गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन: कारण, लक्षण और उपचार

गर्भावस्था के दौरान, आपका शरीर कई बदलावों से गुजरता है, जिनमें से कुछ चेंजेस के बारे में आपने शायद सोचा भी नहीं होगा। यह जानना बहुत जरूरी है कि प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में जो बदलाव हो रहे हैं क्या वो कॉमन हैं या फिर आपको किसी मेडिकल हेल्प की आवश्यकता होती है। इससे आप खुद को एक हेल्दी और सेफ डिलीवरी के लिए तैयार कर सकेंगी।

गर्भावस्था में पेशाब में प्रोटीन आने का क्या मतलब है?

गर्भावस्था के दौरान, पेशाब में प्रोटीन नजर आना कॉमन है। हालांकि, प्रोटीन डिस्चार्ज का बढ़ना इस बात का संकेत हो सकता है कि यह किडनी डिसफंक्शन या स्ट्रेस और शरीर में इन्फेक्शन आदि की समस्या हो सकती है।

पेशाब में प्रोटीन होना (प्रोटीन्यूरिया) एक ऐसी कंडीशन है जिसमें आपके पेशाब से प्रोटीन डिस्चार्ज बहुत अधिक मात्रा में होता है और पेशाब के जरिए 300 मिलीग्राम से अधिक प्रोटीन आना एक खतरनाक कंडीशन का संकेत होता है। यूरिनलिसिस टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसकी मदद से यूरिन में पाए जाने वाले तत्व की जाँच की जाती है।

प्रोटीन्यूरिया के प्रकार

प्रोटीन दो प्रकार के होते हैं:

  • क्रोनिक प्रोटीन्यूरिया

यह एक ऐसी कंडीशन है जो गर्भावस्था से पहले भी मौजूद होती है। जब आपको किडनी की प्रॉब्लम पहले से होती है तब आपको क्रोनिक प्रोटीन्यूरिया जैसी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • ओनसेट प्रोटीन्यूरिया

ओंसेट प्रोटीन्यूरिया गर्भावस्था के दौरान विकसित होती उससे पहले नहीं। यह ज्यादातर प्री-एक्लेमप्सिया नामक एक कंडीशन के कारण होती है जिसे प्रेगनेंसी डिसऑर्डर कहा जाता है, यह हाई ब्लड प्रेशर आपके शरीर के अंगों पर भी प्रभाव डालता है।

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन आने पर आपको टेस्ट की आवश्यकता क्यों होती है?

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन की जाँच करने के लिए टेस्ट करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह किडनी या अन्य कॉम्प्लिकेशन का संकेत हो सकता है, जो प्रेगनेंसी एक दौरान पैदा हुए हों। प्रोटीन डिस्चार्ज ज्यादा गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है और इसलिए पेशाब में प्रोटीन का निदान करना बहुत जरूरी होता है।

गर्भवस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन मौजूद होने के कारण

गर्भावस्था के दौरान पेशाब के साथ प्रोटीन आने के कारण निम्नलिखित कारण हो सकता हैं:

  • प्री-एक्लेमप्सिया

इस कंडीशन के तहत, प्रोटीन्यूरिया आपके प्रेग्नेंट होने के बीस सप्ताह के बाद होती है। प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षणों में हाई ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द और नजरों का कमजोर होना आदि, प्री-एक्लेमप्सिया के गंभीर मामलों में शामिल हैं।

  • एक्लेमप्सिया

प्री-एक्लेमप्सिया जैसे समस्या के साथ आपको एक्लम्पसिया जैसी डिलीवरी से जुड़ी एक इमरजेंसी कंडीशन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है।

  • हेल्प ​​सिंड्रोम

हेल्प सिंड्रोम (HELLP- हेमोलिसिस, एलिवेटेड लिवर एंजाइम और लो प्लेटलेट काउंट) यह प्री-एक्लेमप्सिया से जुड़ा होता है और इसके भी एक जैसे लक्षण होते हैं। यह आपके जीवन को खतरे में डाल सकता है, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इसमें पेशाब से प्रोटीन डिस्चार्ज अधिक होने लगता है।

  • किडनी या यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन

किडनी या यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण भी प्रोटीन में कमी हो सकती है। इस कंडीशन के लिए लक्षणों की जाँच करना और उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है।

  • अन्य कारक

गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन, बहुत ज्यादा स्ट्रेस, गठिया और डायबिटीज जैसी समस्याओं के कारण भी पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन होने के संकेत और लक्षण

निम्नलिखित लक्षण पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज होने का संकेत हो सकते हैं:

