गर्भावस्था

क्या गर्भावस्था के दौरान सीटी स्कैन कराना खतरनाक हो सकता है?

सीटी स्कैन या सीएटी स्कैन एक इमेजिंग टेक्नीक के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला कॉमन नाम है जिसे कंप्यूटेड एक्सियल टोमोग्राफी स्कैन कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कंप्यूटर की मदद से कई क्रॉस सेक्शनल एक्स-रे की इमेज बनाती है, यह स्कैन आपके शरीर के इंटरनल ऑर्गन की थ्री-डायमेंशन इमेज लेता है। कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सीटी स्कैन कराने और इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंता होती है। अगर आप भी माँ बनने वाली हैं और आपके मन में भी इस तरह से सवाल हैं, तो इस लेख में आपको सभी जवाब मिल जाएंगे। इसके अलावा, अगर आप कभी भी गर्भावस्था के दौरान यह स्कैन कराने की जरूरत पड़ती है तो आपके डॉक्टर सीटी स्कैन के फायदों और खतरों के बारे में बता सकेंगे।

क्या गर्भावस्था के दौरान सीएटी स्कैन करना सुरक्षित है?

सीएटी स्कैन एक्स-रे की फोकस बीम का इस्तेमाल करते हुए आपके शरीर की इमेज जेनरेट करता है और यह हाई एनर्जी रेडिएशन उसकी इंटेंसिटी और एक्सपोजर रेंज के आधार फीटस को नुकसान पहुँचाने की क्षमता रखता है। आयोनाइजिंग रेडिएशन, जैसे एक्स-रे को कार्सिनोजेन्स के रूप में जाना जाता है, और उनके उपयोग को विकसित देशों में कैंसर के संभावित कारणों में से एक माना जाता है। जब गर्भावस्था के दौरान सीएटी स्कैन किया जाता है, तो लोनिसिंग रेडिएशन के कार्सिनोजेनिक और टेराटोजेनिक इफेक्ट्स बढ़ते फीटस पर भी पड़ते हैं, जो चिंता वाली बात है। हालांकि, सबसे अधिक खतरा उन फीटस के लिए होता है जो 15 सप्ताह से कम उम्र के हैं और 50 एमजीवाई से अधिक के रेडिएशन के संपर्क में आते हैं।

इसका खतरा तब ज्यादा बढ़ जाता है जब गर्भवती महिला का गर्भाशय स्कैनिंग फील्ड में आता है या एब्डोमिनल रीजन व पेल्विक कैविटी में स्कैन किया जाता है। जब रेडिएशन शील्ड को अप्लाई किया जाता है, तो स्कैन फीटस को 1 एमजीवाई से 3.5 एमजीवाई तक रेडिएशन डोज में लाता है। इसके विपरीत, 9 महीने के पीरियड में बैकग्राउंड रेडिएशन से (सूरज और अंतरिक्ष से) फीटस को रेडिएशन एक्सपोजर में लाने के लिए   0.5 से 1 एमजीवाई  का रेडिएशन होता है। पेट और पेल्विस के लिए किए जाने वाले सीएटी स्कैन के दौरान फीटस को जबसे ज्यादा हैवी डोज का सामना करता है जो कि लगभग 25 एमजीवाई है। सिर या छाती का सीएटी स्कैन कराने से फीटस तक कोई रेडिएशन नहीं पहुँचता है। एडवांस स्कैनर के साथ ऑटोमेटेड एक्सपोजर कंट्रोल की मदद से रेडिएशन एक्सपोजर को 13 तक कम किया जा सकता है।

सीटी स्कैन क्यों किया जाता है?

गर्भवती महिलाओं को कभी-कभी नॉन ओब्स्टेट्रिकल कंडीशन या इमरजेंसी का सामना करना पड़ता है जसकी वजह से उनको सीएटी स्कैन की जरूरत होती है, कुछ परिस्थियों में रेनल कोलिक, एपेंडिसाइटिस, हेमरेजिक ओवेरियन सिस्ट, ओवेरियन टोरसन,फेफड़ों से संबंधी बीमारी और ट्रॉमा का भी अनुभव हो सकता है। इन सभी मामलों में निदान करने के लिए सीएटी स्कैन बहुत जरूरी होता है और कभी-कभी यह सिर्फ एक टूल की तरह काम करता है अंदर की कंडीशन के बारे में ठीक से जानकरी देता है। सीटी स्कैन आपके इंटरनल ऑर्गन की थ्री डायमेंशनल इमेज फॉर्म करने में मदद करता है, जिससे डॉक्टर को एक क्लियर पिक्चर मिलती है जिससे वो प्रॉब्लम का पता लगा पाते हैं। हालांकि, सीटी स्कैन निदान के लिए उपयोग किया जाने वाला अकेला टूल नहीं है; एमआरआई स्कैन भी आमतौर पर उपयोग किया जाता है और यह उतना ही प्रभावी होता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे पहले निदान के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है, लेकिन इससे ऑर्गन की क्लियर इमेज हमेशा नहीं दिखाई देती है। जब अल्ट्रासाउंड और एमआरआई स्कैन जैसे स्कैन के सुरक्षित तरीके से भी कभी-कभी सही जानकारी नहीं मिल पाती है, या समय की कमी से भी सही रिजल्ट नहीं मिलता है, तो ऐसी कंडीशन में सीएटी स्कैन का उपयोग सबसे अच्छा इमेजिंग ऑप्शन माना जाता है। सबसे पहला नियम यह है कि सीटी स्कैन तब तक गर्भवती महिलाओं को कराने के लिए नहीं कहा जाता, जब तक कि फीटस पर पड़ने वाले इसके फायदे और जोखिम का पता न कर लिया जाए।

