गर्भावस्था का दूसरा महीना – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन और आहार

गर्भावस्था का दूसरा महीना - लक्षण, शारीरिक परिवर्तन और आहार

अधिकांश माँओं को, गर्भावस्था के दूसरे महीने से ही गर्भ में शिशु के होने का अनुभव शुरू हो जाता है। इस समय पर कुछ नए और दिलचस्प लक्षणों का अनुभव हो सकता है जो अजीब और आपको थका देने वाले भी हो सकते हैं। ये परिवर्तन अत्यंत प्रबल और भावुक भी हो सकते हैं किन्तु आप इस बात का खयाल रखें कि आप उस बदलाव की उस राह पर हैं जहाँ आपके शरीर में एक नया जीवन पल रहा है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने के सामान्य लक्षण

माँ बनने जा रही अधिकांश महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरे महीने में उन लक्षणों का अनुभव होना शुरू हो जाता है जो एक शिशु के आने का स्पष्ट संकेत होते हैं।

1. मॉर्निंग सिकनेस

यह महत्वपूर्ण शब्द आपने हर कहीं और हर किसी से सुना होगा, हालांकि लगभग सभी महिलाओं ने यह पाया है कि यह शब्द बिलकुल वैसा नहीं है जैसा कि सुनने में लगता है। मतली की समस्या सुबह के समय अधिक होती है किन्तु पूरे दिन के लिए यह स्थिति बनी रहती है, कभीकभी इसका प्रभाव कम होता है और कभीकभी यह अत्यधिक प्रभावित करती है। जीवविज्ञान के अनुसार, इसका आपके स्वास्थ्य और आपके शिशु पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, लगातार उल्टी और मतली महसूस होने की वजह से कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में अत्यधिक कठिनाई और विफलता प्राप्त होती है। हर समय असहजता के कारण आपको ऐसा भी लग सकता है कि आपका साथी, आपके लिए पहले जैसा महसूस नहीं करता है। दूसरी तरफ अनेक माँओं का यह भी कहना है कि मतली की यह भावना कभीकभी उन्हें शिशु के बारे में सोचते हुए खुद का खयाल रखने में खुशी देती है।

2. मिज़ाज में असामान्य परिवर्तन

गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में यह भी एक आम बात है । इस दौरान अत्यधिक सक्रिय हॉर्मोन के उतारचढ़ाव, आपके शरीर में होते हैं जिस कारण आप एक पल खुश तो दूसरे ही पल नाराज़ भी हो सकती हैं। आपका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है या आप सुस्त भी महसूस कर सकती हैं और ऐसे में कभीकभी आपका व्यवहार ज़िद्दी या अविवेकी भी हो सकता है जिस कारण आप यह भी सोच सकती हैं कि आप अपने बच्चे की देखभाल कैसे कर सकेंगी। आपको परिवार के कार्य और अन्य परिस्थितियां अत्यधिक कठिन और तनावपूर्ण लग सकती हैं। अधिकतर मिजाज में परिवर्तन मुख्य रूप से प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हॉर्मोन के कारण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क की रासायनिक संरचना में परिवर्तन होता है।

3. बारबार पेशाब आना

ज्यादातर गर्भवती महिलाएं, शौचालय को अपना दूसरा घर कहना शुरू कर देती हैं। उन्हें लगातार यह महसूस हो सकता है कि उन्हें पेशाब आ रही है, यह भावना उन पर अत्यधिक हावी होने लगती है। यह एच.सी.जी. हॉर्मोन के स्रावित होने का एक परिणाम है, इसे मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हॉर्मोनकहा जाता है और दुख की बात यह है कि पूरी गर्भावस्था के दौरान यह स्थिति बनी रहती है। इसलिए, किसी भी गर्भवती महिला के लिए हाइड्रेटेड रहना सबसे पहली प्राथमिकता होती है।

4. स्तन के माप और आकार में वृद्धि

गर्भावस्था के दौरान किसी दिन अचानक आप पाएंगी कि आपकी ब्रा उतनी आरामदायक महसूस नहीं हो रही जितनी पहले थी और आपके स्तन भी पहले से बड़े महसूस होंगे। इसके अलावा, वे सामान्य से काफी संवेदनशील हैं और छूने से उनमें दर्द भी महसूस हो सकता है। गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन आपके शरीर को माँ की भूमिका निभाने के लिए तैयार करने में मदद करते हैं और साथ ही ये हॉर्मोन, स्तनों के आकार सहित शारीरिक वसा को भी बढ़ाते हैं।

5. विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करने की इच्छा

गर्भावस्था में कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा, मिज़ाज में परिवर्तन से भी ज्यादा प्रबल भावना होती है। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जो गर्भवती महिलाओं को सामान्य रूप से पसंद आते हैं, वे कोई विशेष स्वाद की आइसक्रीम या बड़े आकार के बर्गर से लेकर सुगंधित रबर (इरेज़र) और सिगरेट की राख जैसी बिल्कुल अजीब चीजें हो सकती हैं, पोषण संबंधी कमी इस प्रकार की इच्छा शक्ति को बढ़ावा दे सकती है। जब तक खाने की ये इच्छाएं हानिकारक न हों इन्हें पूर्ण किया जा सकता है किन्तु ज्यादातर स्वास्थ्यकर विकल्प चुनना ही एक बेहतरीन सुझाव है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने में होने वाली आम समस्याएं

यहाँ गर्भावस्था के और भी लक्षण हैं जिनका आप अनुभव कर सकती हैं।

  • मुँह में अत्यधिक लार बनना
  • कब्ज़ की समस्या में वृद्धि
  • छाती में जलन
  • अपच और पेट खराब होना
  • सामान्य से कम भूख लगना
  • सिरदर्द और चक्कर आना
  • निप्पल और उसके चारों तरफ के भाग का रंग गहरा होना
  • चिंता, भय, छोटीछोटी बातों पर रोने लगना
  • नसों में सूजन (वेरिकोज वेन्स)
  • शरीर के विभिन्न भागों में सूजन और त्वचा में परिवर्तन

गर्भावस्था के दूसरे महीने में क्या अपेक्षा करें ?

आपके शरीर में भी तेजी से परिवर्तन होते हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

1. मुँह में अत्यधिक लार बनना

गर्भावस्था के शुरुआती महीनों के दौरान ज्यादातर महिलाओं में सामान्य से अधिक लार बनने की समस्या देखी गई है। यह हॉर्मोन या मॉर्निंग सिकनेस होने से संबंधित हो सकता है, किंतु इसका कोई निर्णायक प्रमाण अभी तक सामने नहीं आया है, इससे शिशु या माँ को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।।

2. अत्यधिक प्यास लगना

गर्भावस्था में बारबार पेशाब आता है और रक्त की मात्रा में भी बढ़ोतरी होती है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर के भीतर द्रव के सही स्तर को बनाए रखने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। आपके अलावा, बच्चे के लिए एम्नियोटिकथैली में पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है, जो आपके शरीर में मौजूद पानी के उपयोग से ही विकसित होता है। द्रव की बढ़ती हुई आवश्यकता, प्यास में वृद्धि के रूप में नजर आती है।

3. योनि स्राव में परिवर्तन

माँ के शरीर में इतने सारे परिवर्तनों के साथ आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे महीने के आसपास योनि स्राव में भी बदलाव आता है। उसका रंग भिन्न हो सकता है, स्राव सामान्य से अधिक गाढ़ा या पतला हो सकता है और उसकी मात्रा भी अधिक हो सकती है। जब तक रक्त सराव में अजीब गंध न हो या तेज दुर्गंध न आए, तब तक यह परिवर्तन सामान्य होता है।

4. गर्भाशय में दर्द

आपके शरीर में एक बच्चा बढ़ रहा है और 2 महीने के गर्भस्थ शिशु के विकास के दौरान ही गर्भाशय उसके लिए जगह बनाना शुरू करता है। जगह में फैलाव के कारण ही गर्भाशय में खिंचाव होता है जिससे दर्द होता है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने में शारीरिक परिवर्तन

गर्भावस्था के शुरूआती दिनों को स्पष्ट करने के लिए शारीरिक परिवर्तन ही सबसे पहले संकेत होते हैं। गर्भावस्था के दो महीनों के अंत में, भ्रूण लगभग 3 सेंटीमीटर लंबा हो जाता है, जिससे आपकी कमर सामान्य से चौड़ी हो सकती है। वह कपड़े जो पहले आपको आराम से आ जाते थे, अब पहले की तुलना में अधिक तंग होगें। स्तन का माप बढ़ जाता है, जिसके कारण आपको अपनी पुरानी ब्रा पहनना छोड़ना होगा, और उसके बदले में नई सूती ब्रा का प्रयोग करना पड़ेगा । आपके पैरों में सूजन आ सकती है और पानी की कमी के कारण आपकी त्वचा शुष्क भी हो सकती है। ये लक्षण इतनी जल्दी नजर नहीं आते हैं और जब तक आप अपनी गर्भावस्था के बारे में स्वयं नहीं बतातीं, तब तक इन लक्षणों से औरों को आपकी गर्भावस्था का पता नहीं चल सकता।

