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मिशन इंद्रधनुष बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए एक मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम है, जिसे सरकार ने दिसंबर 2014 में लौंच किया था। इसे 25 दिसंबर 2014 को यूनियन हेल्थ मिनिस्टर जे. पी. नड्डा ने हरी झंडी दिखाई। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था, बच्चों को उन बीमारियों से बचाना जिन्हें टीकाकरण के द्वारा दूर रखा जा सकता है।
मिशन इंद्रधनुष भारत सरकार की एक पहल है, जिसे मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर द्वारा शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, वैक्सीनेशन द्वारा रोकथाम की जा सकने वाली, कुल 12 बीमारियों से बचाव के लिए, 2 साल से कम उम्र के बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है। शुरुआत में इसमें 7 बीमारियां शामिल थीं – डिप्थीरिया, पर्ट्युसिस, हूपिंग कफ, टेटनेस, पोलियोमाइलाइटिस, ट्यूबरक्लोसिस, मीजल्स और हेपेटाइटिस बी। 2016-17 में कई नई बीमारियों को भी टारगेट किया गया, वह है – रूबेला, जापानी इंसेफेलाइटिस, रोटावायरस, हेयमोफिलस इनफ्लुएंजा टाइप बी (जिसके कारण मेनिनजाइटिस होता है) और निमोनिया।
इस निमोनिया वैक्सीन को नीमोकॉक्कल कनज्यूगेट वैक्सीन कहा जाता है और नया पोलियो वैक्सीन इंजेक्टबल पोलियो वैक्सीन बायवैलेंट के नाम से जाना जाता है।
इस टीकाकरण अभियान को सरकार ने संपूर्ण टीकाकरण को हासिल करने के लिए लौंच किया था, ताकि कोई भी बच्चा ऐसी किसी बीमारी की चपेट में ना आए जिसे टीके द्वारा दूर रखा जा सकता है। 2009 से 2013 के बीच आम जनता के टीकाकरण का प्रतिशत प्रत्येक वर्ष केवल 1% की दर से बढ़ा और 2013 तक यह आंकड़ा केवल 65% तक ही पहुँच पाया। भारत सरकार ने इस दर को बढ़ाने के लिए इंद्रधनुष मिशन की शुरुआत की। इससे प्रत्येक वर्ष की दर में 5% का इजाफा हुआ और 2020 तक इसका कवरेज 90% तक पूरा हो गया।
मिशन इंद्रधनुष का लक्ष्य है 2 साल तक की उम्र के सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पूरी तरह से इम्यूनाइज करना, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या अधूरा हुआ है। इंडियाज यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) नामक यह कार्यक्रम हर साल 12 जानलेवा बीमारियों से 26 मिलियन बच्चों को मुफ्त टीकाकरण उपलब्ध कराता है। यूआईपी भारत में सभी बच्चों को मुफ्त में जीवन रक्षक वैक्सीन देता है।
मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत कवर की जाने वाली बीमारियां हैं – डिप्थीरिया, परट्यूसिस, टेटनस, हेपिटाइटिस बी, निमोनिया, हिमोफिलस इनफ्लुएंजाए टाइप बी (एचआईबी) के कारण होने वाले मेनिनजाइटिस, ट्यूबरक्लोसिस, पोलियो, रूबैल्ला, मीजल्स, रोटावायरस और जापानी इंसेफलाइटिस (जेई)।
भारत सरकार ने देश के 28 राज्यों में 600 हाई फोकस जिलों की पहचान की है, जिनमें आंशिक रूप से प्रतिरक्षित और गैर-प्रतिरक्षित बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।
शुरुआत में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में प्रति वर्ष वृद्धि 1% थी जो मिशन इन्द्रधनुष के पहले दो चरणों के माध्यम से बढ़कर 6.7% प्रति वर्ष हो गई। अगस्त 2017 तक मिशन इन्द्रधनुष के चार चरण संचालित किए गए और 2.53 करोड़ से अधिक बच्चों और 68 लाख गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जा चुका है।
यह मिशन विशेष टीकाकरण कार्यक्रम के द्वारा मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों को टारगेट करता है:
