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बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती दो साल उसकी वृद्धि व विकास के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान आप डॉक्टर के पास कई बार जा सकती हैं। पर इन सबसे ज्यादा जरूरी है डॉक्टर के पास बच्चे की पहली विजिट, जिसमें डेवलपमेंट से जुड़े जरूरी माइलस्टोन की जांच होती है और पेरेंट्स को बच्चे की देखभाल से संबंधित टिप्स दिए जाते हैं।
इसके साथ स्वास्थ्य की आम जानकारी के लिए भी एक हेल्दी बच्चे को चेकअप के लिए जरूर ले जाना चाहिए। यह समय पहली बार बनी मां के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जब वह बच्चे से संबंधित अपनी सारी शंकाओं व दुविधाओं के जवाब पा सकती हैं।
डॉक्टर के साथ बच्चे का पहला अपॉइंटमेंट शेड्यूल करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उस समय डॉक्टर ज्यादा व्यस्त न हों ताकि वे आपके सवालों का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दे सकें। डॉक्टर से पहली विजिट के दौरान आप अपने पति को भी साथ ले जाएं ताकि बच्चे को संभालने में आसानी हो सके।
यदि आप पहले ही अपॉइंटमेंट ले लेती हैं तो आपको वेटिंग रूम में ज्यादा देर तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप किसी भी अनजान व्यक्ति को बच्चा पकड़ने के लिए न दें क्योंकि उसके शरीर में जर्म्स हो सकते हैं।
इसके अलावा डॉक्टर निम्नलिखित चीजें भी करेंगे, जैसे;
बच्चे की एड़ी से थोड़ा सा खून निकाला जाएगा ताकि उसमें किसी जन्मजात समस्याओं की जांच की जा सके, जैसे सिकल सेल एनीमिया, हाइपोथयरॉडिज्म। यह बच्चे के जन्म से दो महीने के बीच में हो सकता है।
बच्चों में सुनाई देने की क्षमता की जांच के लिए दो प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं। पहले टेस्ट को ऑटोकॉस्टिक एमिशन (ओएइ) कहा जाता है जिसमें बच्चे के कान में एक छोटा सा इयर फोन और माइक्रोफोन रखा जाता है ताकि कान के कैनाल की आवाज के रिफ्लेक्शन को कैलकुलेट किया जा सके। दूसरे टेस्ट को ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर) कहते हैं जिसमें बच्चे के सिर में इलेक्ट्रोड रखे जाते हैं ताकि आवाज पर हियरिंग नर्व्ज के रिस्पॉन्स को चेक किया जा सके।
बच्चे के डॉक्टर से पहली विजिट के लिए आप सभी डॉक्यूमेंट व रिपोर्ट साथ ले जाएं ताकि वे पूरी आवश्यक जानकारी ले सकें। पहली विजिट में आप ध्यान से बच्चे को थोड़े हल्के कपड़े पहनाकर ले जाएं। उसका ध्यान भटकाने के लिए कुछ खिलौने भी साथ रख लें ताकि वह डॉक्टर के द्वारा की जाने वाली जांच के दौरान घबराए नहीं।
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