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गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं खासतौर पर यूटरस में। यूटरस फीटस (भ्रूण) के पूर्ण विकास करने के लिए उसके अनुसार सही वातावरण तैयार करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उसे सभी पोषक तत्व मिलते रहे, जिनकी उन्हें अच्छी तरह से विकास करने के लिए आवश्यकता होती है। इस पोषण प्रक्रिया का एक जरूरी कॉम्पोनेन्ट एमनियोटिक फ्लूइड भी है।
गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक फ्लूइड आपके बच्चे को प्रोटेक्ट करने का काम करता है। यह सुनिश्चित करता है कि यूटरस के सिकुड़ने की वजह से बच्चे का दम न घुटने लगे। एमनियोटिक सैक भी जर्म्स को दूर करने में मदद करता है और बच्चे को इन्फेक्शन से बचाता है।
एमनियोटिक फ्लूइड का रिसाव आपके बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, यह समझना बेहतर रहेगा कि आपको रिसाव के कारण किस प्रकार की कॉम्प्लीकेशन्स का सामना करना पड़ सकता है और इसका इलाज करने व इसे रोकने के लिए क्या कर सकती हैं यह जानने के लिए लेख पढ़ना जारी रखें।
एमनियोटिक फ्लूइड एमनियोटिक सैक के साथ होता है, जिसमें दो मेम्ब्रेन होती हैं, जिन्हें कोरियोन और एमनियन के रूप में जाना जाता है। एमनियोटिक फ्लूइड का रिसाव तब होता है जब इन मेम्ब्रेन टूट जाती हैं, और जबकि लेबर का समय भी नहीं होता है।
चूंकि, फीटस लगातार अपने विकास के लिए एमनियोटिक फ्लूइड का उपयोग करता है, इसलिए इसका लेवल बढ़ता घटता रहता है। गर्भावस्था के 36वें सप्ताह के दौरान एमनियोटिक फ्लूइड का लेवल बहुत ज्यादा होता है। एमनियोटिक फ्लूइड का नॉर्मल लेवल कुछ इस प्रकार होना चाहिए:
38वें सप्ताह के बाद, डिलीवरी तक फ्लूइड का लेवल कम होने लगता है।
एमनियोटिक फ्लूइड के रिसाव का सबसे आम कारण लेबर है। हालांकि, कई कारणों से एमनियोटिक फ्लूइड दूसरी तिमाही के दौरान भी लीक कर सकता है, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान, योनि स्राव और यूरिन लीक होना काफी आम है। आप इस टेबल की सहायता से अन्य प्रकार के रिसाव से एमनियोटिक फ्लूइड के डिफरेंस को समझ सकती हैं।
एमनियोटिक फ्लूइड का रिसाव | यूरिन लीकेज | योनि से अत्यधिक स्राव |
कोई गंध नहीं होती है | यूरिन की तेज गंध होती हैं | गंध हो भी सकती है और नहीं भी |
अंडरवियर बहुत गीला रहता है | अंडरवियर ज्यादा गीला नही रहता है | अंडरवियर ज्यादा गीला नही रहता है |
लगातार रिसाव होता है | लगातार रिसाव नहीं होता है | योनि स्राव एमनियोटिक फ्लूइड रिसाव से कम होता है |
टॉयलेट जाने के बाद भी लीक होता है | ब्लैडर खाली हो जाने के बाद लीक नहीं होता है | टॉयलेट में जाने के बाद भी लीक हो सकता है |
यह हल्का गुलाबी या सफेद रंग के साथ स्पष्ट होता है | स्पष्ट नहीं होता है | डिस्चार्ज यूरिन और एमनियोटिक फ्लूइड से ज्यादा थिक होता है |
बेरंग या पीले रंग का तरल | पीलापन लिए होता है | सफेद या पीलापन लिए होता है |
एमनियोटिक फ्लूइड के रिसाव का उपचार आपकी गर्भावस्था के स्टेज पर निर्भर करता है। आपकी गाइनकॉलजिस्ट यह जाँच करेंगी कि आपको जो रिसाव हो रहा है क्या वो रिसाव वास्तव में एमनियोटिक फ्लूइड है या नहीं और फिर इसके बाद आपका ट्रीटमेंट करेंगी। यदि बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तो आपको डिलीवरी करने की सलाह दी जा सकती है।
यदि आपका वाटर बैग आपकी डिलीवरी डेट से पहले ही फट जाता है, तो इसके कारण समय से पहले एमनियोटिक फ्लूइड का रिसाव हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो आपको किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन से बचने के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता होगी।
फीटस को ऑब्जरवेशन में रखा जाएगा और फीटस के दिल की धड़कन और संकुचन को ट्रैक किया जाएगा। गर्भावस्था की स्टेज के आधार पर इसका ट्रीटमेंट किया जाता है।
24 सप्ताह से पहले: चूंकि यह सेफ डिलीवरी के लिए बहुत जल्दी है और इससे मिसकैरेज होने की संभावना होती है, इसलिए आपको हॉस्पिटल में ही रख कर मॉनिटर किया जाएगा।
24 और 31 सप्ताह के बीच: इन्फेक्शन से बचने के लिए आपको एंटीबायोटिक्स दी जाएंगी। बच्चे के फेफड़ों के विकास के लिए स्टेरॉयड का इंजेक्शन लगाया जा सकता है। डिलीवरी को आमतौर पर 33वें सप्ताह तक डिले किया जा सकता है, अगर रिसाव बंद हो जाता है और बच्चा ठीक है।
32 से 33 सप्ताह तक: बच्चे के फेफड़ों को मॉनिटर किया जाता है और वो कितना विकास कर रहे हैं यह भी जाँच की जाती है। बच्चे के फेफड़ों को विकसित करने के लिए स्टेरॉयड दिया जा सकता है। इन्फेक्शन को रोकने के लिए एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट भी दिया जाता है, जिसके बाद लेबर प्रेरित किया जाता है।
34 सप्ताह से लेकर नियत तिथि तक: बच्चे की लगातार मॉनिटर किया जाता है और इन्फेक्शन को होने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। फिर 34वें सप्ताह के बाद डिलीवरी होने की संभावना होती है।
यदि रिसाव में एमनियोटिक फ्लूइड का लेवल कम होता है, तो निम्नलिखित ट्रीटमेंट के बारे में विचार किया जा सकता है।
एमिनो-इनफ्यूजन: एक कैथेटर का उपयोग करके गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लूइड डाला जाता है। यह प्रक्रिया गर्भनाल के चारों ओर अतिरिक्त पैडिंग प्रदान करती है।
हाइड्रेशन: एमनियोटिक फ्लूइड के लेवल को बढ़ाने के लिए आपको आईवी या ओरल फ्लूइड भी दिए जा सकते हैं।
अगर एमनियोटिक फ्लूइड का रिसाव का समय पर इलाज न किया गया, तो आपकी गर्भावस्था में गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
यदि आप एमनियोटिक फ्लूइड के रिसाव का अनुभव करती हैं, तो सुनिश्चित करें कि:
निम्नलिखित परिस्थितियों में जल्द से जल्द अपने डॉक्टर के पास पहुँचें:
यदि आप 38 सप्ताह में एमनियोटिक फ्लूइड के रिसाव को नोटिस करती हैं, तो इसका मतलब है कि आपको लेबर शुरू हो सकता है। यदि लीकेज पहले ही होने लगता है, तो आपको इसके उपचार के लिए अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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