संभावित हानिकारक संक्रमण

आपके शरीर में कई परिवर्तन होने के कारण आप बाहरी संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकती हैं। गर्भनाल के माध्यम से विशिष्ट वायरस और इन्फ्लूएंजा आपके भ्रूण तक पहुँच सकते हैं। यह संक्रमण, गर्भ में बढ़ते बच्चे को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए सर्दियों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

बाहरी लोगों के संपर्क से दूर रहने के लिए सार्वजनिक परिवहन से सफर न करें। यदि आप अभी भी ऑफिस में कार्य करती हैं तो ऑक्सोलिन, लहसुनप्याज का तेल और इसी तरह के कुछ नाक के मरहम का उपयोग करें। इनसे तेज़ गंध आ सकती है, लेकिन यह वायरस को श्वसन द्वारा फैलने से बचाते हैं। सुनिश्चित करें कि आपका कार्यस्थल स्वच्छ, साफ और संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं से मुक्त हो।

भ्रूण का विकास

गर्भवस्था के दूसरे महीने तक आपका बच्चा मानव रूप लेने के शुरुआती चरणों में होता है। इस महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड में शिशु एक अलग ग्रह के प्राणी जैसा दिखेगा। वह आमतौर पर एक घुमावदार नली जैसा दिखता है, जिसके एक छोर पर सिर होता है और दूसरे छोर पर नितंब होते हैं। यह नलिका वह जगह है जहाँ से रीढ़ की हड्डी और गर्भनाल विकसित होना शुरू होती है। हालांकि यह बहुत छोटा होता है, गर्भावस्था के दूसरे महीने में बच्चे की वृद्धि उसके अस्तित्व के पहले चरण की तुलना में लगभग दस हजार गुना ज्यादा होती है। उसके सिरे पर धीरेधीरे आँख, नाक, कान सहित मुखाकृति दिखाई देने लगती है जबकि माथा बहुत बड़ा होता है। डॉक्टर आपको गर्भावस्था के छठे सप्ताह के आसपास शिशु के दिल की धड़कन सुना सकता है। इस अवधि में, जननांग और हाथपैर भी बनने लगते हैं, हालांकि यह सब मुश्किल से दिखाई देता है। शरीर के अधिकांश अंग इस चरण के पहले से ही विकसित होना शुरू हो चुके होते हैं।

जांच व परीक्षण

गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में, कई गर्भवती महिलाएं अपने डॉक्टर के पास या क्लिनिक जाती हैं। मुख्य रूप से आपके वजन और रक्तचाप के सामान्य होने की जांच की जाती है। सामान्य जांच के लिए रक्त और मूत्र का नमूना एकत्र किया जाता है। इन नमूनों में शर्करा और प्रोटीन की जांच के साथ ही एड्स और सिफलिस जैसी बीमारियों का परीक्षण भी किया जाता है। ई.एन.टी., दंत चिकित्सक और अन्य डॉक्टर द्वारा पूर्ण शारीरिक जांच भी की जा सकती है । इसके अलावा स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा योनि सराव के जांच की भी सलाह दी जा सकती है।

ये परीक्षण और कुछ अन्य परीक्षण, गर्भावस्था में एक सामान्य प्रगति की जांच करने के लिए आवश्यक होते हैं। हेमोस्टेसिस जांच से आपके रक्त के जमने की क्षमता का पता लगाया जाता है। सूजन और वेरिकोज वेन्स के लिए शारीरिक जांच भी की जाती है। यदि आपका और आपके पति का रक्त किसी विशिष्ट रक्त समूह संयोजन का है, तो इम्युनोग्लोबुलिन जांच के लिए अतिरिक्त विश्लेषणात्मक परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है। यदि आप थायरॉइड की समस्याओं से पीड़ित हैं, तो इस समय आपको एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से मिलकर अपना परीक्षण करवाने की आवश्यकता है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने में आहार

गर्भावस्था के दूसरे महीने में क्या खाना चाहिए, इसका जवाब हमेशा होना चाहिए जितना संभव हो उतना पौष्टिक भोजन। दो जीवों के लिए खाने के मिथक को त्याग कर स्वस्थ और संतुलित आहार लेने पर जोर देना चाहिए। सब्जियां, फल, अधिक मात्रा में द्रव पदार्थ, अनाज, विशिष्ट प्रकार के मांस वे चीजें हैं जो आपके लिए उचित आहार योजना का हिस्सा बन सकती हैं। खाद्य पदार्थों के अलावा, कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व और विटामिन जैसे कैल्शियम, फॉलिक एसिड, जस्ता, लौह तत्व, आयोडीन और विटामिन डी हैं जिनके फायदे और लाभ बहुत अधिक हैं। हरी सब्जियों और खट्टे फलों में भरपूर फॉलिक एसिड होता है, जबकि दुग्ध उत्पाद कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत हैं। इसके अलावा, अधिकांश डॉक्टर सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि ये विकास के प्रारंभिक चरणों में किसी भी जन्मदोष को रोकने के लिए आवश्यक होते हैं।