  1. हाथों और पैरों में सूजन
  2. चेहरे पर सूजन
  3. झागदार पेशाब होना

प्री-एक्लेमप्सिया के संकेत

गर्भावस्था के दौरान प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण निम्नलिखित हैं, जिनपर आपको ध्यान देना चाहिए:

  • धुंधला दिखाई देना
  • बार-बार सिरदर्द होना
  • कंधे और पेट के क्षेत्र में तेज दर्द होना
  • हाथों और पैरों के साथ चेहरे पर सूजन होना
  • बीमार और थका हुआ महसूस करना
  • अचानक से वजन बढ़ना
  • एंग्जायटी की वजह से साँस लेने में तकलीफ होना
  • हाई ब्लड प्रेशर

टेस्ट और निदान

पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज का पता लगाने के लिए किए जाने वाले टेस्ट निम्नलिखित हैं:

  1. डिपस्टिक टेस्ट: इस टेस्ट में, एक केमिकल पैचेज वाली स्ट्रिप को यूरिन सैंपल में डिप किया जाता है, यदि पेशाब में प्रोटीन होता है तो स्ट्रिप का रंग बदल जाता है। इस टेस्ट को रीड करने की रेंज + से +++ के साथ 4 ‘+ ‘ होती है, जो कि प्री-एक्लेमप्सिया या किडनी डैमेज का संकेत हो सकती है।
  2. 24-घंटा यूरिन प्रोटीन टेस्ट: इस टेस्ट में, अलग-अलग कंटेनर में 24 घंटे तक पेशाब के सैंपल एकत्र किए जाते हैं और फिर जाँच के लिए भेजे जाते हैं। आमतौर पर, सुबह के पहले पेशाब को टेस्ट के सैंपल के लिए नहीं लिया जाता है। यदि पेशाब में प्रोटीन की मात्रा 300 मिलीग्राम से अधिक होती है, तो यह प्री-एक्लेमप्सिया का संकेत हो सकता है।
टेस्ट के प्रकार यूरिन प्रोटीन (नॉर्मल) यूरिन प्रोटीन (प्रेगनेंसी)
24 घंटे 10-140 मिलीग्राम <300 मिलीग्राम
स्पॉट यूरिन 10-14 मिलीग्राम/लीटर <300 मिलीग्राम/लीटर
स्पॉट यूरिन डिपस्टिक नेगेटिव नेगेटिव  या ट्रेस

गर्भवस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन आने से होने वाले कॉम्प्लिकेशन

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज होने से आपके शरीर में गंभीर रूप से समस्याएं पैदा हो सकती है। आपको प्रोटीन्यूरिया से होने वाले कॉम्प्लिकेशन नीचे बताए गए हैं:

  • यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन
  • प्री-एक्लेमप्सिया
  • हेल्प सिंड्रोम
  • बहुत ज्यादा स्ट्रेस होना
  • लगातार बुखार और डिहाइड्रेशन
  • फ्लूइड के ओवरफ्लो होने के कारण पल्मनेरी एडिमा
  • एक्यूट रीनल का काम न करना
  • बैक्टीरिया से इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है
  • हार्ट प्रॉब्लम, किडनी इन्फेक्शन, डायबिटीज, ल्यूकेमिया, गठिया और एनीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित होने की संभावना होती है।

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन आने के लिए उपचार

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में हाई प्रोटीन डिस्चार्ज होना, यह खुद में कोई बीमारी नहीं है और इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि पेशाब में हाई प्रोटीन डिस्चार्ज होने का कारण क्या है, ताकि उसके अनुसार कोई कदम उठाया जा सके।

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज को कम करने के लिए इसका असली कारण का पता लगाकर किया जा सकता है। जैसे कि अगर आपको डायबिटीज के कारण प्रोटीन डिस्चार्ज होता है, तो आपको एक्सरसाइज, जरूरी दवाइयां और सही खाना खाने के लिए कहा जाएगा और ऐसे ही इसे कंट्रोल कर सकती हैं। यदि पेशाब में प्रोटीन आने का कारण हाई ब्लड प्रेशर हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करना होगा।

गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज एक गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे बिलकुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि आप प्रोटीन्यूरिया के किसी भी लक्षण को नोटिस करती हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और इसके लिए तुरंत जाँच कराना बहुत जरूरी है। सही समय पर जाँच कराने और इसका ठीक से इलाज करने से आगे चलकर आपको इससे कोई गंभीर नुकसान नही पहुँचेगा जो आप या आपके बच्चे के लिए खतरा पैदा करे।

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी के दौरान नाभि में आने वाले बदलाव
क्या प्रेगनेंसी में वाइट ब्लड सेल्स (डब्लूबीसी) का बढ़ना हानिकारक हो सकता है?

 

समर नक़वी

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

23 hours ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

23 hours ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

23 hours ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago