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खरगोश और चूहे की यह कहानी बच्चों को यह बताती है कि हमें कभी भी अपनी कमजोरियों से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि जो आपको अपनी कमजोरी लग रही है, वो किसी और के लिए ताकत हो। खरगोश को हमेशा लगता था कि वह एक कमजोर जानवर है और इस बात के लिए वो हमेशा भगवान को कोसता था, लेकिन जब उसने चूहों को उससे डरता हुआ देखा तब उसे जीवन का सच पता चला।
सालों पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश अपने परिवार के साथ रहता था। लेकिन जहां खरगोश रहता था, वहां पर और भी कई बड़े जानवर रहते थे। खरगोश और उसके परिवार को हमेशा इस बात की चिंता सताती थी कि कहीं कोई जानवर उन्हें कोई नुकसान न पहुंचा दे। उन्हें अपने नजदीक कोई भी आहट सुनाई देती थी, तो सब अपने बिल के अंदर छुप जाते थे। खरगोश का परिवार इस कदर डरा रहता था कि बड़े जानवरों की थोड़ी हलचल सुनकर भी कई खरगोश अपनी जान गंवा चुके थे। ये सब देखकर खरगोश बहुत दुखी था।
एक दिन खरगोश के घर के पास से घोड़ों का झुंड गुजर रहा था। उन घोड़ों की टापों की आवाज सुनकर खरगोश का परिवार अपने बिल में डर एक छुप गया। वो इतना डरे हुए थे कि न तो पूरा दिन अपने बिल से बाहर निकले और न खाने का इंतजाम कर पाए। खरगोश अपने परिवार की ऐसी हालत देखकर बहुत परेशान था। उसने फिर भगवान से शिकायत करते हुए का कि क्यों आपने हमें इतना कमजोर बनाया है। ऐसे जीने से क्या फायदा, जिसमें हर रोज मौत का डर लगा रहे। इसके बाद सभी खरगोशों ने साथ मिलकर ये फैसला लिया कि वे सभी अब डरेंगे नहीं बल्कि एक साथ सभी जीवन त्याग देंगे।
सभी खरगोश एक साथ मिलकर आत्महत्या करने के लिए बिलों से बाहर निकले और जंगल में नदी की तरफ चल दिए। उसी नदी के पास कई चूहों के बिल भी थे। जैसे ही चूहों ने इतने सारे खरगोशों को आते हुए देखा, तो वो बहुत डर गए और इधर-उधर भागने लगे। कुछ चूहे डर कर बिल में घुस गए और कुछ की नदी में गिरकर मौत हो गई। इसकी वजह से वहां भगदड़ मच गई।
ये पूरा नजारा देखकर खरगोश हैरान हो गए। उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ कि कोई उनसे भी डर सकता है। अभी तक वो सब खुद को ही दुनिया में सबसे कमजोर जानवर समझ रहे थे और भगवान से शिकायत कर रहे थे।
इस घटना के बाद खरगोशों को एक बात तो मालूम पड़ गई कि भगवान ने हर जानवर को अलग-अलग खूबियां और कमजोरियां दी हुई हैं। इसलिए जो जैसा होता है, उसे अपने आपको वैसा ही स्वीकार करने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। यदि किसी में किसी चीज की कमी है है, तो उसमें कुछ खासियत भी होगी। सब में एक जैसी खासियत नहीं होती है। ये सब समझने के बाद खरगोश का पूरा परिवार वापस अपने घर लौट गया।
खरगोश और चूहे की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि प्रकृति ने सभी को अलग-अलग शक्तियां दी हुई हैं, इसलिए कभी भी अपनी कमजोरी से हारे नहीं बल्कि उसे अपनी ताकत बनाएं।
यह कहानी पंचतंत्र की कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें यह बताया गया है कि हमें खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए, बल्कि हमारी ताकत क्या हो सकती है उसकी खोज करनी चाहिए।
खरगोश और चूहे की नैतिक कहानी ये है कि किसी भी प्राणी को खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि भगवान ने सब में कोई न कोई खूबी जरूर दी है। उस खूबी को पहचानें जिससे जीवन जीने में आसानी होगी।
अगर व्यक्ति खुद को कमजोर समझ लेगा और भगवान को अपनी कमजोरी के लिए कोसता रहेगा, तो वह जीवन में कभी भी निडर होकर आगे नहीं बढ़ पाएगा। इसलिए इंसान को अपनी कमजोरी से भागने के बजाय उसे अपनी ताकत बनाना चाहिए, तभी सफल जीवन हो सकेगा।
खरगोश और चूहे की इस कहानी से यह निष्कर्ष निकलता है कि, हमें समय रहते यह समझ जाना चाहिए कि हर इंसान और जानवर अलग-अलग तरीके से बना है और सब में अलग-अलग खूबियां होती हैं। इसलिए कभी भी खुद की तुलना किसी और से न करें और अपनी कमजोरी को ही अपनी असली ताकत बनाएं।
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