होने वाले पिता के लिए सुझाव

जिस तरह एक महिला खुद से गर्भवती नहीं होती है, उसी तरह एक गर्भावस्था केवल महिला तक सीमित नहीं होती है। माँ बनने जा रही महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान, परिवर्तन और आवश्यकताओं का सामना करने में मदद करने हेतु पिता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुरुआती महीने विशेष रूप से दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं। पिता बनने जा रहे पुरुष की यह जिम्मेदारी होती है कि वह गर्भवती महिला के संतुलित, स्वस्थ और स्वादिष्ट आहार का पूरा खयाल रखें । यह समझना भी आवश्यक कि भोजन बनाने के लिए कौन सी सब्जियों और खाद्य पदार्थों का उपयोग करें जिनसे आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सकें। कुछ विशेष खाने की इच्छा और मिज़ाज में परिवर्तन मुश्किलें उत्पन्न कर सकता है और माँओं को इन बातों से पार पाने में परेशानी हो सकती है। पिता बनने जा रहे पुरुष यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे गर्भावस्था की इस यात्रा में अपने साथी को प्यार और समर्थन का एहसास कराते रहें और तनाव का स्तर कम से कम रखें। बच्चे के लिए सुरक्षा और देखभाल का वातावरण आवश्यक है, तब भी जब वह माँ के गर्भ में है।

होने वाली माँ के लिए सुझाव

इन सुझावों के साथ अपनी गर्भावस्था को आसान बनाएं।

1. नई आरामदायक ब्रा

स्तन के माप में वृद्धि होने के कारण, आपको एक ऐसी ब्रा की आवश्यकता होगी जो न केवल उसके आकार को अच्छा बनाती है, बल्कि सही सहारा भी प्रदान करती है। स्तन में छूने पर दर्द और संवेदनशीलता होने के कारण सूती ब्रा एक बेहतरीन विकल्प है।

2. बीमारी से बचें

बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है, भोजन करने से पहले या भोजन बनाने से पहले साफ पानी और सैनिटाइज़र का उपयोग करके हाथ साफ करें, यह आदत आपको स्वस्थ रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भीड़ और उन स्थानों से बचें जहाँ कीटाणुओं के संपर्क में आने का खतरा हो। नाक के स्प्रे या कुछ तेलों का उपयोग आपको कीटाणुओं से बचने में मदद कर सकते हैं।

3. स्वस्थ आहार

कुछ विशेष खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा होगी लेकिन छाती में जलन या अपच से बचने के लिए सावधानी बरतें। इन समस्याओं को अधिक उत्तेजित करने में चॉकलेट, खट्टे फलों के रस, सरसों और तले हुए खाद्य पदार्थों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गर्भ में पल रहे शिशु के कारण शुरुआत से ही मतली की समस्या तो होती ही है और इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से यह और भी बढ़ जाती है।

4. नियमितता

समय पर भोजन करना और एक स्वस्थ दिनचर्या महत्वपूर्ण है । यह आपके शरीर को सक्रिय रखने और सभी कार्यों को समय पर करने में मदद करता है। पानी और रेशेदार खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें, यह कब्ज़ को कम करता है व सही समय पर मल त्याग का एक चक्र निर्धारित करता है।

5. त्वचा की देखभाल

गर्भावस्था के दौरान शरीर में पानी की बहुत कमी होती है, इसलिए साबुन के बजाय मॉइस्चराइज़िंग जेल या तेलों का प्रयोग करें। त्वचा की समस्या का इलाज करने के लिए किसी भी रासायनिक क्रीम का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और प्राकृतिक विकल्पों को ही चुनें।

6. भरपूर आराम करें

आपके शरीर के अंदर इतने बदलाव होने के कारण आपको सामान्य से बहुत अधिक आराम की आवश्यकता होती है। शरीर के लिए अधिक विश्राम और शांत दिमाग, तनाव के स्तर को कम रखने और बच्चे के निरंतर विकास के लिए आवश्यक है।

गर्भावस्था की इस सुंदर यात्रा में निश्चित ही अनेक चुनौतियाँ आती हैं। मातापिता दोनों के लिए शुरूआती महीने मुख्य रूप से कठिन होते हैं लेकिन साथ ही ये रोमांचक भी होते हैं। गर्भावस्था के दूसरे महीने में सही सुझावों और सावधानियों को ध्यान में रखने से शिशु के विकास की सही शुरुआत होती है और यह प्रगति बिना किसी समस्या के आगे बढ़ती है।