In this Article
- पायलोनेफ्राइटिस या किडनी में इन्फेक्शन क्या है?
- गर्भावस्था के दौरान किडनी में इन्फेक्शन होने के कारण
- गर्भावस्था के दौरान किडनी में इन्फेक्शन होने के लक्षण
- किडनी इन्फेक्शन का डायग्नोसिस और टेस्ट
- किडनी में इन्फेक्शन से होने वाली कॉप्लिकेशन
- किडनी में इन्फेक्शन के उपचार
- ट्रीटमेंट के बाद किन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है?
- किडनी के इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए होम रेमेडीज
- किडनी के इन्फेक्शन से बचाव
- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन्स में उतार-चढ़ाव के कारण महिलाओं में कई शारीरिक बदलाव होते हैं। वैसे तो शरीर सभी बदलावों को एडजस्ट करना शुरू कर देता है पर फिर भी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ सकता है। इसकी वजह से महिलाओं की किडनी में इन्फेक्शन या पायलोनेफ्राइटिस भी हो सकता है।
पायलोनेफ्राइटिस या किडनी में इन्फेक्शन क्या है?
यदि आसान शब्दों में कहा जाए तो पायलोनेफ्राइटिस का मतलब किडनी में इन्फेक्शन होता है। यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। पायलोनेफ्राइटिस दो प्रकार के होते हैं – एक्यूट और सबएक्यूट या क्रोनिक। एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस इन्फेक्शन किडनी में अचानक से व गंभीर होता है और यह समस्या गर्भवती महिलाओं में अक्सर देखी जा सकती है। यह इन्फेक्शन कई कारणों से हो सकता है जिसमें सबसे मुख्य कारण हॉर्मोन्स में उतार-चढ़ाव है।
गर्भावस्था के दौरान किडनी में इन्फेक्शन होने के कारण
यदि इ.कोली इन्फेक्शन की वजह से किडनी और पेल्विस में सूजन होती है तो आपको पायलोनेफ्राइटिस भी हो सकता है। इसके निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं, आइए जानें;
- किडनी के बढ़ने से
गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्ट्रोन बहुत ज्यादा मात्रा में रिलीज होता है जिसकी वजह से मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं और गर्भ में बढ़ते बच्चे व प्लेसेंटा को सपोर्ट देने के लिए गर्भाशय बढ़ने लगता है। इससे यूरिन का फ्लो कम हो जाता है और कुछ मामलों में यह किडनी में ही ठहर जाता है या वापस लौट जाता है। इसके बाद किडनी बढ़ती है जिसकी वजह से बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं और इससे इन्फेक्शन हो जाता है।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) की वजह से
गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय यानि यूटरस, युरेटर और ब्लैडर में दबाव डालता है जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन या यूटीआई हो सकता है। यह इन्फेक्शन युरेटर में पहुँच सकता है और इससे किडनी में भी इन्फेक्शन हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान किडनी में इन्फेक्शन होने के लक्षण
इन्फेक्शन होने के बाद महिलाओं में पायलोनेफ्राइटिस के संकेत अक्सर दिखाई देने लगते हैं। इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस हुआ है या सुबएक्यूट पायलोनेफ्राइटिस। किडनी में इन्फेक्शन के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस
- पेल्विक क्षेत्र और पेट में गंभीर दर्द होना
- भूख न लगना
- सिर में दर्द होना
- तेज बुखार होना
- किडनी में संवेदनशीलता होना
- यूरिन में खून या सफेद पदार्थ आना
- उल्टी और मतली होना
- सबएक्यूट पायलोनेफ्राइटिस
- पेट में हल्का दर्द होना
- कमर में दर्द होना
- शारीरिक तापमान में उतार-चढ़ाव होना
- उल्टी होना
- बेवजह ठंड लगना
- लगातार पेशाब आना
