बच्चों की कहानियां

पिनोकियो की कहानी | Pinocchio Story In Hindi

पिनोकियो एक लकड़ी की कठपुतली है जिसे एक बढ़ई जेपैटो, ने बनाया है। वह चाहता है कि वह एक असली लड़का बने और एक जादुई परी उसे यह मौका देती है। लेकिन पिनोकियो कई बार झूठ बोलता है और बुरी आदतें अपना लेता है, जिससे उसे बहुत सी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। अंत में, पिनोकियो मेहनत करता है, सच्चाई से काम करता है और अपनी गलतियों से सीखता है। इस कहानी में पिनोकियो का पूरा सफर हमें सच्चाई, मेहनत और अच्छाई की महत्वता सिखाती है।

कहानी के पात्र (Characters Of Story)

  • एंटोनियो जो एक बढ़ई था
  • पिनोकियो
  • जेपैटो, जिसने पिनोकियो को बनाया
  • एक परी

पिनोकियो की कहानी | Pinocchio Story In Hindi

सालों पहले एक शहर में एंटोनियो नाम का एक बढ़ई रहता था जो लकड़ी से चीजें बनाता था। एक दिन वो जंगल गया और उसे एक लकड़ी का टुकड़ा मिला। उस लड़की के टुकड़े को वो घर ले आया। उसने सोचा कि इस लकड़ी से एक मेज बनाएगा। लेकिन जैसे ही उसने मेज का एक पैर बनाया, उसे चीखने की आवाज आई। एंटोनियो डर गया और उसने वो लकड़ी अपने गरीब दोस्त जेपैटो को दे दी।

जेपैटो ने उस लकड़ी से एक कठपुतली बनाने की सोची, जो बोल सके ताकि वो उससे पैसे कमा सके। उसने कठपुतली का नाम पिनोकियो रखा। पिनोकियो बहुत शरारती था, जबकि जेपैटो को शांत और अच्छे से पेश आने वाले बच्चे पसंद थे।

जब जेपैटो ने पिनोकियो के पैर बना दिए, तो उसने पिनोकियो को चलना सिखाया। लेकिन जैसे ही पिनोकियो ने चलना सीखा, वह दरवाजा तोड़कर बाहर भाग गया। रास्ते भर में पिनोकियो को उछल-कूद और तोड़फोड़ करते देख पुलिस वाले ने सोचा कि जेपैटो ने उसे घर में बंद करके रखा और सही सीख नहीं दी है। इसके बाद पुलिस ने जेपैटो को गिरफ्तार कर लिया।

भूखा पिनोकियो घर लौटा, लेकिन जेपैटो वहां नहीं था। उसने पड़ोसी के घर की घंटी बजाई, लेकिन पड़ोसी ने उसके मुंह पर ठंडा पानी फेंक दिया। भीगा और भूखा पिनोकियो घर लौट कर आया और स्टोव के ऊपर बैठ गया ताकि वह सूख सके। सुबह उठने पर उसने देखा कि उसका एक पैर जल गया था।

सुबह जेपैटो घर लौट कर आया। जैसे ही उसने पिनोकियो का जला हुआ पैर देखा, उसने जल्दी से लकड़ी से उसका एक नया पैर बना दिया। पिनोकियो बहुत खुश हुआ और उसने जेपैटो से वादा किया कि वह अब अच्छा बच्चा बनेगा और स्कूल जाएगा। यह सुनकर जेपैटो सोचने लगा कि वह पिनोकियो को स्कूल कैसे भेजेगा, क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं थे। तभी जेपैटो बाजार गया और अपना कोट बेचकर कुछ पैसे ले आया। उसने सारे पैसे पिनोकियो को दिए और कहा, ‘ये पैसे लो और कल से स्कूल जाना।’

जेपैटो ने अपना कोट बेचकर, स्कूल की किताबें ली। पिनोकियो ने देखा कि उसके पापा ने स्कूल के लिए कोट बेच दिया तो उसने कहा, ‘पापा, आपने मेरा स्कूल का खर्च उठाने के लिए अपना कोट बेच दिया।’ जेपैटो ने कहा, ‘बेटा, तुम मेरी चिंता मत करो और स्कूल जाने की तैयारी करो।’ पिनोकियो ने कहा, ‘ठीक है पापा, मैं रोज स्कूल जाया करूंगा और पढ़ाई कर के आपका नाम रोशन करूंगा।’

अगले दिन पिनोकियो सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने के लिए तैयार हो गया और निकल गया। रास्ते में उसे एक जगह लोगों की भीड़ दिखी। वहां पहुंचकर उसने एक आदमी से पूछा, ‘यहां क्या हो रहा है?’ आदमी ने कहा, ‘यहां एक पपेट शो चल रहा है।’ पिनोकियो ने सोचा, ‘मुझे भी पपेट शो देखना है, लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं। अब मैं क्या करूं?’

