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गर्भावस्था के दौरान आपके बच्चे के बेहतर स्वास्थ के लिए आपको ढेरों सुझाव मिलते हैं और उनमें से कुछ आहार संबंधी सुझाव आपको परेशान कर सकते हैं, आप इस दुविधा में पड़ सकती हैं कि किस सुझाव पर अमल किया जाए और किस पर नहीं। लेकिन अब आपको और चिंता करने की जरूरत नहीं है, इस लेख के माध्यम से आप अपने सभी सवालों के जवाब बड़ी ही आसानी से प्राप्त कर सकती हैं, यह लेख विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान खाए जाने वाले आहार से संबंधित सवालों पर आधारित है, इसलिए बेहतर समाधान के लिए इस लेख को आगे पढ़ना जारी रखें ।
ये सच है कि गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत सारी चीजों और कठनाइयों का सामना करना पड़ता है, भले ही आप मॉर्निंग सिकनेस और वजन बढ़ने जैसे समस्याओं से जूझ रही हों, लेकिन इस समय आप खुद से ज्यादा अपने गर्भ में पल रहे बच्चे का ध्यान रखती हैं और इसलिए ये बहुत जरूरी हो जाता है कि आप गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन खाएं । लेकिन दूसरी ओर यह आपके लिए चिंता का विषय भी है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं से जुड़े आपके मन में हजारों सवाल हो सकते हैं। यहाँ इस लेख में गर्भावस्था के दौरान आहार संबंधी अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिए गए हैं। जो आपकी गर्भावस्था में आपकी आहार संबंधी दुविधा को हल करने में मदद कर सकते हैं।
आपको गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस या मतली जैसा महसूस होना बहुत आम है। गर्भावस्था के दौरान ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) नमक हार्मोन के उत्पन्न होने के कारण ऐसा होता है। पोषण विशेषज्ञ, मॉर्निंग सिकनेस को कम करने के लिए आपको बहुत ज्यादा चिकना या मसालेदार भोजन से बचने की सलाह देते हैं। इसलिए, बगैर मसाले वाले और कम तेल वाले भोजन ही खाएं। कम वसा वाले लेकिन अच्छे कार्ब्स वाले खाद्य पदार्थों का सेवन अच्छा होता है। जिसमें ब्रेड और पास्ता भी शामिल है।
इसके अतिरिक्त, भोजन के बाद तुरंत लेटने से बचें, क्योंकि यह पाचन क्रिया को धीमा कर देता है। बेहतर पाचन के लिए आप एक बार में ज्यादा खाने के बजाय दिन भर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन या स्नैक्स खाएं। मॉर्निंग सिकनेस से निपटने के लिए दिन के बजाय रात को अपने विटामिन सप्लीमेंट्स लें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
यदि आप शाकाहारी हैं और गर्भवती हैं, तो आपको केवल यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आपको शाकाहारी स्रोतों जैसे दाल, डेयरी उत्पाद, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि से पर्याप्त प्रोटीन प्राप्त हो।
गर्भावस्था के दौरान दैनिक कैलोरी की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि जब आप गर्भवती हुई थी उस समय आपका वजन कितना था। यदि आपका बी.एम.आई (बॉडी मास इंडेक्स) सामान्य था, तो आपको पहले दो तिमाही में प्रति दिन 2000 कैलोरी की मात्रा को बनाए रखना होगा और तीसरी तिमाही में प्रति दिन 2200 कैलोरी तक बढ़ाने की आवश्यकता होगी । गर्भधारण करने के समय आपका वजन ज्यादा या कम था इसके आधार पर कैलोरी की मात्रा में बदलाव होगा। यह आपके जुड़वां या उससे ज्यादा बच्चे होने के आधार पर भी भिन्न होगा। आपके शरीर के लिए क्या बेहतर है यह समझने के लिए एक बार अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
क्या आप जानती हैं: गर्भवती होने पर आपको दो लोगों के हिसाब से खाना खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। आपको अपने नियमित आहार में सिर्फ लगभग 200 तक कैलोरी शामिल करने की जरूरत होता है वह भी केवल तीसरी तिमाही में। दो लोगों के हिसाब से खाना खाने से आपका केवल वजन बढ़ेगा जिसे आपको प्रसव के बाद घटाना होगा।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना काफी सामान्य और अपेक्षित है, हालांकि बहुत अधिक मात्रा में वजन बढ़ना उचित नहीं है। सबसे पहले याद रखें कि आपको दो लोगों के हिसाब से नहीं खाना है । यदि आपको कुछ खाने की इच्छा हो रही है तो खाने के स्वस्थ विकल्प खोजें (जैसे: आइसक्रीम के बजाय फ्रीज किया हुआ दही), आपको ‘जल्दी सोना व जल्दी उठना चाहिए और अपने आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पीना चाहिए। आपको दिनभर में कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि करना चाहिए। इसके अलावा, प्रसवपूर्व योग कक्षा में जाएं या शाम की सैर करें। यदि आप वजन कम करना चाहती हैं तो खुद को सक्रिय और गतिशील रखें। आप अपनी इच्छा अनुसार कभी-कभार कुछ खा-पी सकती हैं लेकिन हमेशा इस बात का ख्याल रहे कि जब जो भी खाती हैं उसका प्रभाव आपके बच्चे पर भी पड़ता है ।
