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गर्भावस्था एक ऐसा समय है जब आपको अपनी सेहत का सबसे ज्यादा ध्यान रखना होता है ताकि आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। न केवल खाने पीने में बल्कि दवाओं का सेवन करते समय भी आपको बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसी ही एक दवा का है लाबेटालोल जो प्रेगनेंसी के दौरान है ब्लड प्रेशर कम करने जानी जाता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स में जानकारी रखना भी हार्ट बीट को धीमा करता है और ब्लड फ्लो में सुधार करता है, जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या कम होती है। हालांकि, यह दवा ब्लड प्रेशर की समस्या को खत्म करने का काम नहीं करती है। यह बस हाई ब्लड प्रेशर के ट्रीटमेंट का हिस्सा है, जिसमें एक्सरसाइज, आपकी डाइट और वेट कंट्रोल आदि शामिल है। इसलिए, एक एहतियाती तौर पर आपको इस दवा से जुड़ी सभी जानकारी होना आवश्यक है, ताकि इससे आप या आपके बच्चे पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े।
लाबेटालोल हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। इस दवा को- ‘बीटा-ब्लॉकर’ कहा जाता है – यह दवा ओरली दी जाती जो गंभीर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर करने में मदद करती है। इससे ब्लड प्रेशर कम होने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। यह ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करता है और हार्ट रेट को धीमा करता है, जिसके वजह से ब्लड फ्लो में सुधार होता है और हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी भी कम हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन वाली महिलाओं के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है। इसकी वजह से माँ और विकासशील बच्चे की हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है जो प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकती है।
गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर के लिए लाबेटालोल दिया जाता है खासतौर पर उन महिलाओं को जिन्हें (गर्भावस्था के कारण हाई ब्लड प्रेशर या जेस्टेशनल हाई ब्लड प्रेशर) होता है। हाई ब्लड प्रेशर से आपकी किडनी डैमेज, ब्रेन, हार्ट और ब्लड वेसल्स का काम न करना आदि समस्याएं शामिल हैं, अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया जाए, तो यह किसी बड़ी समस्या का रूप ले सकती है। यदि इससे आपके ऑर्गन प्रभावित होते हैं, तो आपको हार्ट डिजीज, हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, आँखों की रौशनी चली जाना या स्ट्रोक आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कभी कभी, जिन महिलाओं को गर्भावस्था से पहले हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी होती है, तो उनकी दवा को बदल कर लाबेटालोल दिया जाता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कितने सप्ताह की गर्भवती हैं। इसलिए, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि लाबेटालोल आप और आपके बच्चे के लिए कोई खतरा तो पैदा नहीं करता है। दवा को बदलना है या नहीं लेना है यह सारा चीजें आपके डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं, इसलिए आप अपने डॉक्टर से इस विषय को लेकर संपर्क करें।
यह आमतौर पर देखा गया है कि बुजुर्ग लोग दवा के साइड इफेक्ट के प्रति ज्यादा सेंसेटिव होते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सबको इसके साइड इफेक्ट हो, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। हालांकि लाबेटालोल को गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद भी आपको इसके कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं:
दवा के कुछ साइड-इफेक्ट्स में मेडिकल हेल्प लेने की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे-जैसे आपका शरीर धीरे-धीरे दवा का आदी होने लगता है, इसके साइड इफेक्ट भी प्रभाव डालना बंद कर देते हैं। यहाँ तक कि आपके डॉक्टर इसके साइड इफेक्ट्स से बचने की या कम करने के लिए आपको गाइड करते हैं। यदि किसी भी साइड इफेक्ट से आपको परेशानी होती है, तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
लाबेटालोल हाई ब्लड प्रेशर की दवा के रूप में लेना सुरक्षित माना जाता है। फिर भी, आपको इसे लेने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए।
चूंकि गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर एक आम समस्या है, इसलिए इससे जुड़े ऐसे कई प्रश्न और उसके उत्तर हैं, जो आपको हाई ब्लड प्रेशर के बारे में और बेहतर ढंग से जानकारी देने में आपकी मदद कर सकते हैं। यहाँ आपको प्रेगनेंसी के दौरान लाबेटालोल का सेवन करने से जुड़े कुछ सवाल दिए हैं, जो आपको इस विषय पर अच्छी जानकारी दे सकता है
यहाँ कुछ और प्रश्न दिए गए हैं:
गर्भावस्था के दौरान किसी भी दवा का सेवन करने से पहले आपको हमेशा अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। डॉक्टर आपको बेहतर बता सकते हैं कि क्या आपको दवा की जरूरत है या नहीं । इसके अलावा डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान आपको लाबेटालोल की कम से कम डोज देते हैं, ताकि आपकी परेशानी भी दूर हो सके साथ ही यह आप और आपके बच्चे के लिए भी सुरक्षित हो।