इस मिशन को एक व्यवस्थित और फोकस्ड ‘कैच-अप’ कैंपेन के द्वारा हर उस बच्चे तक पहुंचाया जा रहा है जिसका टीकाकरण छूट गया है। गर्भवती महिलाओं को भी निःशुल्क टेटनस के टीके लगाए जा रहे हैं। साथ ही खतरनाक डायरिया के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन के पैकेट और जिंक के टैबलेट दिए जा रहे हैं।
मिशन इंद्रधनुष के चार चरण कुछ इस प्रकार है:
पहले चरण की शुरुआत साप्ताहिक कार्यक्रम के तौर पर हुई, इसमें 7 अप्रैल 2015 से तेज टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिसमें लगातार चार महीनों तक प्राथमिक 201 जिलों को कवर किया गया। इस चरण में लगभग 70 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया। इनमें से 20 लाख का टीकाकरण पूरी तरह से हुआ। लगभग 20 लाख महिलाओं को टिटनेस के टीके लगाये गये।
इस चरण में चार विशेष अभियान चलाए गए, जिनमें से प्रत्येक एक हफ्ते तक चला। इसकी शुरुआत अक्टूबर 2015 से हुई। दूसरे चरण में भारत में 352 जिलों को कवर किया गया, जिनमें से 279 पर मध्यम फोकस था और 73 पर ज्यादा फोकस था। इस विशेष अभियान के पहले और दूसरे चरण के परिणाम स्वरूप 1.48 करोड़ बच्चों और 38 लाख गर्भवती महिलाओं का सफल टीकाकरण किया गया। पूरे देश में 21 लाख से ज्यादा सेशन चलाए गए, जिनमें हाई और मीडियम दोनों प्राथमिकताओं वाले जिले शामिल हैं और इसमें 3.66 करोड़ टीके लगाए गए।
इंद्रधनुष का तीसरा चरण अप्रैल 2016 में लौंच किया गया, जिसमें 216 जिले शामिल थे। इसमें अप्रैल और जुलाई 2016 के बीच टीकाकरण के 4 तेज अभियान चलाए गए, जिनमें से प्रत्येक एक हफ्ते तक चला। इस चरण में ना केवल 2 साल के बच्चों, बल्कि 5 साल के बच्चों पर भी ध्यान दिया गया। इसने डीपीटी बूस्टर के बढ़ावे और गर्भवती महिलाओं को टिटनेस के टीके लगाने के बढ़ावे पर भी काम किया।
चौथे चरण को फरवरी 2017 में लौंच किया गया। इसमें असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम को कवर किया गया। चौथे चरण को अप्रैल 2017 में देश के बाकी के हिस्सों में चलाया गया।
मिशन इंद्रधनुष की सफलता को पक्का करने के लिए सरकार ने कई रणनीतियां बनाई। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) को भारत सरकार ने टीकाकरण कवरेज को बेहतर बनाने के लिए लौंच किया था, ताकि दिसंबर 2018 के टीकाकरण को 90% से ज्यादा तक पहुंचाया जा सके। यह विशेष अभियान दो वर्ष की उम्र तक के उन सभी बच्चों और सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुँचेगी, जो रूटीन इम्यूनाइजेशन कार्यक्रम में छूट गए थे।
इसके अंतर्गत शहरी क्षेत्रों और उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। अक्टूबर 2017 और जनवरी 2018 के बीच हर महीने 173 जिलों में लगातार चार राउंड चलाए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक की अवधि एक सप्ताह की होगी। यह विशेष जिलों और शहरी क्षेत्रों में निम्न टीकाकरण वाले क्षेत्रों को भी कवर करेगा। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन मॉनिटरिंग डाटा और मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम में राष्ट्रीय सर्वे में उपलब्ध डाटा के विश्लेषण द्वारा इन क्षेत्रों का चयन किया गया था।
सरकार आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायक नर्स मिडवाइफ जैसे विभिन्न सरकारी विभागों के ग्राउंड लेवल कर्मचारियों के कोऑर्डिनेशन को सुनिश्चित करेगी। इस कार्यक्रम को सख्ती से मॉनिटर किया जाएगा। आईएमआई गैप एसेसमेंट, सरकार द्वारा देखरेख, इंड-लाइन सर्वे और पार्टनरों द्वारा समवर्ती देख-रेख से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है।
