गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: जिसका अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही भगवान शंकर के रूप हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ। गुरु की तुलना ब्रह्मा से की जाती है, क्योंकि गुरु वो होता है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की भूमिका का निर्वहन करता है। इसीलिए गुरु को इतना महान और आदरणीय बताया गया है। हम सब ने अपने बड़ों से यही सुना है कि गुरु या शिक्षक माता-पिता से कम स्थान नहीं रखते हैं और हमेशा उनका सम्मान करना चहिए। कहते है जिस किसी को गुरु का आशीर्वाद मिले उसका जीवन सफल हो जाता है। एक शिक्षक या गुरु का क्या महत्व है वो हमें वेद पुराणों से सीखने को मिलता है और यहीं से हमें अपने गुरु का सम्मान करने की प्रेरणा मिलती है। हम सभी को उम्र के हर पड़ाव पर गुरु की जरूरत पड़ती है जो हमारा मार्गदर्शन कर सकें। हम जिस उपलक्ष में यह लेख लिख रहे हैं वो दुनिया भर के सभी शिक्षक को समर्पित है।  लेकिन सवाल यह है कि आखिर शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाने लगा? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें भारत के पहले उपराष्ट्रपति व दूसरे राष्ट्रपति और बेहतरीन शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 में हुआ था वे एक बेहतरीन शिक्षाविद थे और उनका कहना था विद्यार्थी शिक्षा का केंद्र होते हैं। इन्होनें अपने 40 साल शिक्षक के रूप में बिताए और कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में बतौर प्रोफेसर विद्यार्थियों के बीच अपना समय बिताया। इस बात में कोई शक नहीं की डॉ. सर्वपल्ली एक बेहतरीन शिक्षक थे और बच्चों के बहुत प्यारे और पसंदीदा शिक्षक थे। जब बच्चे उनका जन्मदिन मनाने की जिद करते, तो सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने यह सुझाव दिया कि 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने से बेहतर है कि इस दिन को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाए तो उन्हें ज्यादा खुशी होगी और तब से हर साल 5 सितंबर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

शिक्षक दिवस 2025 पर कविता बच्चों के लिए | Poems On Teacher’s day in Hindi For Kids

नीचे शिक्षक दिवस के अवसर पर आपके लिए प्रस्तुत कुछ फ्रेश कविताओं का संग्रह है जिन्हे अपने टीचर को डेडिकेट कर सकते हैं। आइए देखते हैं:

1. गुरु क्या है?

गुरु तुम्हे जीव से इंसान बनाता है!
गुरु तुम्हें समाज की समझ बताता है!
गुरु तुम्हे तुम्हारे होने अहसास दिलाता है!
गुरु तुम्हारे मकसद को राह दिखाता है!
गुरु तुम्हे जीवन का उद्देश्य बताता है!गुरु तुम्हे जीव से इंसान बनाता है ।।गुरु के बिना तुम व्यर्थ हो जाओगे!
गुरु के बिना तुम अपनी राह भटक जाओगे!
गुरु के बिना तुम सच झूठ का फर्क समझ न पाओगे!
गुरु बिना तुम ईश्वर की प्राप्ति न कर पाओगे!
गुरु की संगत के बिना ज्ञान कहाँ से पाओगे!गुरु तुम्हे जीव से इंसान बनाता है।।गुरु के स्थान को ईश्वर से ऊपर रखा है!
गुरु के आदर में शीश झुखा रखा है!
गुरु के होने से आशीर्वाद बना रखा है!
हे गुरु! तुमने मन का अंधकार मिटा रखा है,
हे गुरु! तुमने सदैव सर पर अपना हाथ बना रखा है।गुरु तुम्हे जीव से इंसान बनाता है।।

2.  प्यारे न्यारे शिक्षक हमारेप्यारे न्यारे शिक्षक हमारे

देते हमको ज्ञान।
हम बच्चे भी करते हैं ,
इनका बहुत सम्मान।यह देते हैं हमको,
संसार का समस्त ज्ञान।
जिसके बाद प्राप्त होता है,
हमे विश्व में प्रथम स्थान।सर्वपल्ली ने शिक्षकों की गरिमा को बढ़ाया,
के अपने जन्म को उत्सव में बदल डाला।
अब हर एक शिक्षक का,
जग में है बोल-बाला।शिक्षक के प्रेम में जश्न मना रहे यह बच्चे,
शिक्षक के सम्मान में नदमस्तक हैं सारे बच्चे।

