शिशु

न्यूबॉर्न बेबी के ब्रेस्ट में सूजन या गांठ

शुरुआत में न्यूबॉर्न बच्चे के साथ समय बिताना पेरेंट्स के लिए बहुत मजेदार हो सकता है। हालांकि कभी-कभी शिशुओं में कुछ शारीरिक बदलाव भी होते हैं जिससे पेरेंट्स को चिंताएं भी हो जाती हैं। क्या आप समझ सकती हैं कि हम किस चीज के बारे में बात कर रहे हैं? न्यूबॉर्न बच्चों में गांठ या ब्रेस्ट में सूजन की समस्या क्यों होती है और आपको कब चिंता नहीं करनी चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब यहाँ बताए गए हैं, जानने के लिए आगे पढ़ें। 

क्या न्यूबॉर्न बेबी के ब्रेस्ट में सूजन या गांठ होना नॉर्मल है?

आपका बेटा हो या बेटी पर न्यूबॉर्न बच्चों के ब्रेस्ट में गांठ, ब्रेस्ट के टिश्यू में सूजन होना हर पेरेंट्स के लिए एक चिंता का कारण होता है। नवजात शिशु के स्तनों में सूजन या गांठ होना बहुत आम बात है और यह कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है। 

  • यह सूजन बच्चों में इसलिए भी होती है क्योंकि जन्म के दौरान मां के हॉर्मोन्स बेबी के खून में मिल जाते हैं।
  • कभी-कभी ब्रेस्ट में सूजन या गांठ से थोड़ा बहुत लिक्विड भी निकलता है – यह नॉर्मल है और इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
  • जन्म के लगभग 3 दिन बाद न्यूबॉर्न बच्चे में सूजन दिखाई देने लगती है और ज्यादातर मामलों में यह एक महीने बाद तक कम हो जाती है।

न्यूबॉर्न बेबी के ब्रेस्ट में सूजन होने के कारण

शिशु के ब्रेस्ट में सूजन देखकर ज्यादातर पेरेंट्स को चिंता हो जाती है और वे इसके संभावित कारणों को जानने का प्रयास करते हैं। खैर छोटे बच्चों को यह समस्या क्यों होती है? यह जानने के लिए आगे पढ़ें; 

1. केमिकल बदलाव

कभी-कभी मां के खून में मौजूद केमिकल्स बच्चा अब्सॉर्ब कर लेता है। हालांकि जन्म के बाद बच्चे के खून में केमिकल जाना बंद हो जाता है जिससे हॉर्मोनल बदलाव हो सकते हैं और बेबी के ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है। 

2. हॉर्मोनल बदलाव

गर्भावस्था के दौरान महिला में बहुत सारे हॉर्मोनल बदलाव होते हैं और यही हॉर्मोन्स बेबी को भी प्रभावित करते हैं। कभी-कभी हॉर्मोन्स में बदलाव होने के कारण भी बच्चे के ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है। 

3. मां के शरीर का बदलाव

डिलीवरी की नियत तारीख आने तक शरीर ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार होना शुरू हो जाता है। इन बदलावों से गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रभाव पड़ता है और बच्चे के ब्रेस्ट से भी दूध निकलने लगता है जिसे विच’स मिल्क भी कहते हैं। 

4. शरीर में बदलाव

एक गर्भवती महिला में मानसिक व शारीरिक बहुत सारे बदलाव होते हैं। इन बदलावों से बच्चे में भी प्रभाव पड़ता है और इसलिए उसके ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है।

पेरेंट्स के लिए टिप्स

जब भी न्यूबॉर्न बेबी में कोई भी अजीब चीज हो तो इसका हमेशा ही यह मतलब नहीं है कि उसे कोई गंभीर समस्या है। कुछ बातों में चिंता करने की जरूरत नहीं है और बच्चों के ब्रेस्ट में सूजन होना भी इनमें से ही एक है। इससे संबंधित पेरेंट्स की चिंता दूर करने के लिए कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • न्यूबॉर्न बेबी के ब्रेस्ट को छूने से बचना चाहिए। हालांकि आप इसे सॉफ्ट हाथों से साफ कर सकती हैं पर ब्रेस्ट पर मालिश न करें क्योंकि इससे इंफेक्शन हो सकता है।
  • कुछ पेरेंट्स सोचते हैं कि शिशु के ब्रेस्ट में पिंच करने से सूजन कम हो जाती है पर इससे सूजन बढ़ भी सकती है और न्यूबॉर्न बेबी की सेंसिटिव त्वचा में इरिटेशन भी हो सकती है।
  • यह एक अस्थाई समस्या है और बेबी के दूसरे महीने में पहुंचते ही धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी इसलिए धैर्य रखें।

डॉक्टर से कब मिलें

जैसा कि आर्टिकल में पहले भी बताया गया है कि आपके बच्चे के ब्रेस्ट के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह समय के साथ अपने आप ठीक हो जाएंगे। यद्यपि आपको कोई भी अजीब या अब्नॉर्मल लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें। आपको निम्नलिखित लक्षणों में डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है, जैसे; 

  • यदि सूजन कम न हो या सिर्फ बढ़ ही रही हो जिसका यह मतलब है कि कुछ तो गलत हो रहा है और इसके लिए तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  • यदि बेबी को तेज बुखार हो रहा है और पिछले कुछ दिनों से उसके ब्रेस्ट में सूजन है तो इसके लिए आपको बिना देरी किए डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
  • यदि बच्चे का ब्रेस्ट लाल दिखाई देता है या बहुत ज्यादा सूजन है या एक साइड में लंप है तो यह एक चिंताजनक बात हो सकती है और आपको तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।

छोटी-छोटी समस्याओं में भी माता-पिता को अक्सर चिंताएं हो ही जाती हैं और यह एक आम बात है। क्योंकि आप सिर्फ बच्चे के लिए ही चिंता कर रही हैं। यदि न्यूबॉर्न बेबी के स्वास्थ्य से संबंधित आपके दिमाग में कोई भी शंका या चिंता होती है तो आप तुरंत डॉक्टर से बात करें। हम आशा करते हैं कि इस आर्टिकल से आपको बच्चों के ब्रेस्ट में सूजन या गांठ के बारे में काफी जानकारी मिल गई होगी। 

यह भी पढ़ें:

शिशुओं में रोसियोला (सिक्स्थ डिजीज)
छोटे बच्चों में कंठ रोग: कारण, लक्षण और उपचार
शिशुओं में ब्रोंकियोलाइटिस – कारण, लक्षण और इलाज

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

23 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

23 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

23 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago