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अक्सर गर्भावस्था के बाद कई महिलाओं को हाथ-पैर और जोड़ों में दर्द महसूस होता है। यदि आप नई माँ बनी हैं और आपके जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है, तो हो सकता है कि आप पोस्टपार्टम आर्थराइटिस यानी गठिया से पीड़ित हों। प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद शरीर में बहुत बदलाव होते हैं, जिससे जोड़ों में दर्द हो सकता है और यह दर्द आपके लिए काफी परेशानी पैदा कर सकता है। लेकिन इसमें घबराने की बात नहीं है, आर्थराइटिस का इलाज किया जा सकता है। इस लेख में आप जानेंगे कि कैसे डिलीवरी के बाद आर्थराइटिस होता है और आप इस दर्द को कैसे कम कर सकती हैं।
गठिया का मतलब व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या उत्पन्न होना। लेकिन इसे सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा बीमारियों का समूह माना जाता है जो हड्डियों और जोड़ने वाली टिश्यू को प्रभावित करती हैं। गठिया के मुख्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन आना होता है। यह समस्या किसी को भी अचानक हो सकती है और किसी में धीरे-धीरे बढ़ती है। यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों को नहीं होती है, इससे पीड़ित होने वाले कई जवान और बच्चे भी होते हैं। यदि आपको अपने जोड़ों के दर्द और तकलीफ से रोज के काम करने में मुश्किलें आने लगे, तो ये समस्या गठिया की हो सकती है। अगर इसका इलाज समय पर नहीं होता है, तो यह बढ़ भी सकता है और शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।
गठिया सभी उम्र के लोगों में होना आम है, लेकिन गर्भावस्था के बाद यह और भी बढ़ सकता है। कुछ महिलाओं को प्रसव के बाद जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है, जिसके कारण उनकी कलाई, हाथ, टखने और पैरों में दर्द होता है।
प्रसव के बाद महिलाओं को जोड़ों में दर्द या गठिया की समस्या हो सकती है। इस समस्या के होने के कई कारण हैं, लेकिन उनमें से कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं:
आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान गठिया हो सकता है और प्रसव के बाद कई हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान जोड़ों को ढीला करने वाला और बच्चे के जन्म के लिए श्रोणि (पेल्विस) को फैलाने में मदद करने के लिए जारी किया जाने वाला हार्मोन रिलैक्सिन प्रसव के बाद छह हफ्तों तक माँ के शरीर में रह सकता है।
हम आपको यही सुझाव देते हैं कि अपने डॉक्टर से सलाह लें और जाँच करा लें कि प्रसव के बाद आपको गठिया की दवा जारी रखने की जरूरत है या नहीं।
बच्चे की देखभाल करना और साथ ही अपने शरीर के दर्द से निपटना किसी भी माँ के लिए मुश्किल हो सकता है। प्रसव के बाद गठिया की समस्या आम होती है, और इस समय महिलाएं पहले से ही शरीर के फिर से पहले की तरह ठीक होने के दौर से गुजर रही होती हैं। यहां कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं जो डिलीवरी के बाद गठिया जैसी समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं:
अध्ययनों से पता चला है कि दुर्लभ मामलों में, कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के बाद रुमेटॉइड अर्थराइटिस हो जाता है। इसमें, प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ जोड़ों के टिश्यू पर हमला करती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था के बाद जोड़ों में तीव्र दर्द होता है।
कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि स्तनपान कराना माँ और बच्चे दोनों के लिए रुमेटॉइड अर्थराइटिस के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। लेकिन स्तनपान से रुमेटॉइड अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ता है ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलता है।
बच्चे के आने के बाद एक महिला की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। बच्चे की देखभाल करना और साथ ही प्रसव के बाद के गठिया जैसी समस्या से निजात पाना आसान नहीं होता। लेकिन अगर आपको इस समस्या के बारे में पहले से पता हो तो इसे नियंत्रित करना थोड़ा आसान हो सकता है। गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में एक स्वस्थ आहार बहुत मदद करता है। सही खान-पान अपनाकर आप इस दर्द को कम कर सकती हैं और आगे भी इस बीमारी के खतरे से बच सकती हैं। इसलिए प्रसव के बाद अपनी सेहत और डाइट पर खास ध्यान दें ताकि आप इस समस्या को अच्छे से संभाल सकें।
References/Resources:
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