गर्भावस्था के बाद गठिया (आर्थराइटिस) – कारण और इससे कैसे निपटें | Pregnancy Ke Baad Arthritis

अक्सर गर्भावस्था के बाद कई महिलाओं को हाथ-पैर और जोड़ों में दर्द महसूस होता है। यदि आप नई माँ बनी हैं और आपके जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है, तो हो सकता है कि आप पोस्टपार्टम आर्थराइटिस यानी गठिया से पीड़ित हों। प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद शरीर में बहुत बदलाव होते हैं, जिससे जोड़ों में दर्द हो सकता है और यह दर्द आपके लिए काफी परेशानी पैदा कर सकता है। लेकिन इसमें घबराने की बात नहीं है, आर्थराइटिस का इलाज किया जा सकता है। इस लेख में आप जानेंगे कि कैसे डिलीवरी के बाद आर्थराइटिस होता है और आप इस दर्द को कैसे कम कर सकती हैं।

गठिया (आर्थराइटिस) क्या है?

गठिया का मतलब व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या उत्पन्न होना। लेकिन इसे सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा बीमारियों का समूह माना जाता है जो हड्डियों और जोड़ने वाली टिश्यू को प्रभावित करती हैं। गठिया के मुख्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन आना होता है। यह समस्या किसी को भी अचानक हो सकती है और किसी में धीरे-धीरे बढ़ती है। यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों को नहीं होती है, इससे पीड़ित होने वाले कई जवान और बच्चे भी होते हैं। यदि आपको अपने जोड़ों के दर्द और तकलीफ से रोज के काम करने में मुश्किलें आने लगे, तो ये समस्या गठिया की हो सकती है। अगर इसका इलाज समय पर नहीं होता है, तो यह बढ़ भी सकता है और शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।

क्या गर्भावस्था के बाद गठिया होना आम बात है?

गठिया सभी उम्र के लोगों में होना आम है, लेकिन गर्भावस्था के बाद यह और भी बढ़ सकता है। कुछ महिलाओं को प्रसव के बाद जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है, जिसके कारण उनकी कलाई, हाथ, टखने और पैरों में दर्द होता है।

प्रसव के बाद जोड़ों में दर्द क्यों होता है?

प्रसव के बाद महिलाओं को जोड़ों में दर्द या गठिया की समस्या हो सकती है। इस समस्या के होने के कई कारण हैं, लेकिन उनमें से कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं:

  • कई महिलाओं को जिन्हें गर्भावस्था से पहले गठिया की समस्या होती है, उन्हें इस दौरान कुछ राहत मिल सकती है, क्योंकि इस समय उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो जाता है। मगर डिलीवरी के बाद ये दर्द फिर से सक्रिय हो सकता है और पुराने लक्षण फिर से उभरने लगते हैं।
  • प्रसव के बाद महिलाओं का इम्यून सिस्टम ज्यादा सक्रिय हो जाता है, जिसकी वजह से उनका शरीर खुद को ही नुकसान पहुंचाने लगता है, जिसे ऑटो-इम्यून बीमारी कहते हैं, जैसे कि रूमेटॉइड अर्थराइटिस। इस दौरान शरीर को सामान्य चीजें जैसे खाना या कुछ अन्य पदार्थ नुकसान पहुंचाते हैं और इम्यून सिस्टम इस चीज को बढ़ावा देता है। अधिक सक्रिय इम्यून सिस्टम के कारण शरीर में सूजन और एलर्जी बढ़ने लगती है। ये सूजन हड्डियों और टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे जोड़ो में दर्द और तकलीफ महसूस होने लगती है।
  • मोटापा,  कोई शारीरिक गतिविधि न करना, धूम्रपान, संक्रमण, और अच्छा आहार न लेने के कारण भी आपको गर्भावस्था के दौरान गठिया हो सकता है।

प्रसव के बाद गठिया कितने समय तक रहता है?

आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान गठिया हो सकता है और प्रसव के बाद कई हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान जोड़ों को ढीला करने वाला और बच्चे के जन्म के लिए श्रोणि (पेल्विस) को फैलाने में मदद करने के लिए जारी किया जाने वाला हार्मोन रिलैक्सिन प्रसव के बाद छह हफ्तों तक माँ के शरीर में रह सकता है।

क्या प्रसव के बाद गठिया अपने आप ठीक हो जाता है?

हम आपको यही सुझाव देते हैं कि अपने डॉक्टर से सलाह लें और जाँच करा लें कि प्रसव के बाद आपको गठिया की दवा जारी रखने की जरूरत है या नहीं।

प्रसव के बाद गठिया की समस्या से कैसे निपटें?

