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इसमें कोई शक नहीं है कि म्यूजिक सुनने से मूड ठीक हो जाता है। यदि आप कभी भी डाउन फील कर रही हैं तो पसंदीदा म्यूजिक सुनने से निश्चित ही आपका मूड ठीक हो सकता है। पर गर्भ में पल रहे बच्चे का क्या? बहुत पहले से यह माना जाता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा आवाजों को सुन सकता है, जैसे गर्भ में फ्लूइड की आवाज और माँ के दिल की धड़कन की आवाज। ऐसा भी माना जाता है कि गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से बच्चा बाहरी आवाजों को भी सुनना शुरू कर देता है, जैसे माँ की आवाज, म्यूजिक और अन्य तेज आवाजें।
गर्भावस्था के दौरान म्यूजिक सुनने से बच्चे के विकास में प्रभाव पड़ता है, इसकी रिसर्च अब भी चल रही है। कुछ स्टडीज के अनुसार गर्भ में पल रहा बच्चा आवाज होने पर प्रतिक्रिया देता है पर गर्भ में बच्चे को ऑब्जर्व करने में कठिनाई होने की वजह से यह प्रमाणित नहीं हुआ है। पब्लिक लायब्रेरी ऑफ साइंस में पब्लिश्ड एक स्टडी के अनुसार गर्भ में बच्चा बाहरी आवाजों से फैमिलियर हो जाता है। यह स्टडी बताती है कि यदि बच्चा गर्भ में किसी विशेष बाहरी आवाज को सुनता है तो जन्म के बाद भी वह उसी आवाज को सुनकर शांत हो सकता है।
ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में बच्चा म्यूजिक सुन सकता है पर वह शोर या आवाज पर प्रतिक्रिया तीसरी तिमाही में देना शुरू करता है। गर्भ में पल रहे बच्चे के कान गर्भावस्था के 9वें सप्ताह से बनना शुरू हो जाते हैं। 18वें सप्ताह से बच्चा सुनना शुरू कर देता है और इसके बाद हर दिन आवाज के प्रति बच्चे की सेंस्टिविटी बढ़ती जाती है। गर्भावस्था के 25वें या 26वें सप्ताह में गर्भ में बच्चा बाहरी आवाजों पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। तीसरी तिमाही तक बच्चा आपकी आवाज पहचानने लगता है।
इसमें दो प्रकार की बातें सामने आई हैं, एक तरफ ऐसा माना जाता है कि यदि बच्चा माँ के गर्भ से ही म्यूजिक सुनता है तो वह जन्म के बाद अन्य से ज्यादा स्मार्ट होता है और दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा नहीं होता है। यद्यपि इस बारे में कोई भी रिसर्च या स्टडी नहीं की गई है जिससे प्रमाणित हो सके कि गर्भ में म्यूजिक सुनने से बच्चा स्मार्ट होता है पर फिर भी गर्भावस्था के दौरान म्यूजिक सुनने की सलाह दी जाती है। वैसे तो इससे मस्तिष्क का विकास हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है पर इससे आपका बच्चा जन्म के बाद शुरू से ही म्यूजिक सुनना पसंद जरूर कर सकता है।
गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए म्यूजिक चलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ऑडियो को स्पीकर में लगाएं और म्यूजिक सुनते-सुनते साथ ही अपना काम भी करती रहें। यदि आप अपने पेट पर हेडफोन लगाती हैं तो इससे बच्चा बहुत ज्यादा उत्तेजित हो सकता है क्योंकि म्यूजिक बच्चे के बहुत करीब है और तेज आवाज में चल रहा है। एक लोकप्रिय धारणा है कि एमनियोटिक द्रव आवाज को नहीं रोकता है। इसलिए यदि आप हेडफोन का उपयोग ही करना चाहती हैं तो ध्यान रहे कि आप इसका उपयोग रोजाना थोड़ी देर के लिए ही करें।
यद्यपि गर्भावस्था में म्यूजिक सुनने से फायदे होने के प्रमाण कम हैं फिर भी इसमें कोई शक नहीं है कि म्यूजिक सुनने से आप अच्छा महसूस करती हैं और इससे खुशी मिलती है। इस समय आपकी पॉजिटिव वाइब्स गर्भ में पल रहे बच्चे तक भी पहुँचती हैं। गर्भावस्था के दौरान म्यूजिक सुनने के कुछ संभावित फायदे निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
एक गर्भवती महिला के लिए हर चीज की तरह ही बहुत ज्यादा म्यूजिक सुनना भी सही नहीं है। यदि आप अपनी पसंद का म्यूजिक एन्जॉय करने के लिए हेडफोन का उपयोग करती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप इसका उपयोग पूरे दिन में एक या दो घंटे से ज्यादा न करें। यदि आप स्पीकर में म्यूजिक प्ले करती हैं तो आप इसे कम आवाज में पूरे दिन के लिए एन्जॉय कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को समय-समय पर सोने व आराम करने की जरूरत होती है। इसलिए बहुत ज्यादा म्यूजिक चलाने से आपके बच्चे के स्लीपिंग पैटर्न में बाधा आ सकती है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार आप अपने बच्चे के लिए साधारण ट्यून सुन सकती हैं। पर जब तक आप इसे सुनना पसंद करती हैं या एन्जॉय करती हैं तब तक आपके बच्चे के लिए भी इसे चलाना सही है। किसी भी समय पर आप कौन सा म्यूजिक सुनती हैं, यह आपके मूड पर निर्भर करता है। यदि आपको पॉप म्यूजिक पसंद है तो आप इसे भी सुन सकती हैं क्योंकि इसमें कुछ विशेष रिदम और पैटर्न होते हैं जिससे बच्चा फैमिलियर हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि म्यूजिक की बीट्स और आवाज के अनुसार बच्चे के सांस लेने का पैटर्न भी बदलता है। इसलिए गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत तेज म्यूजिक ज्यादा देर तक चलाना सही नहीं है। आप स्ट्रेस को कम करने के लिए इसे कुछ देर के लिए चला सकती हैं।