3.  जीवन को अंधकार से उजाला जो दिखलाए

जीवन को अंधकार से उजाला जो दिखलाए,
पूजनीय बनकर हमारे जीवन में जो आ आए,
महिमा का वर्णन जिसकी करने को कम पड़ जाए,
जिसके भीतर की गहराई ज्ञान का सागर कहलाए,
भटकी राहों को जिसके पग चिंह मार्ग पर लाएं,
जिसको गोविंद से ऊंचा पद हो मिल जाए,
उस गुरु के सम्मान की क्या सीमा तय होगी भला!
जिसको मिले साथ गुरु का, उसका कल्याण हो के रहेगा,
गीली मिट्टी से व्यक्तित्व को आकार दिया हो जिसने,
रह सकें खड़े अपने पैरों पर यह विश्वास दिया है गुरु ने,
अपने ज्ञान के वेग से मेरा जीवन पुष्पित किया है तुमने,
यह जीवन कर्जदार रहेगा सदैव तेरी शरण में,
जीवन को अंधकार से उजाला जो दिखलाए।

4. मेरे शिक्षक

मेरे शिक्षक चश्मा पहने,
हाथों में छड़ी रखते हैं,
बल रहता है माथे पर,
बड़े गुस्से में दिखते हैं।
मेरे शिक्षक, हाँ मेरे शिक्षक!दिखने में एकदम विपरीत स्वभाव,
नरम दिल मिजाज है इनका,
दूजे हाथ में टॉफी बिस्कुट,
बच्चों से बहुत प्रेम है इनका।मेरे शिक्षक, हाँ मेरे शिक्षक!कठोर होने का दिखावा करते,
भींचे रहते अपनी मुस्कान,
मुँह में दबा कर बड़ा पान,
कहते जल्दी बैठों अपने-अपने स्थान।मेरे शिक्षक हाँ मेरे शिक्षक!हमको दुनिया दारी का पाठ पढ़ाते,
और पढ़ाते हिंदी, अंग्रेजी व गणित श्रीमान,
विज्ञान हमें यह जब-जब पढ़ाते,
ब्रह्मांड की हमको सैर कराते।मेरे शिक्षक हाँ मेरे शिक्षक!जो पाठ पढ़ा दें ये एक दफा,
वो जीवन भर स्मरण रहे,
कहते हैं बुद्धि तेज  करो,
खाओ काजू किशमिश और बादाम।मेरे शिक्षक हाँ मेरे शिक्षक!

5. आओं हम बतलाते हैं

शिक्षक क्या है आओं हम बतलाते हैं।
वो हमें ‘अ’ से अनपढ़ ‘ज्ञ’ से ज्ञानी बनाते हैं।
दिशाहीन वर्तमान से वो हमें भविष्य के सपने दिखाते हैं।
इस तरह वो मेरे अंधेरे जीवन में रौशनी के दीप जलाते हैं।
हमारे कोरे कागज सी जिंदगी को वो एक किताब बनाते हैं।
चन्द्रमा तक जाने की पहली सीढ़ी बनते हैं।
अपने उद्देश्य को पूरा करने का वो मार्ग हमे दिखलाते हैं।
बैठे हैं जो ऊंचे पदों पर वो भी गुरु का सत्कार करते हैं।
वो प्रेरणा बनकर जीवन की नाव पर लगाते हैं।

6. हमको बताते हैं शिक्षक

सही क्या गलत क्या हमको बताते हैं शिक्षक।
यह जिंदगी का पाठ हमें सिखाते हैं शिक्षक।
झूठ सेहत के लिए नहीं होता है अच्छा, यह बताते हैं शिक्षक।
सदा सच का सारथी बने रहने की बात बताते हैं शिक्षक।
हर कठिन राह को आसान बनाने में हमारी मदद करते हैं शिक्षक।
जीवन के हर मोड़ पर कैसे लड़ना है, यह समझाते हैं शिक्षक।
आभार प्रकट करना मुश्किल है शिक्षक का।
मंजिल हो कठोर तो राहों को पार लगाते हैं शिक्षक।

7. अज्ञान को ज्ञान की ज्योति दिखा कर

अज्ञान को ज्ञान की ज्योति दिखा कर,
अंधेरो को रौशनी का रास्ता दिखा कर।
ये गुरु है जो ज्ञान की किरणें फैला कर,
शिष्यों का भविष्य उज्जवल बनाते हैं।

सफलता के राह पर चलना सिखाकर,
हमें कामयाबियों के शिखर पर पहुँचाते हैं।

जीवन को जीने की दिशा दे कर,
हम सबको गुरु ही सफल बनाता है।

उम्मीद है आपने ऊपर दी गई शिक्षक पर कविता को उसी प्रेम भाव से पढ़ा होगा जिस प्रेम भाव से यह कविताएं लिखी गई हैं। हम सब बिना गुरु के अधूरे हैं। हम जिस मार्ग पर चलते हैं या चलना चाहते हैं क्या वो मार्ग सही है या नहीं यह सिर्फ एक गुरु ही बता सकते हैं। अपने इस लेख को कबीर जी एक इस लेख से समाप्त करते हैं ‘गुरू गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय,” जिसका अर्थ है कि अगर मेरे सामने ईश्वर और गुरु दोनों एक समान खड़े हो तो मैं पहले अपने गुरु को ही प्रणाम करूंगा। क्योंकि गुरु ने ही ईश्वर से हमे परिचित कराया है।
समर नक़वी

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