बच्चे की देखभाल करना और साथ ही अपने शरीर के दर्द से निपटना किसी भी माँ के लिए मुश्किल हो सकता है। प्रसव के बाद गठिया की समस्या आम होती है, और इस समय महिलाएं पहले से ही शरीर के फिर से पहले की तरह ठीक होने के दौर से गुजर रही होती हैं। यहां कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं जो डिलीवरी के बाद गठिया जैसी समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं:

  • अगर आपको गर्भावस्था से पहले ही रूमेटॉइड अर्थराइटिस, फाइब्रोमायल्जिया, ल्यूपस, गाउट जैसी बीमारियां थीं, तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को पहले ही दें। इससे डॉक्टर आपको ऐसी दवाइयां दे पाएंगे जो आपके लिए सुरक्षित हों, खासकर जब आप बच्चे को दूध पिला रही हों।
  • अगर आपके जोड़ो में दर्द हो रहा है, तो अपने खाने में बदलाव करें। गर्भावस्था के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कई बार खाने-पीने की चीजों पर अलग तरीके से प्रतिक्रिया करती है। कौन-कौन सी चीजें आपके दर्द को बढ़ा रही हैं, यह पहचानें और उन्हें खाने से बचें। अपने डॉक्टर और डाइटिशियन से बात करें और ऐसा आहार लें जो आपके लिए फायदेमंद हो। ताजे फल और सब्जियां खाना शुरू करें और गेहूं, मांस जैसी कुछ खाने की चीजों को न खाने से भी राहत मिलती है।
  • अगर आपका वजन ज्यादा है या आपको डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है, तो गठिया का खतरा और बढ़ जाता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान ही अपने वजन पर ध्यान दें। अगर आपका प्रसव हो चुका है, तो धीरे-धीरे स्वस्थ आहार और हल्के व्यायाम करके अपने वजन को नियंत्रित करें। वजन ज्यादा होने से जोड़ों पर और ज्यादा जोर पड़ता है, इसलिए वजन को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है।
  • आपको डिलीवरी के बाद हील्स पहनने से बचना चाहिए और सही साइज के आरामदायक जूते पहनने चाहिए। सुनिश्चित करें कि जूते का सोल नरम हो और आपको पर्याप्त कुशनिंग प्रदान करे। व्यायाम करने से आपके जोड़ों के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और गति की सीमा में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
  • धीरे-धीरे एक्सरसाइज शुरू करें। यह दर्द और सूजन को कम करने में मदद करेगा।
  • आप गर्म या ठंडी सिकाई का उपयोग कर के दिन में कई बार, लगभग 20 मिनट के लिए प्रभावित जगह पर सिकाई करें।
  • दर्द और सूजन से राहत के लिए आप दर्द निवारक दवा का उपयोग कर सकती हैं। लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के इसका उपयोग न करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या प्रसव के बाद रुमेटॉइड पोस्टपार्टम अर्थराइटिस हो सकता है?

अध्ययनों से पता चला है कि दुर्लभ मामलों में, कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के बाद रुमेटॉइड अर्थराइटिस हो जाता है। इसमें, प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ जोड़ों के टिश्यू पर हमला करती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था के बाद जोड़ों में तीव्र दर्द होता है।

2. क्या स्तनपान रुमेटॉइड अर्थराइटिस को मुश्किल बनाता है?

कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि स्तनपान कराना माँ और बच्चे दोनों के लिए रुमेटॉइड अर्थराइटिस के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। लेकिन स्तनपान से रुमेटॉइड अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ता है ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलता है।

बच्चे के आने के बाद एक महिला की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। बच्चे की देखभाल करना और साथ ही प्रसव के बाद के गठिया जैसी समस्या से निजात पाना आसान नहीं होता। लेकिन अगर आपको इस समस्या के बारे में पहले से पता हो तो इसे नियंत्रित करना थोड़ा आसान हो सकता है। गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करने में एक स्वस्थ आहार बहुत मदद करता है। सही खान-पान अपनाकर आप इस दर्द को कम कर सकती हैं और आगे भी इस बीमारी के खतरे से बच सकती हैं। इसलिए प्रसव के बाद अपनी सेहत और डाइट पर खास ध्यान दें ताकि आप इस समस्या को अच्छे से संभाल सकें।

References/Resources:

  1. Arthritis Diagnosis; hopkinsmedicine.org; https://www.hopkinsmedicine.org/health/treatment-tests-and-therapies/arthritis-diagnosis
  2. Rheumatoid arthritis & pregnancy; nras.org.uk; https://nras.org.uk/resource/rheumatoid-arthritis-pregnancy/
  3. 5 Ways to Manage Arthritis; cdc.gov; https://www.cdc.gov/arthritis/basics/management.htm
  4. What Are Common Symptoms of Autoimmune Disease?; hopkinsmedicine.org; https://www.hopkinsmedicine.org/health/wellness-and-prevention/what-are-common-symptoms-of-autoimmune-disease
  5. Sana Qureshi, Mahsa Kanzali, Syed Farhan Rizvi, et.al; New diagnosis of rheumatoid arthritis during the third trimester of pregnancy; National Library of Medicine; https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5373281/

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समर नक़वी

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