फिर पिनोकियो के दिमाग में एक तरकीब सूझी। वह अपनी किताब रद्दी वाले को बेचकर पैसे ले आया और उन पैसों से पपेट शो की टिकट खरीद ली। पिनोकियो पपेट शो में गया और वहां बहुत सारे पपेट देखे। तभी उसने शो के स्टेज पर चढ़कर डांस करना शुरू कर दिया।

जब पिनोकियो सर्कस के स्टेज पर डांस कर रहा था, तो वहां पपेट मास्टर आ गया और शो खत्म होने के बाद पिनोकियो और सभी पपेट्स को अपने साथ घर ले जाने लगा। थोड़ी देर बाद पिनोकियो ने फिर से स्टेज पर डांस करना शुरू कर दिया। तभी सर्कस के मालिक ने उसे देखा और सोचा कि अगर पिनोकियो उसकी सर्कस टीम में शामिल हो जाए, तो वह बहुत पैसे कमा सकता है। यह सोचकर उसने पिनोकियो को पकड़ लिया।

घर पहुंच ने बाद पपेट मास्टर को खाना बनाने के लिए लकड़ियों की जरूरत पड़ी। उसने सोचा कि क्यों न पिनोकियो को लकड़ी की तरह इस्तेमाल किया जाए। उसने पिनोकियो से कहा, ‘मुझे खाना बनाने के लिए कुछ लकड़ियों की जरूरत है।” यह सुनते ही पिनोकियो डर गया और बोला, ‘नहीं, मुझे मत जलाओ!’ तभी वह अपने पापा जेपैटो को याद करने लगा और बोला, ‘पापा, मुझे बचाओ!’

पिनोकियो के मुंह से ‘पापा’ शब्द सुनकर पपेट मास्टर को काफी हैरानी हुई। उसने पिनोकियो से पूछा, ‘क्या तुम्हारे पापा भी हैं?’ पिनोकियो ने जवाब देते हुए कहा, ‘हां, और मेरे पापा बहुत अच्छे हैं।’ फिर पिनोकियो ने अपनी पूरी कहानी पपेट मास्टर को बताई। कहानी सुनकर पपेट मास्टर ने कहा, ‘तुम बहुत अच्छे बच्चे हो। मैं तुम्हें कुछ सोने के सिक्के दे रहा हूं, उससे तुम अपने पापा के लिए कोट खरीद लेना।”

सोने के सिक्के लेकर पिनोकियो अपने घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक बिल्ली और लोमड़ी मिली। उन दोनों को पिनोकियो ने सोने के सिक्कों के बारे में सब बता दिया। सिक्कों की बातें सुनने के बाद बिल्ली और लोमड़ी ने पिनोकियो को लूटने की योजना बनाई। लोमड़ी ने बिल्ली से कहा, ‘मैडम बिल्ली, आप पिनोकियो को पैसों के पेड़ के बारे में बताइए।’ बिल्ली ने कहा, ‘ठीक है! बताती हूं, लेकिन यह एक रहस्य है, जिसके बारे में हम किसी को नहीं बताते हैं।’ लोमड़ी ने बोला, ‘इसके पहले हम अपनी नई दोस्ती का उत्सव मनाते हैं।’

तभी लोमड़ी और बिल्ली पिनोकियो को एक होटल में लेकर गए। उस होटल में उन्होंने खाना खाया और वहां से जल्दी निकल गए। इसका बिल पिनोकियो को देना पड़ा। होटल का बिल देखर जैसे ही पिनोकियो बाहर आया, तभी उसे एक आवाज सुनाई दी, ‘रुक जाओ! पैसे दे दो वरना मार दिए जाओगे।’ पिनोकियो को समझ आ गया कि यह बिल्ली और लोमड़ी की चाल है। पिनोकियो ने जल्द से जल्द अपने बचे पैसे छिपा लिए। बिल्ली और लोमड़ी ने उसके बाद पिनोकियो को एक पेड़ पर लटका दिया और कहा, ‘अगर अपनी जान बचानी है तो सोने के सिक्के दे दो।’ पिनोकियो ने फिर से अपने पापा को याद किया। उसी वक्त एक परी ने उसकी आवाज सुनी और उसने एक गिद्ध और कुत्ते को पिनोकियो को बचाने के लिए भेज दिया।