वैसे हल्की खाद्य विषाक्तता यानि फूड पोइजनिंग आपके शिशु को अधिक नुकसान नहीं पहुँचाती है, लेकिन कुछ प्रकार की खाद्य विषाक्तता जैसे साल्मोनेला और ई. कोलाई आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है और ज्यादा खराब स्थिति में गर्भपात या समयपूर्व जन्म का भी कारण बन सकता है। इसलिए खाद्य विषाक्तता की आशंका होने पर हमेशा अपने चिकित्सक की सलाह लें। खाद्य विषाक्तता के कुछ सामान्य लक्षणों में मतली, उल्टी और दस्त, सिरदर्द, बुखार, पेट में दर्द या बेचैनी, निर्जलीकरण आदि शामिल हैं। साथ ही आप जो भोजन खा रही हैं उसका भी ध्यान रखें क्योंकि इस स्तर पर आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
क्या आप जानती हैं: लिस्टेरिया एक जीवाणु है जो बिना पके हुए मांस (मीट) और सब्जियों, अपाश्चुरीकृत दूध और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में पाया जाता है। ये लिस्टेरियोसिस नामक एक प्रकार की खाद्य विषाक्तता का कारण बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भ में पल रहे बच्चे को संक्रमण या गर्भपात या प्रसवपूर्व जन्म आदि हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को लिस्टेरियोसिस होने का खतरा अधिक होता है। पाश्चराइजेशन करने से और पकाकर खाने से लिस्टेरिया जीवाणु को खत्म किया जा सकता है।
लगभग छह प्रकार के स्वीटनर होते हैं जिनमें सबसे आम हैं एस्पार्टेम, सुक्रालोज और सैकारीन। ज्यादातर मामलों में ये अप्राकृतिक स्वीटनर का सेवन गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित होता है। हालांकि, गर्भावस्था की कुछ स्थितियों में यदि होने वाली माँ फेनाइलकीटोन्यूरिया (पीकेयू) नामक एक आनुवंशिक स्थिति से ग्रस्त है तो, गर्भावस्था के दौरान एस्पार्टेम से बचने की आवश्यकता होती है, क्योंकि पीकेयू इस स्वीटनर में पाए जाने वाले एक किण्वक को संसाधित करने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करता है और इसके परिणामस्वरूप जन्म के दौरान शिशु में दोष पाए जाने होने की संभावना बढ़ सकती है। किसी भी जोखिम से बचने के लिए किसी भी अप्राकृतिक मधुरक का चयन करने से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
हाँ, गर्भावस्था के दौरान किण्वित भोजन (उदाहरण: घर का बना दही, अचार) खाने हेतु सहमति है। वास्तव में, किण्वित खाद्य पदार्थ आपके शरीर में अच्छे जीवाणुओं को बढ़ाने में मदद करते हैं और ऐसे समय जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई हो, ये आपको और आपके शिशु की रक्षा करने में मदद करते हैं। ये आपको गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर होने वाले किसी भी प्रकार के योनी संक्रमण से भी बचाते हैं।
ब्री व कैमेम्बर्टन चीज़ का सेवन करने से बचाना चाहिए। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पाश्चुरीकृत दूध से बना हुआ चीज़ जैसे मोजरैला, फेटा, क्रीम चीज़, पनीर, रिकोटा और चीज़ स्प्रेड जैसे प्रसंस्कृत पनीर सुरक्षित रूप से खाए जा सकते हैं।
जहाँ तक संभव हो, डिब्बाबंद सलाद से बचें, भले ही वे धुली हुई सब्जियों और पके हुए मांस से तैयार हों, फिर भी इनका सेवन करने से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त, कुछ प्रकार की ड्रेसिंग जैसे सीजर सलाद के लिए की गई ड्रेसिंग, कच्चे अंडे से बनाई जा सकती है और आपको इससे बचने चाहिए। इसलिए घर पर मौजूद ताजी सामग्री से खुद सलाद तैयार करना ज्यादा बेहतर होगा। इसके अलावा, इटैलियन ड्रेसिंग का उपयोग कर सकती हैं क्योंकि इसमें शामिल होने वाली सामग्री गर्भावस्था के दौरान खाई जा सकती है ।
