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जब हीमोग्लोबिन का स्तर नॉर्मल से कम हो जाता है, तो ऐसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं। हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन को कैरी करता है। इसके लिए आयरन की जरूरत होती है और भोजन में आयरन की कमी से एनीमिया की संभावना हो सकती है। बच्चे के जन्म के दौरान कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है। गर्भावस्था के दौरान अगर महिला को पहले से ही एनीमिया की शिकायत , तो यह स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है।
डिलीवरी के बाद होने वाली आयरन की कमी को पोस्टपार्टम एनीमिया कहते हैं। डिलीवरी के 1 सप्ताह के बाद अगर हीमोग्लोबिन का स्तर 110 ग्राम/लीटर से कम हो और आठवें सप्ताह तक अगर इसका स्तर 120 ग्राम/लीटर हो, तो इसका अर्थ है कि आपको पोस्टपार्टम एनीमिया है।
बोन मैरो में आयरन के स्तर में कमी के कारण खून में आयरन की मात्रा कम हो जाती है। इस स्टेज में एनीमिया के कुछ विशेष लक्षण आपको दिखाई नहीं देते हैं।
इस स्टेज में आप एनीमिया के कुछ साइड-इफेक्ट्स महसूस करने लगती हैं। इसके लक्षणों में बार-बार होने वाला सिरदर्द शामिल हो सकता है, और आप आमतौर पर जितनी एक्टिव होती हैं, उसमें कमी महसूस कर सकती हैं। आप ब्लड टेस्ट के द्वारा इस कमी का पता लगा सकती हैं। एनीमिया के इस स्टेज में हीमोग्लोबिन के बनने पर प्रभाव पड़ने लगता है।
इस स्टेज में, एनीमिया पूरी तरह से डेवलप हो चुका होता है, क्योंकि हीमोग्लोबिन के स्तर में बहुत ज्यादा कमी आ जाती है। आप अपने आप को कुछ अलग महसूस कर सकती हैं, बहुत ज्यादा थका हुआ, कमजोर और बीमार महसूस कर सकती हैं।
डिलीवरी के बाद एनीमिया होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
यदि प्रेगनेंसी के पहले और दौरान ली जाने वाली आयरन की मात्रा पर्याप्त ना हो, तो उससे पोस्टपार्टम एनीमिया होने की संभावना हो जाती है। प्रेगनेंसी के दौरान यह सुनिश्चित करें कि आप 4.4 मिग्रा आयरन हर दिन जरूर लें। आप आयरन के सप्लीमेंट गर्भधारण के पहले और प्रेगनेंसी के दौरान भी ले सकती हैं, क्योंकि रोज के भोजन में आयरन की उतनी मात्रा उपलब्ध नहीं होती है। गर्भधारण के पहले भी यदि माहवारी के दौरान आपको ज्यादा ब्लीडिंग होती है, तो ऐसी स्थिति में भी आप को आयरन की कमी हो सकती है।
यदि डिलीवरी के दौरान खून की कमी बहुत ज्यादा हो जाए, तो ऐसे में शरीर में जमा हुआ आयरन खाली हो जाता है। परिणामस्वरूप डिलीवरी के बाद एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है। खून की कमी अगर बहुत ज्यादा हो, तब एनीमिया की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होती है।
सीलिएक रोग, क्रॉन्स रोग और पेट की इन्फ्लेमेटरी बीमारियों जैसी आंत संबंधी बीमारियां, आयरन के अवशोषण में असर डालती हैं।
आयरन के स्तर में बहुत ज्यादा गिरावट आने पर शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। डिलीवरी के बाद आप कई तरह के लक्षण महसूस कर सकती हैं, जैसे
डिलीवरी के बाद एनीमिया के लक्षण एक ही समय पर एक साथ होना जरूरी नहीं है, पर फिर भी यदि ऊपर दिए गए इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपको परेशान कर रहा है, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। इस प्रकार इसके आगे आने वाली कई दिक्कतों से आप बच सकती हैं।
एनीमिया का इलाज जितनी जल्दी हो सके करवा लेना चाहिए, इससे मां को कई प्रकार के खतरों से बचाया जा सकता है, इनमें से कुछ खतरे इस प्रकार है
यदि आप नीचे दिए गए कैटेगरी में आती हैं, तो नई मां को पोस्टपार्टम एनीमिया के खतरे ज्यादा हो सकते हैं:
अगर आपको इनमें से कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो ऐसे में बच्चे का पोषण भी प्रभावित हो सकता है।
