गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल सैक

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय में पानी की थैली या जेस्टेशनल सैक

हर महिला में गर्भावस्था अलग-अलग तरीके से बढ़ती है। अक्सर महिलाओं के लिए गर्भधारण करना थोड़ा सा मुश्किल हो सकता है। शुरूआती चरण में बच्चे के विकास से ही अक्सर गर्भावस्था स्वस्थ और सुरक्षित होती है। इसलिए डॉक्टर प्रेगनेंसी को निश्चित करने के लिए ज्यादातर अल्ट्रासाउंड और महिलाओं के खून की जांच करते हैं। डॉक्टर खून की जांच से एच.सी.जी. (ह्यूमन क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन) के स्तर की जांच करते हैं। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से डॉक्टर गर्भवती महिला के गर्भाशय में पानी की थैली या जेस्टेशनल सैक को देखने का प्रयास करते हैं जिससे गर्भावस्था की वृद्धि का पता चलता है। 

गर्भावस्था के 3 से 5 सप्ताह के बीच में जेस्टेशनल सैक दिखाई देना आमतौर पर एक सकारात्मक संकेत है। कई बार ऐसा भी हो सकता है कि अल्ट्रासाउंड के दौरान गर्भाशय में जेस्टेशनल सैक तो दिख रहा है पर उसमें भ्रूण नहीं है। 

कुछ मामलों में अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर को जेस्टेशनल सैक नहीं दिखाई देता है। यह तभी हो सकता है जब गर्भकालीन तिथि की गणना गलत हो जाती है और इसका यह मतलब है कि अभी जेस्टेशनल सैक दिखाई देने में थोड़ा समय लग सकता है। पर यदि आपके बार-बार जांच करवाने के बाद भी जेस्टेशनल सैक नहीं दिखाई दे रहा है तो हो सकता है कि यह एक्टोपिक गर्भावस्था या मिसकैरेज हो। 

जेस्टेशनल सैक क्या होता है?

गर्भावस्था का पता लगाने के लिए डॉक्टर अक्सर अल्ट्रासाउंड के माध्यम से जेस्टेशनल सैक की जांच करते हैं। जेस्टेशनल सैक के अंदर एक योक सैक होती है जिसमें भ्रूण का विकास होता है और यह गर्भवती महिला के गर्भाशय में होती है। जब आप अल्ट्रासाउंड करवाती हैं तो इसमें बहुत अंधेरा होने के साथ एक सफेद रंग की रिम दिखाई देती है। 

जेस्टेशनल सैक एक ऐसा प्रमाण है जिससे गर्भावस्था का पता चलता है पर इसमें भ्रूण की उपस्थिति नहीं दिखती है। इसका विकास आपके अंतिम मासिक धर्म चक्र खत्म होने के 5 से 7 सप्ताह के बाद से शुरू हो जाता है। जेस्टेशनल सैक लगभग 3 से 5 सप्ताह में दिखने लगती है, जब एक गर्भवती महिला के शरीर में एच.सी.जी. का स्तर लगभग 1500 से 2000 तक होता है या अल्ट्रासाउंड में सैक के डायमीटर (एम.एस.डी.) का माप भी 2 से 3 एम.एम. तक दिखाई देता है।

गर्भावस्था के शुरूआती दिनों (8-10 सप्ताह पहले) में जेस्टेशनल सैक का आकार बहुत जरूरी होता है। यद्यपि सैक का गोल आकार ही सही माना जाता है पर इसके अन्य आकार का क्या मतलब है यह बता पाना कठिन है। यदि डॉक्टर को जेस्टेशनल सैक का आकार कुछ अजीब दिखाई देता है तो वे संभावित कॉम्प्लिकेशन का पता लगाने के लिए नियमित जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं। खासकर जेस्टेशनल सैक की अंतिम जांच के लगभग 1 या 2 सप्ताह के बाद डॉक्टर गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल की धड़कन भी सुन सकते हैं जिससे गर्भावस्था की वृद्धि का संकेत मिलता है। 

यदि अल्ट्रासाउंड में जेस्टेशनल सैक दिख जाता है तो क्या यह एक नॉर्मल गर्भावस्था है?

अल्ट्रासाउंड में जेस्टेशनल सैक का पता लगाना निश्चित ही गर्भावस्था का एक सकारात्मक संकेत है, पर सिर्फ जेस्टेशनल सैक के मौजूद होने से इसे नॉर्मल गर्भावस्था नहीं कहा जा सकता है। जेस्टेशनल सैक के अलावा योक सैक होना भी बहुत जरूरी हो जाता है जो अपने आप में निर्मित होकर बढ़ता है। योक सैक इसलिए जरूरी है क्योंकि जब तक प्लेसेंटा नहीं बनती है तब तक बच्चे को न्यूट्रिशन योक सैक से ही मिलता है। ट्रांसवाजाईनल अल्ट्रासाउंड में पता है कि गर्भावस्था के लगभग 5 से 6 सप्ताह में योक सैक स्पष्ट रूप से दिखने लगता है। कुछ मामलों में अल्ट्रासाउंड के दौरान जेस्टेशनल सैक दिख सकता है पर योक सैक नहीं दिखता है। 