हालांकि, कैफीन के सेवन से गर्भपात या प्रीमैच्योर डिलीवरी को लेकर अलग-अलग राय है, लेकिन, हाल में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि जब तक कैफीन का सेवन अधिकतम 200 मिलीग्राम प्रति दिन तक सीमित है, तब तक गर्भपात या प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना नहीं होती है। याद रखें कि 180-200 मिलीलीटर कॉफी के एक कप में लगभग 70 से 140 मिलीग्राम कैफीन होता है और इस प्रकार आपको दिन में केवल एक कप ही कैफीन युक्त पेय पीना चाहिए। कैफीन के अन्य स्रोतों में चॉकलेट, चाय और ठंडे कैफीन युक्त पेय भी शामिल हैं।
आप गर्भावस्था के किस महीने में हैं और एक दिन में आप कितनी शारीरिक गतिविधि करती हैं, उसके आधार पर आप प्रति दिन अपनी कुल कैलोरी का सेवन निर्धारित कर सकती हैं। आप एक निश्चित मात्रा में अनाज, सब्जियों और फलों, प्रोटीन/मांस उत्पादों और डेयरी उत्पादों वाले खाद्य समूहों में विभाजित करें। आप निश्चित मात्रा में कैलोरी का सेवन करें ताकि इस समय खाने की अधिक चाह को नियंत्रित किया जा सके । आपके चिकित्सक भी आपकी आहार की आवश्यकताओं के बारे में कुछ सलाह देंगे, जिनका आपको पालन करना चाहिए। आप अपने स्वस्थ गर्भावस्था भोजन योजना को तैयार करने के लिए उनसे सलाह ले सकती हैं।
कुछ प्रकार के वसा और तेल आपके शरीर के लिए अच्छे होते हैं, विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान और अनाज, सब्जियों, फलों और मांस या दूध उत्पादों जैसे खाद्य पदार्थों के साथ शामिल किए जाने पर वो स्वस्थ आहार का हिस्सा होते हैं। लेकिन, प्रसंस्कृत मक्खन, मेयोनीज, आदि खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला वसा, सिर्फ कैलोरीज को बढ़ाता है और उससे कोई पोषण प्राप्त नहीं होता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होता है और इन्हें कम मात्रा में खाना चाहिए।
जी हाँ, गर्भावस्था के दौरान मांसाहारी खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं बशर्ते कुछ सावधानियां बरती जाएं। मुर्गी और अंडे की सफेदी जैसे खाद्य पदार्थ प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं, मछली ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रदान करती है जो गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन, याद रखें कि जीवाणु के संक्रमण के जोखिम से बचने के लिए ये बहुत जरूरी है कि इसे अच्छे से पकाया गया हो और साथ ही घर पर बनाया गया ही मांस खाएं। इसके अतिरिक्त, सुशी, कच्चा अंडा, जिन मछलियों में अधिक पारा होता है जैसे कि मैकेरल, स्वोर्डफिश, टाइलफिश इत्यादि मछली को खाने से बचें। क्योंकि ये आपके बच्चे के विकास को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
जैसे कि पिछले प्रश्न में भी चर्चा की गई है, कुछ सी फूड में उच्च पारा का स्तर पाया जाता है, जो बच्चे के विकास के लिए हानिकारक होता हैं। इसलिए, कुछ प्रकार की मछली जैसे मैकेरल, शार्क, स्वोर्डफिश, टाइलफिश आदि मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि, इसके अलावा भी जो सी फूड खाने की इजाजत है उसे भी अच्छी तरह से पका कर खाएं । मछली खरीदते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि वो ताजी होनी चाहिए और उसे कहाँ से लाया गया है ये पता करें, क्योंकि यदि आप किसी अच्छी जगह से इसे खरीदती हैं तो फिर आपको अपने स्वास्थ से कोई समझौता नहीं करना पड़ेगा। मछली और शेल्फिश ओमेगा 3 फैटी एसिड और प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं, इसलिए यदि आप मछली खाती हैं, तो आपको इसे पूरी तरह से छोड़ना नहीं चाहिए।
आपके शिशु का गर्भ में बेहतर विकास हो सके और उसे सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सके इसलिए ये जरूरी होता है और यह बहुत आवश्यक है कि आप अपना अच्छी तरह से संतुलित आहार बनाए रखें। इसके अलावा, कुछ प्रसव पूर्व विटामिन और सप्लीमेंट लेना इस समय किसी भी होने वाली कमी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है। आप केवल खाद्य स्रोतों से आवश्यक पोषक तत्वों को पर्याप्त मात्रा में नहीं प्राप्त कर सकती हैं इसलिए विटामिन और सप्लीमेंट इनकी जरूरत को करने में मदद करता है। जबकि विटामिन डी और फोलिक एसिड जैसे कुछ सप्लीमेंट सभी माओं के लिए आवश्यक होते हैं, अन्य सप्लीमेंट कई कारणों से हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। आपके चिकित्सक आपकी जरूरतों के हिसाब से विटामिन और सप्लीमेंट लेने सलाह देंगे।