देश में टीकाकरण कार्यक्रम को अधिक कारगर बनाने के लिए हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन ने इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष 2.0 को लौंच किया, जिससे कि दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक सभी जिलों और ब्लॉक्स में उन सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीके उपलब्ध कराए जा सकें जो इस से वंचित हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है, कि 2030 तक बच्चों को उन सभी बीमारियों से बचाया जा सके, जिन्हें टीके द्वारा दूर रखकर मृत्यु दर को सफलतापूर्वक खत्म किया जा सकता है।
आईएमआई 2.0 का के अंतर्गत 27 राज्यों के 272 जिलों तथा दुर्गम स्थान और जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और बिहार में ब्लॉक स्तर पर 652 ब्लॉकों में पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज प्राप्त करवाना है।
मिनिस्ट्री आफ विमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट, पंचायती राज, मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एवं अन्य, सब साथ आ कर सुनिश्चित कर रहे हैं, कि हर एक को इन टीकों का फायदा मिल सके।
मिशन इंद्रधनुष टीकाकरण के शेड्यूल इस प्रकार है:
शुरुआती गर्भावस्था | टीटी-1 |
पहले टीटी के 4 हफ्ते बाद | टीटी-2 |
जो महिलाएं पूर्व गर्भावस्था के 3 साल के अंदर गर्भवती है और टीटी (टेटनेस टॉक्सोइड) की दो खुराक ले चुकी हैं | टीटी बूस्टर |
जन्म | बीसीजी, ओपीवी, हेपेटाइटिस-बी |
6 सप्ताह | ओपीवी-1, पेंटावेलेंट वैक्सीन-1, रोटावायरस-1, (वर्तमान में हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और उड़ीसा में उपलब्ध) |
10 सप्ताह | ओपीवी-2, पेंटावेलेंट वैक्सीन-2, रोटावायरस-2, (वर्तमान में हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और उड़ीसा में उपलब्ध) |
14 सप्ताह | ओपीवी-3, पेंटावेलेंट वैक्सीन-3, रोटावायरस-3 (वर्तमान में हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और उड़ीसा में उपलब्ध) |
9 महीने | मीजल्स, विटामिन ए की पहली खुराक |
16-24 महीने | मीजल्स दूसरी खुराक, डीपीटी पहली बूस्टर, ओपीवी बूस्टर, विटामिन ए दूसरी खुराक ( इसके बाद 5 साल की उम्र तक हर 6 महीने पर बूस्टर), जापानी इंसेफेलाइटिस (केवल प्रभावित जिलों में) |
5-6 वर्ष | डीपीटी सेकेंड बूस्टर |
10-16 वर्ष | टीटी |
रोटावायरस और रूबेला वैक्सीन जैसी नई वैक्सीनों को मिशन इंद्रधनुष के एक हिस्से के रूप में चरण पद्धति में लाया जाएगा। 9 महीने और 16 से 24 महीनों में होने वाले टीकाकरण में रूबेला वैक्सीन, मीजल्स वैक्सीन का स्थान ले लेगा।
मिशन इंद्रधनुष और इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष देश के हर सुदूर क्षेत्र में हर बच्चे तक पहुंचने में बहुत सफल रहा है। यह कवरेज 90% से ज्यादा है। इस निःशुल्क टीकाकरण कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान और वाहवाही प्राप्त की है। जॉन्स हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के द्वारा 2017 की एक रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया गया है। सरकार ने पूरे देश में 2.33 करोड़ बच्चों का सफल टीकाकरण किया है।
रोटरी इंटरनेशनल, डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ मिशन इंद्रधनुष के डोनर पार्टनर्स हैं। मास मीडिया और पारस्परिक कम्युनिकेशन ने इस मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम के कार्यान्वयन पद्धतियों के मूल्यांकन और देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
स्रोत: नेशनल हेल्थ पोर्टल (NHP India)
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