चूंकि गर्भावस्था के पहले 3 महीनों (12 सप्ताह) के दौरान बच्चे के इंटरनल ऑर्गन का लगभग विकास हो रहा होता है, इसलिए इस समय बच्चे में बर्थ डिफेक्ट होने का खतरा ज्यादा होता है। यह पता लगाने के लिए कुछ स्टडी की गई हैं कि क्या गर्भावस्था के दौरान लाबेटालोल लेने से हाइपोस्पेडिया या हार्ट डिजीज जैसी समस्या पैदा होती है। स्टडी के अनुसार लाबेटालोल लेने से इन बिमारियों का कोई संबंध नहीं देखा गया है। इसका अर्थ है कि लाबेटालोल लेने से आपके बच्चे पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है यह दवा प्रेगनेंसी के दौरान सुरक्षित रूप से ली जा सकती है
गर्भावस्था से जुड़ी सबसे आम समस्याओं में से एक है मिसकैरज। यह गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों में मिसकैरज होने का ज्यादा खतरा होता है। लेकिन इस दवा के उपयोग से मिसकैरज होने शायद ही संभव हो।
लाबेटालोल के सेवन के बाद मिसकैरज की समस्या नहीं देखी गई है। मिसकैरज के ऐसे बहुत कम ही प्रमाण मिलते हैं, जिसमें किसी की पर्सनल हेल्थ स्टेटस के आधार पर ऐसा होता है।
बच्चे को खोना आपके लिए एक बहुत बड़ा सदमा होता है। वो बच्चे जो गर्भावस्था के 24 सप्ताह के बाद पैदा होते हैं और वो कब तक जिएंगे इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, ऐसे बच्चों को स्टिलबर्थ चाइल्ड कहा जाता है। माँ की हेल्थ, ऐज, लाइफस्टाइल आदि इसका मुख्य कारण हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान लाबेटालोल लेने स्टिलबर्थ का कारण नहीं बनता है। स्टिलबर्थ का खतरा तब ज्यादा होता है जब होने वाली माँ के ब्लड प्रेशर को खराब तरीके से कंट्रोल किया जाता है। हालांकि ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जिसमे लाबेटालोल लेने के बाद स्टिलबर्थ हुई हैं, लेकिन बाकि के केस में लाबेटालोल लेने के बावजूद भी महिलाओं की सेफ डिलीवरी हुई है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण ज्यादातर स्टिलबर्थ का खतरा होता है न कि लाबेटालोल की वजह से ऐसा होता है, बल्कि लाबेटालोल तो स्टिलबर्थ के खतरे को कम करता है।
प्रेगनेंसी के दौरान लाबेटालोल लेना बहुत कॉमन है। कभी कभी दवाओं की मदद से प्रीटर्म डिलीवरी की जाती है, क्योंकि यह गर्भ में पल रहे बच्चे की हेल्थ के लिए जरूरी होता है या फिर होने वाली माँ को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या गंभीर रूप से होती है। इसलिए, इस बात को साफ तौर नहीं बताया जा सकता है कि गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करने के लिए जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है, वो दवाएं वास्तव में प्रीटर्म डिलीवरी के लिए जिम्मेदार होती है या नहीं। प्रीटर्म बर्थ रेट से जुड़ी कुछ स्टडी की गई, जिसमें यह पाया गया था कि गर्भावस्था के दौरान लाबेटालोल लेना प्रीटरम बर्थ के बढ़ने का खतरा नहीं होता है।
कई स्टडीज की गई जिसमें प्रेगनेंसी के दौरान लाबेटालोल का सेवन करने से लो बर्थ वेट का कोई खतरा नहीं पाया गया। जो भी समस्या पैदा होती है उसका कारण केवल हाई ब्लड प्रेशर होता है, लाबेटालोल लेने से हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है ताकि इस प्रकार की कोई समस्या न पैदा हो।
इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि प्रेगनेंसी के दौरान ली गई लाबेटालोल से यह जन्म के बच्चे को प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था में एक लाबेटालोल डोस लेने से जुड़े कुछ साइड इफेक्ट जरूरी हैं, जैसे लो हार्ट रेट, लो ब्लड प्रेशर और लो ब्लड शुगर आदि। कभी-कभी, ये प्रभाव बच्चों में भी पाए जाते हैं, जिन महिलाओं ने प्रेगनेंसी के दौरान लाबेटालोल लिया हो। हालांकि, कई स्टडीज में यह देखने को मिला है कि प्रेगनेंसी के दौरान लाबेटालोल लेने से जन्म के बाद बच्चे को कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं होता है। इसलिए, जिन महिलाओं ने प्रेगनेंसी एक दौरान लाबेटालोल लिया हो उनके बच्चे के लिए ऐसी यूनिट का इंतजाम करना चाहिए, जहाँ बच्चे को कुछ घंटो या कुछ दिनों तक अच्छी तरह से मॉनिटर करना चाहिए अगर जरूरत हो तो।
जब हाई ब्लड प्रेशर वाली महिलाएं अपने बच्चे को जन्म देती हैं, तो उन्हें आमतौर पर खास देखभाल की जरूरत होती है और इसके लिए उन्हें बहुत बारीकी से मॉनिटर किया जाता है, ताकि ब्लड प्रेशर रेंज में यह देखा जा सके और बच्चा ठीक से विकास कर रहा है या नहीं यह भी देखा जाता है। प्रेग्नेंट महिला की सावधानी पूर्वक जाँच करने के लिए गर्भावस्था के लगभग 20 सप्ताह में एक स्कैन किया जाता है। जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के आखिरी चरण में लाबेटालोल का इस्तेमाल किया, उन्हें ठीक से मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए, अगर बच्चे पर बीटा-ब्लॉकर का कोई बुरा प्रभाव पड़ रहा होगा तो आपको तुरंत पता चल जाएगा।
प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर के लिए लाबेटालोल लेना बहुत ही कॉमन है। यह समझना बहुत जरूरी है कि हर गर्भावस्था अलग होती है और जरूरी कि चीज हर को सूट करे। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान लेने वाली सभी दवाओं का रिकॉर्ड रखना चाहिए, ताकि डॉक्टर को आपकी मेडिकल हिस्ट्री समझने में आसानी हो।
स्रोत और संदर्भ:
स्रोत १
स्रोत २
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