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यदि आप गर्भवती हैं तो आपने अपने पेशाब का रंग बदलता हुआ देखा ही होगा। पेशाब करते समय आपको इसका रंग सामान्य की बजाय गाढ़े पीले रंग का दिखाई दे सकता है। यूरिन के रंग में बदलाव आना प्रेगनेंसी का एक संकेत भी हो सकता है और साथ ही यह गर्भावस्था के दौरान समस्याओं का कारण भी हो सकता है। यह कई कारणों से हल्के पीले रंग से गाढ़े पीले रंग में बदल सकता है। आइए जानते हैं।
क्या गर्भावस्था के दौरान पेशाब का रंग बदल जाता है?
एक स्वस्थ व्यक्ति के पेशाब का रंग ट्रांसपेरेंट से लेकर हल्का से गाढ़ा होता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान यह बदलाव अधिक दिख सकता है। यह चमकीला पीला से लेकर गाढ़ा पीला या ऑरेंज–पीला रंग का भी हो सकता है।
पेशाब पीला होने का कारण पिग्मेंट यूरोक्रोम भी हो सकता है जिसे ‘यूरोबिलिन’ भी कहा जाता है। जब शरीर मृत लाल कोशिकाओं से हीमोग्लोबिन निकालता है, उससे यूरोबिलिन बनता है। पेशाब में पीलापन दिखना उसकी निरंतरता पर निर्भर करता है। यदि आप पूरी तरह से हाइड्रेटेड हैं या ज्यादा से ज्यादा पानी पीती हैं तो आपके पेशाब का रंग हल्का होता है। हालांकि यदि आपके यूरिन में कम पानी है या आपने कम मात्रा में पानी पिया है तो पेशाब का रंग गाढ़ा होता है।
इसके अलावा ऐसे बहुत से कारक हैं जिसके वजह से गर्भावस्था के दौरान पेशाब का रंग पीला हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान किडनी किस प्रकार से पानी को फिल्टर करती है इसमें काफी बदलाव होता है। इसके साथ-साथ प्रेगनेंसी के दौरान आहार में बदलाव और अधिक मात्रा में विटामिन व दवाओं के सेवन से भी यूरिन का रंग बदल सकता है।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब का रंग क्यों बदलता है?
गर्भावस्था के दौरान पेशाब का रंग बदलने के निम्नलिखित कारण कुछ इस प्रकार हैं;
1. गर्भावस्था का आहार
गर्भावस्था के दौरान आपका आहार पूरी तरह से बदल जाता है। आप अपने खाने की आदतों को लेकर अधिक सचेत हो जाती हैं। आपकी डाइट में फल, सब्जियां, डेयरी प्रोडक्ट और अन्य स्वस्थ खाद्य पदार्थ शामिल हो जाते हैं जिसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान पेशाब के रंग में बदलाव आ सकता है।
2. विटामिन और अन्य दवाएं
गर्भावस्था के दौरान कई गर्भवती महिलाओं को प्रसवपूर्व विटामिन और सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। एक महिला के शरीर में विटामिन पूरी तरह से विभाजित नहीं हो पाता है। शरीर में मौजूद अवशोषित विटामिन और पोषक तत्वों के अन्य सप्लीमेंट पेशाब में निकल जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप आपके पेशाब का रंग गाढ़ा हो सकता है।
3. डिहाइड्रेशन
गर्भावस्था के दौरान कम मात्रा में पानी पीने से भी पेशाब अधिक पीला हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाएं अधिक पानी पीने के बाद भी डिहाइड्रेशन से ग्रसित हो सकती हैं। इसका एक और कारण है जिसे हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम कहा जाता है। हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के लक्षण गंभीर मॉर्निंग सिकनेस, मतली, और वजन कम होना है और यह समस्या लगभग 1% गर्भावस्था में होना सामान्य है जिसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन हो सकता है। यदि डिहाइड्रेशन का कोई भी संकेत नहीं है तो पेशाब में गाढ़ापन होने से लिवर में समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
4. मूत्र मार्ग में संक्रमण (यू.टी.आई.)