जेस्टेशनल सैक न दिखने के कारण 

जेस्टेशनल सैक न दिखने के कुछ निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, आइए जानें;

  • इसका सबसे सामान्य कारण यह है कि गर्भावस्था की शुरूआती तारीख से गणना गलत हो सकती है। इसके लिए आपको कुछ दिनों के बाद एक बार फिर से अल्ट्रासाउंड करवाने की जरूरत है। इसके लिए एच.सी.जी. का स्तर और अल्ट्रासाउंड के परिणाम की तुलना करने से काफी मदद मिल सकती है। यदि आपके शरीर में एच.सी.जी. का स्तर 1500 से कम है तो जेस्टेशनल सैक देखने के लिए अभी आपको और थोड़ा इंतजार करने की जरूरत है। 
  • यदि जेस्टेशनल सैक नहीं दिखाई दे रहा है तो हो सकता है कि आपका मिसकैरेज हो गया हो या होने वाला हो। इस दौरान यदि एच.सी.जी. का स्तर कम हो रहा है तो इससे मिसकैरेज का पता चलता है। 
  • यदि जेस्टेशनल सैक नहीं दिखता है और आपके शरीर में एच.सी.जी. का स्तर 1500 से 2000 है तो हो सकता है कि आपकी एक्टोपिक गर्भावस्था हो। एक्टोपिक गर्भावस्था का मतलब है कि एम्ब्रियो या अंडा गर्भाशय के बाहर ही प्रत्यारोपित हो गया है। यह एक गंभीर समस्या है जिसमें मेडिकल सहायता की जरूरत होती है और इसमें डायग्नोसिस के लिए सही तरीके से जांच और ट्रीटमेंट होनी चाहिए। ऐसे मामलों में लगातार बीएचसीजी के स्तर को मॉनिटर किया जाता है। 

जेस्टेशनल सैक खाली होने से क्या पता चलता है?

डॉक्टर आपकी गर्भावधि के 6 सप्ताह में जेस्टेशनल सैक के अंदर भ्रूण का पता लगा सकते हैं। हालांकि कभी-कभी एंब्रायोनिक गर्भावस्था या जेस्टेशनल सैक का मिसकैरेज भी हो सकता है। ऐसे मामलों में जेस्टेशनल सैक शुरू से ही खाली रहता है और उसमें भ्रूण नहीं होता है। इसका मतलब है कि भ्रूण का विकास नहीं हुआ है और यह सेल्स के असामन्य रूप से विभाजित होने से लेकर अंडे या स्पर्म की क्वालिटी खराब होने तक वजह से हो सकता है। यह समस्या गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में ही हो जाती है, जब शायद महिला को यह भी नहीं पता चलता है कि वह गर्भवती थी। 

कुछ मामलों में क्रोमोसोमल विकार या डिसॉर्डर होने के कारण महिलाओं का मिसकैरेज प्राकृतिक रूप से हो जाता है और कुछ मामलों में महिलाएं डायलेशन और क्यूरेटेज (डी.एंड.सी.) की प्रक्रिया अपनाती हैं। 

यदि डॉक्टर को जेस्टेशनल सैक खाली दिखता है तो वे क्या कर सकते हैं? 

जेस्टेशनल सैक खाली कई कारणों से हो सकता है, जैसे गर्भावस्था का जल्दी होना, एंब्रायोनिक गर्भावस्था होना या अंडा नष्ट हो जाना। यदि डॉक्टर को जेस्टेशनल सैक खाली दिखाई देता है तो वे आपके शरीर में एच.सी.जी. के स्तर की जांच करते हैं और आपको दोबारा से अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं क्योंकि कभी-कभी गर्भावस्था जल्दी होने से इसकी सही तारीख का पता लगाना कठिन होता है और बार-बार अल्ट्रासाउंड टेस्ट करने से बाद में भ्रूण का पता लग सकता है।

हालांकि, यदि इसका परिणाम अनुकूल नहीं है तो डॉक्टर आपको मिसकैरेज के लिए तैयार कर सकते हैं क्योंकि इस दौरान गर्भावस्था की वृद्धि ठीक से नहीं हो रही है जिससे बच्चे का जन्म होना मुश्किल हो सकता है। यदि डॉक्टर को जेस्टेशनल सैक अनियमित दिखाई देता है तो वे यह भी कह सकते हैं कि आपकी गर्भावस्था सफल नहीं हो पाई है। जिसका यही मतलब है कि जेस्टेशनल सैक नॉर्मल सैक के आकार की तरह ठीक से विकसित नहीं हुआ है। 

अलग-अलग महिलाओं को गर्भावस्था का अलग-अलग अनुभव होता है। गर्भावस्था के दौरान आपका चिंता-मुक्त रहना और इस समय को एन्जॉय करना सबसे जरूरी है। इस समय आप अपने परिवार और दोस्तों से भावनात्मक व शारीरिक सपोर्ट भी ले सकती हैं। आपके लिए गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशंस के ट्रीटमेंट और गाइडेंस के लिए डॉक्टर से मिलना सबसे सही रहेगा। 

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