गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान गैर-तनाव परीक्षण (नॉन-स्ट्रेस टेस्ट)

एक गर्भवती महिला के रूप में, आपको अपने शरीर और अपने बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए कई सारे टेस्ट व विभिन्न डॉक्टर से अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। हालांकि, ये परीक्षण अधिकांश आपके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव पैदा करते हैं, लेकिन यहाँ आपको एक ऐसे परीक्षण के बारे में बताया जा रहा है जो आप या आपके बच्चे पर कोई तनाव नहीं डालता है। आइए, इसके बारे में और विस्तार से जानते हैं।

गर्भावस्था के दौरान नॉन-स्ट्रेस टेस्ट (एन.एस.टी) क्या है

नॉन स्ट्रेस टेस्ट, उच्च जोखिम वाले गर्भधारण से जुड़े सबसे आम परीक्षणों में से एक, जो डॉक्टर गर्भावस्था के 27वें सप्ताह के बाद करते हैं, जिसे आप एन.एस.टी भी कह सकती हैं। इसे नॉन स्ट्रेस टेस्ट इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस परीक्षण प्रक्रिया के दौरान आपके बच्चे को कोई परेशानी नहीं होती है; वास्तव में, इसका एकमात्र काम है आपके बच्चे की प्राकृतिक गतिविधि का निरीक्षण करना। इसका उपयोग करके भ्रूण के दिल की धड़कन का पता लगाकर उसकी स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाया जाता है। सबसे पहले, जब शिशु आराम कर रहा होता है या सो रहा होता है तब उसकी हृदय गति को मापा जाता है और बाद में उसके सक्रिय होने पर इसे दोबारा मापा जाता है। यदि हृदय गति भ्रूण के गतिविधि के स्तर से मेल खाती है, तो आप निश्चिंत हो जाएं, इसका अर्थ है कि शिशु को पर्याप्त पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्राप्त हो रहा है। एन.एस.टी का सुझाव आमतौर पर तब दिया जाता है जब भ्रूण की मृत्यु दर की संभावना अधिक होती है, क्योंकि यह परीक्षण बता सकता है कि आप या आपके भ्रूण को अस्पताल में भर्ती होने या उपचार की आवश्यकता है या नहीं, इसके अलावा क्या गर्भावस्था निर्धारित तिथि से आगे बढ़ गई है।

एन.एस.टी किसे कराने की जरुरत है

गर्भावस्था के दौरान एन.एस.टी की सलाह आमतौर पर दी जाती है, लेकिन विशेष रूप से यह उच्च जोखिम वाले गर्भधारण, प्रसव की निर्धारित तिथि के बीत जाने पर, पिछली गर्भावस्थाओं के दौरान होने वाली जटिलताओं के कारण आदि किया जाता है। एन.एस.टी का सुझाव तब भी दिया जाता है जब अल्ट्रासाउंड से पता चल जाए कि बच्चा अपेक्षा के अनुसार छोटा है या उसकी गतिविधि जितनी होनी चाहिए उससे कम है। यदि आपको प्री-एक्लेमप्सिया, या गर्भकालीन मधुमेह जैसी समस्याएं हैं, तब भी यह परीक्षण किया जा सकता है।

एन.एस.टी कब किया जाता है

गर्भावस्था में नॉन स्ट्रेस टेस्ट कराने का सुझाव तीसरी तिमाही में, प्रसव की नियत तारीख से लगभग 4-5 सप्ताह पहले, दिया जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि भ्रूण गर्भधारण के कम से कम 28 सप्ताह की अवधि के बाद ही हृदय गति की सटीक माप प्रदान कर सकता है।

एन.एस.टी क्यों किया जाता है

एन.एस.टी, फीटल हाइपोक्सिया की संभावना को रोकने के लिए किया जाता है, यानि भ्रूण में ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी होना जिसके कारण गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। प्रसव की नियत तारीख निकल जाने पर भी बच्चे का जन्म न होना, इसके वाली अलावा भी कई अन्य कारण हैं जिसके लिए नॉन स्ट्रेस टेस्ट करने के लिए कहा जा सकता है।

  • यदि आपको गर्भकालीन मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज), हृदय रोग, रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी चिकित्सीय समस्याएं हैं, तो ये भ्रूण के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
  • यदि आपको पॉलिहाइड्रेमनियोस (ऐसी स्थिति जिसमें भ्रूण के आसपास एमनियोटिक थैली में अत्यधिक एमनियोटिक द्रव होता है) या ओलिगोहीदृम्निओस (पर्याप्त एमनियोटिक द्रव की कमी) है, तो आपकी गर्भावस्था में जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • गर्भावस्था के अंतिम चरण में एम्नियोसेंटेसिस या बाहरी शिरस्य संस्करण या इक्स्टर्नल सफैलिक वर्श़न (बच्चे के सिर को नीचे की तरफ घुमाना) बच्चे को प्रभावित कर सकती है।
  • भ्रूण के बढ़ने या उसकी गतिविधियों में कमी आने से ये आगे आने वाली समस्याओं का संकेत हो सकता है।
  • पिछले गर्भपात या मृतजन्म भ्रूण की मृत्यु के जोखिम को बढ़ाते हैं।
  • भ्रूण में आनुवांशिक असामान्यता हो सकती हैं, जिसकी वजह से निगरानी की आवश्यकता पड़ सकती है।

गर्भावस्था के दौरान कितनी बार एन.एस.टी किया जाता है

यदि गर्भावस्था की जटिलताओं का रिस्क ज्यादा बड़ जाता है, तो 28वें सप्ताह के गर्भधारण के बाद, एन.एस.टी को हफ्ते में कम से कम दो बार किया जाना चाहिए। एन. एस. टी करवाने की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि स्थिति कितनी गंभीर है, इसलिए ख्याल रहे कि आप अपने डॉक्टर से इस विषय पर सुझाव जरूर लें। यदि आपके डॉक्टर को फीटल हाइपोक्सिया होने का संदेह है, तो वे आपको एन.एस.टी रोजाना कराने के लिए भी कह सकते हैं।

