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गर्भावस्था के दौरान, आपका शरीर कई बदलावों से गुजरता है, जिनमें से कुछ चेंजेस के बारे में आपने शायद सोचा भी नहीं होगा। यह जानना बहुत जरूरी है कि प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में जो बदलाव हो रहे हैं क्या वो कॉमन हैं या फिर आपको किसी मेडिकल हेल्प की आवश्यकता होती है। इससे आप खुद को एक हेल्दी और सेफ डिलीवरी के लिए तैयार कर सकेंगी।
गर्भावस्था के दौरान, पेशाब में प्रोटीन नजर आना कॉमन है। हालांकि, प्रोटीन डिस्चार्ज का बढ़ना इस बात का संकेत हो सकता है कि यह किडनी डिसफंक्शन या स्ट्रेस और शरीर में इन्फेक्शन आदि की समस्या हो सकती है।
पेशाब में प्रोटीन होना (प्रोटीन्यूरिया) एक ऐसी कंडीशन है जिसमें आपके पेशाब से प्रोटीन डिस्चार्ज बहुत अधिक मात्रा में होता है और पेशाब के जरिए 300 मिलीग्राम से अधिक प्रोटीन आना एक खतरनाक कंडीशन का संकेत होता है। यूरिनलिसिस टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसकी मदद से यूरिन में पाए जाने वाले तत्व की जाँच की जाती है।
प्रोटीन दो प्रकार के होते हैं:
यह एक ऐसी कंडीशन है जो गर्भावस्था से पहले भी मौजूद होती है। जब आपको किडनी की प्रॉब्लम पहले से होती है तब आपको क्रोनिक प्रोटीन्यूरिया जैसी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।
ओंसेट प्रोटीन्यूरिया गर्भावस्था के दौरान विकसित होती उससे पहले नहीं। यह ज्यादातर प्री-एक्लेमप्सिया नामक एक कंडीशन के कारण होती है जिसे प्रेगनेंसी डिसऑर्डर कहा जाता है, यह हाई ब्लड प्रेशर आपके शरीर के अंगों पर भी प्रभाव डालता है।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन की जाँच करने के लिए टेस्ट करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह किडनी या अन्य कॉम्प्लिकेशन का संकेत हो सकता है, जो प्रेगनेंसी एक दौरान पैदा हुए हों। प्रोटीन डिस्चार्ज ज्यादा गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है और इसलिए पेशाब में प्रोटीन का निदान करना बहुत जरूरी होता है।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब के साथ प्रोटीन आने के कारण निम्नलिखित कारण हो सकता हैं:
इस कंडीशन के तहत, प्रोटीन्यूरिया आपके प्रेग्नेंट होने के बीस सप्ताह के बाद होती है। प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षणों में हाई ब्लड प्रेशर, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द और नजरों का कमजोर होना आदि, प्री-एक्लेमप्सिया के गंभीर मामलों में शामिल हैं।
प्री-एक्लेमप्सिया जैसे समस्या के साथ आपको एक्लम्पसिया जैसी डिलीवरी से जुड़ी एक इमरजेंसी कंडीशन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है।
हेल्प सिंड्रोम (HELLP- हेमोलिसिस, एलिवेटेड लिवर एंजाइम और लो प्लेटलेट काउंट) यह प्री-एक्लेमप्सिया से जुड़ा होता है और इसके भी एक जैसे लक्षण होते हैं। यह आपके जीवन को खतरे में डाल सकता है, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इसमें पेशाब से प्रोटीन डिस्चार्ज अधिक होने लगता है।
किडनी या यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण भी प्रोटीन में कमी हो सकती है। इस कंडीशन के लिए लक्षणों की जाँच करना और उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन, बहुत ज्यादा स्ट्रेस, गठिया और डायबिटीज जैसी समस्याओं के कारण भी पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज हो सकता है।
निम्नलिखित लक्षण पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज होने का संकेत हो सकते हैं:
गर्भावस्था के दौरान प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण निम्नलिखित हैं, जिनपर आपको ध्यान देना चाहिए:
पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज का पता लगाने के लिए किए जाने वाले टेस्ट निम्नलिखित हैं:
टेस्ट के प्रकार | यूरिन प्रोटीन (नॉर्मल) | यूरिन प्रोटीन (प्रेगनेंसी) |
24 घंटे | 10-140 मिलीग्राम | <300 मिलीग्राम |
स्पॉट यूरिन | 10-14 मिलीग्राम/लीटर | <300 मिलीग्राम/लीटर |
स्पॉट यूरिन डिपस्टिक | नेगेटिव | नेगेटिव या ट्रेस |
गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज होने से आपके शरीर में गंभीर रूप से समस्याएं पैदा हो सकती है। आपको प्रोटीन्यूरिया से होने वाले कॉम्प्लिकेशन नीचे बताए गए हैं:
गर्भावस्था के दौरान पेशाब में हाई प्रोटीन डिस्चार्ज होना, यह खुद में कोई बीमारी नहीं है और इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि पेशाब में हाई प्रोटीन डिस्चार्ज होने का कारण क्या है, ताकि उसके अनुसार कोई कदम उठाया जा सके।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज को कम करने के लिए इसका असली कारण का पता लगाकर किया जा सकता है। जैसे कि अगर आपको डायबिटीज के कारण प्रोटीन डिस्चार्ज होता है, तो आपको एक्सरसाइज, जरूरी दवाइयां और सही खाना खाने के लिए कहा जाएगा और ऐसे ही इसे कंट्रोल कर सकती हैं। यदि पेशाब में प्रोटीन आने का कारण हाई ब्लड प्रेशर हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करना होगा।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब में प्रोटीन डिस्चार्ज एक गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे बिलकुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि आप प्रोटीन्यूरिया के किसी भी लक्षण को नोटिस करती हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और इसके लिए तुरंत जाँच कराना बहुत जरूरी है। सही समय पर जाँच कराने और इसका ठीक से इलाज करने से आगे चलकर आपको इससे कोई गंभीर नुकसान नही पहुँचेगा जो आप या आपके बच्चे के लिए खतरा पैदा करे।
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