मूत्र मार्ग में इंफेक्शन होने से भी आपके पेशाब का रंग बदल सकता है। यू.टी.आई. को नजरअंदाज न करें क्योंकि यह प्रीमैच्योर डिलीवरी या बच्चे का वजन कम होने का एक गंभीर कारण हो सकता है। पेशाब का गाढ़ा पीला रंग होना, बार-बार पेशाब आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना या पेशाब में खून आना, यह सभी लक्षण यू.टी.आई. के हैं।
5. हेमाटुरिया (पेशाब में खून आना)
पेशाब में खून आने को हेमाटूरिया कहा जाता है। शरीर में मौजूद जरुरत से ज्यादा रेड ब्लड सेल को कम करने की आवश्यकता होती है। यह पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकलते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेशाब का रंग गाढ़ा पीला लाल दिख सकता है।
6. ब्लैडर में इंफेक्शन
ब्लैडर में इन्फेक्शन यू.टी.आई. का ही एक प्रकार है और यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन भी होता है। गर्भावस्था के कारण एक महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव बहुत तेजी से होते हैं जिसके कारण ब्लैडर की ऊपरी परत कमजोर हो जाती है और इससे इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। ब्लैडर में इंफेक्शन होने से भी पेशाब का रंग गाढ़ा हो सकता है।
7. किडनी में रोग
किडनी वह अंग होता है जो शरीर से गंदगी को फिल्टर करके बाहर करने में मदद करता है। किडनी में किसी भी प्रकार की बीमारी होने से पेशाब का रंग बदल सकता है।
8. पथरी
पथरी, किडनी के सामान्य कार्यों में प्रभाव डाल सकती है और इससे आपको अत्यधिक दर्द, मतली या उल्टी की समस्या हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप आपके पेशाब का रंग बदल सकता है।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब की जांच
गर्भावस्था के दौरान पेशाब की जांच करवाना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे आपके स्वास्थ्य का भी पता चलता है। गर्भावस्था के हर स्थिति में पेशाब की जांच से डॉक्टर उन संभावित समस्याओं का पता लगा सकते हैं जिन्हें उपचार की आवश्यकता होती है। इस परीक्षण के माध्यम से मूत्राशय में इंफेक्शन, किडनी में इंफेक्शन, डायबिटीज और यहाँ तक कि डिहाइड्रेशन की जांच होती है। यदि पेशाब में प्रोटीन की उच्च मात्रा है तो यह किडनी के रोग या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का संकेत भी हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान शर्करा या ग्लूकोज की अधिक मात्रा डायबिटीज (जेस्टेशनल डायबिटीज) का संकेत भी हो सकता है जो ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में होता है। रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लड सेल और बैक्टीरिया की प्रक्रिया यू.टी.आई. का संकेत भी हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान पेशाब की जांच करवाना जरूरी है। इससे अधिक यदि पेशाब के दौरान आपको समस्याएं होती हैं तो भी डॉक्टर के पास जाने से न हिचकिचाएं।
डॉक्टर से कब मिलें
वैसे तो पेशाब के रंग में बदलाव, विभिन्न विटामिन व सप्लीमेंट्स के सेवन करने से लेकर शरीर में पानी की कमी तक, कई कारण हैं जो कभी–कभी हानिकारक भी हो सकते हैं। पेशाब करते समय जलन होना यू.टी.आई. का संकेत भी हो सकता है। अधिक पानी पीने के बाद भी यदि आपकी पेशाब का रंग गाढ़ा है तो हो सकता है आपकी किडनी या आपका लिवर सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। यदि आपके पेशाब का रंग गाढ़ा पीला है तो डॉक्टर से जांच करवाएं।
अन्य शारीरिक परिवर्तनों की तरह ही प्रेगनेंसी के दौरान पेशाब में पीलापन होना भी एक सामान्य समस्या है। आपके पेशाब का रंग डिहाइड्रेशन के कारण भी बदल सकता है। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आपको अधिक से अधिक पानी पीने की आवश्यकता है। यदि आपके पेशाब का रंग बदलता है तो परेशान न हों। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें और हालांकि यदि फिर भी यह समस्या रहती है तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
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