किडनी इन्फेक्शन का डायग्नोसिस और टेस्ट
एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस का डायग्नोसिस करने से पहले डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेंगे। इसके बाद ही वे आपको डायग्नोसिस के कुछ तरीकों की सलाह दे सकते हैं, वे इस प्रकार हैं;
- यूरिन टेस्ट
शरीर की जांच करने के बाद यदि डॉक्टर को लगता है कि आपकी किडनी में समस्याएं हैं तो वे आपको यूरिन टेस्ट करवाने के लिए भी कह सकते हैं। यदि आपको इन्फेक्शन हुआ है तो उसके लक्षण इस टेस्ट में दिख जाएंगे।
- इमेजिंग टेस्ट
डॉक्टर यूरिनरी ट्रैक्ट में समस्याओं का कारण जानने के लिए आपको इमेजिंग टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट के माध्यम से मूत्र में ठहराव की वजह पता चलती है। इस टेस्ट में सिस्ट या ट्यूमर की संभावनाएं भी पता चलती है।
- ब्लड टेस्ट
डॉक्टर इन्फेक्शन की गंभीरता जानने के लिए आपको खून की जांच करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। एक बार ब्लड टेस्ट हो जाने के बाद ही डॉक्टर आपका ट्रीटमेंट कर सकता है।
किडनी में इन्फेक्शन से होने वाली कॉप्लिकेशन
गर्भावस्था के दौरान यदि आपको एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस होता है तो इसके लिए जल्द से जल्द सही मेडिकल ट्रीटमेंट करवाने की जरूरत है। यदि आप इसका इलाज नहीं करवाती हैं तो इससे आपको निम्नलिखित कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं, आइए जानें;
- यदि पायलोनेफ्राइटिस का इलाज नहीं होता है तो इससे किडनी में प्रॉब्लम आ सकती है जिसमें आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और किडनी फेल हो सकती है।
- यदि किडनी का फंक्शन सही से नहीं हो रहा है तो आप में ब्लड पोइजनिंग होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। इसमें किडनी को इन्फेक्ट करने वाले बैक्टीरिया खून में आ सकते हैं जिससे आपको ब्लड पॉइजनिंग हो सकती है।
- यह एमनियोटिक थैली में जा सकता है और इससे फ्लूइड में इन्फेक्शन हो सकता है। इससे सैक नष्ट हो सकती है और प्रीटर्म डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रीटर्म डिलीवरी होने से बच्चे का जन्म के समय में वजन कम होने के साथ-साथ उसके स्वास्थ्य के लिए कॉम्प्लिकेशन भी बढ़ सकती हैं।
- कुछ मामलों में यदि पायलोनेफ्राइटिस के साथ आपको तेज बुखार भी है तो यह मिसकैरेज भी हो सकता है।
किडनी में इन्फेक्शन के उपचार
गर्भावस्था के दौरान यदि आपके टेस्ट में पायलोनेफ्राइटिस निकलता है तो डॉक्टर आपको हॉस्पिटल में एडमिट होने के लिए कह सकते हैं जहाँ पर आपका सबसे पहला ट्रीटमेंट IV एंटीबायोटिक्स होगा। यदि इस ट्रीटमेंट से आपको कोई भी फायदा नहीं होता है तो इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए आपको स्ट्रौंग एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं।
हालांकि, यदि आपको किसी समस्या की वजह से यह इन्फेक्शन होता है, जैसे किडनी में स्टोन्स (पथरी) तो डॉक्टर किडनी में दबाव को कम करने के लिए ट्रीटमेंट कर सकते हैं।
यदि आप हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो भी जाती हैं तो भी आपको अगले 10 दिनों तक ओरल एंटीबायोटिक्स लेनी चाहिए। गर्भावस्था में यदि आपको पायलोनेफ्राइटिस हो जाता है तो इसके दोबारा होने की संभावनाएं अधिक हो सकती हैं। जब तक गर्भाशय का दबाव कम नहीं हो जाता है तब तक डॉक्टर आपको पूरी गर्भावस्था में रोजाना कम डोसेज की एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दे सकते हैं।
ट्रीटमेंट के बाद किन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है?
ट्रीटमेंट होने के बाद भी किडनी के इन्फेक्शन को मॉनिटर करने की जरूरत है। यहाँ पर बताया गया है कि ट्रीटमेंट के बाद आपको इन्फेक्शन की जांच और देखभाल किस प्रकार से करनी चाहिए, आइए जानें;
- स्क्रीनिंग
पायलोनेफ्राइटिस का ट्रीटमेंट होने के बाद भी डॉक्टर आप में इन्फेक्शन के दोबारा होने की संभावनाओं को जानने के लिए गर्भवस्था की जांच के साथ आपकी स्क्रीनिंग कर सकते हैं। इसमें गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य और यूरिन की जांच भी शामिल है।
- डिलीवरी के बाद
डिलीवरी के बाद भी डॉक्टर किडनी में दोबारा से इन्फेक्शन होने की संभावनाओं को जानने के लिए आपकी स्क्रीनिंग कर सकते हैं। यद्यपि इस दौरान गर्भाशय यूरिनरी ट्रैक्ट पर दबाव नहीं डालता है और हॉर्मोन्स का स्तर भी सामान्य रहता है पर फिर भी, पहले हुए इन्फेक्शन की गंभीरता और इसका ट्रीटमेंट कितनी जल्दी हो गया था, इसके अनुसार आपको दोबारा से किडनी में इन्फेक्शन होने की संभावना हो सकती है।
- बच्चे के लिए
यदि पायलोनेफ्राइटिस का ट्रीटमेंट समय पर नहीं हुआ तो इस इन्फेक्शन से एमनियोटिक सैक पर प्रभाव पड़ सकता है जिसकी वजह से आपकी प्रीटर्म डिलीवरी हो सकती है। ऐसे मामलों में डॉक्टर शुरूआती महीनों में बच्चे के स्वास्थ्य की जांच बहुत करीब से करते हैं। इसमें डॉक्टर बच्चे के शरीर के सभी सिस्टम व इम्यून सिस्टम के पूर्ण विकास की जांच के साथ-साथ अन्य समस्याओं का भी पता लगाते हैं।
किडनी के इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए होम रेमेडीज
यद्यपि इस दौरान इन्फेक्शन की देखभाल के लिए आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता है पर फिर भी कुछ घरेलू उपचार हैं जिनका उपयोग आप कर सकती हैं। वे कौन से हैं, आइए जानें;
- क्रैनबेरी जूस पीने से यूरिन ज्यादा एसिडिक हो जाता है और इससे शरीर के हानिकारक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं।
- दही में सिर्फ एंटीऑक्सीडेंट्स ही नहीं होते हैं बल्कि यह अच्छे बैक्टीरिया को भी ठीक रखता है जो शरीर में हो रहे खराब बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं और बढ़ने से रोकते हैं।
- आपको अपने आहार में विटामिन-सी से भरपूर भोजन शामिल करना चाहिए। इसमें आलू, साइट्रस फ्रूट और स्ट्रॉबेरी शामिल हैं।
- आप रोजाना सुबह अजमोद या पार्सले का जूस निकाल कर पिएं। यह आपके शरीर से बैक्टीरिया निकालने में मदद करता है।
- मार्शमैलो की जड़ें अच्छी ड्यूरेटिक के लिए जानी जाती हैं और यह किडनी को साफ रखने में मदद करती हैं।
- यदि आपको अक्सर यूटीआई होता है तो आपको रोजाना थोड़ा सा एप्पल साइडर विनेगर का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह इन्फेक्शन को खत्म करता है और शरीर में पीएच वैल्यू को दोबारा से ठीक करता है।
- लहसुन भी बेहतरीन ड्यूरेटिक है।
- एकिनेसिया से मूत्रपथ की सूजन कम होती है और यह पेशाब के दौरान दर्द को भी कम करता है।
- अजवायन में भी एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं।
किडनी के इन्फेक्शन से बचाव
गर्भावस्था के दौरान किडनी में इन्फेक्शन से बचने के लिए आप बहुत सारे तरीके अपना सकती हैं। कुछ यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;
- आप रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें। इससे आपकी किडनी सही तरीके से काम करेगी।
- विशेषकर आंतरिक अंगों में स्वच्छता बनाए रखें।
- मूत्रपथ (यूरेथ्रा) ऐनस के बहुत पास में होता है इसलिए शरीर के उस क्षेत्र को साफ रखना बहुत जरूरी है।
- आप ऐसे साबुन या अन्य प्रोडक्ट्स का उपयोग करें जो सौम्य होने के साथ-साथ हाइपोएलर्जेनिक हों।
- यदि आपको इन्फेक्शन है तो आप कॉफी या अल्कोहल न लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. यदि गर्भावस्था के दौरान मुझे यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) हो जाता है और कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं तो क्या होगा?
यदि आपको पहले भी यूटीआई हुआ है तो इस बारे में डॉक्टर से जरूर बताएं। वह आपको गर्भावस्था के दौरान यूटीआई की जांच के लिए कई बार यूरिन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
2. गर्भावस्था के दौरान किस वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है?
यदि आपको पहले भी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हुआ है, आपको डायबिटीज है या आप ओवरवेट हैं तो आपको इसका खतरा बढ़ सकता है।
3. दवा लेने के बाद इस इन्फेक्शन को ठीक होने में कितना समय लगता है?
इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स देने के बाद आपको अगले तीन दिनों में इसके ठीक होने के संकेत मिलने लगेंगे। हालांकि यह बहुत जरूरी है कि आपका एंटीबायोटिक्स लेती रहें और इन्फेक्शन को पूरी तरह से खत्म करने के लिए इसका पूरा कोर्स करें।
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