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बच्चे को जन्म देना एक बहुत जटिल प्रक्रिया होती है। सामान्य प्रसव के दौरान भी कभी-कभी मामला गंभीर हो जाता है जैसे बच्चे का आकार बड़ा होना, उसका सिर अटकना या कभी बच्चे को साँस लेने में तकलीफ होती है आदि मामलों में बच्चे को बाहर निकालने में थोड़ी दिक्कत आती है। तब माँ के गर्भ से बच्चे को दुनिया में सुरक्षित रूप से लाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में एपिसियोटोमी करनी पड़ती है। जब बच्चे को बाहर निकालने के लिए महिला की योनि के निचले हिस्से में चीरा लगाया जाता है तो उसे एपिसियोटोमी या भगछेदन कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में महिलाएं इसे छोटा ऑपरेशन भी कहती हैं।
बच्चे के जन्म से ठीक पहले, योनि और गुदा के बीच के मांसपेशी वाले हिस्से में छेद को बड़ा करने के लिए एक चीरा लगाया जाता है। इस प्रक्रिया को एपिसियोटोमी कहा जाता है। यह प्रसव का रास्ता बड़ा कर देता है ताकि बच्चा सुरक्षित रूप से बाहर आ सके।
नीचे बताई गई स्थितियों में एपिसियोटोमी करने की आवश्यकता पड़ सकती है:
जब एपिसियोटोमी करने का निर्णय ले लिया जाता है, तो आपको लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है यानी उस जगह को सुन्न कर दिया जाता है। बच्चे के जन्म से ठीक पहले सर्जिकल कैंची के इस्तेमाल से पेरिनियम में एक छोटा चीरा लगाया जाता है। हालांकि, यदि शिशु के सिर के दबाव के कारण पेरिनियम पहले से ही सुन्न हो गया हो, या यदि आपको एपिड्यूरल दिया गया हो, तो बिना एनेस्थीसिया दिए एपिसियोटोमी की जाती है।
चीरे की गहराई के आधार पर एपिसियोटोमी अलग-अलग प्रकार की होती है। यह चीरा ऊपरी भी हो सकता है जिसमें केवल त्वचा कटती है, या यह गहरा भी लग सकता है।
शिशु के जन्म के बाद, एक और एनेस्थीसिया यह सुनिश्चित करने के लिए दिया जाता है कि आपका शरीर पूरी तरह से सुन्न हो, और इसके बाद चीरे को सिल दिया जाता है।
चीरा दो प्रकार का हो सकता है:
जैसा कि पहले ही बताया गया है, एपिसियोटोमी एक चीरा होता है, और सभी सर्जिकल प्रक्रियाओं की तरह, इसमें भी कुछ जोखिम होते हैं। कुछ मामलों में, एपिसियोटोमी से होने वाली जटिलताएं इस प्रकार हो सकती हैं:
यहाँ एपिसियोटोमी संक्रमण के उन लक्षणों के बारे में बताया गया है, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:
इसका उपाय यह है कि आपके पेरिनियम को शिशु को समायोजित करने के लिए धीरे-धीरे फैलने दिया जाए। प्रसव की गति धीमी और नियंत्रित होनी चाहिए जिससे पेरिनियम को धीरे-धीरे फैलने में मदद मिलेगी और इसके फटने से बचाव होगा। जब शिशु का सिर बाहर आने लगे तो हो सकता है कि आपको जोर लगाने की इच्छा पर नियंत्रण रखना पड़े।
पेरिनियम को फटने से बचाने के लिए आप ये उपाय कर सकती हैं:
वैसे तो डॉक्टर पूरी कोशिश करते हैं कि चीरा लगाने की आवश्यकता ना पड़ें। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि कुछ मामलों में यह आपके नियंत्रण से परे हो सकता है और तब चीरा लगाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं हो सकता। यदि आपके शिशु का आकार बड़ा हो या वह किसी जटिल स्थिति में हो या यदि आपका पेरिनियम नाजुक हो, तब उस स्थिति में चीरा लगाना अपरिहार्य हो जाता है।
यदि आपकी एपिसियोटोमी होती है तो आपको चलने या बैठने में दर्द हो सकता है क्योंकि घाव आपके शरीर की बेहद नाजुक जगह पर है। सीधा सा नियम है कि चीरा जितना गहरा होगा, ठीक होने में उतना ही समय लगेगा। अगर चीरा बड़ा है तो आपको कुछ दिनों तक या हो सकता है कि एक महीने तक तकलीफ हो। सामान्यतः एपिसियोटोमी में लगने वाले टांकें अपने आप घुलने वाले होते हैं और एक महीने के अंतराल में आप ठीक हो जाती हैं।
यहां एपिसियोटोमी से जल्दी उबरने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं:
नोट: आप डॉक्टर द्वारा बताए गए उपायों को ही अपनाएं, हम यहाँ आपको कुछ सामान्य जानकारी दे रहे हैं।
ध्यान रखिए कि एपिसियोटोमी के बाद यौन संबंध बनाने की कोशिश तभी करनी चाहिए जब पेरिनियम पूरी तरह से ठीक हो जाए। आमतौर पर इसमें प्रसव के बाद लगभग चार से छह हफ्ते लगते हैं। उसके बाद, बस डॉक्टर की मंजूरी आवश्यक होती है। यदि घाव गंभीर या गहरा है, तो किसी भी समस्या से बचने के लिए यौन संबंध बनाने से पहले पूरी तरह से ठीक होना जरूरी है।
शुरुआत में थोड़ा कसाव और परेशानी हो सकती है। गुनगुने पानी से नहाएं और भरपूर फोरप्ले करें। संभोग के लिए वह स्थिति चुनें जो आपके लिए आरामदायक हो, जैसे या तो ऊपर रहें पर या बगल में जहां से आप अपने हिसाब से संसर्ग कर सकें।
जितना हो सके सहज रहें। स्तनपान से एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, और इससे योनि में चिकनाहट कम हो सकती है। आप पानी में घुलनशील लुब्रिकेंट का उपयोग कर सकती हैं। कई महिलाएं सेक्स के दौरान लुब्रिकेंट का इस्तेमाल तब तक करती रहती हैं जब तक कि वे दूध पिलाना बंद नहीं कर देतीं।
यदि फिर भी संभोग के दौरान दर्द हो डॉक्टर से बात करें। हो सकता है कि आपको पेल्विक रिहैबिलिटेशन की जरूरत हो और इसके लिए किसी विशेषज्ञ को दिखाना पड़ सकता है।
जैसा कि आप जानती ही हैं, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी! जीवन के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर समझौता न करना ही बेहतर है। एपिसियोटोमी करवाने से पहले देख लें कि सभी सावधानियों का ध्यान रखा गया हो। यदि प्रसव के बाद ज्यादा समय तक दर्द बना रहे तो इसका डॉक्टर से मिलकर उपचार लें।
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