यदि किसी भी समय आपको लगता है कि आपके पास अच्छा म्यूजिक नहीं है तो आप म्यूजिक की पॉपुलर वेबसाइट चेक कर सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान सुनने के लिए वहाँ आपको बेस्ट म्यूजिक मिल सकता है।
क्लासिकल म्यूजिक गर्भावस्था के लिए सिर्फ सूदिंग ही नहीं है बल्कि यह म्यूजिक कॉम्प्लेक्स समस्याओं को तेजी से सॉल्व करने में दिमाग की मदद करता है। इसलिए अन्य म्यूजिक की तुलना में क्लासिकल म्यूजिक सुनने से दिमाग को कई फायदे होते हैं। एक गर्भवती महिला पर क्लासिकल म्यूजिक के प्रभाव की स्टडी की गई है जिससे पता चला है कि माँ और बच्चे पर भारतीय क्लासिकल म्यूजिक का पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चे की सजगता और प्रतिक्रियाओं पर सुधार होता है और साथ ही माँ को भी शांति मिलती है। इसलिए यह प्रमाणित है कि नॉर्मल आवाज में क्लासिकल म्यूजिक सुनने से कोई भी हानि नहीं होगी।
80 डेसीबल से ज्यादा कोई भी आवाज बहुत तेज होती है, जैसे फोन की घंटी या टॉयलेट के फ्लश की आवाज। यदि आप बहुत देर तक म्यूजिक चलाती हैं तो इसकी आवाज 60 डेसीबल तक ही रखना बेस्ट है। तेज आवाज की वजह से गर्भ में पल रहा बच्चा चौंक सकता है और जब ऐसा होगा तो आपको अपने गर्भ में हल्का झटका महसूस होगा। आमतौर पर होने वाला शोर या रॉक कॉन्सर्ट के आवाजों से बच्चे को कोई भी हानि नहीं होगी पर यदि आप बहुत तेज आवाज लगभग 70 डेसीबल से अधिक आवाज में म्यूजिक चलाती हैं तो इससे आप पर और बच्चे पर इसके उल्टे प्रभाव भी पड़ सकते हैं। इससे आपको हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है और साथ ही इससे बच्चे में मोटर स्किल्स और सीखने की क्षमता का विकास धीमा हो सकता है।
यदि आप अपने पेट पर हेडफोन लगाकर गर्भ में पल रहे बच्चे को म्यूजिक सुनाने का प्रयास करती हैं तो उसके लिए इसकी आवाज बहुत तेज हो सकती है। आपको बाहर की आवाज लगभग 50-60 डेसीबल रेंज तक रखनी चाहिए। यह आमतौर पर बातचीत करने का डेसीबल स्तर है। आपको अपने म्यूजिक की आवाज इतनी ही रखनी चाहिए क्योंकि इस समय आपके गर्भ तक बहुत सारी आवाजें पहुँच रही होंगी, जैसे आपके दिल की धड़कन, पेट की आवाज और रेस्पिरेशन की आवाज। कभी-कभी किसी विशेष मौके पर तेज आवाज में म्यूजिक चलाना या शोर ठीक है पर इस बात का ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान यह लगातार नहीं होना चाहिए।
एमेडियूज मोजार्ट के म्यूजिक की थ्योरी है जिसके अनुसार म्यूजिक का प्रभाव जन्म के बाद भी बच्चे की बुद्धि पर सकारात्मक रूप से पड़ता है क्योंकि यह मस्तिष्क में न्यूरॉन पाथवेज को बढ़ाता है। यह थ्योरी फ्रांसिस रॉस्चर और अन्य साइंटिस्ट द्वारा 1990 में लिखी गई थी। ऐसा कहा जाता है कि यदि बच्चा गर्भ में क्लासिकल एरा और बारोक म्यूजिक सुनता है तो जन्म के बाद आगे चलकर वह म्यूजिक को पसंद करेगा।
भले ही म्यूजिक से आपके गर्भ में पल रहे बच्चे का आईक्यू बढ़ता है या नहीं पर आप हमेशा अपने बच्चे के लिए एक म्यूजिकल वातावरण बना सकती हैं।
हमेशा ध्यान रखें कि गर्भावस्था के ऐसा समय होता है जब एक माँ अपने बच्चे के साथ खूबसूरत बॉन्ड बनाती है। जन्म के बाद बच्चे को पूरी फैमिली होगी, रिश्तेदार और दोस्त भी जानना चाहेंगे, उसे खिलाना या देखना चाहेंगे। इस समय आपके लिए बच्चे के साथ म्यूजिक सुनते हुए शांति से समय बिता पाना भी कठिन होगा। इसलिए गर्भावस्था पूरी होने से पहले आप इस समय का पूरा उपयोग करें। आपको थोड़ी देर के लिए ही सही पर म्यूजिक सुनना पसंद होगा। इससे आपको आंतरिक शांति मिलती है और साथ ही पूरे संयम के साथ आप अपने व अपने बच्चे के पूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकती हैं।
यह जानकारी किसी भी विशेषज्ञ की मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है और यह सिर्फ एक मार्गदर्शिका है।
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