गर्भावस्था के दौरान पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द – कारण और उपचार

प्रेगनेंसी के दौरान पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द

गर्भावस्था के दौरान कभी न कभी महिलाओं को पीठ में दर्द की शिकायत होती ही है। हालांकि, वजन बढ़ने से गर्भवती महिलाओं को ज्यादातर पीठ के निचले हिस्से में पेट के पास दर्द होता है। 

गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं को पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द उतना नहीं होता है जितना कि पीठ के निचले हिस्से में होता है पर यह भी बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। यद्यपि गर्भावस्था में पीठ का दर्द कभी भी हो सकता है पर तीसरी तिमाही में यह आमतौर पर होता है। महिलाओं को पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के बढ़ते दिनों में बदलावों के साथ शारीरिक वजन भी पूरे शरीर में बट जाता है और बढ़ते वजन का पूरा जोर पीठ पर ही पड़ता है। डिलीवरी की तारीख पास आने पर पीठ के लिगामेंट्स और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं जिसकी वजह से भी पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है और इससे शरीर की स्थिरता कम हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होना भी एक बड़ी समस्या है इसलिए यह दर्द कम करने के लिए एक गर्भवती महिला की पूरी देखभाल होनी चाहिए। 

गर्भावस्था के दौरान पीठ में दर्द के कारण 

गर्भवस्था के दौरान पीठ में दर्द के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानते हैं; 

  1. संतुलन में बदलाव होने की वजह से 

गर्भावस्था के पूरे 9 महीनों तक एक गर्भवती महिला का गर्भाशय बढ़ता रहता है जिसकी वजह से उसे अपना संतुलन बनाने के लिए लंबे समय तक अपनी गर्दन और कंधों की मांसपेशियों पर खिंचाव डालना पड़ता है। ऐसा करने से रीढ़ पर तनाव आ सकता है जिसके परिणामस्वरूप गर्भवती महिलाओं की पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है। 

  1. गर्भाशय के आकार की वजह से

गर्भावस्था के समय में गर्भाशय बढ़ते रहने की वजह से इसके आसपास बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। इस दौरान रीढ़ की नर्व्स और ब्लड वेसल्स में सबसे ज्यादा दबाव पड़ सकता है जिसकी वजह से आपकी पीठ में दर्द होता है। यदि आप गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में पीठ के बल लेटती हैं तो आपको यह समस्या हो सकती है। 

  1. सेंटर ऑफ ग्रेविटी में बदलाव होने के कारण  

जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है आपको यह महसूस होने लगेगा कि शरीर की सेंटर ऑफ ग्रेविटी सामने की ओर बढ़ रहा है। इससे पीठ में दर्द हो सकता है क्योंकि इस समय आपकी मांसपेशियां इतना ज्यादा वजन नहीं उठा पाती हैं। 

  1. गलत पोस्चर की वजह से 

गर्भावस्था के दौरान गलत पोस्चर में रहने से आपकी रीढ़ और पीठ में बहुत ज्यादा तनाव आ सकता है जिससे पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है। गर्भावस्था में अक्सर महिलाओं का वजन 10 से 15 किलोग्राम बढ़ता है जिसकी वजह से सीधे खड़े होने पर भी पीठ में दर्द हो सकता है। इस समय हाई हील्स पहनने से भी रीढ़ पर काफी प्रभाव पड़ता है। 

  1. वंशानुगत समस्या के कारण 

सिम्फोसोफैथी एक हेरिडिटरी समस्या होती है जिसमें महिलाओं के प्यूबिक जॉइंट्स और पेल्विक में बहुत ज्यादा खिंचाव होता है और वे नरम हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप गर्भवती महिलाओं को ब्लीडिंग हो सकती है और साथ ही बॉवेल मूवमेंट की समस्या भी हो सकती है। 

  1. हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण 

गर्भवती महिलाओं के शरीर में रिलैक्सिन हॉर्मोन की वृद्धि भी होती है जो पेल्विक जॉइंट्स को आराम पहुँचाता है और लिगामेंट्स को बच्चे के जन्म के लिए तैयार करता है। इस प्रॉसिस की वजह से गर्भवती महिला की मांसपेशियों और रीढ़ में तनाव होता है जिसके परिणामस्वरूप पीठ में दर्द होने लगता है। 

गर्भावस्था के दौरान पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द के लिए उपचार 

गर्भावस्था के दौरान आप अपनी पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द को कम करने के निम्नलिखित तरीके अपना सकती हैं, आइए जानते हैं;

