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जब बच्चा बहुत छोटा होता है तो उस दौरान आपको हर छोटी से छोटी चीज को लेकर सतर्क रहना पड़ता है, तो जाहिर है आपका काम और जिम्मेदारी भी इसके साथ बढ़ जाती है। आप बच्चे के खाने, सोने, डायपर चेंज करने के समय और पैटर्न के बारे में धीरे धीरे जानने लगती हैं, लेकिन अगर आप पहली बार माँ बनी है तो बच्चे के पैटर्न को समझने में आपको थोडा समय लग सकता है। इस दौरान जब आप देखती हैं कि बच्चा बहुत ज्यादा सो रहा है, तो संभावना है कि आप यह देखकर घबरा जाएं। हालांकि, यह नॉर्मल है और ऐसे समय होता है जब बच्चा शांत रह कर फीडिंग के बाद सोना पसंद करता है। आइए जानते हैं कि क्या बच्चे का ज्यादा सोना चिंता का कारण है या फिर वह बस अभी सोना पसंद करता है।
नवजात शिशु बहुत ज्यादा सोते हैं क्योंकि उन्होंने गर्भ में अपना ज्यादातर समय सोने में ही बिताया होता है। जिसके बाद वे माँ के दिल की धड़कन, डाइजेस्टिव सिस्टम और उसकी आवाज से घिरे हुए थे। नींद पैदा करने वाली इस कंडीशन में वो दिन में 90% -95% स्नूज मोड में ही रहते थे। गर्भ के बाहर आने के बाद, नवजात शिशु दिन में 16 से 18 घंटे की नींद सोते हैं, हर दो से तीन घंटे में फीड या डायपर चेंज करने के लिए जागते हैं। नींद का समय थोड़ा भिन्न हो सकता है क्योंकि हर बच्चा अपने आप में अलग होता है और उसकी अलग-अलग जरूरतें होती हैं। नवजात शिशुओं के सोने का समय ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर तेजी से बढ़ रहा होता है और उनकी बेहतर मेंटल और फिजिकल ग्रोथ के लिए उनका सोना बहुत जरूरी है, विशेष रूप से ब्रेन और सेंट्रल नर्वस सिस्टम के विकास लिए बच्चे का सोना बहुत आवश्यक है। इसलिए, अगर नवजात शिशु दिन के लगभग 80% -85% समय सोता है तो घबराएं नहीं, बच्चों की नींद के लिए कोई ऐसा हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं है कि एक बच्चे को कितने घंटे सोना चाहिए, जब तक वो ठीक से फीड कर रहा है और हेल्दी है तब तक चिंता की कोई बात नहीं है।
बच्चे का सारा दिन दिन सोना अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी हो सकता है। एक ओर, जहाँ आपको बच्चे के सोने की वजह से खुद के लिए रेस्ट करने का समय मिलता हैं, वहीं बच्चे का बहुत ज्यादा सोना आपकी एंग्जायटी का कारण बन सकता है, आपके मन में खयाल आने लगेगा कि क्या मेरा बच्चा जरूरत से ज्यादा सो रहा है? सच्चाई यह है कि यह बच्चे की अपनी जरूरतों पर निर्भर करता है। कुछ बच्चे बहुत ज्यादा सोते हैं, तो वहीं कुछ बच्चे बिलकुल नही सोते हैं, इसलिए जब तक वे हेल्दी रहते हैं तब तक सब कुछ नॉर्मल है। अगर आप यह चेक करना चाहती हैं कि बच्चा ठीक से फीड कर रहा है या नहीं तो उसका डाइपर चेक करें, यह पता लगाने का एक तरीका है कि क्या बच्चा पर्याप्त फीड ले रहा है। उसके पेशाब का कलर बहुत पीला नहीं होना चाहिए (पेशाब का रंग गहरा पीला होना इस बात का संकेत है कि बच्चा पर्याप्त रूप से भोजन नहीं कर रहा है) और पॉटी का कलर और संख्या भी पर्याप्त होनी चाहिए। जो बच्चे अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते हैं, आप उनमें चिड़चिड़ापन देख सकती हैं। जिस बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई प्रॉब्लम नहीं होती है उसके पैरेंट अपनी नींद आराम से पूरी कर पाते हैं। बच्चे का ज्यादा सोना तब तक किसी समस्या का संकेत नहीं है जब तक वो ठीक से फीडिंग कर रहा हो और हेल्दी हो। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, धीरे-धीरे उनकी नींद कम होती जाती है। यह अच्छा है क्योंकि आप ऐसा बच्चा नहीं चाहती हैं जो इतना सोता हो कि वह बैठना और जमीन पर रेंगना यानी क्रॉल करना न सीखे।
यदि आप नोटिस करती हैं कि बच्चे को पूरे दिन नींद आ रही है, और वो फीडिंग के दौरान भी नहीं उठता है, तो उसे दूध पिलाने उठाएं। इसके अलावा, यदि बच्चा अचानक से ज्यादा घंटे सोने लगा है, तो यह किसी भी हेल्थ प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों में हो रहे तेजी से विकास के कारण भी अक्सर बच्चे ज्यादा देर तक सोने लगते हैं। जब बच्चा दो महीने का हो जाता है, तब तक उसके रात में ज्यादा देर तक सोने है और दिन में ज्यादा देर तक जागने की संभावना होती है। यह उसे बैठने और धीरे-धीरे चलने और बोलने जैसे कॉम्प्लेक्स टास्क को अच्छे से पूरा करने में मदद करेगा। इसलिए, यदि आपके तीन महीने या उससे अधिक उम्र का बच्चा बहुत अधिक सो रहा है और बीच में आप शायद ही आप उठती हों, तो आपको अपने बच्चे के डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