एन.एस.टी टेस्ट की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में आपको पीठ सहारा देते हुए, आपकी बाई करवट पर लिटाया जाता है। फिर दो यंत्र आपके पेट पर लगाए जाते हैं, जिनमें से एक गर्भाशय के संकुचन को रिकॉर्ड करता है और दूसरा भ्रूण की हृदय गति और हरकत के बीच की समानता को रिकॉर्ड करता है। कभी-कभी, हो सकता है कि बच्चा सो रहा हो, तो डॉक्टर आपको कुछ खाने या पीने का सुझाव दे सकते हैं, ताकि वह जग जाए। यही परिणाम आपके पेट को धीरे से हिलाकर भी प्राप्त किया जा सकता है। परीक्षण में एक घंटे तक का समय लग सकता है, इसलिए आवश्यकता पड़ने पर बाथरूम का उपयोग आराम से करें। यह परीक्षण आप और बच्चा दोनों के लिए पूरी तरह से दर्दरहित (पेनलेस) होता है।

परीक्षण का नतीजा कब मिलता है और उनका क्या मतलब होता है

परीक्षण का नतीजा इसे कराए जाने के तुरंत बाद ही प्राप्त किया जा सकता है। नॉन स्ट्रेस टेस्ट के दो मुख्य प्रकार के परिणाम होते हैं:

1. प्रतिक्रियाशील

परिणाम तब प्रतिक्रियात्मक, या सामान्य होते हैं, जब बच्चे की हृदय गति उसकी आराम की अवस्था से बाहर आने के बाद उसे कम से कम 10-15 सेकंड तक गतिशील करने पर लगभग 15 बी.पी.एम तक बढ़ जाए, तो यह परिणाम प्रतिक्रियात्मक माने जाते हैं। बच्चे को 20 मिनट के चक्र के भीतर ऐसा दो बार करना होता है, ताकि प्रतिक्रियात्मक परिणाम मिल सकें।

2. गैर-प्रतिक्रियाशील

यदि भ्रूण की हृदय गति उसकी गतिविधि के साथ नहीं बढ़ती है या भ्रूण अगर कम से कम 60-90 मिनट के बाद हरकत नहीं करता है, तो एन.एस.टी की व्याख्या गैर-प्रतिक्रियाशील के रूप में होती है। गैर-प्रतिक्रियाशील परीक्षण परिणाम, फीटल हाइपोक्सिया या गर्भनाल की समस्याओं का संकेत हो सकता है। हालांकि, इसका मतलब यह भी नहीं है कि यह बहुत बड़े खतरे का संकेत है, आपके डॉक्टर आपको कुछ घंटों के बाद दोबारा एन.एस.टी करने या निदान की पुष्टि करने के लिए कुछ अन्य परीक्षण कराने का सुझाव दे सकते है।

क्या आगे और भी परीक्षण की आवश्यकता है

भले ही परीक्षण गैर-प्रतिक्रियाशील हो, डॉक्टर यह नहीं कह सकता है कि यह ऑक्सीजन की कम आपूर्ति या अन्य कारणों जैसे महिला की दवाइयों, भ्रूण की नींद के पैटर्न, या आनुवांशिक दोषों के कारण है। यदि एन.एस.टी द्वारा आपको गैर-प्रतिक्रयाशील परिणाम मिलते हैं, तो आप दो मुख्य परीक्षण करा सकती हैं:

1. कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट

यह परीक्षण डॉक्टर को बताएगा कि शिशु के लिए प्रसव और जन्म लेना कितना तनावपूर्ण होने वाला है। संकुचन तनाव परीक्षण यह मापते है कि भ्रूण के दिल की धड़कन गर्भाशय के संकुचन के तनाव में कैसे बदल जाती है। डॉक्टर आपको ऑक्सीटोसिन देंगे, जो गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित करता है, लेकिन बहुत ही मामूली तरीके से। संकुचन के दौरान बच्चे के बीपीएम में कमी का मतलब है कि यह प्रसव के दौरान तनावपूर्ण हो सकता है।

2. बायोफिजिकल प्रोफाइल

इस परीक्षण में एन.एस.टी और अल्ट्रासोनोग्राफी शामिल है। यह भ्रूण की श्वास दर, गतिविधि, शरीर की संरचना और साथ ही गर्भाशय में एम्नियोटिक द्रव की जाँच करता है। असामान्य जैवभौतिक प्रोफाइल परीक्षण जल्दी प्रसव की ओर इशारा करता है।

क्या एन.एस.टी परीक्षण के कोई दुष्प्रभाव है?

एन.एस.टी का मतलब है कि इसमें शारीरिक दर्द या किसी अन्य प्रकार का खतरा शामिल नहीं होता है। एक जोखिम यह है कि शायद एन.एस.टी सही जटिलता का पता लगाने में उतना सक्षम ना हो, या ये गलत संकेत भी दे सकता, जिसकी वजह से आपको अन्य परीक्षण कराने पड़ सकते हैं ।

एन.एस.टी द्वारा किया गया परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण और जोखिम रहित परीक्षणों में से एक होता है जिसे आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए करा सकती हैं। शिशु के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलें। यदि एन.एस.टी किसी खतरे की ओर इशारा करता है, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि आपका डॉक्टर दर्द को प्रेरित कर के प्रसव का सुझाव दे सकते हैं।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान सुरक्षित व्यायाम

समर नक़वी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago