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प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को डायबिटीज की समस्या हो जाती है। डायबिटीज तीन प्रकार का होता है, लेकिन, आपको चाहे किसी भी तरह का डायबिटीज हो, हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए आपको कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। डायबिटीज से ग्रसित प्रेग्नेंट महिलाओं को नियमित चेकअप कराते रहना चाहिए, क्योंकि, उन्हें सामान्य प्रेग्नेंट महिलाओं की तुलना में अधिक प्रीनेटल केयर की जरूरत होती है।
जब किसी व्यक्ति में ब्लड शुगर और ग्लूकोज का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तब उसे डायबिटीज कहते हैं। कई बार ऐसा भी होता है, जब किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर नॉर्मल से ज्यादा होता है पर, इतना ज्यादा नहीं होता, कि उसे डायबिटीज कहा जाए। ऐसी स्थिति को प्रीडायबिटीज कहते हैं और जिस व्यक्ति में यह देखा जाता है उसे टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
डायबिटीज तीन तरह के होते हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है।
अगर आपका शरीर सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है, तो ऐसा मानना चाहिए कि आपको टाइप वन डायबिटीज है।
टाइप टू डायबिटीज बहुत ही आम है। इसमें शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है क्योंकि वह उसके प्रति एक रजिस्टेंस पैदा कर लेता है।
जब प्रेग्नेंट महिला में डायबिटीज की पहचान होती है, तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। यह स्थिति आसामान्य नहीं है और यह प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण होता है।
असल में इंसुलिन एक प्रकार का हॉर्मोन है, जो ग्लूकोज (जो हमारे खाए गए भोजन से मिलता है) को सेल्स में आने में और उन्हें एनर्जी देने में मदद करता है। बेसिकली इंसुलिन शरीर में ग्लूकोज के इस्तेमाल को रेगुलेट करता है और पैंक्रियास इसे पैदा करने का काम करता है। अगर एक व्यक्ति के खून में बहुत ज्यादा ग्लूकोज है और लंबे समय तक उसकी जांच ना की जाए, तो उसकी नसों, आंखों और किडनी में समस्या हो सकती है। कई बार देखा गया है, कि इसके कारण स्ट्रोक, दिल की बीमारी और अंग-भंग तक की आवश्यकता भी पड़ जाती है।
जब डायट और एक्सरसाइज में बदलाव करने के बाद भी ब्लड शुगर का स्तर नीचे नहीं आता है, तब ऐसी स्थिति में डॉक्टर इंसुलिन शॉट लेने की सलाह देते हैं। ये शॉट माँ और बच्चे को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद करते हैं, क्योंकि, ये खून में ग्लूकोज के स्तर को रेगुलेट करने का काम करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन की सलाह देते समय नीचे दी गई कुछ बातों के ऊपर विचार किया जाता है:
प्रेगनेंसी के विभिन्न चरणों के दौरान इंसुलिन की जरूरतें लगातार बदलती रहती हैं, ऐसा बच्चे के विकास के दौरान शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण होता है। अपने इंसुलिन की खुराकों में एडजस्टमेंट के लिए तैयार रहें, क्योंकि यह बिल्कुल आम है और यह हफ्ते में कम से कम एक बार जरूर होता है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत के दौरान होने वाले सभी हॉर्मोनल और शारीरिक बदलाव, शरीर में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को सही बनाए रखने में बहुत दिक्कतें पैदा करते हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआती छह से आठ हफ्तों में आपका ग्लूकोज लेवल बहुत ही अस्थिर होता है। इसके बाद बाकी की तिमाहियों में यह कम होना शुरू हो जाता है। इस दौरान आपको अपने इंसुलिन के सेवन को एडजस्ट करने की जरूरत होती है। अपने किसी भी भोजन या स्नैक्स को मिस न करें और ध्यान से लेते रहें।
जैसे-जैसे आपके प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे आपकी इंसुलिन की जरूरत भी बढ़ती जाती है। 30 हफ्तों तक आते-आते आपकी जरूरतें शुरूआती प्रेगनेंसी की तुलना में दोगुनी हो सकती है। बहुत संभावना है कि आपको भोजन के समय ली जाने वाली तेज इंसुलिन की जरूरत होगी।
36 हफ्तों तक आते-आते आपके इंसुलिन की जरूरत या तो स्थिर हो जाती है या थोड़ी गिर जाती है। आपको ऐसा लगता है, कि आपकी जरूरत बहुत ज्यादा गिर रही है, तो हो सकता है कि आपको कोई समस्या हो, तो ऐसे में अपने डॉक्टर से मिलें।
जब एक प्रेग्नेंट महिला में इंसुलिन की खुराक की बात आती है, तो आपको और आपके डॉक्टर को साथ मिलकर काम करने की जरूरत होती है, क्योंकि बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ आपके इंसुलिन की जरूरतें की बदलती रहती हैं।
आपके ब्लड शुगर को दिन में कई बार चेक करने की जरूरत होगी, ताकि पता चल सके कि आपको जो इंसुलिन दिया जा रहा है वह ठीक तरीके से काम कर रहा है या नहीं। आपके ब्लडशुगर लेवल के अनुसार आपकी खुराक को भी कम ज्यादा किया जाएगा।
आमतौर पर इंसुलिन को आपकी ऊपरी बाँह, जांघों या पेट की त्वचा के अंदर के फैटी टिशु में इंजेक्ट किया जाता है। आपके लिए इंजेक्शन लेने के लिए सबसे सही जगह कौन सी है इसके बारे में अपने ऑब्सटेट्रिशियन से बात करें। कुछ डॉक्टर एक इंसुलिन पेन की सलाह देते हैं, जिससे शॉट लेना बहुत आसान हो जाता है। पर आप डिस्पोजेबल सुइयों और सिरिंजों का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। शॉट लेने के तरीके यहाँ दिए गए हैं:
अपने इंसुलिन शॉट्स को ज्यादा असरदार बनाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:
चूंकि, इंसुलिन शॉट्स लेने के दौरान आपको अपने ब्लडशुगर पर लगातार नजर रखने की जरूरत होती है, इसलिए आपको एक ग्लूकोमीटर रखना चाहिए, ताकि आप घर पर ही उस पर नजर रख सकें। आइए देखते हैं, कि इसे कैसे करते हैं:
अधिकतर मामलों में प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए इंसुलिन लेने की सलाह केवल तभी दी जाती है, जब एक्सरसाइज और डाइट के माध्यम से ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में सफलता न मिले। अपने लेवल पर नजर रखते हुए आप इन साइड इफेक्ट्स की संभावनाओं को कम कर सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन के उपयोग से फीटस को होने वाले नुकसान बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, नीचे लिखी बातों पर नजर रखें और आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखें, तो जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से मिलें।
ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने हर साल अपनी प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज के साथ जंग लड़ी है और उनके नतीजे अच्छे रहे हैं और उन्होंने स्वस्थ और खुशहाल बच्चों को जन्म भी दिया है। इसका एक ही फॉर्मूला है, कि संतुलित और स्वस्थ खाना खाकर ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस रखा जाए और नियमित एक्सरसाइज की जाए और सिर्फ हॉस्पिटल विजिट पर निर्भर रहने के बजाय घर पर ही इसकी जांच की जाए।
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