यदि माँ होने के नाते आपका इंस्टिंक्ट आपको बताता है कि बच्चा जरूरत से अधिक सो रहा है, तो बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं, यही सबसे बेहतर रहेगा। पीलिया और अन्य इन्फेक्शन की जाँच कराएं क्योंकि इसके दौरान बच्चा थका हुआ है ज्यादा नींद महसूस करता है। खतना जैसी मेडिकल प्रोसेस के दौरान भी बच्चे को सामान्य से अधिक नींद आ सकती हैं। कोई भी कारण हो, अपने बच्चे फीड जरूर कराएं। अगर आपको इसके लिए नींद से जागकर उसे फीड कराना पड़े तो भी कराएं।
शुरू में नवजात शिशुओं का वजन जन्म के समय के वजन से कम होता जाता है लेकिन पहले सप्ताह के अंदर वो इसे वापस प्राप्त कर लेते हैं और फिर हेल्दी स्पीड से वजन बढ़ाने लगते हैं। लेकिन अगर आप नोटिस करती हैं कि बच्चे का वजन ठीक से नहीं बढ़ रहा है, तो यह इस बात का संकेत है कि बच्चा ठीक से भोजन नहीं कर रहा है और इसलिए डॉक्टर आपको सुझाव दे सकते हैं कि बच्चे को (हर 3-4 घंटे) के अंतराल पर जगाकर फीड कराएं। लेकिन आप यह तभी कर सकती है जब बच्चे की सारी रिपोर्ट डॉक्टर देख लेंगे, तब तक के लिए आपको अपने इंस्टिंक्ट पर ही भरोसा कर के बच्चे को एक से दो घंटे के अंतराल पर दूध पिलाते रहना होगा।
किसी को अचानक से नींद से जगाना एक अच्छा विचार नहीं है, भले ही यह आपका शांत सो रहा बच्चा हो। इससे वह रोना और चिड़चिड़ाना शुरू कर सकता है। यदि आप अपने 3 महीने के बच्चे को बहुत अधिक सोते हुए पाती हैं, तो उसे धीरे से जगाने के लिए कुछ आसान टोटके हैं:
कभी-कभी बच्चों को हल्की गर्माहट से बाहर निकालकर भी नींद से जगाया जा सकता है। बच्चों को अच्छे से ढक कर स्वैल्ड करके और आरामदायक बिस्तर में लिटाया जाता है, इसलिए जब उनको जगाने का समय होता है तो उनके कंबल को उतारने और कपड़ों को ढीला करने की कोशिश करें। ठंडी हवा के संपर्क में आने और उनके कपड़े उतारने पर उन्हें महसूस होने वाली शारीरिक उत्तेजना से भी उनकी आँखें खुल जाती हैं।
बच्चे की स्लीपिंग पोजीशन में हल्का सा डिस्टर्बेंस पैदा करना बच्चे को जगाने में मदद कर सकता है। इसलिए, डायपर बदलने या उसके बॉटम को पोंछने से वह जाग सकता है।
दूध पिलाते समय अपनी अंगुलियों को उसकी पीठ पर चलाएं, इससे जब तक उसका पेट नहीं भर जाएगा तब तक वह नहीं सोएगा। बच्चों के फीडिंग करते समय सोने के ज्यादा चांसेस होते, क्योंकि माँ के शरीर से मिलने वाली गर्माहट उनके लिए आरामदायक महसूस कराती है।
उसे अपने क्रैडल से निकालें और एक कठोर सतह पर रखें जैसे कि एक प्ले मैट। जब उसे एक कोजी एनवायरमेंट नहीं मिलेगा तो वो खुद ही जाग जाएगा।
धीरे से बच्चे को उठाएं और उसके गाल और पैर को सहलाएं। यह डिस्टर्बेंस उसे जागने के लिए प्रेरित करेगी।
बच्चे के चेहरे पर धीरे से फूंक मारने की कोशिश करें, चेहरे पर पड़ने वाली हवा का फ्लो उसे जगा देगा, लेकिन इसके बाद अपने बच्चे का अजीब रवैया देखने के लिए तैयार रहें!
बच्चे को जगाने के लिए आप उसके शरीर पर बेबी वेट वाइप का प्रयोग करें, बच्चे के शरीर को गीला करने के लिए, वॉर्म वॉशक्लॉथ का उपयोग करना भी अच्छा रहेगा।
हर बच्चे का स्लीपिंग पैटर्न दूसरे से भिन्न होता है, जैसे उनका व्यक्तित्व अलग होता है वैसे ही। इसलिए, अगर कोई बच्चा ज्यादा नींद ले रहा है तो जरूरी नहीं कि यह हमेशा खतरे का ही संकेत हो, जैसे कि पहले भी कहा गया है जब तक ज्यादा सोने से बच्चे की फीडिंग और उसकी सेहत प्रभावित नहीं हो रही है तब तक कोई प्रॉब्लम नहीं है। पेरेंटिंग एक लर्निंग प्रोसेस है, जो धीरे धीरे ही सीखते हुए आएगी बस आप बच्चे की जरूरतों का खयाल रखें। कभी कभी माँ का इंस्टिक्ट बहुत काम आता है जो बच्चे को कई बार चीजों से प्रभावित होने से रोकता है। इसलिए यदि आपका नवजात शिशु ज्यादा सोना पसंद कर रहा है, तो आप भी इस दौरान अपने रेस्ट के लिए टाइम निकालें, क्योंकि बच्चे के साथ साथ आपकी नींद का पूरा होना बेहद जरूरी है।
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