एनीमिया इम्यून सिस्टम के कार्य को निश्चित तौर पर कम करता है, इसलिए यह अपने बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए कुछ समस्याएं खड़ी कर सकता है और अगर आपने अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना तय किया है, तो यह आपके लिए निराशाजनक हो सकता है। हालांकि, यह समस्या उन महिलाओं को भी आ सकती है जिन्हें एनीमिया नहीं है।
कुछ आम समस्याएं जैसे दूध की नलिकाओं का जाम होना, छाले पड़ना, निप्पल के हीलिंग में लगने वाला ज्यादा समय, ब्रेस्ट में सूजन होती हैं। दूध की मात्रा एवं क्वालिटी में कमी भी देखी जा सकती है। इससे ब्रेस्टफीडिंग की अवधि में भी कमी आ सकती है। इससे बच्चों की शुरुआती उम्र में कम वजन होने की समस्या भी हो सकती है, बच्चों को संभालना मुश्किल हो सकता है और सोने में भी दिक्कत हो सकती है।
आप एक लेक्टेशन कंसलटेंट की मदद से इन समस्याओं से निजात पा सकती हैं। इससे आप को एनीमिया होने के बावजूद आपके बच्चे को एनीमिया होने की संभावना को काफी कम किया जा सकेगा। फिर भी 6 महीने के बाद पीडियाट्रिशियन से मिलकर जांच करवाना सही होगा, ताकि अगर जरूरी हो तो वह बच्चे को आयरन के सप्लीमेंट्स देना शुरू कर सकें।
आप अपने खाने और जीवनशैली में सुधार करके पोस्टपार्टम एनीमिया को ठीक कर सकती हैं। ये 9 टिप्स आपको अपनी स्थिति में सुधार लाने में मदद करेंगे।
आप आयरन सप्लीमेंट्स लेकर अपने खून में आयरन के स्तर को बढ़ा सकती हैं। डॉक्टर की सलाह से टेबलेट, कैप्सूल या टॉनिक लेना बेहतर होगा।
आप आयरन से भरपूर भोजन का सेवन कर सकती हैं।
चाय में टैनिन होता है, यह इंग्रिडेंट मानव शरीर में आयरन के अवशोषण को कम करता है। जरूरत से ज्यादा कैल्शियम के सेवन से भी शरीर में आयरन के अवशोषण में कमी आती है।
विटामिन सी से भरपूर भोजन लेने से शरीर में अवशोषित होने वाले आयरन की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। फलों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
प्रेगनेंसी के दौरान हाइड्रेटेड रहना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि यह डिलीवरी के बाद ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद करता है। अच्छी मात्रा में तरल पदार्थ के सेवन से खून के थक्के जमने की समस्या और यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन से बचाव होता है। तरल पदार्थों से कुछ आयरन सप्लीमेंट के कारण होने वाली ब्लोटिंग, की समस्या में भी कमी आती है। प्रतिदिन लगभग 2 लीटर पानी पीना अच्छा होता है, क्योंकि अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करने से खून पतला होता है।
कब्ज की शिकायत एनीमिया का एक साइड इफेक्ट है। इस साइड इफेक्ट से निजात पाने के लिए स्टूल सॉफ्टनर का सेवन किया जाना चाहिए। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए आप अधिक मात्रा में पानी का सेवन कर सकती हैं।
एनीमिया से आपके शरीर के इम्यूनिटी पर असर पड़ता है और इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप इंफेक्शन के कोई लक्षण महसूस कर रही हैं, तो आपको अपने जनरल प्रैक्टिशनर और गायनेकोलॉजिस्ट से बात करनी चाहिए।
आयरन के स्तर में कमी के कारण आपको बहुत थकान और कमजोरी का एहसास हो सकता है। इसलिए ऐसे में आपको आराम की आवश्यकता होती है।
अगर आप इस स्थिति से ग्रसित हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क बनाए रखना बेहतर है। डॉक्टर आपके ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर जरूरी कदम उठाएंगे। अगर आपके शरीर में आयरन का स्तर लगातार नीचे जा रहा है, तो वह आपको इंजेक्शन या फिर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सलाह भी दे सकते हैं।
अगर आप डिलीवरी के बाद किसी भी तरह के असामान्य लक्षण महसूस कर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। अपने भोजन को बेहतर बना कर आयरन के स्तर को बरकरार रखें। एक न्यूट्रिशनिस्ट आपको डिलीवरी के बाद, खोए हुए पोषक तत्वों की पूर्ति करने में सहायता करेगा। अगर आप एनीमिया को मैनेज कर लेती हैं, तो पोस्टपार्टम हैम्रेज को भी दूर रखा जा सकता है।
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