गिद्ध जल्दी से पेड़ पर लटके पिनोकियो के पास पहुंचा और उसकी रस्सी काटी और फिर कुत्ते ने पिनोकियो को उठाकर परी के पास पहुंचा दिया। अगली सुबह, जब पिनोकियो की नींद खुली, तो परी ने उससे पूछा कि वह यहां कैसे पहुंचा। पिनोकियो ने उसे अपनी आप बीती बताई, लेकिन उसने झूठ बोला कि उसके सिक्के चोरी हो गए, जबकि सिक्के उसी के पास ही थे।

जैसे ही पिनोकियो ने झूठ बोला, उसकी नाक लंबी हो गई। परी को समझ आ गया कि पिनोकियो झूठ बोल रहा है। उसने तुरंत कहा, ‘झूठ मत बोलो। मुझे दिख रहा झूठ बोलने से तुम्हारी नाक लंबी हो रही है।’ पिनोकियो ने तुरंत अपनी गलती की माफी मांगी और कहा कि वह दोबारा झूठ नहीं बोलेगा। परी ने उसे कुछ सिक्के दिए और कहा कि ये अपने पापा को दे देना।

सिक्के लेकर पिनोकियो फिर से अपने घर की ओर जाने लगा। रास्ते में उसे एक बार फिर से वही बिल्ली और लोमड़ी मिलें। उन्होंने पिनोकियो को फिर से सिक्कों के पेड़ उगाने के लिए मना लिया और उसके सिक्के चुरा कर भाग गए। पिनोकियो दुखी होकर खाली हाथ घर पहुंचा। उसने अपने पापा से कहा, ‘मुझे माफ कर दीजिए। मैं दूसरों के बहकावे में आ गया था।’ जेपैटो ने उसे माफ कर दिया और अगले दिन स्कूल भेजा। स्कूल जाते समय रास्ते में पिनोकियो को सबसे शरारती बच्चा कार्लोस मिला। कार्लोस पिनोकियो को देखकर बोला, तुम कहां जा रहे हो? स्कूल जाकर समय बर्बाद मत करो। हमारे साथ टॉय लैंड चलो, वहां बहुत मजा आएगा।’

एक बार फिर से पिनोकियो बहक गया और कार्लोस के साथ चल पड़ा। रास्ते में उन्हें एक गधा गाड़ी मिली और वे उस पर सवार हो गए। कुछ दूर जाने के बाद, दोनों गधों में बदल गए। गधे बनकर वे बाजार पहुंचे, जहां एक किसान ने कार्लोस को खरीद लिया और एक सर्कस के मालिक ने पिनोकियो को खरीद लिया।

अब पिनोकियो को रोज सर्कस में करतब दिखाने पड़ते थे। एक दिन करतब दिखाते समय वह स्टेज से गिर गया और उसका पैर टूट गया। इस कारण उसे सर्कस से बाहर कर दिया गया। उस समय एक बूढ़ा आदमी उसे खरीदने आया। वह पिनोकियो की खाल से ढोल बनाना चाहता था। उसने पिनोकियो को एक बड़े पत्थर से बांधकर समुद्र में फेंक दिया।

समुद्र में जाने के बाद पिनोकियो बहुत दुखी और हतास होकर परी को याद करने लगा और बोला, हे! परी, मुझे बचा लो। अब मैं सच में दुबारा कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा।’ परी ने उसकी आवाज सुनी और तुरंत एक मछली को समुद्र में पिनोकियो को बचाने भेजा।

मछली जल्दी से पिनोकियो को बचाने के लिए उसके पास पहुंची और उसकी रस्सी काटकर उसकी गधे वाली खाल खा गई। फिर पिनोकियो वापस से अपने कठपुतली वाले अवतार में आ गया। इसके बाद पिनोकियो तैरते हुए समुद्र से निकलने की कोशिश कर रहा था, तभी एक बड़ी शार्क आ गई और उसे निगल गई।शार्क के पेट में बहुत अंधेरा था। पिनोकियो डर गया और मदद के लिए चिल्लाया, “कोई है, जो मेरी मदद करे?”

