शिशु

न्यूबॉर्न बेबी को पहली बार डॉक्टर के पास ले जाना

बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती दो साल उसकी वृद्धि व विकास के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान आप डॉक्टर के पास कई बार जा सकती हैं। पर इन सबसे ज्यादा जरूरी है डॉक्टर के पास बच्चे की पहली विजिट, जिसमें डेवलपमेंट से जुड़े जरूरी माइलस्टोन की जांच होती है और पेरेंट्स को बच्चे की देखभाल से संबंधित टिप्स दिए जाते हैं। 

इसके साथ स्वास्थ्य की आम जानकारी के लिए भी एक हेल्दी बच्चे को चेकअप के लिए जरूर ले जाना चाहिए। यह समय पहली बार बनी मां के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जब वह बच्चे से संबंधित अपनी सारी शंकाओं व दुविधाओं के जवाब पा सकती हैं।  

पेडिअट्रिशन के पास बेबी का पहला अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना

डॉक्टर के साथ बच्चे का पहला अपॉइंटमेंट शेड्यूल करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उस समय डॉक्टर ज्यादा व्यस्त न हों ताकि वे आपके सवालों का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दे सकें। डॉक्टर से पहली विजिट के दौरान आप अपने पति को भी साथ ले जाएं ताकि बच्चे को संभालने में आसानी हो सके। 

यदि आप पहले ही अपॉइंटमेंट ले लेती हैं तो आपको वेटिंग रूम में ज्यादा देर तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप किसी भी अनजान व्यक्ति को बच्चा पकड़ने के लिए न दें क्योंकि उसके शरीर में जर्म्स हो सकते हैं। 

पेडिअट्रिशन द्वारा बेबी के स्वास्थ्य की जांच

  • इस दौरान बच्चे के शरीर का पूरा चेकअप होगा।
  • डॉक्टर स्टेथोस्कोप से बच्चे के दिल की धड़कन व फेफड़ों की जांच करेंगे।
  • डॉक्टर बेबी के आंखों की जांच करेंगे।
  • बच्चे के कान में इन्फेक्शन की जांच भी की जाएगी।
  • थ्रश के लक्षण जानने के लिए बच्चे के मुंह का डायग्नोसिस किया जाएगा।
  • बच्चे के शरीर में सॉफ्ट जगहों व उसके सिर के शेप की भी जांच होगी।
  • सभी प्रकार के रैशेस व बर्थ मार्क्स की भी जांच की जाएगी।
  • बेबी के रिफ्लेक्सेस और मसल्स टोन की जांच होगी।
  • डॉक्टर बच्चे की अम्बिलिकल कॉर्ड को चेक करके पता करेंगे कि क्या इसका स्टंप गिर गया है और नाभि ठीक हो रही है।
  • जेनिटल्स की जांच की जाएगी।

इसके अलावा डॉक्टर निम्नलिखित चीजें भी करेंगे, जैसे;

  • डॉक्टर बेबी की हाइट, वजन और सिर की गोलाई को जांचकर उसके विकास व वृद्धि को चेक करेंगे।
  • डॉक्टर कुछ सवाल पूछ कर बच्चे के व्यवहार के विकास के बारे में भी जानना चाहेंगे। वे आगे भी हर विजिट में बच्चे को ऑब्जर्व करके पता लगाने की कोशिश करेंगे कि कहीं उसे कोई मानसिक समस्या तो नहीं है।
  • डॉक्टर बच्चे के खाने के पैटर्न के बारे में आपको बताएंगे। वह ब्रेस्टफीडिंग, बोतल से फीडिंग और बच्चे के वीनिंग के विषय के बारे में आपको सभी चीजें बताएंगे। यदि लैचिंग से संबंधित आपको कोई भी समस्या होती है तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
  • डॉक्टर बच्चे के सोने के पैटर्न के बारे में भी जानने का प्रयास करेंगे।
  • वे बच्चे के वैक्सीनेशन की लिस्ट बनाएंगे और आपको एक वैक्सीनेशन चार्ट भी देंगे।

जन्म के बाद न्यूबॉर्न बेबी की जांच या परीक्षण

1. हीमोग्लोबिन स्क्रीनिंग

बच्चे की एड़ी से थोड़ा सा खून निकाला जाएगा ताकि उसमें किसी जन्मजात समस्याओं की जांच की जा सके, जैसे सिकल सेल एनीमिया, हाइपोथयरॉडिज्म। यह बच्चे के जन्म से दो महीने के बीच में हो सकता है। 

2. सुनने की जांच

बच्चों में सुनाई देने की क्षमता की जांच के लिए दो प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। पहले टेस्ट को ऑटोकॉस्टिक एमिशन (ओएइ) कहा जाता है जिसमें बच्चे के कान में एक छोटा सा इयर फोन और माइक्रोफोन रखा जाता है ताकि कान के कैनाल की आवाज के रिफ्लेक्शन को कैलकुलेट किया जा सके। दूसरे टेस्ट को ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर) कहते हैं जिसमें बच्चे के सिर में इलेक्ट्रोड रखे जाते हैं ताकि आवाज पर हियरिंग नर्व्ज के रिस्पॉन्स को चेक किया जा सके।

  • पहली विजिट में बच्चे को हेपेटाइटिस बी वैक्सीन का इंजेक्शन लगाया जाता है और उसके दो महीने का होने के बाद उसे अन्य वैक्सीन व इंजेक्शन लगाए जाते हैं।

बच्चे के डॉक्टर से पहली विजिट के लिए आप सभी डॉक्यूमेंट व रिपोर्ट साथ ले जाएं ताकि वे पूरी आवश्यक जानकारी ले सकें। पहली विजिट में आप ध्यान से बच्चे को थोड़े हल्के कपड़े पहनाकर ले जाएं। उसका ध्यान भटकाने के लिए कुछ खिलौने भी साथ रख लें ताकि वह डॉक्टर के द्वारा की जाने वाली जांच के दौरान घबराए नहीं।  

यह भी पढ़ें:

शिशु के लिए एक अच्छा डॉक्टर कैसे चुनें
उम्र के अनुसार बच्चे का चेकअप – महत्व और शेड्यूल

सुरक्षा कटियार

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