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गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में होने का तात्पर्य है कि आपने न केवल सफलतापूर्वक अपनी पहली तिमाही पूरी कर ली है बल्कि दूसरी तिमाही की भी अच्छी शुरुआत हो चुकी है। इस समय तक ज्यादातर महिलाओं की गर्भाधान के साथ शुरू हुई समस्याएं जैसे मॉर्निंग सिकनेस, उबकाइयां, थकान और चिड़चिड़ापन खत्म हो जाती हैं। हालांकि फिर भी अक्सर कई मांएं अशांत, व्यग्र और चिंतित रहती हैं। उनकी यह चिंता गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य से संबंधित होती है। ऐसे में समय अनुसार अल्ट्रासाउंड स्कैन अनेक मांओं की इस चिंता को कम करने में मदद करता है। अल्ट्रासाउंड गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास की जांच का एक माध्यम है और इसलिए महिलाओं के लिए गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड करवाना महत्वपूर्ण हो सकता है।
दूसरी तिमाही में मांओं को अपने शिशु के विकास और वृद्धि के बारे में जानने के अनेक कारण हैं, आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड की तैयारी भी पिछली जांचों के अनुसार ही होती है। इसमें भी आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन से पहले अत्यधिक पानी पीने के लिए कहा जाएगा। इसका कारण है कि आपका मूत्राशय पूरी तरह से भरा होने पर स्क्रीन पर शिशु की पिक्चर स्पष्ट नजर आती है। इसलिए आप स्कैन की प्रक्रिया शुरू होने से लगभग 1-2 घंटे पहले कम से कम 1 लीटर या अधिक पानी पिएं। जांच से पहले आप इतना पानी पी लें कि आपको पेशाब करने की इच्छा हो। परंतु इस बात का खयाल रखें कि परीक्षण पूरा होने तक आप पेशाब न जाएं।
अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया में आमतौर पर 10 से 15 मिनट ही लगते हैं परंतु यदि किसी प्रकार की समस्या दिखने या यह जांच सामान्य से अलग होने पर इस प्रक्रिया में अधिक समय लग सकता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यह परीक्षण लगभग 1/2 घंटे में पूर्ण हो जाता है।
आमतौर पर अल्ट्रासाउंड स्कैन करते समय महिलाओं को कोई भी शारीरिक समस्या नहीं होती है। इस जांच के लिए आपको सीधा लेटने के लिए कहा जाएगा और डॉक्टर आपके पेट पर थोड़ा सा जेल लगाएंगे। जेल लगाने के बाद डॉक्टर आपके पेट पर ट्रांसड्यूसर रखकर घुमाते हैं, जिससे कम्प्यूटर स्क्रीन पर गर्भ में पल रहे शिशु का पूरा चित्र दिखाई देता है। यदि कोई भी समस्या नहीं है तो इस पूरी प्रक्रिया में अधिक समय नहीं लगता है, परंतु अगर सामान्य अल्ट्रासाउंड सही ढंग से नहीं हो पा रहा है तो डॉक्टर योनि के माध्यम से अल्ट्रासाउंड करने की सलाह देते हैं। ऐसी स्थिति में अल्ट्रासाउंड वेव ट्यूब योनि में डाली जाती है जिसकी मदद से गर्भ में पल रहे शिशु की स्पष्ट तस्वीर स्क्रीन पर दिखाई देती है। सभी मामलों में आधे घंटे से अधिक समय नहीं लगता है और इससे गर्भवती महिला को किसी भी प्रकार की शारीरिक हानि भी नहीं होती है।
15वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड स्कैन आपको और डॉक्टर को शिशु के विकास व वृद्धि की बहुत सी जानकारी दे सकता है।
अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान आप गर्भस्थ शिशु के अनेक भावों को देख सकती हैं – उसका मुँह बनाना, दुःखी होना या मुस्कुराना और यहाँ तक कि अपनी छोटी-छोटी आधी बंद आँखों से देखने का प्रयास करना। शिशु की इन गतिविधियों में उसकी नई व विकासशील मांसपेशियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसमें हो सकता है आप अपने शिशु को मुँह में अंगूठा डाले हुए देखें और साथ ही आपको उसके हाथ व पैर हिलते हुए नजर आएंगे। इस पिक्चर में आपको अपने बच्चे की पतली सी त्वचा भी दिखाई देगी जिसके अंदर रक्त वाहिकाएं चलती हुई नजर आएंगी। अब तक बच्चे का सिर और भौंहें भी दिखने लगती हैं और हो सकता है बच्चे के सिर पर पहले से ही थोड़े-थोड़े बाल हों। इन अस्थाई व बारीक बालों को लानुगो कहा जाता है। शिशु की हड्डियां अब भी विकसित हो रही हैं इसलिए उसकी उपास्थि धीरे-धीरे कठोर होगी। हालांकि बिलकुल भी फिक्र न करें शिशु की हड्डियां मुलायम रहेंगी ताकि जन्म के समय उसे जन्म नली से निकालने में सरलता हो। शिशु की हड्डियां, जन्म के बाद उसकी आयु के अनुसार ही मजबूत होती हैं। 15वें हफ्ते में गर्भस्थ शिशु सिर घुमाने व मुट्ठी बंद करने में सक्षम हो सकता है। इस समय तक शिशु के अंदरूनी अंगों का विकास भी हो जाता है इसलिए डॉक्टर लगभग 80% सटीकता के साथ बच्चे के लिंग का अनुमान लगा पाते हैं।
गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन द्वारा शिशु के विकास व वृद्धि का अनुमान स्पष्ट रूप से लगा पाते हैं। इसलिए यदि उन्हें शिशु में किसी भी प्रकार की असामान्यता का संकेत मिलता है तो वे आपको अन्य परीक्षण करवाने की सलाह देते हैं। हालांकि 15वें सप्ताह का 3डी अल्ट्रासाउंड अधिक स्पष्ट रूप से दिखता है परंतु फिर भी सुनिश्चित करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में किसी भी प्रकार का नियमित टेस्ट निर्धारित नहीं किया जाता है तथापि 35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं एम्निओसेंटेसिस और मल्टीपल मार्कर टेस्ट का लाभ ले सकती हैं। शिशु में अनुवांशिक असामान्यताओं की जांच के लिए डॉक्टर आपके गर्भ में मौजूद एम्निओटिक द्रव की जांच करते हैं।
गर्भावस्था के 15वें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड करवाने से शिशु व माँ, दोनों को लाभ मिलते हैं। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से डॉक्टर शिशु के विकास की जांच करता है और एक माँ अपने बच्चे के भावों को पहली बार देखने का सुख प्राप्त करती है। यह स्कैन शुरूआती समय पर बच्चे में किसी भी प्रकार की असामान्यताओं का पता लगाने में भी मदद करता है, इसलिए इस अवधि में अल्ट्रासाउंड स्कैन महत्वपूर्ण माना जाता है।
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