अचानक पिनोकियो के शार्क के पेट में एक रोशनी दिखी। उसने देखा कि उसके पापा जेपैटो टॉर्च लेकर खड़े थे। पिनोकियो उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ और जेपैटो भी बहुत खुश हुए। जेपैटो ने ने अपने बेटे को देखते हुए कहा, ‘मेरा बच्चा! मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं तुमसे दुबारा मिल सकूंगा। तुम जमीन पर कही नहीं मिले इसलिए मैं तुम्हें समुद्र में ढूंढने आ गया और खोजते हुए शार्क के पेट में फंस गया।’ पिनोकियो ने राहत की सांस ली और कहा, ‘हम दोनों जिन्दा है। अब बाहर निकलते हैं।’ पिनोकियो और जेपैटो शार्क के मुंह से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, लेकिन सफल नहीं हुए। तभी शार्क सो गई और उसका मुंह खुल गया। इस मौके का फायदा उठाकर पिनोकियो और जेपैटो बाहर कूद गए और तैरकर बाहर निकल गए। बाहर निकलने के बाद पिनोकियो ने देखा कि उसके पापा को तेज बुखार है। उसने अपने पापा को एक जगह बैठाया और उनके लिए खाने की तलाश में निकल पड़ा। उसे एक दुकान मिली। उसने दुकानदार से अपने पापा के लिए दूध मांगा। दुकानदार ने कहा, ‘पहले पैसे दो और फिर दूध लेकर जाओ।’

उस समय पिनोकियो के पास पैसे नहीं थे, तो दुकानदार ने कहा, ‘यदि तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं, तो तुम यहां सुबह से शाम तक काम करो, तो अपने पापा के लिए दूध ले जा सकते हो।’ पिनोकियो ने यह शर्त मान ली और वहां काम करने लगा। कुछ दिनों बाद पिनोकियो के पापा जेपैटो ठीक हो गए और फिर दोनों अपने घर की ओर चल पड़े। अब पिनोकियो बहुत सुधर गया था और अपने पापा के काम में मदद करने लगा।

एक दिन पिनोकियो को पता चला कि परी की तबीयत खराब है। उसने तुरंत परी को मदद के लिए कुछ पैसे भेजे। यह देखकर परी बहुत प्रसन्न हुई और बदले में उसे सपने में आकर एक वरदान दिया। अगले दिन जब पिनोकियो उठा तो उसने खुद को आईने में देखा, तो वह हैरान रह गया। उसने देखा कि वह अब कठपुतली से एक सुंदर लड़का बन गया है। वह दौड़ते हुए अपने पापा के पास गया। जेपैटो भी पिनोकियो को देखकर बहुत खुश हुए। इसके बाद दोनों बाप और बेटे खुशी-खुशी रहने लगे।

पिनोकियो की कहानी से सीख (Moral of Pinocchio Hindi Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए। अगर हम उनकी बातें नहीं मानेंगे, तो हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे पिनोकियो ने बड़ों की बातें नहीं मानी, इसलिए उसे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

पिनोकियो की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Pinocchio Hindi Story)

पिनोकियो की कहानी मुख्य रूप से एक परी कथा है। इस तरह की कहानियों में जादू, कल्पनाशीलता और नैतिक ज्ञान दिया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. पिनोकियो की नैतिक कहानी क्या है?

पिनोकियो की नैतिक कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें हमेशा सच्चा और ईमानदार होना चाहिए। पिनोकियो ने झूठ बोलने और बुरी आदतें अपनाने की वजह से बहुत सी परेशानियों का सामना किया। जब उसने सच्चाई और मेहनत से काम किया, तो उसकी जिंदगी बदल गई।

2. हमें अपने बड़ों की बात क्यों माननी चाहिए?

हमें अपने बड़ों की बात माननी चाहिए क्योंकि वे हमें अपने अनुभव और ज्ञान से सही सलाह देते हैं। वे हमारी भलाई चाहते हैं और जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। अगर हम उनकी सलाह मानेंगे, तो हम समस्याओं से बच सकते हैं और सही रास्ते पर चल सकते हैं, जैसे पिनोकियो ने बड़ों की बात मानकर अपनी गलतियां सुधारी और सही रास्ता अपनाया।

निष्कर्ष (Conclusion)

पिनोकियो की कहानी ये निष्कर्ष सामने आता है कि अगर हम सच्चाई से काम करें और बड़ों की सलाह मानें, तो हम अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं और अच्छा जीवन जी सकते हैं। पिनोकियो ने अपनी गलतियों से सीखा, मेहनत की और अपने बड़ों की बातें मानी, जिससे वह एक असली लड़का बन सका और अपने पापा के साथ खुशी से रहने लगा।

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जया कुमारी

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