गर्भावस्था के दौरान आहार में कैल्शियम और विटामिन डी बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है और दोनों साथ में आपके बच्चे के हड्डियों के विकास और आपके समग्र अस्थि स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, विटामिन डी का आपके प्रतिरक्षी तंत्र पर भी प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर कैल्शियम आपके बच्चे की हड्डी, दाँत, स्वस्थ हृदय, नसों और मांसपेशियों के विकास के लिए भी आवश्यक होता है और यह गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप और प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को भी कम करता है।
यदि आप गर्भावस्था के दौरान संतुलित और स्वस्थ आहार का पालन करती हैं, तो गर्भावस्था के दौरान आपकी पोषण संबंधी अधिकांश जरूरतें पूरी हो जाएंगी, लेकिन कुछ विटामिनों और खनिजों की अतिरिक्त मात्रा में जरूरत होगी जो आपको सिर्फ आहार से पूरी करने में कठिनाई होगी। इसमें आयरन, विटामिन डी, विटामिन सी आदि शामिल हैं। आपके आहार और स्वास्थ्य के आधार पर, आपके चिकित्सक इन विटामिन और खनिजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, आपकी गर्भावस्था के दौरान मल्टीविटामिन और सप्लीमेंट लेने लेने की सलाह देते हैं।
हाँ, कम वसा या स्किम दूध की तुलना में अधिक और पूर्ण वसा युक्त दूध एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह बहुत सारे पोषक तत्व प्रदान करता है जो आपके बच्चे के विकास में मदद करता है, साथ-ही-साथ होने वाली माँ के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।
गर्भावस्था के दौरान, आपके फोलेट का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता होती है और आहार के माध्यम से उन जरूरतों को पूरा करना कठिन हो जाता है। फोलेट आपके बच्चे में तंत्रिका नली के विकास में योगदान करता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ में बदल जाती है। तंत्रिका नली पहले बारह हफ्तों में बन जाती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इस समय में फोलिक एसिड की खुराक लें। हालांकि, इन बारह हफ्तों के बाद फोलिक एसिड लेने से तंत्रिका नली पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा – लेकिन इससे आपको कोई नुकसान भी नहीं होगा और इसे आपकी पूरी गर्भावस्था के दौरान लेना सुरक्षित है।
कुछ हर्बल सप्लीमेंट हैं, जो गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छे माने जाते हैं, उनमें टॉनिक हर्ब्स जैसे अदरक, कैमोमाइल, नेेटल के पत्ते आदि शामिल हैं। इनका सेवन गर्भवती महिला के लिए सुरक्षित होता है और इसे आप चाय या कैप्सूल के रूप में ले सकती हैं। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि हर्ब्स से कोई नुकसान नहीं होता है, जबकि यह कहना गलत है । गर्भावस्था के दौरान लिए जाने वाले हर्ब्स आपको नुकसान पहुँचा सकते हैं और इनमें एलोवेरा, तुलसी का तेल, बिटर ऑरेंज आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इन हर्ब्स को सप्लीमेंट के साथ लिए जाने पर इससे होने वाले प्रभाव का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। इसलिए, सावधानी बरतें हुए किसी भी हर्बल सप्लीमेंट का चयन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें ।
गर्भावस्था के दौरान, आपके शरीर को सामान्य से अधिक मात्रा में आयरन की आवश्यकता होती है और इसे पूरा करने के लिए आपको आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे और अनाज इत्यादि का सेवन करना चाहिए। विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे खट्टे फल, ताजी सब्जियां आदि आपके शरीर में आयरन अवशोषित करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त आप अपने चिकित्सक से भी आयरन सप्लीमेंट लेने के लिए सलाह ले सकती हैं।
उम्मीद है आपको इस लेख को पढ़कर अपनी चिंताओं का हल मिल गया होगा । क्योंकि प्रत्येक महिला का शरीर अलग होता है और इसलिए उसके अनुसार प्रत्येक महिला की गर्भावस्था भी अलग होती है। इस समय आपके शरीर में होने वाले परिवर्तनों को आपके चिकित्सक से बेहतर कोई नहीं समझ सकता, वो आपको ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान आपको क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए । स्वस्थ खाएं, सकारात्मक रहें और अपनी गर्भावस्था के इस सफर आनंद उठाएं ।
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