गर्भावस्था के दौरान सीएटी स्कैन कराने के जोखिम क्या हैं?

यहाँ गर्भावस्था के दौरान सीएटी स्कैन करवाने से जुड़े कुछ खतरों को बारे में आपको बताया गया है।

  • एक सीटी स्कैन में आयोनाइजिंग एक्स-रे रेडिएशन शामिल होता है जो हर दिन प्राप्त होने वाली एम्बिएंट रेडिएशन से थोड़ी ज्यादा होती है। सीटी स्कैन से निकलने वाली रेडिएशन डोज लगभग 10 एमएसवी हो सकती है, जो लगभग सेम रेडिएशन होता है, जो एवरेज इंसान बैकग्राउंड रेडिएशन से 3 सालों में प्राप्त करता है।
  • गर्भावस्था की पहली तिमाही में बढ़ते फीटस पर इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है, यह आयोनाइजिंग रेडिएशन के कार्सिनोजेनिक और टेराटोजेनिक प्रभावों के कारण होता है।
  • पेट की ऐसी समस्या जिसमें सीएटी स्कैन की जरूरत हो, फीटस को हाई लेवल रेडिएशन के संपर्क में लाती है।

क्या गर्भावस्था के दौरान सीएटी स्कैन कराने से बच्चे को कैंसर हो सकता है?

सीएटी स्कैन में बहुत कम रेडिएशन लेवल का उपयोग होता है, जिससे माँ या बच्चे को बहुत कम नुकसान पहुँचता है। अधिकांश स्कैन 10 से 25 एमजीवाई की सीमा के अंदर होते हैं और कैंसर पैदा करने के लिए इसका एक्सपोजर ज्यादा होना चाहिए। टेराटोजेनिक इफेक्ट तब पता चलता है जब एक्सपोजर 50 एमजीवाई से 100 एमजीवाई की सीमा से अधिक हो जाता है। सिंगल स्कैन से आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर आपके कई स्कैन किए जाते हैं तो रेडिएशन के एक्सपोजर में आने से आपको और फीटस के खतरा हो सकता है। यदि एक्सपोजर 100 एमजीवाई  से 150 एमजीवाई तक चला जाता है, तो खतरा काफी गंभीर हो जाता है जिससे फीटस के अबॉर्शन का विचार करना पड़ सकता है।

सीएटी स्कैन के कुछ जोखिम हो सकते हैं, लेकिन अगर आपको कभी इसकी जरूरत पड़ती है तो बेहतर रहेगा कि अपने डॉक्टर से बात करें और इसके फायदे व नुकसान के बारे जानें।

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी में डॉप्लर स्कैन

समर नक़वी

Recent Posts

आर नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Aar Name Meaning in Hindi

अगर आप अपने बच्चे के लिए कोई नया, अलग और खास नाम ढूंढ़ रहे हैं,…

18 hours ago

170 भगवान का उपहार अर्थ वाले लड़कों और लड़कियों के नाम

जब माता-पिता अपने बच्चे के लिए नाम ढूंढना शुरू करते हैं, तो उनमें से कुछ…

19 hours ago

बच्चों के याद करने और पढ़ने के लिए 20 श्लोक |Shlokas for Kids to Learn and Recite In Hindi

भारतीय संस्कृति में श्लोकों का महत्व बहुत पुराना है। ये सिर्फ कुछ शब्द नहीं होते,…

1 day ago

60+ नवरात्रि 2025 की शुभकामनाएं, कोट्स, विशेज, मैसेज, शायरी और स्टेटस

नवरात्रि के नौ शुभ दिन माँ दुर्गा के नौ अवतारों के उत्सव और उनकी पूजा…

1 day ago

बच्चों के लिए नवरात्रि और दशहरा से जुड़ी जानकारियां

सामान्य तौर पर भारत में साल का दूसरा हिस्सा अनेकों त्योहार और सेलिब्रेशन से भरा…

1 day ago

बच्चों के लिए गणेश जी की रोचक कहानियां

हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं में गणपति का स्थान सबसे प्रथम आता है। वैसे तो…

2 days ago