या है?
प्री मेनोपॉज को आमतौर पर मेनोपॉज से पहले महिला के पूरे जीवन के रूप में देखा जाता है। इस फेज के दौरान, एक महिला को नियमित पीरियड होते हैं, वह बच्चे पैदा कर सकती है और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे सेक्स हार्मोन एक स्थिर बैलेंस बनाए रखते हैं। महिलाओं में 40 की उम्र के आसपास मेनोपॉज के अगले चरण में जाने के लिए बदलाव शुरू होते हैं।
2. प्री मेनोपॉज के लक्षण
- गर्मी लगना
- रात को पसीना आना या ठंड लगना
- योनि में सूखापन
- संभोग के दौरान असहज महसूस होना
- नींद न आना
- मतली
- एंग्जायटी, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स
पेरिमेनोपॉज
पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज से 8-10 साल पहले शुरू हो सकता है और जिसमें ओवरी से एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन धीरे-धीरे कम होने लगता है। आमतौर पर 40 की उम्र से शुरू होकर यह मेनोपॉज तक रहता है। एस्ट्रोजन के उत्पादन में बढ़ती गिरावट के कारण महिलाएं इसके कई लक्षणों का अनुभव करने लगती हैं। यदि महिलाओं को अभी भी पीरियड होता है तो उनके गर्भवती होने की संभावना होती है।
1. पेरिमेनोपॉज क्या है?
पेरिमेनोपॉज एक ऐसा समय है जब ओवुलेशन और फर्टिलिटी की क्षमता काफी कम हो जाती है। हार्मोन का लेवल तेजी से गिरने लगता है जिसका असर महिलाओं के भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यह वह चरण है जब शरीर में नेगेटिव असर दिखने लगते हैं जो कि मेनोपॉज के अंत तक बने रहते हैं।
2. पेरिमेनोपॉज के लक्षण
- अनियमित पीरियड
- मूड स्विंग्स
- अचानक गर्मी महसूस करना
- ब्रेस्ट संवेदनशील होना
- योनि में सूखापन
- संभोग करने की कम इच्छा
मेनोपॉज
मेनोपॉज एक खास पीरियड के बारे में बताता है जो कि महिलाओं का आखिरी पीरियड होता है। जब आपके लगातार 12 महीने बिना पीरियड के गुजरे हों, तो आप मेनोपॉज तक पहुँच चुकी हैं और पेरिमेनोपॉज का समय समाप्त हो गया है।
1. मेनोपॉज क्या है?
मेनोपॉज तब होता है जब एक महिला को पीरियड्स आना बंद हो जाता है। ओवरी अंडे रिलीज करना बंद कर देती हैं।
2. मेनोपॉज के लक्षण
- कामेच्छा खत्म होना, मूड स्विंग्स, गर्मी लगना
- वजन बढ़ना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- बालों का झड़ना और पतला होना
पोस्ट मेनोपॉज
मेनोपॉज के कई सालों बाद महिलाओं के लिए मेनोपॉज के कई लक्षण कम हो जाते हैं। एस्ट्रोजन के घटते लेवल के साथ, महिलाएं कई स्वास्थ्य परेशानियों की चपेट में आने की संभावना होती है।
1. पोस्ट मेनोपॉज क्या है?
तीसरा और आखिरी चरण यानी कि पोस्ट मेनोपॉज का मतलब है ‘पीरियड्स खत्म होने के बाद का समय’। यह समय आखिरी पीरियड से शुरू होकर महिला के जीवन के अंत तक होता है। एक साल तक पीरियड न होने के बाद अगर महिलाओं की योनि में ब्लीडिंग होती है तो उसे असामान्य माना जाता है और डॉक्टर की सलाह लेने की नसीहत दी जाती है।
2. पोस्ट मेनोपॉज के लक्षण
कुछ सामान्य लक्षण हैं:
- दर्द एवं पीड़ा
- याददाश्त में कमी
एक सामान्य सवाल जो ज्यादातर महिलाओं को परेशान करता है, वो है कि “किस उम्र में मेनोपॉज शुरू होता है?”। मेनोपॉज ज्यादातर महिलाओं में 40 की उम्र के आस पास शुरु होता है। महिलाएं आमतौर पर 42 साल की उम्र में मेनोपॉज के लक्षणों को नोटिस करना शुरू कर देती हैं, और कुछ महिलाओं को 40 की उम्र के अंत तक इसका अनुभव नहीं हो पाता है। हालांकि, ज्यादातर महिलाएं 47 साल की उम्र में इसके सामान्य लक्षणों का अनुभव करती हैं। 45 से 55 की उम्र में मेनोपॉज होना नेचुरल माना जाता है और ये महिलाओं की बढ़ती उम्र का हिस्सा है। हालांकि कुछ महिलाओं को इसका अनुभव पहले हो जाता है जिसका कारण है ओवरी हटाने की सर्जरी या ओवरी का डैमेज होना (दवा या कीमोथेरेपी का परिणाम)। प्रीमैच्योर मेनोपॉज तब होता है जब किसी महिला को 40 साल की उम्र में या उससे पहले मेनोपॉज की शिकायत होती है।
3. पोस्ट मेनोपॉज से जुड़े जोखिम
पोस्ट मेनोपॉज के दौरान, आप अपने आप को फिर उसी एनर्जी और बैलेंस हार्मोनल लेवल के साथ पा सकती हैं। लेकिन इससे जुड़े जोखिम भी हैं और उनके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें:
- ऑस्टियोपोरोसिस: कम एस्ट्रोजन के लेवल के साथ, एक महिला को कमजोर हड्डियों का खतरा होता है क्योंकि यह हड्डियों के विकास और रखरखाव के लिए जरूरी है।
- हृदय रोग: मेनोपॉज से कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- एंडोमेट्रियल कैंसर: यदि एक महिला अपने जीवन में कई पीरियड्स साइकिल अनुभव करती है, तो उसे एंडोमेट्रियल कैंसर होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि यह एक एस्ट्रोजन से संबंधित बीमारी है। कम बॉडी मास इंडेक्स वाली महिलाओं को इसका कम जोखिम होता है।
मेनोपॉज एक महिला के जीवन में एक कठिन समय है, यह देखते हुए कि यह आपके आखिरी पीरियड के बाद से सालों रहता है। एक नियमित लाइफस्टाइल, स्वस्थ डाइट और पॉजिटिव सोच के साथ इन बदलावों को समझकर, कोई भी महिला काफी आसानी से इस समय से गुजर सकती है।
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