  1. ज्यादा से ज्यादा कैल्शियम का सेवन करें – कैल्शियम लेने से आपकी हड्डियों और मांसपेशियों में मजबूती आती है ताकि आपका शरीर बढ़ते वजन को संभाल सके। गर्भावस्था के दौरान आपको पर्याप्त कैल्शियम के लिए डेयरी प्रोडक्ट, मीट, हरी सब्जियां और मछली खानी चाहिए। पर यदि आप कैल्शियम के सप्लीमेंट्स लेना चाहती हैं तो पहले डॉक्टर से जरूर मिलें। 
  2. सही जूते पहनें – गर्भावस्था के दौरान आप ऐसे किसी भी प्रकार के जूते न पहनें जिससे रीढ़ पर दबाव पड़ सकता है क्योंकि इससे आपकी पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है। इस समय आप हाई हील्स तो बिलकुल भी न पहनें और आपको ऐसे जूते पहनने चाहिए जो प्राकृतिक चीजों से बने हों, सुविधाजनक हों और जो नीचे से काफी मजबूत व अच्छे हों। 
  3. सही तरीके से झुकें – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन बहुत ज्यादा होता है जिससे झुकने के कारण उनकी मांसपेशियों और रीढ़ पर बहुत तनाव ज्यादा आ सकता है। इस अवधि में यदि आप जमीन से कुछ उठाना चाहती हैं तो ध्यान रखें कि आप नीचे की ओर झुकने से पहले अपने घुटनों को मोड़ें और उठते समय पीठ को ऊपर करने से पहले घुटनों के बल उठने का प्रयास करें।
  4. सही पोस्चर में रहें – आपने अक्सर देखा होगा कि गर्भवती महिलाएं ज्यादातर अपने कंधों को पीछे की तरफ और पीठ को सीधा करके चलती हैं। चलने के लिए इस पोस्चर का उपयोग किसी कारण से किया जाता है –  चलते समय यह पोस्चर रीढ़ पर ज्यादा दबाव नहीं आने देता है। याद रखें कि आप अपनी पोजीशन को ज्यादातर बदलती रहें ताकि आपके शरीर के किसी भाग पर तनाव न आए। 
  5. अच्छी नींद लें – सिर्फ गर्भवती महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि सबकी अच्छी सेहत के लिए सोना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था में महिलाओं को पीठ के बल सोने के बजाय दाहिने हाथ की तरफ करवट लेकर सोना चाहिए। यह गर्भावस्था में सोने की सबसे सही पोजीशन है।
  6. एक्सरसाइज करें – यद्यपि गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना एक आम बात है पर इसका यह मतलब नहीं है कि गर्भवती महिलाओं का वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ना चाहिए। गर्भावस्था के अंत तक आपका वजन 14 किलो तक बढ़ सकता है इसलिए इस समय अपनी समस्याओं को कम करने के लिए आप रोजाना एक्सरसाइज जरूर करें। गर्भावस्था के दिनों में खुद को फिट रखने के लिए आप स्विमिंग कर सकती हैं और टहल भी सकती हैं। 
  7. बेली बैंड का उपयोग करें – गर्भावस्था के दौरान बेली बैंड का उपयोग करने से आपको अपने वजन को पूरे शरीर में एक समान बांटने में मदद मिल सकती है। यह प्रभावित मांओं की मदद के लिए उनकी रीढ़ के भार को कम करता है। 

गर्भावस्था के दौरान पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द से बचाव 

गर्भावस्था के दौरान पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द से बचाव के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकती हैं, आइए जानते हैं; 

  1. भारी सामान न उठाएं – इस दौरान आपकी रीढ़ और पीठ में पहले से ही बहुत ज्यादा दबाव होता है इसलिए अभी आप कोई भी भारी सामान उठाकर अपनी पीठ पर और ज्यादा दबाव न डालें। आप ज्यादातर अपने घुटनों के बल हल्का सा झुकने का प्रयास कर सकती हैं पर कुछ भी उठाने के लिए बिलकुल भी न मुड़ें। 
  2. ढीले कपड़े पहनें – गर्भावस्था के दौरान सही व सपोर्टिव ब्रा पहनने से पीठ का दर्द कम हो सकता है। जैसा कि पहले भी बताया गया है कि सही जूतों का उपयोग करने से भी पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द होने से बचा जा सकता है। 
  3. चिंता कम करें – गर्भावस्था के दौरान शरीर की थकान से तो पीठ में दर्द होता ही है पर इसमें भावनात्मक चिंताओं की भी एक अहम भूमिका होती है। ज्यादा चिंता करने से मांसपेशियों में ऐंठन और तनाव होता है जो पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द का कारण बनता है। इसलिए आप अपने दोस्तों से बात करके अपनी चिताएं कम कर सकती हैं या इसके लिए आप किसी थेरेपिस्ट की मदद भी ले सकती हैं।  

पीठ के दर्द में आराम के लिए कुछ टिप्स 

  • गर्भावस्था के दौरान मांसपेशियों की अकड़न को ठीक करने के लिए आप वॉर्म या कोल्ड कंप्रेस का उपयोग भी कर सकती हैं। 
  • गर्भावस्था में आप किसी प्रोफेशनल मसाज थेरेपिस्ट से अपने शरीर की मालिश करवाएं ताकि आपके शरीर का दर्द कम हो सके। 
  • पीठ के दर्द में आराम के लिए आप किसी अन्य तरीके का उपयोग भी कर सकती हैं जैसे, काइरोप्रैक्टिक सर्विसेज या एक्यूपंक्चर। 

डॉक्टर से कब मिलें 

गर्भावस्था के दौरान यदि आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। वे लक्षण कौन से हैं, आइए जानते हैं;

  • यदि आपको लेबर के लक्षण महसूस होते हैं। 
  • यदि वजाइनल ब्लीडिंग या फ्लूइड लीकेज के साथ आपकी पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। 
  • यदि पेशाब के दौरान आपको जलन होती है और बार-बार पेशाब लगती है तो यह आप में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के संकेत हो सकते हैं। 
  • यदि आपकी पीठ में बहुत तेज दर्द होता है और उपचार करने के बाद भी हफ्तों तक यह ठीक नहीं होता है। 
  • यदि दर्द के साथ आपको झनझनाहट और हाथ-पैरों में बेजान सा महसूस होता है तो इससे पता चलता है कि आपकी रीढ़ में नर्व्स से संबंधित समस्याएं हैं।

गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में पीठ के ऊपरी हिस्से के दर्द को आप कुछ होम रेमेडीज की मदद से और अपने लाइफस्टाइल में कुछ लाकर ठीक कर सकती हैं। इसलिए इसके बारे में ज्यादा चिंता न करें। हालांकि यदि घरेलू उपचार करने से भी पीठ का दर्द ठीक नहीं होता है तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द डिलीवरी होने का संकेत भी हो सकता है और इस दौरान यदि आपको संकुचन होता है तो आप तुरंत अस्पताल जाएं। 

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